Saturday 27 November 2021

हमर राजभाखा छत्तीसगढ़ी सम्मान कइसे पाही*


 

*हमर राजभाखा छत्तीसगढ़ी सम्मान कइसे पाही*



     हमर राजभाखा छत्तीसगढ़ी सम्मान कइसे पाही एहा बहुत गंभीर विषय आय। हमर छत्तीसगढ़ी राज भाखा हमरे मन ले अपनानित हवै। हमन गोठ-बात, लेखन या सभा मा बस छत्तीसगढ़ी ला पोठ करे के बात करथन फेर असल जिनगी मा कभू परियास नइ करन, छत्तीसगढ़ी महतारी अपने घर, समाज, देश-राज ले तिरस्कारित हे। हमिमन एकर मान नइ रख पात हन ता दूसर ले काय उम्मीद करबो। ये हमर दुर्भाग्य हरे की हमन छत्तीसगढ़ी ला राजभाखा  बनाय के मॉंग घलो हिंदी मा करथन।

       सबले पहिली छत्तीसगढ़ी भाखा के पूरा छत्तीसगढ़ मा एकठन मानक भाखा तइयार होना चाहिए, जेन शायद तइयार हो चूके हे ओला हमला स्वीकार करना चाहिए। हमर छत्तीसगढ़ बहुत अकन बोली भाखा (हल्बी, गोंडी, सरगुजिहा, दोरला, दंडामी, अबुझमाड़िया, भुंजिया, धुरवी/ धुरवाकुडुख, ओरांव, मुड़िया) मा बॅंटे हे जेकर कारन बोली मा बहुत अकन विभिन्नता देखे बर मिलथे। तेकरे सेती शबद मा अपभ्रंश होथे जेन मा एकरूपता लाय के जरूरत हे तब हम अपन छत्तीसगढ़ महतारी ला मान दे सकत हन, अगर हम अपने घर मा भाई-भाई (भाखा) मा बॅंटे रहिबो ता न तो पोठ होवन न मान पावन।

       हमर पुरखा कतको बछर ले छत्तीसगढ़ के अस्तित्व बर लड़िन अउ हमन नवा पिढ़ी मन छत्तीसगढ़ी बोली के अस्तित्व बर। आखिर हम कब तब अपन अस्तित्व बर लड़बो, हमला तब तक लड़े ला लगही जब तक हम दूसर ले उम्मीद रखबो खुद ले नही, आज हम दूसर ले जादा उम्मीद रखथन ओहा छत्तीसगढ़ी मा बोलय, लिखय, पढ़य फेर अपन अंतस मा उतार नइ सकन तेकर सेती हम झूठ-लबारी के दिखावा करत रहिथन। हमला दूसर सो माॅंगे के जरूरत नइ हे हम अपन बोली ला मान दे बर अपन घर (विधानसभा)मा प्रस्ताव पारित करथन कि हमर छत्तीसगढ़ के सबो राज-काज छत्तीसगढ़ी मा होही अउ आजे ले शुरु करथन बाकी चीज अपने अपन हो जाही। आज रंग रूप मा बदलाव होथे, चिरहा कपड़ा अंग-अंग ला झॉंकत रहिथे, भूसा कीरा कस चूॅंदी, सिंदूर घलो प्रतीक चिनहा बनके रहि गेहे, या अन्य कोई भी परिवर्तन तब मॉंगे बर नइ लागय वो खुदे अपन जगा बना लेथे। ता का हम सब अगर मन ले सबो काज ला छत्तीसगढ़ी मा करबो ता स्वीकार नइ रहि। "छत्तीसगढ़ी बोली ला मान पाय मा अड़चन हे ता वोहर हे हमर अभिमान" आज हम अपने बीच मा एला छोटे समझत हन अंतस ले स्वीकार नइ करत हन।

     आज जेन भी छत्तीसगढ़ी बोली मा गोठियाथे वोला घृणा के नजर ले देखथन अउ देहाती समझथन, ये जहर शहर वाला मन मा जादा भरे हे। देहाती होना कोनो गुनाह थोरे ये अगर हम कहन त देहाती बिल्कुल निरमल गंगा होथे जे मुॅंह मा रहिथे उही मन अउ तन मा रहिथे। देखावा तो......... मा रहिथे ।

        *हमर राजभाखा छत्तीसगढ़ी मान पाही* ता हमरे घर, बिचार अउ राज काज ले दूसर ले जोजियाय के जरूरत नइ हे। हम अपन घर मा सब काम छत्तीसगढ़ी मा करथन अउ अपन लइका ला छत्तीसगढ़ी बोल के छत्तीसगढ़ी के मान करे बर सीखाथन बाकी भाषा ला आवश्यकता होही ता बेरा पड़े मा सब सीख जाही, जरूरत हे ता सोच बदले के।


मनोज कुमार वर्मा

बरदा लवन बलौदा बाजार

Tuesday 23 November 2021

छन्द के छ परिवार के जम्मो सम्माननीय,*


 

*"छन्द के छ परिवार के जम्मो सम्माननीय,*


पुरुषोत्तम ठेठवार जी, अजय अमृतांशु जी, श्लेष चंद्रकार जी, सुनीता कुर्रे जी, मोहनलाल वर्मा जी, गजानंद पात्रे जी, जुगेश बंजारे जी, सुमित्रा कामड़िया जी, द्वारिका प्रसाद लहरे जी, अनिल सलाम जी, मनीराम साहू जी, सुखदेव सिंह अहिलेश्वर जी, चोवाराम बादल जी, दिलीप कुमार वर्मा जी, पोखनलाल जायसवाल जी, कौशल कुमार साहू जी, जितेन्द्र वर्मा खैरझिटिया जी, नागेश कश्यप जी, राजेश कुमार निषाद जी, धनेश्वरी सोनी जी, मनोजकुमार वर्मा जी, रोशनलाल साहू जी, दुर्गाशंकर इजारदार जी, टाकेश्वर साहू जी, जगदीश हीरा साहू जी, अशोक कुमार जायसवाल जी, शशि साहू जी, बोधनराम निषादराज जी, गुमानप्रसाद साहू जी, आशा देशमुख जी, भागवत प्रसाद साहू जी, विजेन्द्र कुमार वर्मा जी, पद्मा साहू जी, विरेन्द्र कुमार वर्मा जी, नारायण प्रसाद साहू जी, अश्वनी कोसरे जी, चन्द्रहास पटेल जी, प्रिया देवांगन जी, देवचरण धुरी जी, तिलक लहरे जी, जितेंद्र कुमार साहिर जी, कमलेश माँझी जी, ज्योति गभेल जी, प्रदीप कुमार वर्मा जी, राजेन्द्र कुमार निर्मलकर, मिलन मलरिहा जी, सरस्वती चौहान जी, ओमप्रकाश साहू अंकुर जी, शिवप्रसाद लहरे जी, तेजराम नायक जी, वसुंधरा पटेल जी, भागबली उयके जी, महेंद्र कुमार घृतलहरे जी, भागवत प्रसाद चंद्रकार जी, संगीता वर्मा जी, कमलेश वर्मा जी, नीलम जायसवाल जी, अमृतदास साहू जी, नंदकुमार साहू नादान जी, अनुज छत्तीसगढ़िया जी, रामकली कारे जी, जितेंद्र निषाद जी, शुचि भवि जी, वसंती वर्मा जी, उमाकांत टैगोर जी, राधेश्याम पटेल जी, मोहनकुमार निषाद जी, लीलेश्वर देवांगन जी, महेन्द्र बघेल जी, मेनका वर्मा जी, रविबाला राजपूत जी, बलराम चंद्राकर जी, गजराजदास महंत जी, रमेश चौरिया जी, नमेंद्र कुमार गजेंद्र जी, दीपककुमार साहू जी, दीपककुमार निषाद जी, संतोष कुमार साहू जी, केतन साहू खेतिहर जी, केशव पाल जी, राकेशकुमार साहू जी, रामकुमार चंद्रवंशी जी, ज्ञानुदास मानिकपुरी जी, चित्रा श्रीवास जी, हेमलाल साहू जी, डी एल भास्कर जी, रमेशकुमार मंडावी जी, अशोक धीवर जलक्षत्री जी, आशुतोष साहू जी, देवेंद्र पटेल जी, मीता अग्रवाल जी, राजकुमार बघेल जी, बालक दास निर्मोही जी, शोभा मोहन श्रीवास्तव जी, नंदकिशोर साव जी, शेरसिंह परतेती जी!


परोन दिन ले सोचत हँव कि आप मन के मया बर का लिखँव ? छत्तीसगढ़ अउ छत्तीसगढ़ी मा मया के प्रत्युत्तर मा "जुग-जुग जीयव", "खुश रहव" अइसने शब्द अउ भाव प्रकट करे के परम्परा हवय। नवा युग मा ये परम्परा नँदावत हे। अब धन्यवाद, आभार, थैंक यू कहे के अउ त अउ Tnx लिखे के चलन बाढ़ गेहे। इही पायके जुन्ना परम्परा मा आप मन *जुग-जुग जीयव, खुश रहव अउ दिनोदिन उन्नति करके सुग्घर नाम कमावव*, अइसने आशीष देवत हँव। नवा चलन मुताबिक आप मन के हिरदे ले आभार, धन्यवाद अउ थैंक यू घलो बोलत हँव। हाँ, Tnx ला छोड़त हँव, ये बहुते छोटे लागथे। छत्तीसगढ़िया मन कतको छोटे घर रहय फेर अँगना, बारी समेत हेरफेर मा रहे के आदी होथें।तरिया अउ नदिया मा डुबक-डुबक के नहाथें। मूड़ी ऊपर अनंत-अगास अउ गोड़ तरी अपन-भुइयाँ होथे, तभे उदारमना होथें। शहर अउ महानगर के मनखे मन अपार्टमेंट मा बन्दी बरोबर रहिथें। अँगना, बारी, नदिया,तरिया ला उन मन नइ जानँय। कबूतर खाना जइसन फ्लैट के रहवइया, नानकुन बाथरूम मा एक बाल्टी पानी मा नहाने वाला मन के सोच घलो वइसने बन जाथे तभे मॉम, डैड, ब्रो, सिस, tnx जइसन शब्दकोश मा जिये बर मजबूर हो जाथें। कीमत मा फ्लैट, कतको महंगी रहय फेर न मूड़ी ऊपर अगास होथे अउ न गोड़ तरी भुइयाँ। पथरा-सीमेंट के छत, सेरेमिक टाइल्स के फरर्स अउ पथरा-सीमेंट के दीवाल - अब अइसन जघा मा मया कइसे उपजही? मनखे हो चाहे रुखराई - उपजे अउ बाढ़े बर अगास अउ भुइयाँ दुनों चाही।


सुविधा अउ आधुनिकता के अति मा प्रदूषण बाढ़गे। धुर्रा, धुँआ, केमिकल, फोर-जी अउ फाइव-जी के टॉवर के खतरनाक तरंग मनखे त मनखे चिरई-चिरगुन तको बर घातक साबित होगे। कहे के मतलब वातावरण प्रदूषित होगे। एकरे कारण सामाजिक, राजनैतिक अउ साहित्यिक वातावरण तको प्रदूषित होगे। महूँ साहित्यिक वातावरण के घुटन ला महसूस करे हँव। 


*मोर मन मा एक विचार आइस कि जब इही वातावरण मा जीना हे तब अपन बर एक "सुरक्षा-कवच" बनाना चाही जेमा आरुग-मया हो, श्रद्धा हो, स्नेह हो, आदर-भाव हो, मान-सम्मान हो, निर्मल हवा अउ पानी हो। इही विचार "छन्द के छ" के जनक बनिस अउ "छन्द-ज्ञान" हर माध्यम बनगे।*  09 मई 2016 के एक नवा साहित्यिक दुनिया बनिस जेमा 10 झन परिंदा मन आइन। धीरे-धीरे नवा-नवा परिंदा मन आइन अउ ये नवा दुनिया के आकार बाढ़त गिस। कुछ परिंदा मन चमक-दमक के माया मा अरझ के 4-G, 5-G के दुनिया मा लहुट गिन अउ कतको मन इहाँ हमेशा-हमेशा बर बसगें। आरुग-मया मा सादगी होथे, चमक-दमक नइ होवय फेर एक दिन ये आरुग-मया अइसन चमत्कार कर देथे कि इहाँ के रहवइया मन के प्रतिभा सुरुज असन दमक जाथे अउ सरी दुनिया वोला देखके आँखी अउ मुहूँ फाड़ के देखथे। 


ये काल्पनिक बात नोहय। मनीराम साहू जी के प्रबंध-काव्य "हीरा सोनाखान के", "महापरसाद", चोवाराम बादल जी के छन्द-संग्रह  "छन्द बिरवा", जगदीश हीरा साहू जी के मनका "सम्पूर्ण रामायण", छन्द-संग्रह "छन्द-संदेश", रामकुमार चंद्रवंशी जी के "छन्द-संदेश", रमेश चौहान जी के दोहा के रंग, आँखी रहिके अँधरा, "छन्द के रंग", "छन्द-चालीसा" अउ पाइप-लाइन मा प्रकाशन बर बाट जोहत अनेक पाण्डुलिपि मन साक्षात प्रमाण आँय। छत्तीसगढ़ी के संग हिन्दी के सेवा तको होवत हे। महेंद्र देवांगन माटी जी के किताब "छत्तीसगढ़ के तीज-तिहार", कन्हैया साहू अमित जी के "कविताई कैसे करूँ", चोवाराम बादल जी के "कुण्डलिया किल्लोल" अउ "जुड़वा बेटी"(गद्य) ज्वलंत उदाहरण हें। यूट्यूब मा गजानंद पात्रे जी,  द्वारिकाप्रसाद लहरे जी, बृजलाल दावना जी, पुरुषोत्तम ठेठवार जी, जितेंद्र वर्मा खैरझिटिया जी, सुखदेव अहिलेश्वर जी, अश्वनी कोसरे जी, मिलन मलरिहा मन अपन प्रतिभा ला दर्ज करावत हें। संस्कृत मा रावण रचित शिव तांडव स्त्रोत के छत्तीसगढ़ी मा भावानुवाद करके आशा देशमुख जी न केवल छन्द के छ के उपयोगिता ला प्रमाणित करिन बल्कि यहू साबित करिन कि छत्तीसगढ़ी कतका समृद्ध भाषा आय। ये पहिली अवसर हे कि छन्द के छ के कोनो साधक के रचना के "डिमाण्ड" कोनो स्थापित कलाकार द्वारा करे गेहे। 5 साल के छोटे अवधि मा ऊपर लिखे जम्मो उपलब्धि मोर जीवन काल मा अउ कहूँ देखे मा नइ आइस। 


ये सब ले बढ़के जउन खास बात हे, वो ये हे कि "छन्द के छ" परिवार के हर सदस्य प्रदूषण-मुक्त दुनिया मा जीयत हें। हर सदस्य "बाँटना" जानथे। कोनो बटोरे बर नइ जाने। आप मन के इही विशेषता अउ उदारता हर मोर जइसे साधारण ला असाधारण बना दिस। मोला लागथे कि शायद मोर असन हर साधक अइसने सोचत होही। ये परिवार के हर साधक साधारण हो के घलो "असाधारण" हे। आपस के दया-मया अउ त्याग-समर्पण दिनोदिन बाढ़य, इही शुभकामना के साथ……..


*अरुण कुमार निगम*

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प्रथम अमृतध्वनि छन्द संग्रह का गौरव कबीरधाम को मिला"


 "प्रथम अमृतध्वनि छन्द संग्रह का गौरव कबीरधाम को मिला"


गत दिवस इस्पात नगरी भिलाई में "छन्द के छ" परिवार का दीवाली मिलन,पुस्तक विमोचन और राज्यस्तरीय छन्दमय कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ। ज्ञात हो "छन्द के छ" साहित्य की शास्त्रीय विधा छन्द के सीखने-सिखाने की आनलाइन कक्षा है। जिसके संस्थापक छत्तीसगढ़ के गिरधर कविराय के नाम से मशहूर कवि कोदूराम'दलित'जी के सुपुत्र छ्न्द के छ किताब के रचयिता श्री अरुण कुमार निगम जी हैं। वर्तमान में छत्तीसगढ़ के 20 से अधिक जिलों के साहित्यकार छन्द के छ की कक्षा में छन्द साधक के रूप में छन्द की साधना कर रहे हैं, सीख रहे हैं। भिलाई सेक्टर-7 कुर्मी भवन के सभागार में आयोजित यह कार्यक्रम दो सत्रों में सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम के प्रथम सत्र का शुभारंभ सरस्वती माता और छत्तीसगढ़ी भाखा महतारी की पूजा-अर्चना के साथ हुआ। छन्द साधक श्री नारायण वर्मा के द्वारा सरस्वती वंदना की मधुर प्रस्तुति दी गई साथ ही श्री अरुण कुमार निगम द्वारा रचित छत्तीसगढ़ी भाखा महतारी की वंदना की प्रस्तुति भिलाई के छन्द साधक गीतकार श्री बलराम चंद्राकर ने दी।अतिथियों का स्वागत सत्कार अभिनन्दन बहुत ही आत्मीय भाव के साथ किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. सुरेश देशमुख (संपादक- चंदैनी गोंदा एक सांस्कृतिक यात्रा) रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता- श्री प्रेमलाल पिपरिया (अध्यक्ष कूर्मि क्षत्रिय समाज भिलाईनगर) ने की। विशिष्ट अतिथि के रूप में श्रीमती सरला शर्मा (अध्यक्ष हिन्दी साहित्य समिति दुर्ग), डॉ सुधीर शर्मा (विभागाध्यक्ष, हिन्दी विभाग कल्याण महाविद्यालय भिलाई), सूफी हाजी डॉ. शाद बिलासपुरी (जनरल सेक्रेटरी हल्क ए अदब, दुर्ग) उपस्थित रहे। अपने स्वागत उद्बोधन में 'छन्द के छ' के संस्थापक श्री अरुण कुमार निगम ने अतिथियों का स्वागत सत्कार करते हुए छन्द के छ की यात्रा पर प्रकाश डाला और बताया कि 'छन्द के छ'अब एक साहित्यिक आंदोलन बन चुका है। प्रदेश के लगभग 200 से अधिक छन्द साधक छत्तीसगढ़ी भाषा साहित्य को समृद्ध करने निरन्तर अपनी कलम चला रहे हैं। 'छन्द के छ' की ब्लॉग छन्द खजाना में छन्द साधकों की लगभग दस हजार से अधिक छन्दबद्ध रचनाएं संग्रहित हो चुकी हैं। शुद्ध शिष्ट उत्कृष्ट रचनाओं का संग्रहण कार्य निरन्तर चल रहा है। छन्द साधक न केवल पद्य साहित्य की रचना कर रहे हैं बल्कि गद्य साहित्य की रचना भी कर रहे हैं जिसे गद्य खजाना नाम के ब्लॉग में संग्रहित किया जा रहा है। आगे उन्होंने कहा कि छन्दबद्ध रचनाओं की मंचों में उत्कृष्ट प्रस्तुति कैसे हो? इसके अभ्यास के लिए प्रति सप्ताह शनिवार और रविवार को 'छन्द के छ' की गोष्ठी वाली कक्षा में आनलाईन कविगोष्ठी आयोजित की जाती है। छ्न्द के छ की कक्षा में वरिष्ठ छन्द साधक गण गुरु की भूमिका में होते हैं और कनिष्ठ छन्द साधक गण शिष्य की भूमिका में होते हैं। इस तरह 'छन्द के छ' परिवार में गुरु शिष्य परम्परा का सुन्दर निर्वहन हो रहा है, जिसकी एक बानगी आज के इस आयोजन में भी देखी जा सकती है। पुस्तक विमोचन के क्रम में प्रथम "अमृतध्वनि" छन्द संग्रह का विमोचन हुआ जो सहसपुर लोहारा-कबीरधाम के श्री बोधन राम निषादराज "विनायक" की कृति है। इस कृति को प्रथम अमृतध्वनि छन्द संग्रह होने का गौरव प्राप्त हुआ। दूसरा छन्दबद्ध रचना संग्रह "छन्द संदेश"श्री जगदीश हीरा साहू भाटापारा की कृति का विमोचन हुआ और तीसरे क्रम में 255 प्रकार के छन्दों से सजी कृति साँची साधना "छंदामृत" का विमोचन हुआ जो श्रीमती इन्द्राणी साहू भाटापारा की संग्रहणीय और पठनीय कृति है।

