Friday 18 October 2019

छत्तीसगढ़ी कहानी - जीतेन्द्र वर्मा "खैरझिटिया"


                             कहानी - उजास

             संझौती अउ रतिहा के संगे संग बिहना अउ मंझनिया बेरा म घलो कुरेल गाँव ल अँधियारी के अगजर लीलत हे तइसे दिखथे।चारो मुड़ा पसरे कुलुप अँधियारी अउ साँय साँय करत  जंगल , कतको दमदार आदमी के पछीना निकाल देथे।अगास ल अमरत बड़े बड़े पेड़ अउ बड़े बड़े पहाड़ के पँउरी म नान नान आस धरे कुरेल गांव के मनखे मन जिनगी जीयत नइहे,बल्कि दिन ल गिन गिन के काटत हे।अइसने अँधियारी अउ अभाव म कई पीढ़ी आइस अउ चल दिस।फेर कोनो ल घर,गाँव,ठिहा-ठौर अउ जिनगी म उजास के आरो घलो नइ मिलिस।कोनो कुलुप अँधियार कुरिया म टिमटिमावत दीया, कखरो दुख भरे जिनगी म सुख के सुगबुगाहट,कखरो उदास मन म उछाह,अनपढ़ कारी जिनगी म शिक्षा के जोती,व्याकुल टकटकी नैनन म ससन भर नींद,उन्ना कोठी काठा म छलकत अन्न धन,सुन्ना कोरा म लइका के किलकारी,बरसत नैना म उमंग के सपना,उबड़ -खाबड़ अउ काँटा खूंटी वाले डहर के सपाट अउ साफ होना,डर म निडर,कुँवा म खुसरे मेढ़क के बाहिर निकल के तरिया नन्दिया म कूदना,छेल्ला जिनगानी म मीत मितानी, फूल फुलवारी  ये सब उजास तो आय।अउ इही सब  उजास ल कुरेल गाँव के किसोरहा लइका अल्दू कभू ऊँच पेड़ के फुलिंग म,त कभू पहाड़ के मूड़ म नाचत गावत सपनावत रहय।ओखर मन अइसन कुलुप सुनसान अँधियार जिनगी ले तंग आगे रिहिस।तभे तो उजास अउ ऊँचाई खोजे बर कभू पेड़ के फुलगी म चढ़के आगास ल झाँके त कभू पहाड़ म बइठे, नाना जाति के उड़ावत जिनिस ल देखे,अउ अपन दिमाक म उजास के दीया बारे।अल्दू के करिया,गठीला अउ ऊँच पुर देह,खांद तक झूलत लंबा करिया चुन्दी, कारी कारी आँखी,चमचम चमकत  दाँत,अपार बल अउ पवन कस फुर्ती सबके  मन ल मोह लेवय।गाँव म कोनो भी विकट स्थिति आय अल्दू सबे काम बर अघुवाय राहय।कुरेल गांव जेन जंगल के सिरिफ चार गाँव के अलावा अउ कोनो गाँव ल नइ जानत रिहिस,कभू शहर,अउ कभू बने डहर घलो नइ देखे रिहिस,उँहा अल्दू के मन ये सब कमी ल पूरा करे के आशा जागिस।अल्दू हवा म उड़ात हवाई जहाज,राकेट अउ पंछी मन ला देख के सोचे के कास मोरो पाँख होतिस त महूँ ये घनघोर जंगल ल, चीर के दुनिया के संग खाँद ले खाँद मिलाके चलतेंव अउ अइसन अभाव अउ दुख भरे जिनगी म उछाह उजास भरतेंव।अल्दू देखे रिहिस बीमारी म तड़प तड़प के प्राण गँवावत अपन कतको संगी साथी मन ला,कांदा कुशा म पेट भरत पूरा गाँव ल,दुख दरद ल किस्मत समझ के झेलत अउ जिनगी ल बोझा कस ढोवत।कुरेल गाँव के चारो मुड़ा जंगले जगंल हे ,चाहे कहूँ कोती जाये जाय, न कोनो गाँव हे न अइसन  एको रद्दा बाट जेन समाज के प्रमुख धारा ले उँहा के मनखे मन ल जोड़ सके।बने ढंग के सुरुज के रोशनी घलो नइ आय।कतको तेज हवा गरेरा होय बड़े बड़े ठाढ़े पेड़ पौधा के बीच ओखर दाल नइ गले।कहे के मतलब ये कि, हवा घलो बंध के चले।
