Friday 12 November 2021

भूख के जात -हरिशंकर गजानंद देवांगन , छुरा

 भूख के जात -हरिशंकर गजानंद देवांगन , छुरा

                     मरे के जम्मो कारन के कोटा तय रहय ….. फेर जब देखते तब , जइसे सरकारी दुकान ले दूसर के कोटा के रासन ला .... गाँव के सरपंच जबरन लेगय , तइसे भूख हा दूसर कोटा के मौत नंगाके मनखे ला मार देवय । भगवान के नियम म खलल परय । भगवान हा यमदूत ला अइसन नियमखोरी करइया ला खोज के लाने बर भेजिस । यमदूत मन धरती म अइसन भूख ला खोजत अइन । इहाँ अइन त देखथे के इहाँ तो भूख के कइठिन जात रहय ....... । ओमन सोंच म परगे .... भगवान कते भूख ला लाने बर केहे हे । सबे भूख ला धरके लेगे अऊ भगवान के दरबार म हाजिर कर दिस ।                    

                    एक ठिन भूख हा जइसे भगवान के आगू म खड़ा होइस तइसे ... भगवान बरस गिस ओकर बर । भगवान केहे लगिस - कस रे तोला कहीं लागथे ? जब पाये तब अऊ जेला पाये तेला .. ढनगा देथस । धरती के मनखे कस ... दूसर के बाँटा ला नंगा लेथस । तोर सेती कतका समस्या पैदा होगे हे । तैं जनता ला अइसने मारबे त .... हमर नियम धरम के काये आवसकता ? देख कतका अकन तोरे कोटा म .... मरके आये हें । भगवान के बड़े स्क्रीन वाले कम्प्यूटर म तरी उपर लास देख के भूख किथे – तोर कसम गो .... ये मन मोर मारे नोहे .... । हमला दूसर के बाँटा नंगइया नेता समझथस का भगवान .... ? गऊकिन .... अपन बर निर्धारित कोटा ले उपराहा एक ठिन मनखे नइ मारे हँव ...... । पहिली कस समे नइ रहिगे भगवान .... तैं का जानबे .... मनखे ला मारे बर कतेक उदिम लगाये बर परथे तेला ........ कतका पछीना ओगारथँव तेला मिही जानहूँ । भगवान किथे - लबारी मारथस रे ? भूख किथे - दईकुन गो ..... लबारी नी मारँव भगवान । उहाँ एक रूपिया किलो म चऊँर .. पिये बर सरकारी दारू अऊ रेहे बर घर मिलत हे । कोन मरही मोर ले भगवान ? अऊ बीते कुछ समे ले जनता के पेट भरे बर नावा किसिम के मोबाइल आगे हे ... जेकर बटन चपकतेच साठ ... अनाज के दाना झरझर झरझर गिरत हे .... मनखे के पेट कहाँ उना रइहि तेमा .... । चित्रगुप्त कोती देखिस भगवान  ……..  वहू अपन कम्प्यूटर म देखत ....... हाँ म हाँ मिलइस । पेट के भूख ला सनमान सहित वापिस लहुँटे के आज्ञा मिलगे । भगवान सोंचे लगिस .... कोन येकर नाव ले पाप करत हे ? भगवान हा प्रस्नवाचक मुहूँ बनाके चित्रगुप्त कोती देखिस त ओहा ... दूसर भूख ला खड़े कर दिस आगू म । 

