Tuesday 23 November 2021

प्रथम अमृतध्वनि छन्द संग्रह का गौरव कबीरधाम को मिला"


 "प्रथम अमृतध्वनि छन्द संग्रह का गौरव कबीरधाम को मिला"


गत दिवस इस्पात नगरी भिलाई में "छन्द के छ" परिवार का दीवाली मिलन,पुस्तक विमोचन और राज्यस्तरीय छन्दमय कवि सम्मेलन का आयोजन हुआ। ज्ञात हो "छन्द के छ" साहित्य की शास्त्रीय विधा छन्द के सीखने-सिखाने की आनलाइन कक्षा है। जिसके संस्थापक छत्तीसगढ़ के गिरधर कविराय के नाम से मशहूर कवि कोदूराम'दलित'जी के सुपुत्र छ्न्द के छ किताब के रचयिता श्री अरुण कुमार निगम जी हैं। वर्तमान में छत्तीसगढ़ के 20 से अधिक जिलों के साहित्यकार छन्द के छ की कक्षा में छन्द साधक के रूप में छन्द की साधना कर रहे हैं, सीख रहे हैं। भिलाई सेक्टर-7 कुर्मी भवन के सभागार में आयोजित यह कार्यक्रम दो सत्रों में सम्पन्न हुआ। कार्यक्रम के प्रथम सत्र का शुभारंभ सरस्वती माता और छत्तीसगढ़ी भाखा महतारी की पूजा-अर्चना के साथ हुआ। छन्द साधक श्री नारायण वर्मा के द्वारा सरस्वती वंदना की मधुर प्रस्तुति दी गई साथ ही श्री अरुण कुमार निगम द्वारा रचित छत्तीसगढ़ी भाखा महतारी की वंदना की प्रस्तुति भिलाई के छन्द साधक गीतकार श्री बलराम चंद्राकर ने दी।अतिथियों का स्वागत सत्कार अभिनन्दन बहुत ही आत्मीय भाव के साथ किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. सुरेश देशमुख (संपादक- चंदैनी गोंदा एक सांस्कृतिक यात्रा) रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता- श्री प्रेमलाल पिपरिया (अध्यक्ष कूर्मि क्षत्रिय समाज भिलाईनगर) ने की। विशिष्ट अतिथि के रूप में श्रीमती सरला शर्मा (अध्यक्ष हिन्दी साहित्य समिति दुर्ग), डॉ सुधीर शर्मा (विभागाध्यक्ष, हिन्दी विभाग कल्याण महाविद्यालय भिलाई), सूफी हाजी डॉ. शाद बिलासपुरी (जनरल सेक्रेटरी हल्क ए अदब, दुर्ग) उपस्थित रहे। अपने स्वागत उद्बोधन में 'छन्द के छ' के संस्थापक श्री अरुण कुमार निगम ने अतिथियों का स्वागत सत्कार करते हुए छन्द के छ की यात्रा पर प्रकाश डाला और बताया कि 'छन्द के छ'अब एक साहित्यिक आंदोलन बन चुका है। प्रदेश के लगभग 200 से अधिक छन्द साधक छत्तीसगढ़ी भाषा साहित्य को समृद्ध करने निरन्तर अपनी कलम चला रहे हैं। 'छन्द के छ' की ब्लॉग छन्द खजाना में छन्द साधकों की लगभग दस हजार से अधिक छन्दबद्ध रचनाएं संग्रहित हो चुकी हैं। शुद्ध शिष्ट उत्कृष्ट रचनाओं का संग्रहण कार्य निरन्तर चल रहा है। छन्द साधक न केवल पद्य साहित्य की रचना कर रहे हैं बल्कि गद्य साहित्य की रचना भी कर रहे हैं जिसे गद्य खजाना नाम के ब्लॉग में संग्रहित किया जा रहा है। आगे उन्होंने कहा कि छन्दबद्ध रचनाओं की मंचों में उत्कृष्ट प्रस्तुति कैसे हो? इसके अभ्यास के लिए प्रति सप्ताह शनिवार और रविवार को 'छन्द के छ' की गोष्ठी वाली कक्षा में आनलाईन कविगोष्ठी आयोजित की जाती है। छ्न्द के छ की कक्षा में वरिष्ठ छन्द साधक गण गुरु की भूमिका में होते हैं और कनिष्ठ छन्द साधक गण शिष्य की भूमिका में होते हैं। इस तरह 'छन्द के छ' परिवार में गुरु शिष्य परम्परा का सुन्दर निर्वहन हो रहा है, जिसकी एक बानगी आज के इस आयोजन में भी देखी जा सकती है। पुस्तक विमोचन के क्रम में प्रथम "अमृतध्वनि" छन्द संग्रह का विमोचन हुआ जो सहसपुर लोहारा-कबीरधाम के श्री बोधन राम निषादराज "विनायक" की कृति है। इस कृति को प्रथम अमृतध्वनि छन्द संग्रह होने का गौरव प्राप्त हुआ। दूसरा छन्दबद्ध रचना संग्रह "छन्द संदेश"श्री जगदीश हीरा साहू भाटापारा की कृति का विमोचन हुआ और तीसरे क्रम में 255 प्रकार के छन्दों से सजी कृति साँची साधना "छंदामृत" का विमोचन हुआ जो श्रीमती इन्द्राणी साहू भाटापारा की संग्रहणीय और पठनीय कृति है।