हवा के सरसर तो नही बल्कि साँप बिच्छू अउ जीवलेवा जंगली जानवर ले पूरा जंगल साँय साँय करे। चाहे बिहना होय या फेर रतिहा झिंगरा ,हुँड़ड़ा,बघवा,भलुवा अउ कई किसम के जंगली जानवर मनके दहाड़ अउ शोर गूँजत रहय।भले नन्दिया अउ झरना के कलकल आवाज मन ल मोह लेवय,फेर ओखर अम्बार जल धारा,भँवरी मारत दहरा,तंग घाटी,पाताल लोक तक खोदाये खोह, मन ल मातम के दरिया म बोर देवय।कभू कभू, का बल्कि आय दिन जंगली जानवर अउ साँप बिच्छु, इँहा के मनखे मन ला अपन शिकार बना लेवय।फेर गाँव वाले मन जइसे कोनो परिवार म घलो कभू लड़ई झगड़ा हो जथे वइसने कोनो अलहन समझ के मन ला मना लेवय।हाथी ,बघवा,भलुवा,साँप,बिच्छू जेन रोज कोनो परिवार के सदस्य कस उंखर घर द्वार के चक्कर लगात दिखय।बरसात म चारो मुड़ा आसा विस्वास ल बोरत पानीच पानी,जड़काला म काल कस जाड़ ,कुरेल के मनखे मनला जीयन नइ देवय।अउ हाँ गरमी के मौसम थोर बहुत ठीक ठाक रहय।उंखर बर तीर तखार म बसे गाँव,घर अउ जंगल झाड़ी सबे चीज आय ।येखर बाहिर अउ कुछु नइ जाने।पीढ़ी दर पीढ़ी चलत आवत रीति रिवाज अउ परपंरा उंखर शिक्षा अउ संस्कार आय,सियान मनके गोठ बात ,ग्यान - ध्यान आय,अउ अइसन घोर अभाव ,आफत अउ अँधियार म जिनगी जीना साहस अउ बल।फेर ये साहस सबे कोनो ल नसीब नइ हो पाय।अउ जेखर अंग अंग म साहस अउ अपार शक्ति हिलोर मारत राहय ,वो लइका रिहिस,अल्दू।
         अल्दू एक दिन बड़ बड़का सइगोन के पेड़ म चढ़े आजू बाजू के चार गाँव के अलावा अउ कोनो गाँव कस्बा शहर ल ताकत रिहिस,ततकी म देखथे की बीच जंगल म धुँवा उठत हे।हब ले उतर के अल्दू वो मेर पहुँचथे त देखथे कि दू झन मनखे जहाज के पेड़ म फँस जाये ले बेहोश अउ जख्मी पड़े हे।जहाज के कुछ हिस्सा म आगी लग गे रिहिस,अल्दू कोनो काम बर कमती नइ रिहिस तुरते दूनो ल खाँद म लाद के तिरियाइस अउ जइसे तइसे करके जहाज के आगी ल घलो बुताइस।घर म लाके उंखर दवा पानी करिस, वो दूनो अब एकदम ठीक होगे।फेर एक दूसर ले बात कर पाना सम्भव नइ रिहिस।वो दूनो मनखे शहरिया वैज्ञानिक अउ अल्दू मन जंगल के रहवइया।अल्दू संग वो गाँव के अभाव अउ दुख दरद ल दूनो वैज्ञानिक मन घलो देखिस अउ झेलिस।वो तो जंगली जड़ी बूटी अउ गाँव के सियान मनके किरपा ए जेन बिना डॉक्टर अउ अस्पताल के उंखर घाव भरगे।अल्दू उंखर मनके तीर अपन गाँव म उजास के कल्पना ल रखथे,वोमन वादा करथे की गाँव म उजास जरूर आही।फेर वो वैज्ञानिक म बीहड़ जंगल ले अपन शहर जाये कइसे।नक्शा खसरा ले वोमन गाँव के बसाहट ल पता करथे अउ अपन अउ साथी मन ला वो मेर बलाथे।कुछ दिन बाद दूनो वैज्ञानिक म कुरेल गाँव ले गाँव के तरक्की के वादा करके वापस चल देथे।जावत बेरा अल्दू ल शहर लेगे के घलो बात वोमन करथे,फेर दाई ददा अउ गाँव वाले मनके  मया के अँचरा ले नइ निकल पाय।दूनो मनखे मन ल देखे के बाद कुरेल के मनखे मन जानिस कि  सुख सुविधा वाले आदमी अउ शहर,नगर घलो होथे।दूनो वैज्ञानिक ले मिले के बाद अल्दू के आत्मविश्वास अउ बढ़गे।वोला कई ठन कस्बा अउ शहर के घलो पता चलिस।पता लगते साथ जम्मो गाँव वाले मन संग रद्दा बनाये म भिड़ गे।