पल्लवन--हम सुधरेंगे युग सुधरेगा
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आदिकाल ले समाज म फइले अंधविश्वास,कुप्रथा,नशाखोरी जइसे नाना प्रकार के बुराई ल दूर करके समाज म सुधार,सुख-शांति-खुशहाली लाये के उदिम होवत आवत हे फेर देखे म ये आथे के उल्टा समाज म नवा नवा किसम के बुराई ह दिनों-दिन बाढ़त जावत हे। अशांति ,अव्यवस्था अउ हिंसा के बोलबाला हे।
कलजुग ल सबले खराब युग माने जाथे। युग ह भला खराब होही का? युग ह खराब नइये,खराबी तो ये समे के मनखे मन म हे,ऊँकर विचार म हे। इहाँ हर कोई चाहते के दूसर ह सुधरय। खुद म भले कतको बुराई भरे राहय। बाप चाहते बेटा सुधरय, बेटा ह उही बात बाप ल कहिथे। नेता चाहथे जनता सुधरय, जनता कहिथे नेता सुधरय।अइसने खुद के हिरदे ल नइ झाँक के आन बर अँगरी उठाके उपदेश देये के भारी चलन हे।दूसर ल उपदेश देवइया कोरी-खरिका मिल जहीं अउ खुद म सुधार करइया लाखों म कोई एक झन। मौन रहे के शिक्षा भाषण देके दे जावत हे। घुप्प अँधियार ह अँजोर लाहूँ कहिथे। वो काम तो दिया ह कर सकथे। दिया असन बर के अँजोर बगरइया खोजे नइ मिलय।
कुल मिलाके कोरा ज्ञान बाँटे ले समाज सुधार नइ होवय। जेन मन भी थोर-थार समाज सुधार करे हें ,वो मन पहिली खुद करके देखावैं तब दूसर ल काहयँ।तभे ऊँकर प्रभाव परै।
व्यक्ति ले समाज बने हे।हर मनखे अगर अपन सोच म,अपन आदत म सुधार कर लै त परिवार म,गाँव-शहर म, समाज म सुधार हो जही तहाँ ले पूरा देश अउ संसार अच्छा हो जही।
चोवा राम वर्मा 'बादल'
हथबंद,छत्तीसगढ़
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