Tuesday 23 November 2021

छन्द के छ परिवार के जम्मो सम्माननीय,*


 

*"छन्द के छ परिवार के जम्मो सम्माननीय,*


पुरुषोत्तम ठेठवार जी, अजय अमृतांशु जी, श्लेष चंद्रकार जी, सुनीता कुर्रे जी, मोहनलाल वर्मा जी, गजानंद पात्रे जी, जुगेश बंजारे जी, सुमित्रा कामड़िया जी, द्वारिका प्रसाद लहरे जी, अनिल सलाम जी, मनीराम साहू जी, सुखदेव सिंह अहिलेश्वर जी, चोवाराम बादल जी, दिलीप कुमार वर्मा जी, पोखनलाल जायसवाल जी, कौशल कुमार साहू जी, जितेन्द्र वर्मा खैरझिटिया जी, नागेश कश्यप जी, राजेश कुमार निषाद जी, धनेश्वरी सोनी जी, मनोजकुमार वर्मा जी, रोशनलाल साहू जी, दुर्गाशंकर इजारदार जी, टाकेश्वर साहू जी, जगदीश हीरा साहू जी, अशोक कुमार जायसवाल जी, शशि साहू जी, बोधनराम निषादराज जी, गुमानप्रसाद साहू जी, आशा देशमुख जी, भागवत प्रसाद साहू जी, विजेन्द्र कुमार वर्मा जी, पद्मा साहू जी, विरेन्द्र कुमार वर्मा जी, नारायण प्रसाद साहू जी, अश्वनी कोसरे जी, चन्द्रहास पटेल जी, प्रिया देवांगन जी, देवचरण धुरी जी, तिलक लहरे जी, जितेंद्र कुमार साहिर जी, कमलेश माँझी जी, ज्योति गभेल जी, प्रदीप कुमार वर्मा जी, राजेन्द्र कुमार निर्मलकर, मिलन मलरिहा जी, सरस्वती चौहान जी, ओमप्रकाश साहू अंकुर जी, शिवप्रसाद लहरे जी, तेजराम नायक जी, वसुंधरा पटेल जी, भागबली उयके जी, महेंद्र कुमार घृतलहरे जी, भागवत प्रसाद चंद्रकार जी, संगीता वर्मा जी, कमलेश वर्मा जी, नीलम जायसवाल जी, अमृतदास साहू जी, नंदकुमार साहू नादान जी, अनुज छत्तीसगढ़िया जी, रामकली कारे जी, जितेंद्र निषाद जी, शुचि भवि जी, वसंती वर्मा जी, उमाकांत टैगोर जी, राधेश्याम पटेल जी, मोहनकुमार निषाद जी, लीलेश्वर देवांगन जी, महेन्द्र बघेल जी, मेनका वर्मा जी, रविबाला राजपूत जी, बलराम चंद्राकर जी, गजराजदास महंत जी, रमेश चौरिया जी, नमेंद्र कुमार गजेंद्र जी, दीपककुमार साहू जी, दीपककुमार निषाद जी, संतोष कुमार साहू जी, केतन साहू खेतिहर जी, केशव पाल जी, राकेशकुमार साहू जी, रामकुमार चंद्रवंशी जी, ज्ञानुदास मानिकपुरी जी, चित्रा श्रीवास जी, हेमलाल साहू जी, डी एल भास्कर जी, रमेशकुमार मंडावी जी, अशोक धीवर जलक्षत्री जी, आशुतोष साहू जी, देवेंद्र पटेल जी, मीता अग्रवाल जी, राजकुमार बघेल जी, बालक दास निर्मोही जी, शोभा मोहन श्रीवास्तव जी, नंदकिशोर साव जी, शेरसिंह परतेती जी!


परोन दिन ले सोचत हँव कि आप मन के मया बर का लिखँव ? छत्तीसगढ़ अउ छत्तीसगढ़ी मा मया के प्रत्युत्तर मा "जुग-जुग जीयव", "खुश रहव" अइसने शब्द अउ भाव प्रकट करे के परम्परा हवय। नवा युग मा ये परम्परा नँदावत हे। अब धन्यवाद, आभार, थैंक यू कहे के अउ त अउ Tnx लिखे के चलन बाढ़ गेहे। इही पायके जुन्ना परम्परा मा आप मन *जुग-जुग जीयव, खुश रहव अउ दिनोदिन उन्नति करके सुग्घर नाम कमावव*, अइसने आशीष देवत हँव। नवा चलन मुताबिक आप मन के हिरदे ले आभार, धन्यवाद अउ थैंक यू घलो बोलत हँव। हाँ, Tnx ला छोड़त हँव, ये बहुते छोटे लागथे। छत्तीसगढ़िया मन कतको छोटे घर रहय फेर अँगना, बारी समेत हेरफेर मा रहे के आदी होथें।तरिया अउ नदिया मा डुबक-डुबक के नहाथें। मूड़ी ऊपर अनंत-अगास अउ गोड़ तरी अपन-भुइयाँ होथे, तभे उदारमना होथें। शहर अउ महानगर के मनखे मन अपार्टमेंट मा बन्दी बरोबर रहिथें। अँगना, बारी, नदिया,तरिया ला उन मन नइ जानँय। कबूतर खाना जइसन फ्लैट के रहवइया, नानकुन बाथरूम मा एक बाल्टी पानी मा नहाने वाला मन के सोच घलो वइसने बन जाथे तभे मॉम, डैड, ब्रो, सिस, tnx जइसन शब्दकोश मा जिये बर मजबूर हो जाथें। कीमत मा फ्लैट, कतको महंगी रहय फेर न मूड़ी ऊपर अगास होथे अउ न गोड़ तरी भुइयाँ। पथरा-सीमेंट के छत, सेरेमिक टाइल्स के फरर्स अउ पथरा-सीमेंट के दीवाल - अब अइसन जघा मा मया कइसे उपजही? मनखे हो चाहे रुखराई - उपजे अउ बाढ़े बर अगास अउ भुइयाँ दुनों चाही।