                अतिथि उद्बोधन के पहले अजय अमृतांशु भाटापारा के शानदार संचालन में कोरबा के छन्द साधक जितेन्द्र वर्मा 'खैरझिटिया', जॉंजगीर चॉंपा के उमाकांत टैगोर,बलौदाबाजार के कौशल साहू, दिलीप कुमार वर्मा कबीरधाम के सुखदेव सिंह'अहिलेश्वर',ज्ञानु दास मानिकपुरी,अश्वनी कोसरे, हथबंद के चोवाराम वर्मा'बादल', भिलाई के बलराम चंद्राकर, शशि साहू, सिमगा के मनीराम साहू 'मितान' ने अपना-अपना छन्दमय काव्यपाठ किया। मुख्य अतिथि डॉ सुरेश देशमुख ने अपने उद्बोधन में छन्द के छ के इस कार्य की भूरी भूरी प्रशंसा करते हुए कहा कि आज के इस अनुशासन मुक्त दौर में अनुशासन में बंध कर उत्कृष्ट साहित्य का सृजन करना वाकई एक साधना है। निश्चय ही इससे साहित्य की कोठी समृद्ध होगी, हमारी ओर से सभी साहित्य साधकों को कोटि कोटि बधाई और शुभकामना है। विशिष्ट अतिथियों ने भी अपने अपने उद्बोधन में 'छन्द के छ' के इस साहित्यिक साधना व समर्पण को सराहा और अपनी अपनी शुभकामनाएं दीं। अतिथि उद्बोधन के साथ  प्रथम सत्र का समापन हुआ। सत्र अन्तराल में सभी ने छन्दबद्ध कृतियों से सजे किताब स्टाल से अपनी-अपनी पसंद की किताबें खरीदी और स्वादिष्ट भोजन का आनंद लिया। कार्यक्रम का द्वितीय सत्र कविगोष्ठी का था। क्रमश: जितेन्द्र वर्मा 'खैरझिटिया',ईश्वर साहू 'आरुग' गजराज दास महंत, ज्ञानु दास मानिकपुरी के संचालन में प्रदेश के लगभग 20 जिलों से आये 90 से अधिक छन्द साधक कवियों ने अपनी मनभावन प्रस्तुतियां दी। अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में श्री प्रेमलाल पिपरिया जी ने छन्द के छ के छत्तीसगढ़ी भाषा साहित्य के प्रति समर्पण और आदर भाव को खूब सराहा साथ ही उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं दी। कार्यक्रम का सफल संयोजन स्थानीय छन्द साधक श्री विजेन्द्र कुमार वर्मा, श्री बलराम चंद्राकर और श्री गजराज दास महंत ने किया।


-सुखदेव सिंह'अहिलेश्वर'


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