बनेच दुरिहा रद्दा बने के बाद जम्मो गाँव वाले मन अपन आँखी ले तीर के कस्बा अउ शहर देखिन।अल्दू आघू आघू अउ गाँव के आने मनखे म पाछु पाछु।अब आय दिन अल्दू अपन ठिहा ले कस्बा, शहर आना जाना करे लगिस।अल्दू जेन चीज ल एक घांव देखे ओला वइसने गढ़े के उदिम करे।डॉक्टर ,मास्टर के महत्ता वोला समझ आगे रिहिस।फेर न मोटर गाड़ी अउ न पइसा कौड़ी बपुरा करे त काय करे।उंखर गाँव ले वो कस्बा बनेच दुरिहा राहय अउ ओतको में रेंगत जाना,बनेच बेरा लँग जावय।कभू कभू बइठे सोचे के वो वैज्ञानिक मन देव दूत कस आही अउ कुरेल गाँव ल विकास के मुख्य धारा ले जोड़ देही।फेर ये सिरिफ सपना कस लागय,काबर कि सालभर बीत जाय राहय अउ उंखर अता पता घलो नइ राहय।अल्दू खाय पीये के समान ,दवई दारू,अउ अँधियारी भगाय बर कई चीज ,चार ,चिरौंजी,तेंदू के बदला लाये लगिस। जेन जहाज गिरे पड़े रिहिस वोला लेगे बर एक दिन फेर वो वैज्ञानिक मनके,अल्दू के सपना ल सिरजाय बर आना होवस।जले जहाज के स्थिति ल देख के ओमन  हक्का बक्का हो जथे,अल्दू लगभग जहाज ल पूरा बना डरे रहिथे।दूनो वैज्ञानिक ल अबड़ खुशी होइस।वोमन अल्दू ल जहाज म चढ़ा के ए दरी शहर ले जाना चाहथे।सब ले विदा लेके झटकुन आये के किरिया खाके अल्दू चल घलो देथे।अब अल्दू अउ वैज्ञानिक एकदूसर के भाँखा ल समझ पावत रिहिस।अल्दू के उमर काय रिहिस,चार पाँच बरस बड़े शहर म पढ़ई लिखई करे के बाद वोला वोखर हुनर अउ आत्मविश्वास अनुसार बड़का वैज्ञानिक के नवकरी घलो मिल जथे।
                  कुरेल गाँव ले अल्दू के जाये के बाद गाँव सुन्ना पड़ गे राहय।दाई ददा संग गाँव वाले मनके रो रो के हाल बेहाल राहय।आठ नव बरस ले तरसत कुरेल गाँव म अचानक अल्दू के पाँव पड़थे।फेर ओखर पहिनावा ओढ़ावा ल देख  पहिचाने म भोरहा हो जावत रिहिस।कथे दाई ददा के आँखी कभू धोखा नइ खाय, ओमन अपन बेटा अल्दू ल काबा म पोटार लिन।गाँव म उमंग छागे,अइसन उमंग अउ उछाह उँहा कभू नइ होय रिहिस।अल्दू संग दूनो वैज्ञानिक घलो अल्दू के सपना ल पूरा करे म लग गे।अल्दू अपन लगन महिनत ले जतका कमावै सबला अपन गाँव के विकास म लगावै। देखते देखत पानी,बिजली,स्कूल,अस्पताल सड़क,अउ नाना जाति के सुख सुविधा ले कुरेल गाँव जगमगाये बर लग गे।दस बछर पहली देखे उजास के सपना ल साकार होवत देख अल्दू अड़बड़ खुश होवय।अल्दू कस सपना सँजोये अउ कतको लइका गाँव कुरेल म दिखे लगिस,वो दिन अल्दू के छाती गरब ले फूल गे।फेर आज ओ लइका मन बर सुख सुविधा हे,जेन उंखर आशा अउ विश्वास ल बढ़ावत हे।अल्दू तीर तखार के कुरेल कस जम्मो गाँव म उजास भरे म लग जथे।बीहड़ घनघोर जंगल म भले सुरुज के रोशनी नइ जा पाय फेर जेन रद्दा ले अल्दू रेंगे वो डहर अउ गाँव घर उजास ले लबालब हो जावय।चारो मुड़ा चाहे बीहड़ गाँव होय,कस्बा होय,या फेर शहर होय,अल्दू के गुणगान होय लागिस।आज कुरेल कस कतको गाँव म खुशी हे, सुख शांति हे, धन धान्य हे,स्कूल कालेज हे, डॉक्टर मास्टर हे,चैन सुकून हे,कुल मिलाके कहे जाय त उजासे उजास हे।