                अतिथि उद्बोधन के पहले अजय अमृतांशु भाटापारा के शानदार संचालन में कोरबा के छन्द साधक जितेन्द्र वर्मा 'खैरझिटिया', जॉंजगीर चॉंपा के उमाकांत टैगोर,बलौदाबाजार के कौशल साहू, दिलीप कुमार वर्मा कबीरधाम के सुखदेव सिंह'अहिलेश्वर',ज्ञानु दास मानिकपुरी,अश्वनी कोसरे, हथबंद के चोवाराम वर्मा'बादल', भिलाई के बलराम चंद्राकर, शशि साहू, सिमगा के मनीराम साहू 'मितान' ने अपना-अपना छन्दमय काव्यपाठ किया। मुख्य अतिथि डॉ सुरेश देशमुख ने अपने उद्बोधन में छन्द के छ के इस कार्य की भूरी भूरी प्रशंसा करते हुए कहा कि आज के इस अनुशासन मुक्त दौर में अनुशासन में बंध कर उत्कृष्ट साहित्य का सृजन करना वाकई एक साधना है। निश्चय ही इससे साहित्य की कोठी समृद्ध होगी, हमारी ओर से सभी साहित्य साधकों को कोटि कोटि बधाई और शुभकामना है। विशिष्ट अतिथियों ने भी अपने अपने उद्बोधन में 'छन्द के छ' के इस साहित्यिक साधना व समर्पण को सराहा और अपनी अपनी शुभकामनाएं दीं। अतिथि उद्बोधन के साथ  प्रथम सत्र का समापन हुआ। सत्र अन्तराल में सभी ने छन्दबद्ध कृतियों से सजे किताब स्टाल से अपनी-अपनी पसंद की किताबें खरीदी और स्वादिष्ट भोजन का आनंद लिया। कार्यक्रम का द्वितीय सत्र कविगोष्ठी का था। क्रमश: जितेन्द्र वर्मा 'खैरझिटिया',ईश्वर साहू 'आरुग' गजराज दास महंत, ज्ञानु दास मानिकपुरी के संचालन में प्रदेश के लगभग 20 जिलों से आये 90 से अधिक छन्द साधक कवियों ने अपनी मनभावन प्रस्तुतियां दी। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में श्री प्रेमलाल पिपरिया जी ने छन्द के छ के छत्तीसगढ़ी भाषा साहित्य के प्रति समर्पण और आदर भाव को खूब सराहा साथ ही उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं दी। कार्यक्रम का सफल संयोजन स्थानीय छन्द साधक श्री विजेन्द्र कुमार वर्मा, श्री बलराम चंद्राकर और श्री गजराज दास महंत ने किया।


-सुखदेव सिंह'अहिलेश्वर'


Saturday 20 November 2021

सुरता भिलाई के----दिवाली मिलन समारोह-भिलाई(19/11/2021)छंदकार मनके अनुभव

 दिवाली मिलन समारोह-भिलाई(19/11/2021)






छन्द परिवार के साधक मनके कलम ले, दिवाली मिलन कार्यक्रम के बखान










*छंद के छ परिवार दीवाली मिलन समारोह



भिलाई-- बहुतेच सफल आयोजन*


कोनो भी सफल आयोजन बर टीम वर्क जरूरी होथे।प्रणम्य गुरुदेव श्री के सानिध्य मा श्री बलराम चंद्राकर जी अउ विजेन्द्र वर्मा जी के संयोजकत्व मा उनकर मित्र गण श्री  गजराज महंत जी, श्रीमती संगीता वर्मा जी, मेनका वर्मा जी आदि के मेहनत के  उम्दा अउ निराला रंग -- नास्ता, चाय-पानी, ललीज सात्विक भोजन, स्वागत -सत्कार, बैठक अउ गरिमापूर्ण मंच व्यवस्था, अतिथि सत्कार संग सटीक मंच संचालन के रूप मा छाये रहिस हे। ये बहुतेच सफल आयोजन हम सब बर एक यादगार उदारहरण बनगे। ये  प्रशंसातीत आयोजन रहिस। आयोजक मन ला कोटिक नमन अउ साधुवाद हे।

       ये आयोजन मा छत्तीसगढ़ के कोना- कोना ले पधारे छंद के छ परिवार के साधक मन के एक दूसर के प्रति निर्मल प्रेम, गुरुदेव श्री बर अपार श्रद्धा सबके हिरदे ले छलकत रहिसे। साहित्य जगत मा अइसन हिरदे ले हिरदे के मिलन अन्ते देखे सुने मा नइ आवय।

      हमर मुख्य अतिथि आदरणीय देशमुख जी संग विशिष्ट अतिथि मन के मुखार बिंद ले आशिर्वाद अउ छंद के छ परिवार के प्रशंसा सुन के गौरव के अनुभव होवत रहिसे।

     छंद के छ परिवार मा विविध प्रतिभा के धनी साधक हें। श्री अजय अमृतांशु ,जितेंद्र वर्मा जी, ज्ञानु जी, सुखदेव अहिलेश्वर जी, कौशल साहू जी, ईश्वर आरूग जी ,गजराज महंत जी के जानदार, शानदार संचालन मा छंदमय कवि गोष्ठी हम सब ला भाव विभोर करके आनंदित कर दिस। श्री बोधन निषाद जी, जगदीश हीरा साहू जी अउ इंद्राणी साहू जी के पुस्तक के विमोचन ये समारोह माक्षचार-चाँद लगादिस।

     समापन के बेरा मा प्रणम्य गुरुदेव श्री (निगम जी) के स्नेहिल अउ मार्गदर्शी आशिर्वचन जेला सुनके मोर जइसे भावुक अल्पज्ञ छंदसाधक रचनाकार के हिरदे मा भरे गुरु के प्रति श्रद्धा अउ प्रणाम भाव हा आँसू बनके छलकगे--- सदा सुरता रइही ।

        दीवाली मिलन भिलाई  हम सब बर ,आगामी आयोजन मन बर एक उदाहरण बनगे।पुनः पुनः भिलाई के आयोजन टीम ला कोटिक नमन अउ हार्दिक बधाई हे।


चोवाराम वर्मा बादल

हथबन्द

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*दीवाली मिलन समारोह के हमर पहुना आदरणीया सरला शर्मा जी के अनुभव*


रात जागा पाखी उवाच 

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    19 नवम्बर 2021 छंद के छ परिवार के दीवाली मिलन समारोह में शामिल होना , अभूतपूर्व अनुभव हुआ यूं तो कई साहित्यिक आयोजनों में जाती रहती हूं पर यहां देखी आत्मीयता , परस्पर सहयोग , सम्मान ...जिसे कभी भुला नहीं पाऊंगी ।

     डॉ. सुरेश देशमुख " चंदैनी गोंदा एक सांस्कृतिक यात्रा " के लेखक ही नहीं चंदैनी गोंदा के आयोजनों के सफल उद्घोषक भी रहे हैं उनका सम्मान किया गया । 

अमृत ध्वनि ....बोधन राम निषाद 

छ्न्द सन्देश .....जगदीश हीरा साहू 

सांची साधना छंदामृत .....इंद्राणी साहू 

    पुस्तकों का विमोचन हुआ जिनकी अन्यतम विशेषता है कि सभी काव्य संकलन छंदमय हैं । सांची साधना छंदामृत में लगभग 240 छंद सोदाहरण संकलित हैं । 

   राज्य स्तरीय सम्मेलन था तो 18 जिलों के लगभग 90 छंद साधकों ने प्रस्तुति दी विशेषता यह कि समसामयिक संदर्भों की चर्चा भी छंदमय हुई  । सबसे बड़ी विशेषता कि प्रत्येक छंद साधक को तीन मिनट में छंद पाठ करना था जिसका पालन किया गया । छंद साधना में मुख्य होता है अनुशासन चाहे वो वर्णिक छंद हो चाहे मात्रिक यही समयानुशासन प्रस्तुति में भी दिखाई दिया जो सराहनीय प्रयास है । प्रभाव भी तुरन्त दिखाई दिया कि डॉ . सुधीर शर्मा , शाद बिलासपुरी , प्रेम लाल पिपरिया सबने अपना वक्तव्य दस /बारह मिनट में सम्पन्न किया । आयोजन के उद्घोषकों ने भी संयत संचालन किया  । 

      आज के दौर में जब आधुनिकता के नाम पर शब्दों की जादूगरी , छंदविहीन नई कविता लिखकर गद्य और पद्य का अंतर ही मिटा देने पर लोग तुले हुए हैं , छत्तीसगढ़ी भाषा में छ्न्द की पुनर्प्रतिष्ठा बहुत आसान काम तो नहीं है वह भी on line कक्षाएं लगाकर दूसरी विशेषता कि इन्हें छंदसाधक कहा जाता है तो छंद शिक्षक को गुरुदेव कहते ही नहीं हृदय से , मन से मानते भी हैं । छंद के छ की परिकल्पना , स्थापना करने वाले है श्री अरुण कुमार निगम जिन्हें गुरुदेव सम्बोधन दिया जाता है । जिनके कुशल मार्गदर्शन , आत्मीय , अनुशासन से छन्दित यह परिवार निश्चय ही समय की रेत पर अपना नाम लिखने में सफ़ल हुआ है । मेरे मन ने कहा ऐसे गुरुदेव की अभ्यर्थना तो करनी ही चाहिए , अनुज तो हैं ही इसलिये चार पीले अक्षत और फूलों की पंखुड़ियों से स्नेहाशीष दी , मन संतुष्ट हो गया । 

      आशा करती हूं , भगवान से प्रार्थना करती हूं छंद के छ परिवार की निरन्तर उन्नति हो यह आत्मीय आयोजन सालों साल होता रहे ...। 

मुझे हार्दिक प्रसन्नता हुई इस आयोजन में सम्मिलित होकर ...कृतज्ञता ज्ञापित करुं , धन्यवाद दूं पर शब्द तो खो गए हैं ....दूसरी बात कि मैं तो छंद रचना नहीं जानती यही क्यों मैं तो अकवि हूं .. ..मित्रों ! मेरी इस टिप्पणी को ही शुकराना समझ लीजिए न ..मन माने की बात तो है ...। 


*सरला शर्मा , दुर्ग*

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छंद के छ मोर बर मोर छत्तीसगढ़ हवे-सुचि भुवि

मय हर जतका आज गोठियावत हंव अउ लिखत हंव , सब्बो हर आदरणीय अरुण गुरुदेव जी, अजय अमृतांशु भैया गुरु अउ आशा दीदी गुरुजी के मिहनत के परिणाम हवे। डीपीएस में नौकरी करत हंव अउ 28 बछर ले पढ़ावत हंव मगर छंद के छ सरीख पाठशाला ब्रह्मांड मा नइ मिलहि। गुरुकुल आमसेना में भी मय हर रहे हों , उहाँ भी अइसन अनुशासन अउ गुरु शिष्य परंपरा देखे हंव परंतु इहाँ जो बात अद्भुत हवे उ हर हे कि इहाँ ऑनलाइन से हम सबो मन जब ऑफ लाइन मिलथें त प्यार दुलार आचार व्यवहार मा कोनो फ़र्क़ नइ आय। 

दीवाली मिलन समारोह अपन शुरुआत से अंत तक अपन ऊंचाई ला कायम राखिस हे ये अब्बड़ बड़े बात लागिस मोला। घर से निकले से लेकर घर पहुँचत तक ले, आज तक महतारी-ददा अउ भाई-भाभी रिश्तेदार मन ला छोड़ के कोई ला अइसन ज़िम्मेदारी लेत नइ देखे हंव।

मोर टूटे फूटे छत्तीसगढ़ी के उदिम ला सब साधक अउ गुरुजी के मया मिलथे एकर बर हृदय ले आभारी हंव।

मोर ख़ुशकिस्मती हवे कि मोला छंद के परिवार मा जगह मिले हवे।

अपन सबो साधक मन और गुरुजी मन ला मय हर नमन करत हंवों अउ अतीक उत्कृष्ट पारिवारिक मिलन बर सब ला गाड़ा गाड़ा बधाई देवत हंव।

मोर ग़लती हमेशा के तरह आपमन माफ़ करहु अउ नए पैदा हुए छत्तीगढ़िया ला दौड़ना सिखाहु, इही आशा सँग


जय जोहार

स्वस्ति स्वस्ति

सादर प्रणाम


शुचि'भवि'

भिलाई, छत्तीसगढ़

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 🌹छंद के छ देवारी मिलन समारोह: मोर अनुभव🌹


          बिहना साढ़े आठ बजे मैं अउ बोधन सर लोहारा ले निकलेंन। 10 बजे धमधा म हेमलाल साहू सर मिलिस फेर तीनों एक संग गोठबात करत 11 बजे भिलाई कार्यक्रम स्थल म पहुँच गेन। विजेंद्र वर्मा सर साथ मुलाकात होइस गरमागरम पोहा के नाश्ता करे के बाद ऊपर चढ़ेन। उहाँ चंदन- अक्षत के टीका लगाके सुग्घर स्वागत होइस। आदरणीय गुरुवरश्री आशीर्वाद मिलिस।पंजीयन रजिस्टर म पंजीयन कराके बोधन सर ल मंच के आगू म जगह देखके बइठाये के बाद पंजीयन के काम अउ साधक / साधिका मनके किताब लेके लगे टेबल म मैं, हेमलाल साहू सर, कन्हैया साहू सर अउ भाई देवेंद्र पटेल   सरलग रेहेंन। 

              अवइया साधक भैया/ दीदी मन संग गोठबात करत समय निकलत रिहिस। धीरे- धीरे अतिथि मन के आगमन होवत गिस। अउ अइसे समे आइस के कार्यक्रम दाई सरसती अउ छतीसगढ़ी भाखा महतारी के पूजा- अर्चना अउ वंदना के साथ शुरु होइस। अजय अमृतांसु सर के सधे हुवे मंच संचालन छंद के छ के अब तक उपलब्धि अउ क्रियाविधि ल बतावत रिहिन। अतिथि मनके स्वागत- सत्कार के बाद किताब विमोचन होइस। पहिली श्री बोधन सर के  अमृतध्वनि छंद म लिखे संग्रह के विमोचन होइस जेमा विचार रखे बर मोला मिलिस। ये मोर बर पहिली अनुभव रिहिस। का बोलव सोचत रेहेंव फेर गुरुवरश्री के लिखे भूमिका ल पढ़के पादा चुकाएव।

दूसर किताब श्री जगदीश हीरा साहू जी के लिखे छंद सन्देश( छंद- संग्रह) के विमोचन होइस। ऐमा बहुत ही सुग्घर अउ गहराई ले विचार रखिन श्री मनीराम साहू मितान सर।

तीसर किताब श्रीमती इंद्राणी साहू साँची के द्वारा रचित साँची छंद साधना( हिंदी म जेमा लगभग 250 प्रकार के छंद सम्मलित हे) के विमोचन होइस। जेमा विचार बहुत ही सुग्घर ढंग ले कन्हैया साहू अमित सर रखिन। अतिथि मनके द्वारा इंखर सम्मान करे गिस।

              फेर शुरु होइस कविगोष्ठी के दौर जेमा सबले पहिली जितेंद्र वर्मा खैरझिटिया सर बहुत ही शानदार काव्यपाठ के साथ शुरुआत करिन। भाई उमाकांत टैगोर, दिलीप वर्मा गुरुजी, सुखदेव अहिलेश्वर सर, मनी मितान सर,कौशल साहू सर, अश्विनी कोसरे सर, बादल गुरुजी, शशि साहू दीदी जी, ज्ञानु मानिकपुरी, अउ मोहन वर्मा सर। जितेंद्र वर्मा सर बहुत ही सधे हुवे संचालन करत कविगोष्ठी के संचालन करत रिहिन। तब तक भोजन तैयार होंगे रिहिस। भोजन बहुत ही स्वादिष्ट अउ लजीज वाह वाह। आधा घंटा बर छुट्टी।

               भोजन के पश्चात अतिथि मनके उदबोधन सारगर्भित अउ गहराई ले भरे रिहिस। अपन- अपन अनुभव अउ छत्तीसगढ़ी भाखा बर छंद के छ के योगदान ल बतावत रिहिन। काव्यपाठ चलते रिहिस। लगभग 18 जिला ले पहुँचे 90 छंद साधक/ साधिका मन रात आठ बजे तक चलिस। अलग-अलग छंद अउ विषय के साथ भाव अलग- अलग  सुने बर मिलिस। अइसन अनुशासन आज तक मैं कोनों कार्यक्रम म नइ देखे हँव। सबो एक- दूसर ले बड़ आत्मीयता ले मिलत- जुलत रिहिन। मोर बर एक अउ नवा अनुभव पहिली बार संचालन करें के शुभावसर मिलिस। 