                    चित्रगुप्त बताये लगिस - धरती म भूख के कतको धरम जात अऊ समाज बन चुके हे । काकर बूती ... बिन पारी के मनखे मरत हे तेला ... मोर कम्प्यूटर बता नइ सकत हे । जइसे येला जाने के कोसिस करथँव नेट बंद हो जथे ..... तेकर सेती सबो जात के मुखिया भूख मनला लाने गेहे । भगवान पूछथे – जात .......? येमन मनखे कस बिगड़ गेहे का रे .....? येमन ला जात बनाये के कोन आज्ञा दिस ? चित्रगुप्त किथे - भगवान , जात बनाये बर कनहो ला केहे नइ लागे , चार झिन जुरियइन तहन नावा समाज अऊ नावा धरम खड़ा हो जथे । जेकर सुआरथ पूरती नइ होये तिही मन राजनीतिक दल कस अपन जात खड़ा कर लेथें । ये जात हा मनखे के उपज आय , हमर रचना नोहे भगवान । भगवान किथे - येहा कोन जात के भूख आये ? भूख खुदे केहे लागिस – मोर सेती मनखे मरथे कहाँ भगवान तेमे मोला हथकड़ी पहिरा के ले आने हव ? मेहा तो अइसे जगा म रहिथँव जेला तोपे बर धरती के हरेक मनखे ला उदिम करे लागथे । भगवान पूछिस – का ...... पेट म नइ रहस तेंहा ? भूख किथे - मेंहा पेट म नइ रहँव भगवान .... पेट के खालहे म रहिथँव । भगवान मुहूँ फार दिस । चित्रगुप्त किथे – भूख के रेहे बर पेट म जगा बनाये हाबन ? तोला कोन पेट के तरी म रेहे के परमीशन दिस । भूख किथे – हमर जात के भूख ला रेहे बर काकरो परमीशन के आवसकता निये । पेट के खालहे म जगा दिखिस तहन ....... मन पटवारी .. के जेब गरम करके अपन नाव म खालहे पारा के रजिस्ट्री करवा डरे हाबन । भगवान हा चित्रगुप्त कोती कननेखी देखिस । चित्रगुप्त किथे – येहा मनखे के वासना के भूख आय भगवान ...... येकर ले मरथे तो बहुत कम फेर …….. फेर येकर बर कतको झिन मरथे .......। येला मेटाये बर कतको धरमगुरू साधु संत पादरी मौलवी मन बड़े बड़े असपताल खोल के बइठे हाबय । फेर अपने असपताल म उही मन इही भूख के सिकार हो जथे .........। यहू ला छोंड़ दिस ।

                     सुसकत खड़े दूसर भूख ला पूछत रहय भगवान - तैं कोन अस जी अऊ कते मेर रहिथस ? काबर रोवथस ? निच्चट दुब्बर पातर भूख हा सरम के मारे मुड़ी गड़ियाये रिहिस । हूँकिस ना भूँकिस । चित्रगुप्त किथे – ये भूख हा मनखे के कभू आँखी अऊ कभू दिल म रहिथे । ये प्रेम के भूख आय । येला दुनिया म जम्मो झिन अपन सुआरथ के सेती चाहथें । येकर मरम ला ना कनहो जानय । ना येकर करम ला कनहो निभावय । ये अपन अस्तित्व बर खुदे तरसत मरत हे ..... कनहो ला काये मारही । ये भूख अपन प्रजाति ला बचाये के गोहार करत रो डरिस । यहू छूटगे ।

                    अगला भूख हा सुघ्घर पहिरे ओढ़हे रहय । खुसरतेच साठ दरबार महर महर महमहाये लगिस । कतको झिन हाली मोहाली संग म अइस । इही दोसी भूख होही कहिके आते आत जमदूत के सोंटा लहराये लगिस ........ सेवा करइया मन भाग गिन । चित्रगुप्त किथे – येहा पइसा के भूख आय भगवान । येला मेटाये बर जतको खाबे ... येहा ततके बाढ़थे । येहा अपन बलबूता म बहुतेच काम कर सकत हे । दूसर के पछीना ला अपन देहें म चुपरके महकत मजा मारत किंजरत हें येमन । इही भूख के सेती मनखे मनखे म दूरी बाढ़त हे । इही भूख हा मनखे ला अपन नता रिसता के त्याग करे बर मजबूर कर देथे । येकर बर जे जादा मरथे तिही ला निपटाथे येहा ........। भगवान तिर येकरो अपराध सिद्ध नइ होइस । यहू बरी होगे । 

                    ये दारी के भूख हा ... जइसे दरबार म खुसरिस तहन ..... कितको झिन हाथ जोर के खड़ा होगे । ये भूख हा नाव के भूख आय । येला कोन नइ जानय । अपन नाव चलाये बर का का नइ करय .... । एके ठिन बात ला घोर घोर के केऊ ठिन मीडिया म बगरा के अपन नाव ला जनाये के उदिम लगावत रहिथे । ये भूख बहुत झिन उप्पर सवार होथे फेर बहुत कमती मन ला पार लगाथे । कितको झिन मरत ले नइ छोंड़य येला । येहा मनखे ला मारय निही फेर अपन नाव के उप्पर म या बरोबरी म कनहो ला झिन आय कहिके कतको उदिम म लगे रहिथे । इही भूख हा दूसर के नाव मेटाके अपन नाव ला जगजाहिर करे के डिगरी अऊ पी एच. डी. देवाथे । कतको कस पदम पुरूसकार इही भूख के सहारा अऊ भरोसा म मिलथे । चित्रगुप्त अइसन बतातेच हे तब तक भगवान हा यहू ला वापिस लेग जाये के इसारा कर दिस । 