कहानीकार- श्री जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"
बाल्को,कोरबा(छत्तीसगढ़)

24 comments:

  1. बहुत सुग्घर छत्तीसगढ़ी कहानी लिखे हव गुरुदेव।।

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    1. सधन्यवाद, सादर नमन सर जी

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  2. सुन्दर कहानी गुरुदेव जी

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  3. उजासे उजासे अब्बड़ सुग्घर कहानी गुरुदेव

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    1. सधन्यवाद, सादर नमन सर जी

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  4. वाह वाह सुग्घर कहानी। अपन शीर्षक के अनुरूप बने उजास बगरावत हे।हार्दिक बधाई।

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  5. बड़ सुग्घर सृजन गुरुदेव । जंगल के बीच कुरेल गाॅऺंव के रहइया मन के कहानी ।

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    1. सधन्यवाद, सादर नमन सर जी

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  6. अल्दू के माध्यम से गाँव के विकास में युवाओं की भूमिका को खूबसूरती से चित्रित किया गया है कहानी -उजास में।
    हार्दिक बधाई एवं शुभकामनाएं जीतेन्द्र जी।

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  7. बहुत शानदार कहानी सर

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    1. सधन्यवाद, सादर नमन सर जी

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  8. बहुत शानदार कहानी सर

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    1. सधन्यवाद, सादर नमन सर जी

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  9. अल्दू कस सब हो जतिन, बदल जतिस इतिहास।
    कहनी भाई के हमर, बन गे हावय खास।।
    बहुत.सुंदर..खैरझिटियाजी ल गाड़ा गाड़ा बधाई.. गद्य पद्य दूनो म इंखर कलम दँउड़त रहय...इही असली साहित्यकार के चिन्हारी ए....हमर गुरुदेव अरुण निगमजी ल सादर प्रणाम सहित...
    🌹🌹🙏🙏🙏🌹🌹🌹

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    1. सधन्यवाद, सादर नमन सर जी

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  10. बहुत सुग्घर कहिनी गुरुवर

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    1. सधन्यवाद, सादर नमन सर जी

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  11. वाहहह!बड़ सुग्घर कहनी।हार्दिक बधाई खैरझिटिया सर

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    1. सधन्यवाद, सादर नमन सर जी

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  12. बहुत सुग्घर कहानी के सृजन करे हव आदरणीय ।हार्दिक बधाई ।

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    1. सधन्यवाद, सादर नमन सर जी

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  13. कापी पेस्ट से बचाने का कोई उपाय है क्या आदरणीय
    जिससे ब्लॉग की रचनाओं को सुरक्षित किया जा सके।
    अपेक्षारत...

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