               कार्यक्रम के आखिर म स्टॉल म लगे किताब के लेखा जोखा करके गुरुवरश्री ले आज्ञा लेके घर वापसी बर निकल हन। जेन साढ़े 10 बजे पहुँचे हन। सादर आभार कार्यक्रम के संयोजक  श्री विजेंद्र वर्मा सर, बलराम चंद्राकर सर, गजराज दास महंत सर अउ विशेष सहयोगी दीदी संगीता वर्मा अउ दीदी मेनका वर्मा अउ टीम। समस्त छंद साधक/ साधिका मनके हिरदै ले आभार जेन मन अपन उपस्थित देके कार्यक्रम सफल करें हव।


ज्ञानुदास मानिकपुरी

सत्र-3

चंदेनी- कवर्धा

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: 🌹 *छन्द के छ दीवाली मिलन समारोह : मोर अनुभव* 🌹

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परम पूज्य गुरुदेव श्री अरुण कुमार निगम जी के पँयलगी करत हवँव। अपन सबो गुरुजी अउ गुरुदीदी मन ल सादर नमन, प्रणाम करत हवँव । पटल के सबो वरिष्ठ साधक मन ल सादर प्रणाम करत हवँव। आप सबो साधक भाई बहिनी मन ल मोर जयजोहार हे।

                 हमर छंद परिवार के दीवाली मिलन समारोह अविस्मरणीय, अद्भुत अउ एतिहासिक रहिस।हमर बर तो ए पुरा आयोजन हर हर जीवन के सबले एक यादगार समे मा शामिल होगे।

गुरुदेव जी मन के कुशल मार्गदर्शन अउ आशीर्वाद ले बहुत बढ़िया सम्पन्न होइस। 

हमन कवर्धा ले 8:30 मा देव चरण धुरी के संग निकलने हवन ।

बिरकोना मा आदरणीय सुख देव अहिलेश्वर जी संग भेंट होइस। एक संघरा होवत साजा ठेलका पहुँचेन। आदरणीय  श्री ईश्वर साहू आरूग भैया जी ल लेवत भिलाई सेक्टर07- कुर्मी भवन

 कार्यक्रम के सुरुआत समे मा हमन पहुँचगे रहेन ऋथोड़ा विलंब हमर से जरुर होइस। इही समय के प्रबंधन हम दूर दराज वाले साधक मन नइ कर पायेन।चिरपरिचित स्थान मा कार्यक्रम आयोजित होइस तव कोनो भुलाय के बात भी नइ रहिस।


                 जइसे ही गाड़ी ले उतर के अँगना मा पहुँचेन तव सबले पहिली आदरणीय श्री जितेन्द्र वर्मा खैरझिटिया गुरुजी संग मुलाकात होइस। गुरुदेव बताइन अभी आ हँव कार्यक्रम बस सुरुच होवइया हे। चलव हाथ मुँह धोलव तियार हो जव कहिन। तुरत श्री दिलिप वर्मा गुरुजी अउ बलौदाबाजार वाले साधक मन संग मिलन होइस।तहाँ ले मोहन मयारू जी बिरेंद्रसाहु जी और साहिर भाई मिलगें। आदरणीय गुरुजी अजय अमृतांशु जी के अकादमिक संचालन साधक मन के पहुँचे के जानकारी देवत चलत रहय। 


                        रेंगान ल पार कर के भीतर पहुँचेन तव परछी मा  प्रणम्य गुरुदेव के दर्शन होइस आशीर्वाद लेहेन। गुरुदेव के दू बछर बाद दर्शन होइस मन ल एक अलग ही आनंद के अनुभूति होइस । कोरोना काल के विभिषिका ले बाहिर निकले के बाद हमर छंद परिवार के ए पहिली मिलन समारोह रहिस। तव मन मा एक अलग ही बिम्ब स्थापित होगे कि अपन आदर्श ले मिलत हँवन।गुरुदेव सकुशल पहुचे के जानकारी लेवत हमर फिकर करत रहँय। तुरते नाश्ता पानी बर कहिन।अइसे लगिस जइसे नान्हे पन मा हमर महतारी हर अगोरा करत फिकर करँय। और बतावत रहँय दूरिहा ले आय हवव चाय पानी लेलव , पीलव। आज हमन कतेक भागमानी हवँन जउन अइसन समर्थ गुरु रामदास.पाये हवन जउन हमर अभिषेक करत साहित्य के शिवाजी बनाना चाहत हवँय। महतारी भाषा के कोठी ल पोठ करना चाहत हवँय, महतारी भाखा ल समृद्ध करे के बीड़ा उठाय हवँय। आदरणीय सुखदेव सिंह "अहिलेश्वर" जी के हमन नवा साधक बहिन भाई मन ले परिचय करावत कहिन ए मन हमर कक्षा के गुरु आवँय सबो के संग फोटू लेवन । 

                       गुरुदेव के साथ ही भेंट करत ,ए कार्यक्रम ल सफल बनाय खातिर महती योगदान देवइया आदरणीय विजेंद्र कुमार वर्मा जी संग मुलाकात होइस। स्वागत करत कहिन बढ़िया ल आना होइस । अइसन आत्मियता केवल हमर छंद परिवार मा देखेबर मिलथे। फेर आदरणीय श्री बलराम चंद्राकर गुरुदेवमन ले होइस बहुत ही आत्मीयता ले भरे मिलाप होइस चरन घलो छुए नइ दिहिन हिरदे ले लगालेइन। 

ए भाव विभोर के पल रहिस।

                     जइसे ही कार्यक्रम सभागार मा पहुँत रहन आदरणीय श्री ज्ञानु मानिकपुरी गुरुजी हाथ मा रोरीचंदनतिलक ,फूल पान पीयँर चाऊँर ले सबो के पारी पारी स्वागत करत रहँय। जैसेही पाँव छूए बर ग ए हँवव, झट गले लगा.लिहिन। अइसन आत्मिक अभिनंदन ले मन अभिभूत होगे।

वरिषठ छंद साधक मन के छपे पुस्तक मन के स्टाल मा वरिष्ठ छंदकार भाई हेम लाल साहू जी.संग होइस बड़ खुश होके बात करत बने-बने के हाल जानिन।

सभाकक्ष मा.पहुँच के स्थान लेहवन । के पाँच मिनट मा माई पहुना ,खास पहुना मन के आगमन होइस। तुरत गुरुदेव श्री के निर्देशन मा अजय अमृतांशु जी हर संचालन करत पूजा खातिर सबो अतिथि मन ल आमंत्रित करिन। 

             कार्यक्रम के शुभारंभ सबो पहुना मन के कर कमल ले दीप प्रज्वलित करत ,वीणावादिनी के तैल चित्र मा माल्यार्पण , छत्तीसगढ़ी भाखा महतारी के तैल.चित्र मा पुष्प माला के अर्पण ले होइस। ओसरी पारी पहुना मन पूजन करत गइन।परम श्रद्धेय

गुरुदेवजी, बादल गुरुजी और बलराम चंद्राकर गुरुजी मन पूजन म सहभागी बनत अतिथि मन ल सहयोग करिन। हम सबो साधक अपन स्थान मा खड़े होके माँ शारदे और छत्तीसगढ़ी भाखा महतारी ले कार्यक्रम के सफलता खातिर प्रार्थना करेन। आदरणीय नारायण लाल वर्मा जी के माँ  शारदा के  सुग्घर सुमधुर वंदना संगेसंग चलिस। 

मन प्रफुल्लित होगे मा शारदे के जयकारा ले सभाकक्ष गुँजायमान होगे। आदरणीय श्री बलराम चंद्राकर जी भाखा महतारी के सुमधुर वंदना गायन करिन।

     अब बखत रहिस पहुना मन के स्वागत अभिनंदन के।पहिली सत्र के कार्यक्रम सुरु होइस।

कार्यक्रम के माई पहुना श्री सुरेश देशमुख जी के स्वागत गुरुदेव श्री अरुण कुमार निगम जी के द्वारा होइस। खास पहुना आदरणीया श्री मति सरला दीदी के स्वागत होइस  ,आदरणीय श्री सुधीर शर्मा जी के स्वागत होइस। आदरणीय पिपरिया जी के भी स्वागत होइस।  अभीच डॉक्टर शाद बिलासपुरी जी के आगमन होइस।

स्वागत के बाद गुरुदेव श्री के संक्षिप्त अउ सार गर्भित प्रतिवेदन वाचन होइस।छंद के छंद के हमर दीवाली मिलन के उद्देश्य बताइन।

हम सब आयोजक रहेन।पर लगिस कि हमन बड़े कारज करत हवन।ए अव इया समय बर एक मिशाल आवय।

पुस्तक विमोचन कार्यक्रम भी अपन रोचकता लिए रहिस। किताब के सबले पहिली विमोचन श्री बोधन राम निषाद जी के छंद संग्रह अमृत ध्वनि छंद के किताब ले होइस। ए किताब के समीक्षा आदरणीय ज्ञानु दास मानिकपुरी जी रखिन। और श्री बोधन राम विनायक निषादराज अपन एक अमृत ध्वनि छंद सुनाइन। फिर निषाद जी ल सबो अतिथि मन आशीष चिन्हा सम्मान दिहिन।

फेर जगदीशसाहू "हीरा"जी के 

छंद किताब के विमोचन होइस। 

एकर भूमिका वरिष्ठ साधक छंदगुरु मनीराम साहू मितान जी रखिन। दूनो किताब के भूमिका और समीक्षा ल सुन के लगिस के अवइया समय मा ए कृति मन नवा पीढी ल छंद सीखे बर ठोस संसाधन बनगे। छत्तीसगढ़ी भाषा ल मजबूत करे खातिर ए उदिम सार्वजनिक रूप ले ले हे । ए बात छंद के छ सिधोवत हे।

    फेर एक विशेष पल आइस अउ इंद्राणी साहू साँची के  हिन्दी भाषा मा लिखे छंद संग्रह. के विमोचन पहुना मन के द्वारा करे गइस।छंद के छ के मंच मा ये हिन्दी भाषा के किताब जेन मा 250 किसम के छंद विधान सहित होना बताइन। एकर भूमिका के वाचन अमित साहू सिंगारपुरिया जी करिन।

 विशेष महत्व के बात ए आय के छंद परिवार ल कोनो भी भाषा ले कभू भी हिचक न इ रही हे। अउ सबले बड़े बात के गुरुदेवमन ए किताब बर विधान सहित शामिल करे के मारग दिखाए हवँय। अइसन स्वच्छ छवि छंद परिवार म ही संभव हे। बिना झिझक के आगू बढ़ के सहयोग करे के भाव देख मन गदगद होइस। 

आदरणीय जितेन्द्र वर्मा खैर झिटिया जी छत्तीसगढ़ के महिमा बखान करत सुमधुर और बेहतरीन छंद प्रस्तुत करिन।वोकर बाद उमाकांत टैगोर जी के गजल के बेहतरीन प्रस्तुति रहिस। श्री मनीराम मितान के सखी छंद मा सीख बरे सुमधुर मनमोहक प्रस्तुति होइस। आदरणीय  श्री सुखदेव सिह अहिलेश्वर जी के लावणी छंद हर  बहुत ही मार्मिक लगिस।वरिष्ठ साधक छंदगुरु श्री चोवा राम बादल जी, श्री मोहन लाल वर्मा जी, श्री दिलिप वर्मा जी, श्री ज्ञानु दास मानिकपुरी जी और अश्वनी कोसरे जी मन के  प्रस्तुत के बाद भोजन प्रसाद ले के अवसर आइस। भोजन बहुत बढ़िया अउ स्वादिष्ट रहिस। भोजन पावत सबो गुरुजीअउ   साधक मन बढ़िया गोठ बात करत वो पल के आनंद लेहेन । इही समे गुरुदीदी आशा देशमुख जी ले आशीर्वाद लेहेन। संग मा श्री देशमुख जी ले मिल के आशीर्वाद लेहेन।


      सबो के भोजन उपरांत दूसर सत्र के कार्यक्रम फेर सुरु होइस। 

अब अतिथि उद्बोधन और आशीर्वाद देवत अतिथि मन के गुढ़ अनुभव के लाभ लेहे बर मिलिस।

        अतिथि उदबोधन के क्रम.मा.माई पहुना आदरणीय श्री सुरेश देशमुख जी मन अपन जिनगी के सार अनुभव रखत कवि और कविता के सही पहिचान परख ल बताइन। संगेसंग चदैनी गोंदा के पुरोधा के कलासाधना के दौर और पुरखा मन के धरोहर ल धरखनी मा क इसे राखे जा सकत हे विस्तार ले बताइन। विषम परिस्थिति मा तको होव इया अइसन समस्या मन ले पार पाय के उपाय सुझाइन।अइसन अनमोल अउ अनुभाविक विचार सुने सीखे समझे बर मिलिस।

      आपसी सहयोग,भाईचारा आत्मीक मिलन अउ अनुशासन छंद परिवार के आत्मा आए। ए बात के जिकर खास पहुना आदरणीया  सरला शर्मा दीदी जी अपन उद्बोधन मा शामिल करिन।

गंगा जमुनी संस्कृति अउ सबो भाषा के बिकास के अनुभव संम्मेलन के बात जाने बर मिलिस। 

आदरणीय श्री सुधीर शर्मा जी पुस्तक प्रकाशित करे मा होय समस्या ल सविस्तार रेखांकित करिन। अउ सहज रुप ले व्यवहारिक  पहलू ले परिचित करवाइन।


            छंद.के महत्व ल रेखांकित करत आदरणीय श्री सुरेश देशमुख जी छंद साधक मन के सरलग मेहनत ,लगन और भविष्य के सुग्घर परिणाम तक सहँरावत रहिन।

छंद साधना ला कठिन कारज बताइन।

हल्के अदब के संरक्षक व गज़ल गुरु डॉक्टर शाद जी छंद ल ले के होवत कारज उपर संतोष जतावत कहिन के छत्तीसगढ़ के हर घर छंद पहुच ही।सबो के सार्थक प्रयास के सराहना करिन।

दूसर सत्र मा एक ले एक बढ़ के सुग्घर छंद सुने बर मिलिस।एमा गुरुदीदी आशादेशमुख जी, इंजी. गजानंद पात्रे सत्यबोधजी, मथुरा प्रसाद वर्मा जी मनोज वर्मा जी, 

केंवरा यदु मीरा जी, प्रिया देवांगन जी. अनुज जी, गजराज 

महंत जी, श्री ईश्वर आरूग जी , ओम प्रकाश साहू "अंकुर" जीआदि मन के प्रस्तुति  बढ़िया लगिस। 

 माई पहुना मन ल सम्मान देवत मयाचिन्हा साल श्री फल और पुष्प गुच्छ भेंट करत आशीर्वाद लेहे गइस।

परम श्रद्धेय गुरुदेव जी के सम्मान करत आशीर्वाद लेहे गइस।

सबो अतिथि मन के कृतज्ञता व्यक्त करे गइस।

छंदकार मन के प्रस्तुति सरलग जारी रहिस। लगभग 90छंद साधक मन काव्य गोष्ठी मा भाग लिहिन। अपन पसंद के छंद किताब तको लेहन। ए तरह छंद के छ परिवार के दीवाली मिलन समारोह सभो दृष्टिकोण मा आनंददायक रहिस।


   सबो गुरुदेव मन ले मिल के हमन 

6:00 बजे के बाद घर बर निकल परेन।भव्यता अउ उँचाई लिए सफलतम कार्यक्रम के सराहना  करत सौहार्द पूर्णभाव ले विजेंद्र वर्मा जी अउ श्री बलराम चंद्राकर जी ले विदा लेवत चर्चा करत गाड़ी मा ब इठ गयेन।


      जावत- आवत दूनो समय आदरणीय ईश्वर आरूग भैयाजी  अउ आदरणीय अहिलेश्वर जी संग सुग्घर गोष्ठी होगे। ईश्वर आरूग भैया के पुराना गीत और मुक्तक हर मन ल हिलोर दिहिन।आदरणीय अहिलेश्वर सर जी के छत्तीसगढ़ी बर गज़ल मापनी ले के चर्चा करत, सांकेतिक उपमेय, उपमान ले प्रतिक रखे के शिक्षाप्रद जानकारी भी मिलिस।हमन देवचरण धुरी जी के सिंगार भरे ददरिया अउ भाठा ददरिया घलो सुनेन।सफर के पता भी नइ चलिस कतका बेर घर पहुँच गयेन। मोला गुरुदेव मन ले मिले सराहना हर, आप मन के ताली अउ आशीर्वाद हर  बहुत उत्साहित करिस ।सादर आभार वंदन।🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏


 सच कहत हँवव समापन तक रुके के मन रहिस। पर हमर संग मा संघरे साधक संगी मन ल घर वापसी करना रहिस तव जल्दी निकले ल परिस। कुछ एक -दू साधक संगी मनके प्रस्तुति अउ  गुरुदेव जी के सार उद्बबोधन ल नइ सुन पायेंव।एखर मलाल हवय।सबो साधक मन के प्रस्तुत छंद.मन एक ले बढ़ के एक रहिस। सबो कार्यक्रम आँखी म झुलत हे।आप सब ल अंतस ले बधाई हे। आयोजनकर्ता सबो आदरणीय मन ल बहुत सुग्घर आयोजन बर हार्दिक धन्यवाद, सादर आभार।


छंद साधाक

अश्वनी कोसरे 

सत्र -09

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 राकेश कुमार साहू रायपुर: *मोर अनुभव* 