                     खूनाखून दिखत भूख ला आवत देखिस त भगवान समझगे ... इही आय मौत के असली जुम्मेवार । हाथ म गोला बारूद बनदूक तलवार धरे रहय । भगवान खुद डर्रागे । भगवान काँपत पूछथे – तिंही हरस का जी ..........? डर के मारे आरोप घला नइ लगा सकत रहय भगवान । चित्रगुप्त ला तिर म बला के किहिस - तिहीं हकन के पूछना येला ...... । मेहा कहूँ त मुही ला झिन मार देवय । तैं पूछबे अऊ तोला मारीच दिही त मेंहा तोला फेर जिया दुहूँ अऊ मोला मार दिही त तैं भगवान कहाँ ले लानबे । भगवान के मन म डर हमागे । चित्रगुप्त किथे - रावन ... कंस अऊ हिरण्यकस्यप कस राक्षस मन ला चुटकी म मरइया भगवान के चेहरा म अइसन डर शोभा नइ दय । तूमन काबर डर्राथव भगवान ? भगवान किथे - राक्षस मन मोर संरचना रिहीस अऊ येहा मनखे के आय .... तेकर सेती डर लागत हे । चित्रगुप्त किथे – डर्रा झिन । येला जब तक बड़का भूख आदेस नइ देवय तब तक ..... ये कनहो ला नइ मारय । अपन जरूरत बर अभू तक काकरो शिकार नइ करे हाबय येहा । ये हिंसा के भूख आय । जब तक कनहो उकसाये निही तब तक ... येकर हाथ ले हथियार नइ छूटय । त ये लहू म सनाये कइसे दिखत हे ? भगवान फेर पचारिस । चित्रगुप्त किथे - येकर निवास स्थान लहू आय भगवान तेकर सेती .....। यहू छूटगे ।

                     भगवान किथे – चित्रगुप्त .... जतका अकन भूख अभू अइस तेमा .... कनहो भूख म अतेक अकन मनखे मारे के क्षमता निये । तूमन गलत रिपोट देके बपरा भूख ला काबर बदनाम करत हव । चित्रगुप्त किथे - एक ठिन भूख अऊ बाँचे हाबय । तभे भूख भइया की जय के नारा सुनई दिस । नारा लगइया मनला बाहिर म रोके नइ सकिस यमदूत मन । भूख हा ... संसद कस …… समर्थक संग ..... परिवारसुद्धा .... दोरदीर ले खुसरगे । भगवान किथे - तिहीं हरस रे .... अतेक कन मौत के जुम्मेवार । वो किथे - कोन कथे ....... ? कोन कथे ....... के मिही अतेक मनखे के मौत के जुम्मेवार आँव कहिके .... पूछ येमन ला ....... । देखा सबूत ...... । जुबान लड़ाये बर धर लिस अऊ बहुमत ले जीते कस भगवानेच के खुरसी कोती अमरे लागिस । चित्रगुप्त भगवान के कान म फुसुर फुसुर केहे लागिस – मोला समझ नइ आवत हे भगवान । मोर रिकाड म इही भूख के कोई लेखा जोखा निये । बिगन सुनवई सबूत के अभाव म यहू भूख हा नेता कस छूटगे । 

                 भगवान ला आखिरी वाले भूख उपर शक होगे । ओहा चित्रगुप्त संग कम्प्यूटर बिसेसज्ञ ला धरके इही भूख के पाछू पाछू धरती म पहुँचगे । तलास अऊ तफतीस म भगवान पइस के ..... ये भूख हा चित्रगुप्त के कम्प्यूटर म .... राजनीति नाव के अइसे वाइरस डार दे हाबय ..... जेहा  कभू काकरो पकड़ म नइ आ सकय ...... । ये भूख हा मनखे के दिमाग म रहिथे । मनखे के अकाल मौत के जुम्मेवार इही आय फेर येकर ताकत के डर म ..... येकर खिलाफ कन्हो गवाही देबर खड़ा नइ होय । भगवान जान डरिस के .... येहा सत्ता के भूख आय जेहा .... कतको लास बिछा के घला शांत नइ होय । इही भूख ला शांत करे बर ..... मनखे हा ..... कतको के दुरदसा कर देथे अऊ कतको ला मार के ढनगा देथे । ये अइसे भूख आय जेकर उप्पर बिजय पाये के बाद .... मनखे हा पहिली ले अऊ जादा भुखाके ..... तपनी तपे लगथे । इही भूख के साथ देवइया मन भुकुर भुकुर के खाथे अऊ बिरोध करइया मन इही भूख बर भुखा जथें ....... । भूख के इही जात ला खतम करे बर .... उही दिन ले सरग म भगवान हा ..... लांघन भूखन रहिके तपस्या म जुटगे ........ ।  

    हरिशंकर गजानंद देवांगन , छुरा

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