पल्लवन
डारा के चूके बेंदरा अउ आषाढ़ के चूके किसान
कोनो भी काम ला सही समय मा करे ले बने होथे. येमा लापरवाही करे ले अब्बड़ नुकसान उठाय ला पड़थे. येहा जिनगी सबो क्षेत्र मा लागू होथे. पढ़इया लइका मन सही समय म मिहनत नइ कर पाय ता पढ़ई मा पछुवा जाथे. खेलकूद मा आगू बढ़ना हे ता सरलग पसीना बहाय ला पड़थे. नइ ते अपन लक्ष्य ले भटक जाथे. जइसे खेती -किसानी मा आषाढ़ के गजब महत्व हे. आषाढ़ मा धान बोये ले बने ढंग के फसल होथे. ये महीना मा धान नइ बोवा पाये ता फसल तइयार होय मा नंगत तकलीफ होथे. फसल कमजोरहा हो जाथे अउ साल भर अब्बड़ परेशानी ला झेले ला पड़थे. केहे का मतलब ये हे कि एक किसान ला आषाढ़ मा ही धान बोवाई कर लेना चाही.येकर ले फसल बने होथे. अइसने
बेंदरा जब रूख मा चढ़त बेरा डारा ला पकड़े ले चूक जाथे ता वोला चोट पहुंचे के डर बने रहिथे. सार बात ये हे कि कोनो भी काम ला सही बेरा मा करे ले काम हा सधथे अउ ढेरियाय ले नंगत नुकसान होथे. येहा जिनगी के सबो क्षेत्र मा लागू होथे.
ओमप्रकाश साहू अंकुर
सुरगी, राजनांदगांव
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