हमर गुरूदेव देवारी मिलन पुस्तक विमोचन अउ काव्य गोष्ठि के ऊपर अपन अनुभव साझा करें के आदेश दे हवय मै सोचत हँव कहाँ ले शुरू करव अउ कहा ले खत्म करव मेहा  सम्मेलन में आये के पहिली दिन अब्बड़ सोचव वुहा जाके कइसे रिहु का बात करहूँ मेहा एकदम नेवरिया हरव एको घव काव्य मंच मा नइ गे हव अइसन अब्बड़ विचार आवय जावय तभो ले मोर एक झन सँगवारी दुनो भिलाई मा जगह ला पूछत आयेन जइसे कुर्मी भवन मा पहुँचेन हमर आदरणीय गुरूदेव श्री अरुण कुमार निगम, श्री मनीराम मितान,श्री चोवराम बादल,श्री बलराम चंद्राकर गुरूदेव मन से पहिली भेंट होइस पाव पल्लगी करेंव बहुत अच्छा लगिस फेर ऊपर आयेव जिहाँ कार्यक्रम रिहिस रजिस्टर मा अपन नाम लीखेव अउ हमर साधक गुरूदेव श्री ज्ञानुमन मानिकपुरी जी गुलाल अउ टीका लगा के भव्य स्वागत करीन मन एकदम भाव विभोर होगे बहुत सुंदर लगिस फेर धीरे धीरे साधक दीदी भैय्या मन से मुलाकात होइस जम्मो गुरूदेव मन से मुलाकात होइस सबके पावँ पल्लगी करके बइठे हन मन मोर एक बात अइस ये जगह कतेक पावन है घर मे सगा आथे त पहिली पूछथन कौन हरे कहिके तब पावँ परथन इहाँ बिना पूछे सबके अपन अपन ले पावँ परना बहुत अच्छा लगिस सच मे गुरूकुल अइसन लागिस  कार्यक्रम चालू होइस अतिथि सम्मान पुस्तक विमोचन काव्य गोष्ठि स्मृति चिन्हा देना त अइसे लगिस की मेहा कोनो जन्म मा बहुत बड़े पुण्य के काम करे होहु जौन अइसन परिवार मिलिस अतेक मान सम्मान पाके में धन्य होगेव मोर गाँव मे मोला कोनो पूछे नही फेर अनजान जगह में अतेक अपना पन अतेक मया दुलार मिलही करके सोचे नइ रहेव हमर पहुना मन के दर्शन होइस वोकर विचार सुने ला मिलिस रंग बिरंग के काव्य रंग सुने ला मिलिस अउ जइसे सगा मन के मान गौण होथे उसने बिहनिया पोहा, चाय, दोपहर मा अपनमन पसंद खाना, शाम के भजिया ,चाय। मेहा तो जौन हमर गुरूदेव मन बड़ आभारी हँव जौन हमर मन से 1 रुपया तको नइ लिस अउ अतका सुन्दर आयोजन कर दिस ये कोनो चमत्कार ले कम नोहय अइसन निःस्वार्थ भाव ले सेवा देखे ला मिलिस अउ कोनो प्रकार मानसिक दबाव तको नइ देखेव काकरो चेहरा मा सब हँसत मुस्कुरावत  स्वागत करें है अउ बिदा दे हँव अउ घर जाये के बाद सबला पूछना घर पहुँचेव की नही इहु बहुत बढ़िया बात लगिस  बस एक बात हे जौन मोर जइसन छोटे साधक ला कहना चाही की नही नइ जानव फेर अपन मन के बात ला रखत हँव जब भी असने कार्यक्रम होथे जतका अवइया साधक गुरूदेव हावय वोकर मन बर एक शुल्क निर्धारित होवय 500,1000 जतका भी होवय वोकर ले जौन हमर गुरूदेव मन आयोजन करथे वोमन ला आर्थिक भार कम पड़ही अउ येमा सबो झन के सहयोग तको हो जही अतेक सुन्दर खाना पीना भवन के व्यवस्था मा कतका खर्चा अइस होही अंदाजा लगाये जा सकथे जम्मो साधक मन निःशुल्क छन्द सीखत हन त हमरो मन थोकन सहयोग हो जही अउ पुस्तक विमोचन होथे त सब्बो साधक मन बर एक प्रति लेना अनिर्वाय कर दे जाय जेकर ले पुस्तक लिखइया के भी सम्मान अउ आर्थिक मदद होही अउ हमर कार्यक्रम बर तको सहयोग हो जही 

आज मोर अन्तस्  ले भगवान से प्रार्थना हावय की हमर छन्द परिवार हमेशा फलत फूलत रहय येकर कीर्ति केवल हमर देश भर मा नही विदेश मा तको फैलय हमर छन्द छ के संस्थापक हमर आदरणीय गुरूदेव ला ईशवर अतका लंबा उम्र देवय की हमर नाती मन ला तको छन्द सिखावय अउ अपन आशीर्वाद देवय जइसन हमन ला देवत हावय  बात तो बहुत हे फेर मोर नानकुन मुँह में अतके अनुभव ला साझा करत हँव अउ कोनो गलतीं होइस होही त क्षमा करहूँ अउ अपन आशीष सदा हमर ऊपर रखहु


राकेश कुमार साहू 

सारागांव धरसींवा रायपुर 

साधक सत्र -14

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] देवकरण धुरी कबीरधाम: गुरुजी मन ल पयलगी!

🙏🙏🙏


   सिरतोन कहँव त जब ले 'देवारी मिलन' के कार्यक्रम बर दिन बँधाइस तब ले मोर मन कुलकत रहिस के गजब दिन मा अपन *'छंद के छ'* परिवार के जम्मों सदस्य मन मिलबो। अउ छंद गुरू के दर्शन करके चरन मा माथ नवाबो।

  मोर मन बियाकुल रहय के अपन कक्षा शिक्षक गुरुदेव मन के दर्शन करे के संगे-संग जम्मों साधक भाई-बहिनी, दीदी- भैया  मन के मया-दुलार ल लेबो देबो।

  मँय ह लकर-लकर बिहनिया ले तइयार हो के ७ बजे घर ले निकल गेंव। कवर्धा ले आदरणीय अश्विनी कोसरे अउ अहिलेश्वर गुरुजी फेर आरूग भैया के संग साहित्यिक गोठ-बात करत पहुँचेंन। जइसे सोंचे रहेंव उही उत्साह म सब संग भेट होइस।

  मँय गुरुदेव अउ महिमान मन के गोठ ल निच्चट सुनत रहेंव।संग म साधक मन के कविता पाठ ल घलो। जेखर ले मोला कविता लिखे-पढ़े अउ सुधार करे के ढंग मिलिस।

  कार्यक्रम म मँय देखेंव के हमर छंद गुरु *'निगम गुरुदेव'* के मया ल। जउन हा दिन भर एक बरोबर अपन साधक लइकन बर मया छलकात रहँय। मन म विचार आवय के मोला नवा साधक पाय के गुरुदेव ह नइ जानही का? फेर अइसन नी होईस। बल्कि अइसे लगिस के हमीं नवा मन ल जादा मया मिलत हे। गुरुदेव जी के ए भाव ह मोर अंतस ले भिंजो डारिस। जेखर कारण  लिखे के जोश कई गुना धर के आए हँव। 

  कार्यक्रम ह सबले जोरदार लगिस। ये सब आयोजक मंडल मन के परियास ले सफल होईस। एकर बर आप मन ल अंतस ले बधाई।

  गुरुदेव जी! के किरपा अइसने हमर सबो बर  अमर बने रहय। अही आशा ले

  

  जय-जोहार!🙏🙏🙏🙏

  

देवचरण 'धुरी'

कबीरधाम

कक्षा १४

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सुखदेव: छ्न्द के छ के आयोजन म मोर अनुभव



मैं छन्द के छ सत्र तीन के साधक हरॅंव। ए आधार म छन्द के छ परिवार संग जुड़े के अउ परमपूज्य गुरुदेव के सानिध्य पाय के सौभाग्य मोला थोरक पहिलीच मिले हे एखर बर बड़ सौभाग्यशाली हॅंव। छन्द के छ परिवार के पिछला कार्यक्रम मन म सहभागिता के मधुर स्मृति मानस म जीवन्त हे। कहे जाथे जेन ह एक बार काहीं बने चीज के, बने आयोजन के सुवाद संगत पा गे रहिथे तेखर सुध ह ओहीच डहर जाथे। सच कहॅंव त अवइया आयोजन बर इही उत्सुकता सबो वरिष्ठ साधक मन के रहत होही जइसे मोर रहिथे। अउ फेर मोला तो ये आयोजन के संयुक्त संयोजक बने के सौभाग्य घलव मिल चुके हे त आयोजन के प्रति मोर उत्सुकता जासतीच रहना स्वाभाविक हे। ए दरी छन्द के छ परिवार के आयोजन म परिस्थितिगत देरी होइस हे तेखर कारण उत्सुकता म बढ़ोतरीच होय हे अइसे समझे जाय। कहे जाथे के इंतजार के फर मीठा होथे। ए दरी के आयोजन म जादा समय अन्तराल हो गिस हे बड़ अगोरा रहिस हे। देरी ले होइस हे फेर बड़ मीठा होइस हे शानदार होइस हे जानदार होइस हे। अगोरा म अंतस जादा आत्मीय हो जथे कहिथें। इही कारण रहिस के मेल-मिलाप के बीच आत्मीयता म बढ़ोतरीच देखे बर मिलिस हे।

                                       आयोजन के बारे म गुनान करे जाय त हर जगह छन्द के छ परिवार के आयोजन खास नजर आथे अनुकरणीय नजर आथे। अतिथि चयन म ईमानदार साहित्य समर्पित व्यक्तित्व के चयन। विज्ञापन अउ स्वार्थ ले दूर अइसन अतिथि चयन के परिणाम ए होथे के गुणवत्तापूर्ण विश्वसनीय समर्पित अतिथि उद्बोधन प्राप्त होथे। उद्बोधन म बनावटीपन नइ राहय दिखावटी शिष्टाचार नइ दिखय जउन भी निकलथे बिल्कुल शुद्ध निकलथे सच रहिथे साहित्य के अनुरूप रहिथे अनुकूल रहिथे। 

     छ्न्द के छ के आयोजन म प्रस्तुतिकरण के बात करन त साहित्य के गरिमा अउ कलम के जिम्मेदारी के अनुरूप प्रस्तुतिकरण होथे जेन दृश्य ह एहू बार देखे बर मिलिस हे। जिम्मेदारी के बात करन त पूरा छन्द के छ परिवार हर आयोजन म अपन आप म स्वप्रेरित हर तरह के जिम्मेदारी के निर्वहन करत दिखथे। जिम्मेदारी निर्वहन के अइसन पावन भाव एहू बार देखे ल मिलिस हे। भोजन पानी के आनंद के बात करन तो जइसे परिवार के सदस्य मन अपन सुख के तिहार म एक जघा सकला के आनंद लेथें वइसने आनंद भोजन पानी के ले गिस।आनन्द आगे। कार्यक्रम के सफल समापन के खुशी हर कोई ल बराबर बराबर मिलथे। जेन खुशी एहू बार परिवार के हर सदस्य ल मिलिस। सहभागी रहिन तेहू ल अउ कोनो कारणवश सहभागी नइ हो पाइन तेहू ल। आनन्द आगे। कार्यक्रम समापन के बाद सबके सकुशल घर वापसी के सोर-पता परिवार के मुखिया पिता तुल्य गुरुदेव जी हर बार के तरह एहू बार देर रात तक लिहिन हे। ए पबरित आत्मीय चिंता ह ए नता ह मानो मया अउ आदर के एक अलगे डोरी म बॉंधथे हमर छन्द के छ परिवार ल। 

                           प्रबोधक वर्ग के कथनी करनी जे दिन एक हो जही जगत जननी धरती माता के पाठ के संतान मन चीर सुखी हो जहीं। संघर्ष म सुख के क्षरण होना बन्द हो जही। भुइयॉं म चारो डहर चीर शान्ति प्रेम भाईचारा सहयोग आदर समर्पण खुशहाली दिखे लगही। छन्द के छ परिवार के हर सदस्य ए कठिनतम कर्म के साथ जीवन म व्यवहृत नजर आथे। हरेक के कलम म एक जिम्मेदारी नजर आथे। लेखनी म सर्वजन हिताय सर्वजन सुखाय के भाव रहिथे। हे ईश्वर आज सुबह सुबह ए भाव मन म आवत हे, जइसे मोर छन्द के छ परिवार के बीच प्रेम हे भाईचारा हे आपसी समझ हे आदर हे सम्मान हे अपनत्व हे सहयोग हे सद्भाव हे वइसने मोर राज्य परिवार के बीच हो जय मोर देश परिवार के बीच हो जय मोर विश्व कुटुम्ब के बीच हो जय। परमपूज्य गुरुदेव चरण वंदन करत शुभ बिहान सादर प्रणाम 🌷🌷🌷🙏🙏🙏


-सुखदेव सिंह'अहिलेश्वर'

छन्द साधक सत्र-03

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मनीराम साहू: मोर अनुभव


 दिनांक १९.११.२१ के कातिक पुन्नी के पबरित बेरा मा छंद के छ परिवार के दीवाली मिलन समारोह मा, भइया श्री चोवाराम बादल संग उँकर गाड़ी मा बइठ के लगभग 11 बजे कुर्मी भवन भिलई पहुंचेंव । पहुचते साट दुवारी मा गुरुदेव जी के दरसन होइस।  भेंट पयलगी के पाछू तुरते नास्ता घलो होगे। अपन तय समे मा पहुना मन के आगमन होय के पाछू पूजा अर्चना के बाद दीवाली मिलन के कार्यक्रम सरस्वती वंदना अउ भाखा महतारी के वंदना के संग शुरू होइस।

       सबले पहिली पुस्तक विमोचन के कार्यक्रम होइस जेमा श्री बोधन राम निषाद के 'अमृत ध्वनि', श्री जगदीश हीरा साहू के 'छन्द संदेश', श्री मती इन्द्राणी साहू के 'सांची साधना' किताब रहिस। सौभाग्य ले मोला छन्द संदेश के किताब के परिचय कराय के जवाबदारी मिले रहिस। तेकर पाछू वरिष्ठ साधक मन के छंद पाठ घलो होइस।

    जेवन के बेरा होती होती मा झोरफा फोटू घलो कस के खिचवायेन। तहां ले सब झन जेवन जेंये बर चल देन, ताते-तात तसमई, सोहारी, चना अउ जीमी कांदा के साग संग जम्मो झन आनीबानी गोठियावत पेट भर भात खायेन।

     जेवन के पाछू शुरू होइस छंद रस के बरसा जेन हा लगभग आठ बजे रात तक चलिस। बीच बीच मा पहुना मन के अउ गुरुदेव जी के आसीस घलो हमन ला मिलिस। कार्यक्रम के आखिर मा दू चार फोटू अउ खिचवायेन।

  कुल मिला के मैं ये कइहूं आज तक छंद के छ परिवार के जतका कार्यक्रम होय हे ओतका सब मा ये कार्यक्रम शानदार अउ एकर व्यवस्था जानदार रहिस। कोनो किसम के कमी नइ दिखिस।

     ये कार्यक्रम मा मोला एक बात अउ देखे बर मिलिस कि जब मैं छंद परिवार ले जुड़ेंव तेन समे छंद के बीजा बोवाय रहिस अउ जरई ले बाद एके दू पान फोरे पाय रहिस। ओ दिन अउ आज ला तउल के देखथँव तव लागथे कि वो छंद के पौधा अपन किशोरावस्था मा पहुंच गेहे का आज तो सुग्घर हरियर-हरियर डारा अउ पानाच पाना दिखत रहिस, जेन ला अभी अउ फोकियाना हे, बाढ़ना हे अउ बाढ़ के एक बिशाल बर के पेड़ कस होना हे। जेकर छँइहा मा लाखों मनखे मन बइठ शीतलता के आनंद लिहीं।

   शानदार अउ सफल‌ कार्यक्रम बर छंद के छ परिवार संग आयोजक साधक संगी श्री बलराम चंद्राकर जी, श्री विजेन्द्र वर्मा जी, श्री गजराज दास महंत जी, अउ उंनकर टीम ला अंतस ले बहुत बहुत बधाई हे।

  - मनीराम साहू 'मितान'

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 उमाकान्त: *'छन्द के छ' दीवाली मिलन समारोह के मोर अनुभव*


परम् श्रद्धेय श्री गुरुदेव अउ आप सबो के सादर चरण वंदन।

                मोर धन  भाग आय कि अतका सुग्घर 'छंद के छ' परिवार के साधक अउ सदस्य बन पायेंव। भिलाई म होय दीवाली मिलन समारोह हर बार  के जइसे ही बहुत ही यादगार अउ बड़ नीक रहिस। छंद के छ के सबसे मोक्खा बात ये लागथे कि जम्मो गुरुजी अउ साधक मन हा बहुते सरल सहज स्वभाव ले बन्ध जाय रथे। आपसी प्रेम एक दुसर म देखे बर मिलथे। अउ हमर गुरुदेव निगम जी के बारे म कुछ कहना हमर नानचुक साधक के बस मा नइ हे काबर कि गुरुदेव ह छत्तीसगढ़ के साहित्यिक काया ल पलट दिये हे। अवइया समय म चारो मुड़ा छंदमय रचना ही रही अउ छत्तीसगढ़ी भाषा के अस्मिता कई बछर बर अउ बाढ़गे। मंच म तको छन्द ल पूरे मन से सुने जाही। केवल छन्द ही नहीं बल्कि संस्कार भी सिखाये जाथे ये हमर परिवार मा।

          अउ इही संस्कार ही हमर 'छन्द के छ' के अभियान ल अउ पोठ करत रही। एक बात अउ हे कि कतको बाहरी मंच मिलय फेर अइसन मंच जिहाँ मया के धार बोहाथे कहूँ करा नइ मिलय। 

                 संझौती थोरिक जल्दबाजी तो अक्सर हो ही जाथे काबर कि दुरिहा-दुरिहा ले जम्मो साधक, गुरुजी, दीदी मन आय रथें। आगामी थोरिक समय ल ऊपर नीचे करे जाय सकत हे। त सबो ल घुले मिले के बरोबर समय घलो मिल जही। 

        कार्यक्रम के संयोजन अउ संचालन हमर भैया जी मन के द्वारा बहुत ही शानदार रहिस  जेकर बर गाड़ा-गाड़ा बधाई। छन्द के छ परिवार नित्य नवा निसेनी चढ़त रहै।

अइसन गरिमामयी कार्यक्रम बर 'छन्द के छ' परिवार, गुरुदेव अउ आप सबो दीदी, भैया, गुरुजी मन के आभार...