सुविधा अउ आधुनिकता के अति मा प्रदूषण बाढ़गे। धुर्रा, धुँआ, केमिकल, फोर-जी अउ फाइव-जी के टॉवर के खतरनाक तरंग मनखे त मनखे चिरई-चिरगुन तको बर घातक साबित होगे। कहे के मतलब वातावरण प्रदूषित होगे। एकरे कारण सामाजिक, राजनैतिक अउ साहित्यिक वातावरण तको प्रदूषित होगे। महूँ साहित्यिक वातावरण के घुटन ला महसूस करे हँव। 


*मोर मन मा एक विचार आइस कि जब इही वातावरण मा जीना हे तब अपन बर एक "सुरक्षा-कवच" बनाना चाही जेमा आरुग-मया हो, श्रद्धा हो, स्नेह हो, आदर-भाव हो, मान-सम्मान हो, निर्मल हवा अउ पानी हो। इही विचार "छन्द के छ" के जनक बनिस अउ "छन्द-ज्ञान" हर माध्यम बनगे।*  09 मई 2016 के एक नवा साहित्यिक दुनिया बनिस जेमा 10 झन परिंदा मन आइन। धीरे-धीरे नवा-नवा परिंदा मन आइन अउ ये नवा दुनिया के आकार बाढ़त गिस। कुछ परिंदा मन चमक-दमक के माया मा अरझ के 4-G, 5-G के दुनिया मा लहुट गिन अउ कतको मन इहाँ हमेशा-हमेशा बर बसगें। आरुग-मया मा सादगी होथे, चमक-दमक नइ होवय फेर एक दिन ये आरुग-मया अइसन चमत्कार कर देथे कि इहाँ के रहवइया मन के प्रतिभा सुरुज असन दमक जाथे अउ सरी दुनिया वोला देखके आँखी अउ मुहूँ फाड़ के देखथे। 


ये काल्पनिक बात नोहय। मनीराम साहू जी के प्रबंध-काव्य "हीरा सोनाखान के", "महापरसाद", चोवाराम बादल जी के छन्द-संग्रह  "छन्द बिरवा", जगदीश हीरा साहू जी के मनका "सम्पूर्ण रामायण", छन्द-संग्रह "छन्द-संदेश", रामकुमार चंद्रवंशी जी के "छन्द-संदेश", रमेश चौहान जी के दोहा के रंग, आँखी रहिके अँधरा, "छन्द के रंग", "छन्द-चालीसा" अउ पाइप-लाइन मा प्रकाशन बर बाट जोहत अनेक पाण्डुलिपि मन साक्षात प्रमाण आँय। छत्तीसगढ़ी के संग हिन्दी के सेवा तको होवत हे। महेंद्र देवांगन माटी जी के किताब "छत्तीसगढ़ के तीज-तिहार", कन्हैया साहू अमित जी के "कविताई कैसे करूँ", चोवाराम बादल जी के "कुण्डलिया किल्लोल" अउ "जुड़वा बेटी"(गद्य) ज्वलंत उदाहरण हें। यूट्यूब मा गजानंद पात्रे जी,  द्वारिकाप्रसाद लहरे जी, बृजलाल दावना जी, पुरुषोत्तम ठेठवार जी, जितेंद्र वर्मा खैरझिटिया जी, सुखदेव अहिलेश्वर जी, अश्वनी कोसरे जी, मिलन मलरिहा मन अपन प्रतिभा ला दर्ज करावत हें। संस्कृत मा रावण रचित शिव तांडव स्त्रोत के छत्तीसगढ़ी मा भावानुवाद करके आशा देशमुख जी न केवल छन्द के छ के उपयोगिता ला प्रमाणित करिन बल्कि यहू साबित करिन कि छत्तीसगढ़ी कतका समृद्ध भाषा आय। ये पहिली अवसर हे कि छन्द के छ के कोनो साधक के रचना के "डिमाण्ड" कोनो स्थापित कलाकार द्वारा करे गेहे। 5 साल के छोटे अवधि मा ऊपर लिखे जम्मो उपलब्धि मोर जीवन काल मा अउ कहूँ देखे मा नइ आइस। 


ये सब ले बढ़के जउन खास बात हे, वो ये हे कि "छन्द के छ" परिवार के हर सदस्य प्रदूषण-मुक्त दुनिया मा जीयत हें। हर सदस्य "बाँटना" जानथे। कोनो बटोरे बर नइ जाने। आप मन के इही विशेषता अउ उदारता हर मोर जइसे साधारण ला असाधारण बना दिस। मोला लागथे कि शायद मोर असन हर साधक अइसने सोचत होही। ये परिवार के हर साधक साधारण हो के घलो "असाधारण" हे। आपस के दया-मया अउ त्याग-समर्पण दिनोदिन बाढ़य, इही शुभकामना के साथ……..


*अरुण कुमार निगम*

🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏


No comments:

Post a Comment