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छन्द साधक- सत्र -7

उमाकान्त टैगोर, जाँजगीर

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वीरेंद्र  *"छंद के छ" दीपावली मिलन समारोह : मोर अनुभव*


एक सुमतिया अउ अनुशासित परिवार के सबो गुण हमर "छंद के छ" परिवार म हवय! अखिल भारत म अइसन कुल, संस्था, परिवार या पाठशाला नइ हे।


हमर "छंद के छ" के दीपावली मिलन समारोह भिलाई कई बात म अनोखा हे, काबर कि हमर "छंद के छ" परिवार हा अनोखा हे।


१. पांच सतिथि मन ल उद्बोधन, गुरुवचन अउ 90 कवि मन ल काव्यपाठ समय म कराना,, समय प्रबंधन के वइसने उदाहरण हे जइसे समय अउ सूरज ल गेरवा म बांध अपन हिसाब ले रेंगाना,,तोला ग्यारह बजे ले 6 बे तक अइसन चलना हे जेखर ले हमर काम पूरा हो जाये।


२. हमर छंद परिवार के खासियत राजनीतिक अतिथि हावी नइ हे। भिलाई म घलो पूर्ण साहित्यिक कार्यक्रम लोगन ल खूब रास आइस।


३. प्रेम म चटनी भात मजा आथे..फेर प्रेम हमेशा छप्पन भोग सजाथे..भोजन व्यवस्था बहुतेच उत्तम रिहिस... महतारी के हाथ कस भोजन खाके तन-मन आत्मा सब तृप्त होइस।


४. बिना राग द्वेष अउ धार्मिक वैचारिक भेदभाव के एक दूसर के प्रति प्रेम अउ मिलाप,,, अउ घर ले निकले से लेके घर पहुंचत तक ले शोर खबर पूछाई,,,अइसन आज के ब्यस्ततम्, भागदौड़ अउ प्रतियोगिता प्रधान कलयुग म सतयुग बरोबर दृश्य हे।


हमर कार्यक्रम उही ढंग क्रमवार सम्पन्न होइस जइसे कोनों प्राचीन राज -घराना के कार्यक्रम निर्दोष सम्पन्न होइस कहिके कहानी म सुनथन..।


एमा हमर संयोजक मंडली के कतना तन-मन-धन लगे होही अंदाजा लगाना मुश्किल हे। बहुतेच आत्मीय आयोजन खातिर भैया विजेन्द्र वर्मा जी, भैया बलराम चंद्राकर जी, भैया गजराज महंत जी सकल टीम ल अंतस ले धन्यवाद!


*जस नाव जस गुण धरे गुरुदेव श्री अरुण निगम जी ल शत-शत प्रणाम,,जिनखर कृपा दृष्टि ले अइसन सुग्घर परिवार के साथ मिलिस, विचार मिलिस, ज्ञान मिलिस, सम्मान मिलिस, आदिवासी अंचल के नानकीन गांव(70छानी) के ये लइका ल पहिचान मिलिस।*


विरेन्द्र साहू गरियाबंद साधक सत्र - 9

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] बोधन जी: *मोर अनुभव*


       परम पूज्य गुरुदेव श्री निगम जी के सान्निध्य मा अइसन मौका ला पा के मँय धन्य होगेंव। जब मँय कूर्मि भवन के आँगन मा नास्ता करत रहे हँव। उही समय मोर पाछू डहर ले गुरुदेव श्री निगम जी के आगमन होइस अउ मोर पीठ ला थपथपा के कहिन कि  ये बोधन राम निषादराज जी आज के हमर कार्यक्रम के हीरो आय । मोर हिरदय एकदम गदगद होगे। मँय कुछ भी जवाब नइ दे सकेंव । मोर खुशी अगास मा चढ़गे । 

          मोर दूसरा खुशी जब पुस्तक विमोचन के बखत जब मोला चारझन उठा के मंच मा चढ़ाइन तब जम्मों बड़े-बड़े साहित्यकार अतिथि अउ सब दीदी भइया मन ला देख के मोर खुशी के ठिकाना नइ रहिगे । जब मोर पुस्तक "अमृतध्वनि" छंद के विमोचन होइस अउ मोर सम्मान करेगिस वो समय के अनुभव ला मँय बता नइ सकँव । मोला बखान करे बर शब्द नइ मिलत हे । ये सब गुरुदेव जी के आशीष हरे । मोर ये साहित्य साधना सदा गुरुदेव जी ला समर्पित रही🙏



बोधन राम निषादराज🙏


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 दीपक निषाद, बनसांकरा: छंद के छ परिवार के दीवाली मिलन समारोह के मोर अनुभव--

        दिनांक 19-11-2021 के दिन छंद के छ परिवार के ऐतिहासिक अउ यादगार दीवाली मिलन समारोह हमर स्मृति पटल मा सदा अंकित रही । एमा सहभागिता हमर परम सौभाग्य रीहिस। हमर बर ए आयोजन के सुरता कीमती धरोहर बरोबर ए। 

         जेमा पूज्य गुरुदेव जी अउ आदरणीय गुरुदेव गण ले मिले के पावन अवसर अउ वरिष्ठ-नवांकुर साधक मन संग भेंट के सुघ्घर मौका के सुरता कभू नइ भुलावय। 

     पूज्य गुरुदेव जी के आशीर्वचन हमर न सिरिफ  साहित्य साधना बल्कि हमर जिनगी के हर कदम मा  प्रेरणा के दीया बनके हमर रद्दा ला उजियार करत रही।छंद के छ परिवार बर आपके अतुलनीय समर्पण बर कोनो भी शब्द कम पड़ही। सम्माननीय पहुना मन के प्रेरक उद्बोधन ले ए सीख मिलिस कि सम्मान-पद- प्रतिष्ठा के मकुट पहिर के भी अपन मुखड़ा ला निष्कपट अउ स्वभाव ला विनम्र कइसे बनाए रखना चाही। पुस्तक विमोचन कार्यक्रम में आदरणीय विनायक जी, आदरणीय साहू जी, आदरणीया साँची जी के रचना मन के बारे में परिचय के सँगे-संग रचनाकार मन के अथक समर्पित साधना के झलक  मिलिस। उमाकान्त टैगोर जी,बादल गुरूजी,मितान गुरूजी, खैरझिटिया गुरूजी, बलराम चंद्राकरजी, दिलीप वर्मा जी, अहिलेश्वर जी ,आरूग जी, कौशल साहू जी,मोहन वर्मा जी, शशि दीदी जी, कोसरे जी,देशमुख दीदी जी ,मीरा जी, मथुरा वर्मा जी जइसन वरिष्ठ रचनाकार मन के बेहतरीन छंदपाठ सुन के अंतस गदगद होगे। देशप्रेम,ओज, हास्य, श्रृंगार, जन जागरण जइसन सबो विषय ले संबंधित रचना मन के बेहतरीन प्रस्तुतीकरण के ढंग अइसे अहसास करइस, जइसे कोनो बहुत बड़े कवि सम्मेलन के आनंद लेवत रेहेन। हमर छंद साधना के रद्दा के अगुवाई अइसन प्रतिभा के धनी अउ समर्पित गुरुदेव मन करत हें, ए सोच के मन प्रफुल्लित हो जाथे। सँगे-संग नवा-जुन्ना छंदकार मन के मनभावन छंदप्रस्तुति ए साबित करिस कि छंद रचना के मंचीय प्रस्तुति घलो दिगर विधा के प्रस्तुति ले कम रोचक अउ असरदार  नइ राहय।  अउ खैरझिटिया गुरूजी, अमृतांशु गुरूजी, आरूग गुरूजी,महंत जी जइसन संचालक  मन के उम्दा मंच संचालन एक यादगार अनुभव रीहिस,जिंकर सुरता सदा बने रही। 

     खान पान से लेके पुस्तक डेस्क तक के सुघ्घर व्यवस्था सफल कार्यक्रम के गवाही देवत रीहिस। 

        अइसन बेहतरीन आयोजन बर आयोजन के प्रेरणास्रोत पूज्य निगम गुरुदेव जी ला सादर प्रणाम, संयोजक आदरणीय चंद्राकर गुरूजी, वर्मा गुरूजी ,महंत गुरूजी, मानिकपुरी गुरूजी अउ  पूरा आयोजक मंडल ला नमन् , बहुत- बहुत बधाई अउ बहुत-बहुत साधुवाद 💐💐💐🙏🙏🙏🙏🙏

-दीपक निषाद-छंद साधक-सत्र-10

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हीरा गुरुजी समय: *मोर अनुभव*


कातिक पुन्नी जेला गुरुपुन्नी घलो कहे जाथे, बिहनिया उठ के नहाखोर के पूजा पाठ करके अउ भारोत्तोलन प्रतियोगिता मा भाग लेवइया लइका मन ला बिहनिया सवा सात बजे बस मा बइठार के बिदा करे पाछू घर मा मुठिया रोटी के कलेवा करके आठ बजे अपन फटफटी मा बइठ के भिलाई आय बर निकलेंव।भिलाई आय के पहिली 90 किमी धमतरी अपन बड़े बेटी जौन नर्सिंग करत हे ओकर ले मिले बर गेंव। धमतरी ले निकल के 80 किमी भखारा, पाटन,उतई, मैत्रीबाग होवत ग्लोब चँउक भिलाई अमरेंव अउ विजेन्द्र वर्मा भैया ला कुर्मी भवन के रद्दा पूछेंव।ओखर बताय पाछू उही मेर एक झन आटोवाला ला अउ पूछेंव। दस मिनट मा ठऊर मा अमरेंव।ओतकेच बेरा हमर जिला के वीरेन्द्र साहू अउ जितेन्द्र सुकुमार अपन फटफटी ला खड़े करत रहिन उँखर से भेंट होइस।पाछू मोहन भाई, खैरझिटिया जी, कोसरे जी अउ वर्मा जी से जोहार भेंट होइस। मय अउ खैरझिटिया जी कार के ओधा मा अपन पहिरे अंगरखा ला बदल के बेग मा धरे दूसरा अंगरखा ला पहिरेंन। पाछू कुर्मी भवन के भीतर अँगना मा आयेंन। उहाँ सब पोहा जलेबी खावत रहिन ता हमुमन ला लेहे बर कहिन।इही बेरा हरियर बंगाली पहिरे गुरुदेव निगम जी के दर्शन होइस अउ पलगी करेंव। थोकिन पाछू बलराम भैया से घलाव भेंट होइस। पोहा जलेबी खा के उपर गयेंन उहाँ बढ़िया कुमकुम अक्षत लगाके स्वागत होइस।पूजा अर्चना, पहुना स्वागत होवत कार्यक्रम आगू बढ़िस। गुरुदेव हा छंद के छ के नामकरण ला बताइस अउ आज के आयोजन बर सबोझन ला घरतिया हरव, कोनों बरतिया नोहव कहिस। एखर पाछू छंद परिवार के तीन सदस्य बोधन निषाद जी, जगदीश हीरा साहू जी अउ दीदी इन्द्राणी साहू साँची के पुस्तक के विमोचन अउ एक एक रचना के पाठ होइस। एखर पाछू कार्यक्रम के संचालन करत  अजय अमृतांशु जी हा खैरझिटिया जी ला ओपनिंग बेटिंग करइया कहिके अपन रचना पाठ बर बलाइन। पाछू छे सात झन साधक मन अउ रचना पढ़िन ताहन सब झन ला जेवन करेबर खाल्हे मा अँगना मा जायबर कहिन। ओखर पहिली फोटू खिंचाय बर सबो झन ला मंच मा बलाइन।घेरी बेरी समिलहा फोटो खिचाएन। बफर पार्टी बरोबर सलाद,दार, भात, दू किसम के साग जेमा जिमींकांदा अउ मसलहा चना, सोंहारी, तसमई, तिकोनिया पापड़ पेटभरहा खायबर मिलिस। खाय पीये पाछू फेर उपर आयेंन। फेर रचना पाठ ओज के कवि ले शुरु होइस अउ संगे संग पहुना मन आशीष घलो देइन। चरबज्जी हरियर मिर्ची पताल चटनी संग भजिया आगे। मोर रचना पढ़े के बेरा रहय ता मँय भजिया नइ खायेंव। चाय के कोनों कमी नइ रहिस, टंकी मा भराय रहय, जब मन लागे पीये बर उपलब्ध रहय। पाछू मोरो रचना सार छंद मा पढ़ेंव।आखिर मा बलराम चंद्राकर भैया के आभार के संग मंच के कार्यक्रम के समापन होइस। समापन के पहिली मँय बलराम भैया ला रुके के बेवस्था बर पूछे रहेंव ता ओहा कहिन कि "हो जही"। मोर सब चिंता अउ मेटा गे जब पता चलिस कि मिलन मलरिहा अउ राजकुमार बघेल घलो रुकइया रहिन। सबोझन ला विजेन्द्र वर्मा अउ चंद्राकर जी हा बिदाई देवत रहिन।आखिर मा गुरुदेव हा घलाव हमन ला रुके बर अउ अपन असीष देवत स्कुटी मा घर गइन। तब अइसे लगिस कि सबले भागमानी मँय अँव। एखर पाछू चंद्राकर भैया हा विजेन्द्र वर्मा जी ला कार निकालेबर कहिन अउ मोला, मलरिहा अउ बघेल जी ला जेवन जेवाय बर लेगे बर कहिन। पाँचो झन भिलाई के नवा जमाना के शहरिया होटल मा बइठके जेवन करेंन। हमन ला कुर्मी भवन छोड़त अउ हमर सुते बइठे के हियाव बतावत वर्मा अउ चंद्राकर भैया मन अपन घर गइन। अतका आत्मीयता मिलिस जौन ए जिनगी मा नइ भुलावय। मँय, मलरिहा अउ बघेल जी अधरतिया ले साहित्यिक, परिवारिक, समाजिक गोठबात करत रहेंन। उँखरमन ले गजब अकन सीखेबर मिलिस।बिहनिया जल्दी नींद खुलगे। सबोझन नहायेन पाछू वर्मा जी ला फोन मा बता के बिदा लेवत अपन अपन रद्दा धरेंन।


हीरालाल गुरुजी" समय"

छुरा, जिला गरियाबंद

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आशा देशमुख: *छंद परिवार के दीवाली मिलन*

*मोर अनुभव*



19 -11

2021शुक्रवार के दिन मोर जिनगी के पन्ना में सोन अक्षर कस लिखागे।


मोर पारिवारिक कुछ जरूरी व्यस्तता के चलते  थोकिन देरी से पहुचेंव वतका देर भोजन चलत रहिस पर कुर्मी भवन में पहुंचते ही हमर साधिका बहिनी मन से पहिली भेंट होइस सबो झन के अगाध गदगद मया देखके में ये धरती के प्राणी नोहव अइसे लागत रहिस,तेकर बाद बादल भैया ,दिलीप भाई जी सहित सबो मयारू भाई मन संग भेट होइस।

वोखर बाद गुरुदेव संग मिलेंव।

गुरुदेव के सबो झन के प्रति विशेष जागरूकता देखके मन अउ अगाध श्रद्धा से भरगे।

अपन पिता तुल्य गुरुदेव के अइसन मया अपन लइका मन के प्रति देखके मन मा श्रद्धा के आँसू छलकगे।

अउ अइसे लागत रहिस कि धरती दाई के कोरा में घुटना रखके अगास ला देखके फूट फूट के रोवंव कि हे ईश्वर ये कोन से पुण्य के फल आय मोला बतादे कहिके।ये लिखत समय भी मोर आँखी ले आँसू झरत हे।

भोजन समाप्ति के बाद पहुना मन के वक्तव्य सुने के सौभाग्य मिलिस।

इहाँ अउ एक पाठ पढ़े गुने बर मिलिस कि समुन्दर जैसे अथाह पानी भी एक तट तक आके सिमट जाथे अउ दुनिया ला आनन्द में भिगो देथे।

जतका गुणिक मनखे वतका ही नम्र सरल ये सौंहत दर्शन करे के भाग्य मिलिस।

अइसन आत्मिक आनन्द तो कुम्भ नहाय में भी नइ मिलत होही।

ये अक्षय पुण्य लाभ मिले हे।

खासकर दुर्ग भिलाई के संयोजक टीम बधाई के पात्र हे ।

विजेंद्र भाई ,बलराम भैया जी ,गजराज भाई अउ बहिनी संगीता वर्मा के योगदान अविस्मरणीय होगे।

बहिनी संगीता के निष्ठा ,समर्पण मूक रहिके भी ग्रंथ कस पावन हे।

येला हर पढैया मन समझ सकत हें।

एक पद्मश्री जैसे अवार्ड हमर छंद परिवार ये मिलिस कि जितेंद्र भाई के संचालन के लोहा मानगे हमर अतिथि देव जनाब शाद बिलासपुरी जी।

अउ ये कहे बर मजबूर भी होंगे कि जितेंद्र जी के सामने में मेरा गुरुर खत्म हो गया।

ये वाक्य सोचव तो कतका मायने ऱखथे ,अउ वतका ही शालीनता से जितेंद्र भाई सबो संचालक गण में बाँट दिस।

वाहः छंद परिवार में तोर कतका बखान करँव।

जस जस तोर कुनबा बाढ़त हे तस तस तोर मया के हंडा छलकत हे।

छंद परिवार के मुखिया गुरुदेव श्री अरुण कुमार निगम जी पता नही कते कर ले कल्पवृक्ष के बीज ला लानके रोपे हें अइसन अउ दूसर बीज कोनो नइ रोप सकय।

 अउ रोपे के कई झन कोशिश करिन अउ करत भी हें पर वो बिचारा मन के हाइब्रिड होते भी नइ बढ़ पाए।


पर हमर परिवार के मया शाखा अतिक मजबूत हे कि कतको आँधी तूफान आय पर कुछ नइ हिला सके।


ये मजबूत साखा में बसेरा करत पंछी मन के मया गुत्तुर गोठ से हमेशा बगीचा गुंजत रहिथे।

इंखर भाखा में श्लोक ,भजन ,गीत गीता रामायण सबो समाय हे।


येखर गवाही देवत मोर आँखी ,आत्मा जिनगी सबो गदगद हे।


ये मोर अनुभव हे भाई बहिनी हो।🙏🙏🙏



आशा देशमुख

साधिका सत्र 2

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शशि साहू: *मोर अनुभव*


 18 नवम्बर के दिन मोर बर बड़ आपाधापी वाले दिन रिहिस। मै छन्द परिवार के देवारी मिलन मा जाय के मन बना ले रेहेव अउ सूचना ल खुला मंच मे भेज घलो देव।17 नवम्बर को शाला पहुँचे त पता चलिस 18 नवम्बर के दिन कोरबा जिला मा वैक्सीनेशन के महा अभियान दिन हे। माने स्कूल ल बंद कराके शिक्षा विभाग ल वैक्सीनेशन मा झोंक दे रिहिस निगम हा। येती गुरूदेव (निगम जी) के महाअभियान छन्द के छ के देवारी मिलन मे जाय के उरथि मा बिहना तीन बजे नींद खुलगे।टेंशन ये बात के रिहिस की टीकाकरण के बुता तो छै बजे तक चलही।अउ 6:30 को शिवनाथ हे। का मोला छुट्टी मिलही। मँय रद्दा चतवारे खातिर नोडल अधिकारी ल 17 के रात मा ही फोन लगायेंव। अपन समस्या रखेंव,कहेव जरूरी काम हे। वो मन किहिन 'जा सकते हो' अपने एच एम को बता देना। मँय हर मौका देख के एच एम मैडम ला  अपन बात बतायेव ।मोला जरूरी काम से शाम को शिवनाथ पकड़ना हे कहेव।सुन के उँखर मुख मंडल के तेज थोरिक कमती होइस। फेर सहमति मा मुड़ी डोला दिन। मँय काम मा भिड़ गेंव। 6 बजे कोरबा स्टेशन पहुँचेव।6:30 के अवइय्या गाड़ी रात आठ बजे पहुँचिस। सामने बर्थ मा एक झन नर्स रिहिस जेन भिलाई जात रिहिस। अपन क्षेत्र के मनखे जान के अच्छा लगिस। मँय  अपन सीट मा लेट गेंव, दिन भर के थकान मा थोरिक आराम  मिलिस। फेर आँखीच मा रात पहागे। सुबह 3:15 बजे गाड़ी दुरूग स्टेशन मे रूकिस। सामने भतीजा ला देख के सुखद अनुभूति होइस जे रात भर जाग के मोबाइल मा गाड़ी के जानकारी लेत रिहिस।  नर्स दुनो यिही योजना बनाये रेहेन कि चार बजे घर मा फोन करबो।फेर बिना बताये सामने बेटा ला देख के बड़ खुशी होइस। अउ चिन्ता घलो कि आधा रात को लइका कार लेके स्टेशन आगे बिना मोला  बताये। नर्स ले बिदा ले के घर पहुँचेव। सुबह सात बजे नींद खुलिस। ये मोर दुःसाहसिक यात्रा के खबर ले घर मा सबला अचरज होइस। मँय चाय पियत अपन आय के कारण बतायेंव। माँ पिता जी ला समझाय ल परिस ।

लगभग 11 :30 बजे कुर्मी भवन भिलाई पहुँचेव ।मुहाँटी मा बलराम भाई जी मिलगे ।जेन हाँस के स्वागत करिन। पहिली दर्शन गुरूदेव के करेंव। पाँव परेंव। सरल सहज प्रसन्नचित गुरूदेव।सामने  सरला दी बैठे रिहिन। उँखर पाँव छुये बर निहरत रेहेव त वोमन"इट्स ओ के" कहिके पाँव ल सकेल लिन।मँय दीदी के अँग्रेजी बानी ला सुन के

 घबरा गेंव।अउ उहाँ ले निकल के उपर कार्यक्रम स्थल मे गेंव। उहाँ  किताब के स्टाल मा हस्ताक्षर करेंव। अतके मा मोर छंद सहपाठी चित्रा बहिनी आगे। संग मा स्वादिष्ट पोहा के नाश्ता करेन। उही मेर गुरूदेव संग मुलाकात फेर होगे। हाल चाल पूछिन पिता जी के। आये मा परेशानी तो नइ होइस। किहिन। कोरबा वाले मन ला संग मा आना रिहिन।चिन्ता करत कहिन। गुरूदेव संग फोटोग्राफी घलो होइस। थोरिक देर मा कार्यक्रम के शुरूवात होइस। मुख्य अतिथि के रूप मा जमो परिचित विद्वान मन ला अपन बीच पाके खुशी होइस।माई पहुना श्री सुरेश देशमुख जी खास पहुना सरला  शर्मा दीदी जी। श्री सुधीर शर्मा जी । श्री प्रेमलाल पिपरिया अउ डाँ शाद बिलासपुरी जी। इन्खर गरिमामयी उपस्थिति हर कार्यक्रम मा चार चांद लगा दिस। हाल छन्द साधक गुरू भाई बहिनी मन ले भर गे। सरस्वती वंदना अउ छतीसगढ़ महतारी के वंदना जेन ला बलराम भाई बहुत सुन्दर गाथें। के पश्चात तीन पुस्तक के विमोचन।बोधन भाई के अमृतध्वनि छंद। भाई जी के मार्मिक स्थिति ल देख के पीरा होइस। माँ सरस्वती हर अपन वरद पुत्र बोधन भाई ल कलम अउ सुर के बरदान दे के क्षतिपूर्ति घलो करे हे अइसे लागिस। दूसर पुस्तक जगदीश हीरा भाई  के छन्द संदेश। अउ तीसर विदुषी बहिनी इनद्राणी साहू साँची जी के पुस्तक छंदामृत जेन हिन्दी छन्द मा हे। छतीसगढ़ी भाखा ल  जरूर पोठ करही ये  छन्द पुस्तक मन। विमोचन बाद छन्द के अइसे बरसा होइस अउ सुर के सुग्घर बयार चलिस कि पधारे पहुना मन भाव विभोर होगें।उन मन जानिन अउ मानिन घलो की छतीसगढ़ मा एक ले बढ़ के एक नगीना हे। बस मौका मिले के देरी हे। जेन मन गुरूदेव ला गुरूदेव कहे मा आपत्ति उठाय रिहिन। वो मन देखें की गुरूदेव के लगाय छंद बिरवा हर अब पीपर बनत जात हे।पहुना मन के सार प्रेरणादायक उद्बबोधन ला सुन के मन आनंदित होगे।गुरू देव के गोठ ला सुन के मन मा आशा जागिस कि तुलसी कबीर अउ रहीम के दिन हर लहुटही जरूर।जब घुरवा कचरा, अउ पन्नी उपर छंद मय काव्य लिखाही। त छन्द हर खास ले आम हो जही। 


मँझनिया भोजन मा जिमीकांदा के अम्मट साग जे मोर फेवरेट हरे । अतका मिठाय रिहिस की दूसरैया ले ल परिस। सब बहिनी भाई मन ले परिचय होइस। कक्षा गुरू श्री मोहन वर्मा ले भेंट होइस। बादल गुरू जी ले भेंट होइस। मनी राम मितान भाई महापरसाद पुस्तक भेंट करिन जेखर विषय वस्तु माता कर्मा ये। सिलसिलेवार सुन्दर ढंग ले कर्मा कथा ला पाँच खन्ड मा छंन्द बंद्ध करें हें वो मन। बधाई हे भाई जी ला।

दू सत्र मा चले ऐसो के कार्यक्रम  हा सफल रिहिस। नवा साधक भाई मन के खुशी हर देखते बने। उंखर छन्द विविधता हर ओजपूर्ण अउ मुखर प्रस्तुति हर सराहनीय रिहिस। सुरता आथे हिन्दी के बडे़ कवि मन के द्विअर्थी फूहड़ कविता गीत के जेन हजारो रूपया ले के ऊँच मचान ले पढ़थे। छन्द के एक नान्हें मंच के आघू बौना लागत हे।  रात आठ बजे तक चले छन्द पाठ चलिस अइसे सुने मा अइस। मोर दीदी के बेटा के चुलमाटी रिहिस तेखर सेती मँय गुरूदेव ले अनुमति ले के अपन घर बर निकल गेंव। 

सफल अउ सुग्घर दीवाली मिलन के सबो साधक साधिका मन ला गाड़ा गाड़ा बधाई अउ शुभकामना हे ।गुरूदेव ला सादर प्रणाम। जोहार हे  🙏🙏

शशि साहू बाल्कोनगर कोरबा ।

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 पात्रे जी: *छंद परिवार के दीवाली मिलन, मोर अनुभव*


19 नवम्बर 2021 दिन शुक्रवार, छंद परिवार के राज्य स्तरीय दीवाली मिलन अउ कवि सम्मेलन मोर साहित्यिक यात्रा के अविस्मरणीय पल बनगे। सरकारी नौकरी के भागमदौड़ जिनगी ले समय निकाल के अपन छंद गुरु, छंद परिवार के मोर जम्मो मयारुक दीदी-भैया,भाई-बहिनी मन ले मिले के उत्सुकता मोला सहज ही भिलाई सेक्टर-7 के सामाजिक धरोहर कुर्मी भवन मा खींचे ले आइस। ट्रेन के देरी के कारण समय मा नइ पहुँच पायेंव जेकर बर पछतावा हे।🙏

छंद परिवार के तीन मूर्धन्य छंद साधक आदरणीय श्री बोधनराम निषाद जी के 'अमृत ध्वनि' श्री जगदीश हीरा साहू जी के 'छंद संदेश', अउ श्रीमती इंद्राणी साहू सांची जी के 'सांची साधना' नाम से तीन धरोहर छंद बद्ध रचना पुस्तक के विमोचन हमर छंद परिवार बर बहुत बड़े उपलब्धि ये। दिनों दिन हमर छंद परिवार के उपलब्धि मानस पटल मा अँजोर बगरावत हे अब अउ बगरावत रइही। 'छंद के छ' के संस्थापक अउ हमर छंद गुरु प्रणम्य गुरुदेव अरुण निगम जी के आशीष वचन आत्मा ला भाव विभोर कर दिस। अउ जम्मो माई पहुना मन के आत्मीय उद्बोधन हमर छंद परिवार बर आत्म सम्बल प्रदान करत एक पारिवारिक धागा मा पिरोये रखिस।

उतने ही उम्दा भाई जितेंद्र वर्मा 'खैरझिटिया' जी आशु कवि के सधे हुए मंच संचालन सबो छंदकार ला नव ऊर्जा प्रदान करत अंत तक सभागार मा शमां बाँधे रखिस। घर ले दूर घर जइसे सात्विक अउ लजीज भोजन कोनो छप्पन भोग ले कम नइ रहिस।

राग द्वेष ला छोड़ छंद परिवार के मेल मिलाप देख मन बहुत ही प्रफ्फुलित रहिस। छंद के छ जइसे परिवार पाना मोर बड़ सौभाग्य ये। कतका सुग्घर गुरुदेव के दिये संस्कार अउ अनुशासन सबो छंद साधक के हिरदे मा देखे ला मिलिस। आयोजक मंडल मा आदरणीय श्री बलराम चंद्राकर जी, आदरणीय श्री गजराज दास महंत जी अउ आदरणीय श्री विजेन्द्र वर्मा जी मन के कुशल आयोजन चिरकाल तक अविस्मरणीय रइही। सबो साधक ला स्टेशन से लाना ले जाना कतका सुग्घर व्यस्था सच कहँव ये देख मैं बहुत ही अभिभूत रहेंव।

अउ अंत मा सबो के सकुशल घर पहुँचे के एक दूसर ले शोर संदेशा लेना अउ श्रद्धेय गुरुदेव, आयोजक मंडल के चिंता माँ- बाप अभिभावक जइसे अनुभूति रहिस।


अंत मा मोर छंद परिवार छंद बिरवा समान दिनों दिन फलय फूलय बढ़य। शुभकामना।

जय जोहार, जय छंद परिवार🙏


इंजी. गजानंद पात्रे 'सत्यबोध'

छंद साधक- (सत्र -2)

बिलासपुर (छत्तीसगढ़)

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*छंद परिवार के देवारी मिलन*


*मोर अनुभव*


        19/11/2021 शुक्रवार के दिन मोर जिनगी के सबले पबरित दिन मा एक दिन आय ये दिन मोर बर सबले जादा खुशी के दिन आय जइसे कोनो कोंदा मनखे ला चमचम खवा के पूछबे कइसन मिठाइस ता ओ काय बताही ओही हाल मोर हे।

    हमर छंद परिवार अइसन मयारू, मीत मया बॅटइया परिवार अउ कहूॅं नइ हे न होवय नही इहॉं सबोझन एक दूसर ले अंतस ले जुड़े हन अउ गूरुदेव कस कल्प रुख के छॉंव मा हॅंसी खुशी छंद के विधान कस बंध के बाढ़त हन।

    हमन जे दिन ले कार्यक्रम तय हो रिहीस तेन दिन ले सुग्घर बेरा के अगोरा मा रहेन अउ शुभ दिन आइस त बिहिनिया ले तइयार होके निकल गेन अउ रद्दा भर छंद परिवार के चरच करत पहुॅंचेन त हमर परम सौभाग्य रिहीस जेन गुरुवर के मया के छॉंव मा छंद परिवार फूलत फरत हे, जेकर दरशन ले नैन पावन हो जाही सोचत रहेन उही गुरुदेव श्री के दरशन बसले पहिली होइस हे हमर गाड़ी खड़ा होय पाय रिहिस ऊतरे नइ रहेन गुरुदेव हर घलो ओतके बेर आइस अउ सबले पहिली दरशन पायेन, गाड़ी ले ऊतर के गुरुदेव के आशीष पहिली लेन अउ खुशी खुशी फोटु खिचवायेन, फेर हमर छंद सहपाठी अउ संयोजक बड़े भैया विजेन्द्र जी ले भेट होइस, जेकर बाद गुरु देव जगदीश हीरा साहू, मितान जी, अमृतांशु गुरु जी मन ले भेट, तहले मल्हरिया जी, अब जेन मनला देखेबर आॅंखी खोजत रिहिस, अंतस तरसतत अउ मन दउड़त वो गुरुदेव द्वय श्री हमर कक्षा के गुरुदेव श्री ज्ञानुदास मानिकपुरी अउ श्री बोधनराम निषाद गुरुदेव ला भेट करके मन गदगद होगे अउ अमृत रूपी आशीष पायेन। नास्ता करत करत अब्बड़ झिन गुरुदेव अउ साधक मन भेट परिचय होइस ऊपर गेन रोली चंदन के संग हेमलाल साहू जी भेट होइस मन मा मंच ला देखके कुंभ आय कस लगत रहिस।

      समय बितत गिस अउ गुरुदेव श्री बादल, दीलीप वर्मा, मोहनलाल वर्मा, टैगोर जी, अहिलेश्वर जी, सबो साधक मन ले भेट होइस ता अंतस गदगद रहिस अइसे लागिस सबोझन ले नानपन के रिसता हे पहली बार भेट होइस हे अइसे लागबे नइ करिस। हमन सबो साधक हमर छंद परिवार के किताब बिसायेन।         

                कार्यक्रम के जम्मो पहुना मन आइन अउ कार्यक्रम शुरुआत मॉं सरस्वती ला दीप प्रज्जवलित अउ छत्तीसगढ़ महतारी के राजकीय गीत ले होइस श्री मोहनलाल वर्मा जी के सरस्वती वंदना के संग, सुग्घर संचालन अमृतांशु जी करिस।


     छंद परिवार के तीन किताब विमोचन पहुना अउ परमश्रद्धेय गुरुवर श्री निगम के आशीर्वाद ले होइस .......


1. *गुरुदेव श्री बोधनराम निषाद जी----- अमृतध्वनि छंद संग्रह*

2.  *श्री जगदीश "हीरा" साहू जी----- छंद संदेश*

3. *श्रीमती इन्द्रानी साहू "सॉंची" जी----- साची साधना छंदामृत*


           पहिली प्रस्तुति गुरुदेव खैरझिटीया जी *मॅंय छत्तीसगढ़ी बानी अॅंव* ले होइस, टगौर जी फटफटी बइठार मेला मड़ई घुमाइस, दीलीप वर्मा जी मंत्र मार के भूत भगाइ, बादल गुरु देव, अहिलेश्वर जी, आदि गुरुदेव मन के प्रस्तुति के बाद पहिली सत्र के समापन जेवन जेव के बेरा होइस संबोधन सुरता ला पोठ करे बर फोटु खीचाके जेवन बर नीचे आयेन।

   सबोझन जेवन बड़ सुग्घर मजा ले अपन ले अपन अपन इच्छा अनुसार कोनो भुइॅंया मा, कोनो कुर्सी, कोनो खड़े-खड़े खात खात अपन मीत मया के गोठ गोठियात जेवन अउ दया मया ले अधा गेन खीर खा के मन अघात नइ रहिस मात्र तीन घ खीर खाय हॅंव उही बेरा मा गुरुदीदी आशा देखमुख ले भेट करके आशीष पाके मन गदगद होगे कुशल क्षेम पूछे के बाद ऊपर आ गेन।

    दूसर सत्र के शुरुआत होइस पहुना मन के आशीष वचन ले अउ पता चलीस की गुरुवर  लोकाक्षर के रूप मा, वैभव प्रकाशन के सहयोग ले किताब लिखई आदि माध्यम ले छंद के बिरवा ला कइसे महकात हे, गुरुवर जी के आशीष मिलिस बारी बारी ले सबो छंद साधक ला आने-आने छंद मा, आने-आने विषय मा गोष्ठी ल सुने, समझे के मउका मिलिस अउ अपन रचना, विधा ल कइसे पोठ कर सकत हन एकर बर सुग्घर रसता मिलिस।

   महुॅं ला प्रस्तुति देहे के मउका मिलिस एखर बर मॅंय परमश्रद्धेय गुरुवर श्री अरूण कुमार निगम, गुरु देव श्री ज्ञानुदास मानिकपुरी, श्री बोधन राम निषाद, छंद परिवार, जम्मो गुरुदेव- गुरु दीदी, साधक अउ कार्यक्रम के संयोजक श्री विजेन्द्र भैया, श्री बलराम चन्द्राकार, महंत जी, संगीता भाभी के बार-बार नमन हे परनाम हे मोर प्रस्तुति कइसना रहिस हे नइ जानॅंव फेर अनुभव बड़ सुखद रहिस हे काबर कोनो मंच मा ये मोर जिनगी पहिली प्रस्तुति रहिस हे गलती होइस होही तेकर बर माफी चाहत हॅंव।

    सबो साधक छंद सुने के बाद गुरुवर श्री आशीष, जम्मो गुरु, अउ साधक मन ले बिदा लेके घर बर निकलेन तो बड़े भैया भैया विजेन्द्र वर्मा गाड़ी तक छोड़िस अउ रुके के जिद अइसे लगत रहिस जइसे हम अपन बड़े भैया ले दुरिहा परिवार ल छोड़के जात हन। 

         खुशी के बात ये रहिस हमर बलौदा बाजार ले लगभग  17 साधक के हमर लवन ले 6 नवा साधक सत्र 15,16 अउ 17 सामिल होय के पावन अवसर मिलिस रद्दा भर आवत जावत छंद परिवार के चरचा ऊपर ले गुरुवर के संसो हमर नवा बिरवामन बर सबो के सकुशल घर पहुॅंचे आरो लेवत, मोला अपन बबा के सुरता आगे बबा कहय अपन रद्दा आबे-अपन रद्दा जाबे।

          कार्यक्रम के सुग्घर सुफल आयोजन बर विजेन्द्र वर्मा भैया जी, श्री बलराम चन्द्राकार गुरु देव जी, गजराज महंत जी, श्रीमती संगीता वर्मा जी अउ सबो संयोजक मंडल ल बहुत बहुत बधाई, अंतस ले आभार अउ सादर प्रणाम🙏🙏🙏🙏


    छंद परिवार के देवारी मिलन अउ कवि गोष्ठी के सुखद मोर अनुभव जेन सुरता करके आज भी मॅंय अपन आप ला उसी बीच मा पाथॅंव परमश्रद्धेय गुरुवर श्री के चरन मा सादर प्रणाम सबो गुरु मन ला सादर प्रणाम, साधक मन ला प्रणाम करत...........


*मनोज कुमार वर्मा*

*बरदा लवन बलौदा बाजार*

*साधक सत्र 11*

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ओम प्रकाश अंकुर: छंद के छ के दीपावली मिलन समारोह म मोर अनुभव

 

राज्य स्तरीय सम्मेलन म सैकड़ो साहित्यकार भिलाई पहुंचिस 



छंद के छ के संस्थापक परम पूज्य गुरुदेव अरुण कुमार निगम जी के मार्गदर्शन म दीपावली मिलन समारोह ये बखत लोहा के नगर भिलाई म आयोजित करे गिस. कोरोना के सेति पाछू बरस ये आयोजन नइ हो पाय रीहिस तेखर सेति हमर छंद परिवार म ये आयोजन के गजब अगोरा रीहिस 

हे. आभासी दुनियां ले हट के आमने -सामने भेंट होय ले जउन  प्रेम, भाई -चारा,सद्भाव  के भावना ह सजोर होथे वोहा ऑनलाइन म सम्भव नइ हे. 


  मेहा छंद के छ परिवार म पाछू दू बरस ले जुड़े हवँ. कोरोना के दौर म सत्र -12 के साधक के रुप म जुडेंव.  छंद के स्थापना दिवस समारोह अउ दीपावली मिलन समारोह के बारे म फेसबुक अउ कुछ व्हाट्सएप ग्रुप म समाचार पढ़व. जब छंद के छ परिवार ले जुड़ेंव त छंद के छ खुला मंच के माध्यम ले स्थापना दिवस अउ दीपावली मिलन समारोह के बारे म पोस्ट पढ़ के अउ आयोजन के वीडियो देख -सुनके मन म गजब उछाह रहय कि अब अवइया बेरा म महू ह कार्यक्रम म शामिल होंहू. 

    अउ मौका मीलिस कार्तिक पूर्णिमा के सुग्घर बेरा म (19 नवंबर 2021) भिलाई म जाये के. इहां के आयोजन म शामिल होय बर मेहा अउ भाई अमृत दास साहू ह दू दिन पहिली ऑनलाइन टिकिट बुक करायेन. जब 19 नवंबर के डोंगरगढ़ रेल्वे स्टेशन पहुँचेन त पता चलिस कि हमर ट्रेन ह 9.20 के जगह 11 बजे आही. हमर दूनों के मति छरियागे काबर कि सही समय म कार्यक्रम म पहुँचे के इच्छा रीहिस हे. पर कुछू उपाय नइ रीहिस हे अउ ट्रेन के अगोरा करत प्लेटफार्म म बइठ गेन पर धियान ह भिलाई म रहय. खुला मंच म सब झन के पहुंचे के खबर ल पढ़ के मन ह अधीर हो जाय कि हमन ल देरी होगे. देरी के सूचना ग्रुप म घलो सेन्ड करेंव.

     दुर्ग स्टेशन म उतरे के बाद ऑटो करके  भिलाई के सेक्टर 7 म स्थित कूर्मि भवन पहुंचेन जिहां खूबचंद बघेल सभागार म ये आयोजन ह चालू होगे रीहिस हे. हाथ -मुंह धोके स्वल्पाहार के रुप म पोहा खायेन. इही समय  श्री बलराम चन्द्राकार जी के सुग्घर धरती वंदना चलत रीहिस हे. इही जगह श्री विजेन्द्र  चंद्राकर जी ,श्री अश्वनी कोसरे जी मन ले भेंट होइस. नाश्ता करे के बाद जब ऊपर हॉल पहुंचेन त अतिथि मन के सुग्घर स्वागत -सत्कार चलत रीहिस हे. गरिमामयी मंच म माई पहुना के रुप म आदरणीय सुरेश देशमुख जी, प्रथम उद्घोषक चन्दैनी गोंदा उपस्थित रीहिस अउ पगरईत करत रीहिस हे आदरणीय पिपरिया जी, अध्यक्ष, कूर्मि समाज भिलाई नगर. विशिष्ट अतिथि के रूप म मशहूर शायर आदरणीय डॉ. शाद बिलासपुरी, आदरणीया सरला शर्मा जी, अध्यक्ष, जिला हिन्दी साहित्य समिति दुर्ग, परम पूज्य गुरुदेव अरुण कुमार निगम जी संस्थापक, छंद के छ, आदरणीय सुधीर शर्मा जी, विभागाध्यक्ष, हिन्दी, कल्याण कॉलेज भिलाई के गरिमामयी उपस्थिति रीहिस हे.  अतिथि मन के स्वागत आयोजन समिति आयोजन समिति के श्री बलराम चन्द्राकार जी, श्री विजेन्द्र वर्मा जी, श्री गजराज दास महन्त जी, श्री नारायण चंद्राकार जी, श्री घनश्याम सोनी जी, श्री चोवा राम वर्मा बादल जी, श्री दिलीप वर्मा जी, आदरणीया आशा देशमुख जी, श्री अजय साहू अमृतांशु जी, श्री जितेन्द्र वर्मा जी खैरझिटिया, श्री ईश्वर साहू आरुग,  आदरणीया शशि साहू, सुश्री प्रिया देवांगन, आदरणीया नीलम जायसवाल, श्री उमाकान्त टैगोर, मिलन मलरिहा, अश्वनी कोसरे, श्री मनीराम साहू मितान, श्री महेन्द्र कुमार बघेल मधु  श्री राम कुमार चंद्रवंशी जी सहित अन्य साधक मन करीस. 


ये कार्यक्रम म 90 छंद साधक सहित सैकड़ों साहित्यकार सम्मिलित होइस. 


  छंद के छ के माध्यम ले 200  छंदकार तैयार हो चुके हे 


गुरुदेव निगम जी ह अपन स्वागत भाषण म छंद के छ गठन करे के उद्देश्य बताय के सँगे सँग बताइस कि पाछू पांच बरस म 17 छंद सत्र के माध्यम ले अब तक 200 छंदकार तैयार हो चुके हे. छंद के छ के गठन  9 मई 2016 अक्ती के दिन करे गे रीहिस हे. निगम जी  ह जानकारी दिस कि किताब के रुप म  छंदकार श्री चोवा राम वर्मा बादल जी के" छंद बिरवा", श्री मनी राम साहू मितान के खंड काव्य" हीरा सोना खान के"  जगदीश साहू हीरा के संपूर्ण रामायण, श्री राम कुमार चंद्रवंशी 

के छत्तीसगढ़ी छंद संग्रह " छन्द झरोखा " प्रकाशित होय के बाद साहित्य जगत म प्रशंसित होइस हे. 


 छंदकार मन के किताब के विमोचन होइस 


  छंद के छ के राज्य स्तरीय सम्मेलन म छंद के छ परिवार ले तीन झन वरिष्ठ छंदकार मन के किताब विमोचित होइस. श्री बोधन राम निषाद जी(लोहारा,कबीरधाम) के छत्तीसगढ़ी किताब "अमृत ध्वनि "(छत्तीसगढ़ी छंद संग्रह), श्री जगदीश हीरा साहू के छत्तीसगढ़ी छन्द संग्रह "छंद संदेश "अउ आदरणीया इन्द्राणी साहू साँची के हिन्दी किताब "साँची साधना "( छंद संग्रह )के विमोचन सम्मानीय अतिथि मन करिस. 

निषाद जी के अमृतध्वनि ह छत्तीसगढ़ी म अमृतध्वनि छंद के पहिली किताब हे. येमा 174 ठक अमृतध्वनि छंद हे. वरिष्ठ छंदकार ज्ञानुदास मानिकपुरी जी ह अमृतध्वनि छंद के प्रस्तावना के वाचन करिस जेला गुरुदेव निगम जी ह लिखे हे. जेमा  छंद के नियम उपर जादा प्रकाश करे गिस. 

  श्री जगदीश हीरा साहू (कड़ार, भाटापारा, बलौदाबाजार) के तीसरा 

छंद संग्रह "छंद संदेस " के उपर वरिष्ठ छंदकार श्री मनीराम साहू मितान ह प्रकाश डालिस. ये किताब म 54 प्रकार के छंद के समावेश हे. हीरा जी ह येमा   दोहा के 23 प्रकार म छंद लिखे हे. 

इही प्रकार ले सत्र -12 के छंद साधिका श्रीमती इन्द्राणी साहू सांची (भाटापारा, बलौदाबाजार) के हिन्दी किताब म 255 प्रकार के छंद म लेखन करे गेहे. येमा गुरुदेव निगम जी द्वारा लिखित प्रस्तावना ल वरिष्ठ छंदकार श्री कन्हैया साहू अमित जी ह वाचन करिस. तीनों रचनाकार ह अपन प्रतिनिधि रचना के पाठ करिस. तीनों रचनाकार के सम्मान करे गिस. उपस्थित अतिथि अउ छंद परिवार के साधक मन तीनों रचनाकार ल गाड़ा गाड़ा बधाई अउ शुभ कामना दिस. 


   रंग झाझर कवि गोष्ठी चलिस 


     किताब के विमोचन के बाद चयनित छंदकार मन के काव्य पाठ अतिथि मन के सामने होइस. कार्यक्रम के सुग्घर संचालन करइया वरिष्ठ छंदकार श्री अजय साहू अमृतांशु ह सबले पहिली श्री जितेन्द्र कुमार वर्मा जी खैरझिटिया ल काव्य पाठ करे बर बुलाइस.खैरझिटिया ह बहुत ही बढ़िया  शुरुआत करिस.फेर श्री उमाकान्त टैगोर, श्री मनी राम साहू मितान, चोवा राम वर्मा बादल,  आदरणीया आशा देशमुख, श्री दिलीप वर्मा, कौशल साहू, ज्ञानु दास मानिकपुरी, सुखदेव सिंह अहिलेश्वर, मिलन मलरिहा अउ अन्य मन अपन काव्य पाठ ले सुग्घर- सुग्घर मनोरंजक अउ संदेसप्रद रचना सुनाके उपस्थित साहित्यकार मन के दिल जीत लिस.

    

  बीच म खाना खाय बर कार्यक्रम ल कुछ समय बर अवकाश दे गिस. खाना ह गजब सुग्घर बने रीहिस हे. अउ जब अपन परिवार सँग खाना खाबे त ओकर सुवाद ह दुगुणा हो जथे. छंद परिवार के जम्मो सदस्य मन सँग गोठियात -गोठियात भोजन ग्रहण करे के अलगे मजा रीहिस हे. उपर से जब सबके जेब म मोबाइल हे त ये पल ल यादगार बनाय बर फोटो 

खींचे के बाते अलग होथे. अउ अइसने गजब सुग्घर वातावरण खाना खाय के बेरा म देखे ल मिलिस. 


छंद लिखना छोटे काम नोहे - प्रो. सुरेश देशमुख जी 



खाना खाय के बाद दूसरा सत्र चालू होइस. अतिथि मन के उद्बोधन होइस. माई पहुना आदरणीय सुरेश देशमुख जी ह अपन विचार रखत कीहिस कि "-छंद लिखना छोटे काम नोहे. येमा गजब मिहनत लगथे. अउ छंद के छ सँगवारी मन छंद लिखे बर जउन साधना करत हवव वोहा बहुत सराहे के योग्य हे. येखर बर छंद के छ के संस्थापक निगम जी के सँगे सँग सबो साधक मन ल बधाई देवत हवँ. "


समारोह के पगरईत करत श्री पिपरिया जी ह कहिस कि -"छंद के छ के आयोजन ल देख सुनके हिरदे ह झूम गेहे. ये कार्यक्रम ह छत्तीसगढ़ी भाखा बर मील के पत्थर साबित होही. "


निगम जी ह रेगिस्तान म फूल खिलाइस हे - शाद बिलासपुरी 


कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि आदरणीय शाद बिलासपुरी ह अपन विचार रखत कहिस कि -

छंद के छ परिवार म बहुत बढ़िया अनुशासन हे. निगम जी छंद के छ के माध्यम ले रेगिस्तान म फूल खिलाय के काम करत हे. येकर माध्यम ले गुरु -शिष्य परंपरा ल जीवित रखे हे जेकर जतकी तारीफ करन कम होही. "


समारोह के विशिष्ट अतिथि आदरणीया सरला शर्मा जी ह अपन कहिस कि - " हमर देश म छंद लिखे के परंपरा बहुत पुराना हे. कबीर, तुलसी, रहीम के छंद जन -जन म लोकप्रिय हे. निगम जी ह जउन चीज हे तेला छत्तीसगढ़ के युवा साहित्यकार मन म ज्ञान बांट के सुग्घर कारज करत हे. निगम जी के प्रयास ह बहुत सराहनीय हे. "


कार्यक्रम के विशिष्टि अतिथि डॉ. सुधीर शर्मा जी ह कहिस कि -" निगम जी ह नि:स्वार्थ भाव ले साहित्य के सेवा करत हे. छंद के छ ह एक आंदोलन के रुप ले चुके हे. येकर माध्यम ले छत्तीसगढ़ी म सुग्घर सृजन के काम होवत हे. मेहा अरुण कुमार निगम जी ल छंद के छ विश्वविद्यालय के कुलपति मानथवँ. "

     कार्यक्रम म उपस्थिति जम्मो छंद साधक मन बढ़िया -बढ़िसा छंदबद्ध रचना के काव्य पाठ करिस. 

 कार्यक्रम स्थल म हमर राजनांदगांव वरिष्ठ छंदकार आदरणीय महेन्द्र कुमार बघेल मधु जी, राम कुमार चन्द्रवंशी जी, शेर सिंह गोड़िया आदिवासी जी, आदरणीया पदमा साहू, राज कुमार चौधरी जी, नंद किशोर साव नीरव जी, रमेश कुमार मंडावी जी, दूज राम साहू जी के सँगे सँग दूसरा जिला ले पधारे जम्मो छंदकार मन ले मिल के मोर हिरदे ह झूम गिस. काव्य पाठ करे के बाद मेहा भाई अमृत दास साहू जी के साथ संझा 6.30 बजे कार्यक्रम स्थल ले निकल गेन. आदरणीय विजेन्द्र वर्मा जी ह आदरणीय बलराम चंद्राकर जी ल बोल के हमन ल दुर्ग रेल्वे स्टेशन म छोड़े ल बोलिस. हमन ह सही समय म रेल्वे स्टेशन पहुंच गेन. अउ डोंगरगढ़ के लिए सफर चालू होगे. ये प्रकार ले ये आयोजन ह मोला गजब सुग्घर लगिस.


                


  मेहा ये कार्यक्रम म  छत्तीसगढ़ी म छंदबद्ध किताब खरीदेंव. साथ म ये मोर परम सौभाग्य हे कि चन्दैनी गोंदा के प्रथम उद्घोषक आदरणीय सुरेश देशमुख जी ह मोला अपन द्वारा सम्पादित किताब "चन्दैनी गोंदा " (छत्तीसगढ़ की एक सांस्कृतिक यात्रा...,  दाऊ रामचंद्र देशमुख, व्यक्तित्व एवं कृतित्व) भेंट करिस. 

मेहा इही कार्यक्रम म देशमुख जी ले पहिली बार प्रत्यक्ष ढंग ले मुलाकात होइस. येकर ले पहिली फोन म ही बात हो पाय रीहिस हे. 

   कार्यक्रम के सुग्घर संचालन  मिल- जुल के श्री अजय साहू अमृतांशु जी,श्री जितेन्द्र कुमार वर्मा जी, श्री ईश्वर साहू आरुग जी,  श्री गजराज दास महन्त जी ह करिस. 


        ओमप्रकाश साहू "अंकुर "

      छंद साधक, सत्र -12 ,छंद के छ 

   निवास -  सुरगी,राजनाँदगाँव (छत्तीसगढ़ )

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मिलन मिलहरिया: *छन्द के छ दिवाली मिलन की कवि गोष्ठी 19 नवम्बर 2021 के मोर सुरता*

2019-2020  ये दू-ढाई साल के कैदखाना ले जइसे हम सब निकलेन, सबले भेंट करे बर मन हदरत रहिस । ये बीच कोरोना काल के खातिर छन्द के छ के कोनों साहित्यिक आयोजन कवि गोष्ठी नइ होय रहिस। जब ये बात के पता चलिस कि दिनांक 19 नवम्बर 2021 के दिन छन्द के छ दिवाली मिलन के आयोजन भिलाई म होने वाला हे तब तुरते जशपुर के सरस्वती चौहान दीदी ल जाहव कि नहीं कहिके फोन लगायेंव। सरस्वती दीदी के ओहिच दिन प्रशिक्षण कार्यक्रम होवईया रहिस ते पाय के भिलाई नइ जाय के बात कहिस। अब मोला तो अकेल्ला जाना रहिस। अगला दिन संझा 8:00 बजे बगीचा ले भिलाई जवईया गुप्ता बस म चढेव। रातभर बस चले के बाद अम्बिकापुर, बिलासपुर, रायपुर होवत मैं बिहान 6:00 बजें भिलाई पहुंचेंव। भिलाई म बादर छाय रहिस, जशपुर जइसे जाड़ के आरों थोरकन भी नइ आवत रहिस, हां रेलगाड़ी के हार्न के आवाज कान तक आवत रहिस। पहुंचते ही भइया गजराज दास महंत जी ल फोन करेंव, वो हा तुरते पहुंचगे जइसे आसे परोस मं गिंजरत-घूमत रहिस। ओहा मोर नहाय-खोरे बर एक (कमरा) लाॅज के व्यवस्था करके खुद तैयार होय बर चलदीस। 9:00 बजे ओहा फेर मोला लेगे बर आइस। अब ओहा मिथुन ले शाहरुख बन गे रहिस। थोकिन बाद सेक्टर 7 कुर्मि भवन पहुंचेन, जेकर गेट मं छन्द के छ के बैनर बड़ सुग्घर दिखत रहिस। भीतर कुर्मि क्षत्रीय समाज के पुरखा मनके छायाचित्र फोटो जेन अलग अलग क्षेत्र ले सम्मानित व्यक्तित्व, समाजिक कार्यकर्ता, डाक्टर, इंजिनियर, शहीद मनके सुरता देवात उंकर गाथा ल गावत पुरखा मनके चिनहा लटके दिखत रहिस। मंच डाॅ. खूबचंद बघेल बहुद्देशीय सभागार के नाम मं अउ कार्यालय के प्रमुख कक्ष के नाम दाऊ रामचंद्र देशमुख के संगे संग महिला कक्ष के नाम राधा देशमुख रखें गे हे जेन चंदैनी गोंदा के सुरता कराथे। मंच के तो का कहना बड़ गजब सुग्घर चमकत, फभत आयोजक- साधक मनके मेहनत ल बतावत रहिस। शुरुआत पोहा के सुग्घर नास्ता ले होइस, धिरे-धिरे सब आवत गिस, कार्यक्रम के शुरु होवत-होवत 1:00 बजगे रहै। पधारें पहुंना मन छत्तीसगढ़ महतारी अउ माता सरस्वती के छायाचित्र मं दीप जलाके कार्यक्रम के शुभारंभ करिन। शुरुआत मं अजय अमृतांशु भइया हा मंच संचालन करिन इंकर संचालन मं तीन पुस्तक विमोचन के कड़ी आघू बढ़िस- गुरुदेव बोधनराम निषाद जी रचित अमृतध्वनि छन्द संग्रह, दूसरा जगदीश हीरा साहू रचित छंद संदेश अउ तीसरा पुस्तक इंद्राणी साहू सांची रचित सांची छन्द के विमोचन होइस जेमा पुस्तक विषय-वस्तु, भूमिका विचार, आलेख - गुरुदेव ज्ञानु दास, गुरुदेव मनीराम साहू 'मितान' अउ कन्हैया साहू 'अमित' मन क्रमश: रखिन।

  गुरुदेव जितेंद्र खैरझिया के जोरदार संचालन, कार्यक्रम ल आघू बढाईस जेला शाद बिलासपुरी जी के तारीफ़ मिलिस। 

दूसरा सत्र के बाद संचालन बर गुरुदेव ईश्वर साहू आरुग जी आइस जेन दमदार संचालन निभाईस। भइया गजराज दास महंत के घलो संचालन सुने बर मिलिस। अब सवा 5 बजे के आसपास के बेरा होवत रहिस हमर माई पहुंना डाॅ. सुरेश देशमुख अउ डाॅ. सुधीर शर्मा जी कुछ आवश्यक काम आय खातिर लऊहा मंच छोड़ चूके रहिस, गुरुदेव श्री अरुण कुमार निगम जी ओमन ल स-सम्मान बिदा करके पुनः मंच मं आइन। कार्यक्रम चलते रहिस, अब मंच के शोभा हमर वरिष्ठ साधक गुरुदेव चोवाराम बादल, गुरुदीदी आशा देशमुख, गुरुदेव सूर्यकांत गुप्ता, डाॅ. शाद बिलासपुरी मन रहिन। अब आघू के कार्यक्रम गुरुदेव ज्ञानुदास मानिकपुरी जी के सुन्दर संचालन मं आघू रातिहा 8 बजे तक चलिस। कार्यक्रम समाप्त होय के बाद सबला सरेखत गुरुदेव अरुण कुमार निगम जी सबले आखिर मं कार्यक्रम स्थल ले बिदा लेहिस। कुर्मि भवन मं अब मैं मिलन मलरिहा, हीरालाल साहू 'गुरुजी' , राजकुमार बघेल, विजेन्द्र वर्मा जी अउ बलराम चंद्राकार भइया जी संग बाॅंचगेन। विजेन्द्र के कार मं हम सबोझन दुर्ग ल घुमेन अउ हम चारों ला विजेन्द्र अउ बलराम भइया, एकठन अलगेच किसम के चलता-फिरता होटल मं भात-साग खवाईस, बड़ सुग्घर लागिस। 

            ये तो रहिस छन्द के छ के दिनांक 19/11/21 के दिवाली मिलन कार्यक्रम के कभु न भूलयईया यादगार बेरा के जेमा सबों ले  अब्बड़ दिन मं भेंट होइस ओही सबले किमती रहिस। बहुतेच सफल कार्यक्रम बर आदरणीय बलराम चंद्राकार, विजेन्द्र वर्मा अउ भइया गजराज दास महंत जी ल कोटि कोटि धन्यवाद!,बिक्कट अकन बधाई! जय जोहार 🌺🌼🙏

*मिलन मलरिहा*

छन्द साधक - कक्षा १०

बगीचा जशपुर छत्तीसगढ़।

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 पद्मा साहू, खैरागढ़: छंद के छः परिवार 19 नवंबर दिवाली मिलन, पुस्तक विमोचन, अउ कवि गोष्ठी के आयोजन मा मोर सुरता अनुभव_______


 छंद के छः परिवार के देवारी मिलन, पुस्तक विमोचन अउ कवि गोष्ठी सेक्टर सेवन भिलाई मा होही कहीके जबले दिन तिथि  के पता चलीस ते दिन ले मन हा जाय बर उतसुक रहिस कि कार्यक्रम मा जाहूं त सबसे मिले के अवसर मिलही अउ आज कार्तिक पुन्नी के पबरित दिन छंद के छ परिवार के कवि गोष्ठी, पुस्तक विमोचन सम्मेलन म  जाय के अवसर मिलिस। भाई दूज राम साहू जी अउ मँय दोनों एक साथ 11:30 बजे खैरागढ़ ले निकले हन 1:00 बजे मंझनिया हमन कुर्मी भवन के खूबचंद बघेल सभागार मा पहुंचेन। जीहां पुस्तक विमोचन के कार्यक्रम चलत  रिहिस हे। रजिस्टर मा अपन उपस्थिति दर्ज करा के मँय केंवरा मीरा यदु दीदी तीर बईठेंव।  दीदी ल प्रणाम करेंव  दीदी मँय पदमा कहिके , अरे पद्मा बहिनी कहिके दीदी घलों बड़ खुश होगे।  धनेश्वरी सोनी गुल, ओम प्रकाश साहू अंकुर जी, नीरव जी अमृत साहूजी  आदरणीय चंद्रवंशी सर अउ बाकी साधक दीदी, भइया मन ले मिलके मन गदगद होगे। गुरुदेव बोधन निषाद अउ हीरा साहू जीके पुस्तक विमोचन, इंद्राणी दीदी के पुस्तक "साँची साधना", विमोचन होय के बाद खाना खाए के बेरा मा बड़े-बड़े धुरंधर कवि मन के काव्य गोष्ठी ला सुनके अपन भाग्य ला सहरावत रेहेंव। इंद्राणी दीदी से मिलेंव, पर्वणी बहिनी कहिके दीदी घलो खुश होगे , संगीता वर्मा, प्रिया देवांगन ले मिल के महेंद्र देवांगन "माटी" सर के मोला याद आगे। अउ बोधन निषाद गुरुजी से मिलेेंव मन गदगद होगे कि आज हमन सब झन  साक्षात एक दूसर ले भेंट करेन। एक जगह जूरिया के फोटो खींचायेँन एक दूसर ले चर्चा करत हाल-चाल  पुछत भोजन करें हन। हमर छंद साधक सत्र 14 के जुरियाय संगवारी संगीता वर्मा, राकेश साहू, अनुज छत्तीसगढ़िया जी, दीदी भइया मन एक फोटो खिचायेंन ओतकी बेर गुरु दीदी आशा देशमुख  ले भेंट होइस उनकर से मिलके मन बहुत खुश होगे। अब कार्यक्रम के दूसरा सत्र  पहुना मन के उद्बोधन के साथ शुरू होइस जेमा मशहूर शायर आदरणीय डॉ. शाद बिलासपुरी जी के उद्बोधन हिंदू मुस्लिम एकता भाईचारा के परिचय के संदेश दिस की सब मिलके एक साथ चलना हे एक मंच में रहना हे। फेर हमर छत्तीसगढ़ के पुरोधा चंदैनी गोंदा के प्रथम उद्घोषक माई पहुना आदरणीय सुरेश देशमुख जी हमनला पुरखा के साहित्य, गीत , कला, नाटक ला धरोहर के रूप  मा संजो के रखे के बात कहीन । संग संग आदरणीया सरला दीदी जी जउन हिंदी साहित्य समिति दुर्ग के जिला अध्यक्ष हम सब ला आशीष वचन के रूप मा कहिन कि  अपन लेखनी ला धीरे धीरे धार करत जाना हे आगे बढ़त जाना हे। 
       उद्बोधन के बाद  आदरणीय गजानन पात्रे जी, गुरुदेव चोवाराम बादल,आदरणीय बलराम चंद्राकर, मीरा दीदी, श्रीमती श्रीवास दीदी, ईश्वर साहू आरूग भैया , अमृत साहू जी, दूज राम साहू जी, धनेश्वरी सोनीगुल जी एकर मन के कविता पाठ ला सुन के अंतस झूम गे । भैया जितेंद्र वर्मा खैरझिटी जी के संचालन अउ बीच-बीच मा भैया गजानन पात्रे जी के संचालन हा गज़ब सुग्घर लागत रहीस। अब मोरो पारी कब आही कहिके छुटपुटावत रहेंव अंधियार हो जही घर जाए बर कहिके । आदरणीय भइया जितेंद्र वर्मा  ला बोल के महुँ कविता पाठ करेंव अउ परम पूज्य गुरुदेव निगम जी , आशा   देशमुख दीदी, आदरणीय डॉ. शाद बिलासपुरी जी के हाथ ले सम्मान प्राप्त करे के सौभाग्य मिलीस। इही बेरा गुरुजी पुछिस कामा अउ  काकर साथ जाबे पदमा कहिके,  गुरुजी के बात ल सुन के  एक पिता के जइसे  चिन्ता करत देख मोर मन खुशी के भाव ले भरगे । गुरुजी मँय दूज राम जी के साथ जाहूँ कहिके बतायेंव अउ आशीर्वाद  ले के फिर हमन 5:30 बजे के आसपास  दुर्ग सेक्टर सेवन ले निकलेन अउ 7:15 बजे अपन घर पहुंचेन। अइसन कार्यक्रम मा शामिल होके मँय धन्य होगेंव।  परम पूज्य गुरुदेव अरुण कुमार निगम जी के सानिध्य मा रहीके छंद सीखे के अवसर मिलत हे, मोर सौभाग्य हे। अवइया बेरा मा अइसने कार्यक्रम होवत रहे अउ हम सब मिलत रहन  जेकर ले हमन ला सीखे के प्रेरणा मिलत रहे।

पद्मा साहू *पर्वणी*
खैरागढ़ जिला राजनांदगांव छत्तीसगढ़

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: छंद के छ दीवाली मिलन

परिवार अउ समाज म पहुना जाय बर जतका मलमलाथन ओतके मलमली छंद परिवार के दीवाली मिलन म जाय के रहिस हे ,दिन ह अचानक ले पता चलिस कि अब तिहार होवइया हे कहाँ होय जगा ल  ठौकावत रहिन ।हमर बेलासपुर ले रायगढ़ अउ भेलाई दूनों के दूरी बरोबर रहिस बस रायगढ़ बर डेरी हाथ कति के ट्रेन म चढ़तेन अउ भेलाई बर जेवनी हाथ के ट्रेन म चढ़ेन।

     पहिली बार छंद परिवार के दीवाली मिलन म सामिल होय के खुशी अलग ही रहिस । कैसे होथे कहिके मन  सोचत रहेंव कतका झन आथे कहाँ कहाँ ले आही कहिके अउ कोन कोन आवत होही कहिके मने मन मा सोंचत रहेंव।
             
मँय हर यात्रा अपन पतिदेव संग करेंव। बहुत ही सुखद पल रहिस बढि़या बात करत जावत रहेंन पतिदेव जी केंडीक्रस के आठ दस लेबल झट झट पार करत खुश होवत रहिन त महु खेलेव एक दू लेबल पार करेंव फेर मँय असकटियागेंव मँय खिड़की ले झाँकत सुघ्घर पेड़ पतई मन ल देखत रहेंव अउ मन ल खुशी ल बटोरत  रहेंव।बात करत करत कतका समय भिलाई आइस पता नइ चलिस ,उतर के आटो म बइठ के सीधा कुर्मी भवन सेक्टर 7पहुँच गँयन। जइसन पहुँचेन पोहा के नास्ता चलत रहय ,सामनेच म उमाकांत भाई खडे़ रहय दीदीजी आवा अउ जीजाजी आवा कहिके गोड़ छूके पाँव परत मया छलकावत रहय। तहाँ ले केवरा दीदी आइस महुँ गोड़ छूके पाँव परें खूब आशीष दिन दीदी संग फेन नास्ता करेन। उपर डहर सीढि़या म चढ़त गयेन भीड़ ह बाढ़गे रहय काहि कि 12.45 होवत रहय गुरुदेव बोधन सर के पुस्तक विमोचन चलत रहय।फेर हीरा जी के पुस्तक बिमोचन होइस तिहा ले साँची जी के पुस्तक बिमोचन होइस । तहाँ ले गर्रउहन अकन गुरुप फोटो खचाखच फोटो खिचावत रहय नारी शक्ति मन के कहिके गुरुप म खीचिन फेर ओ फोटो म कमी खलिस आशा दीदी ओ बखत पहुँचे नइ  रहिस अउ आइस त स्टेज म बइठिस त ओखर संग मोर फोटो नी खिचा पाइस उही ह अखरिस घर आके देखे सब फोटो हवय आशा दी संग फोटो नइ हे। अगले दारी आघू ले खिचा लेहूँ भूला गेव त अखरथे।सरलग कवि गोष्ठी के मजा रहिस । एक ले बढ़के एक गुरतुर सुनावत रहँय *उमा भाई के फटफटी अउ चना चरपटी ह मजा आगे*।  *मितान भाई जी के एजी ,,,,,,सखी छंद बड़ सुघ्घर लागिस*  *अउ मुसवा बिलई के आल्हा छंद अति बढि़या लागिस*       
*जीतेंद्र   भैया जी के संचालन धुआँधार चलिस के ओखर कहर महर ह जिमीकाँदा साग कस मिठास ह पूरा हाल ल ताली बजाय अउ तारीफ बर मजबूर कर दीस*  ।  मोर सत्र 11के विजेन्द्र जी,मनोज मन संग फोटो खीचायेन और संगीता भाभी जी घलो फोटो खीचाइन ।सबझन संग मुलाकात होइस गुरुदेव मोर पतिदेव संग बात करिन अउ सबझन दीदी कहिके बढि़या गोठियावत रहिन अपन मइके  के घर म आय हँव कस दीदी जीजा के स्वागत सत्कार होइस खावत रहेव त उमा भाई ह हमी दूनों झन के फोटो खीचिस बड़ मया मिलत रहिस। कवि गोष्ठी म मँय हर ...*बेटी गंगा गीता आय म सुनाएँव* गुरुदेव अउ बिलासपुरिहा जी प्रमाण पत्र देवत बखत कहत रहिंन बहुत बिढ़या शब्द अउ भाव हवय सुघ्घर लागिस *ओला रातेच के लिखे रहेंव अउ उहाँ सुना देंव।*
वापस आय बर गेट मेरा खडे़ रहेन साधन देखतेच रहें तभे  आशा दीदी हमन ल आटो स्टेंड तक अपन कार म छोडिस हमन स्टेसन आटो म आयेन । ठंडी हवा हर बढि़या लगत रहिस । बइठके काफी पीयत सबो फोटो ल देखत रहेंन ट्रेन म बइठ के  घर आँयन घर मा लइका मन पिज्जा दोसा मँगाके खावत रहिन । हमु मन खाँयन लइका मन ल सबो ल सुनावत रहेव अति सुघ्घर कार्यक्रम रहिस।।
केवरादीदी जी साँची जी संगीता वर्मा पद्माजी, जीतेंद्र भैया जी उमा ,मनोज जी विजेंद्र जी ज्ञानू गुरुदेव अमीत भैयाजी बोधन गुरुजी  बादल सर जी अउ कतका झन सब करा प्रिया बहन  संग भेट करके मन ह बड़ खुश होइस अवइया  बेरा के कार्यक्रम म थोरिक जल्दी पहुँचहुँ  । तभे शुरु ले देखे म मजा आथे। सबला आनलाइन बाट्स एप म देखे रहेव मन मा लागय कइसन होही फेरे जइसन डीपी ओइसनहेच दिखत रहिन हवय । पहँचाने म जरा बेर नइ लागिस  । सुघ्घर कार्यक्रम रहिस गुरुदेव के सादगी सरल स्वभाव अपनापन ह झलकत रहिस  शिष्य मन सबो अइसे सम्हालत रहिन जइसन गुरु के मान सम्मान ह हमर मान सम्मान आय जइसन बेटी बिहाव म पूरा गाँव एक होके ओ परिवार ल भार होन नइ देवय तइसन छंद छ के परिवार म मोला देखे बर मिलिस अनुशासन के कायल तो मँय रहेव फेर एकता आउ ,अपनापन, जिम्मेदारी निभाय के तरीका घलो उदाहरण रहिस । मँय  ज्यादा नइ जानव फेर आँखी अउ हिरदे म जउन उतरिस ओला टूटे फूटे शब्द म बताय के कोशिश करे हँव । *गुरतुर अनुभव ल समेट के अवइया बेरा के छंद के छ तिहार बर अगोरा रही*

छंद साधिका सत्र 11
धनेश्वरी सोनी गुल 
बिलासपुर
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