Saturday 26 August 2023

दीया बाती अउ तेल ( लघु कथा )

 दीया बाती अउ तेल

                      ( लघु कथा )

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        एक दिन दिया बाती अउ तेल के बीच झगड़ा मच गे। दीया कथे मेहा तुंहर दोनों कोई ले बड़े आवँ।

पूरा घर मोर ले अंजोर होथे। मोर बिना तुंहर मन के कोई कीमत नइ हे। तुमन दोनों कोई ला मोर सेती सम्मान मिलथे। दीया के बात ला सुनिस ताहन बाती के एड़ी के रिस तरवा मा चढ़गे, अउ कहे लगिस जब अइसन बात हे तब मोर बिना तेहा बर के बता।मोर बिना तेल घलो काय कर लिही। मेहा बरथों तब घर अंजोर होथे कोनो मेहा बरे बर छोड़ दुहुँ ते तुमन कइसे अंजोर करथो तेला देखथों। दीया अउ बाती के बात ला तेल हा चुप्पे सुनत रहय। फेर वहू हा कतका बेर ले चुप रही। सुनत भर ले सुनिस ताहन वहू बोले ल लग गे।मोर बिना तुम दोनों कइसे बरहु तेला महू देखथों कहिके तेल हा अनशन में बइठ गे।संझा बेरा होइस ताहन कुम्हारिन दीया ला लाय बर गिस त वोहा रिसाय बइठे रहय। वोखर रूप रंग ला देख के कुम्हारिन कथे का होगे दीया, त दीया कथे  मोर बिना बाती अउ तेल दोनों के दाल नइ गलय। मेहा दोनों कोई ला अपन कोरा मा राखथों तब घर अंजोर होथे। जा बाती अउ तेल कर उही दोनों कोई बरही मोर जरूरत नइहे। कुम्हारिन बिचारि बाती के तीर जाथे , त बाती घलो हर्रस ले गोठियाथे। जा मेहा नइ बरवँ उही मन बरही।अब काय करय कुम्हारिन हा तेल के तीर मा जाथे त  तेल घलो अंटियाय असन गोठियाथे अउ कथे मोर बिना तो उंखर काम चल जाही का । जाय बरे दीया अउ बाती हा। मोला नइ बरना हे। उंखर तीनो के गोठ ला सुनके कुम्हारिन चुपचाप अंधियार मा बइठे राहय। कुम्हार हंडिया तौली बेंच के बजार ले अइस अउ अंधियार मा कुम्हारिन ला बइठे देख के अकचका के पूछिस, का बात होगे नोनी के दाइ चुपचाप अंधियार मा बइठे हस।दीया बाती घलो नइ जलाय हस।भात साग घलो नइ चूरे हे। कुम्हारिन कथे काला बतावँसंझा बेरा दीया कर गेवँ त वो अपन मुहू फुलाय हे, बाती कर गेवँ त वो अपन मुहु फुलाय हे, अउ तेल तीर मा गेवँ त वहू वइसने बइठे हे। अउ महू बइठे हों अंधियार मा भात साग घलो नइ रांधे हों। वोखर बात ला सुन के तीनों कोई ल बुलाइस अउ पूछिस।वोमन अपन अपन बात ला बताइस। कुम्हार ल उंखर बात  समझत देरी नइ लगिस।अउ समझाय ल लगिस, देखो नोनी बाबू हो ये दुनिया मा कोनो कखरो ले बड़े नइ होवय। अपन अपन जगा मा सब दूसर ले बड़े होथे।सब एक दूसर ले सहयोग लेथे तब दुनिया के काम चलथे।तुमन अपन अपन ले अंटियाहु त कहाँ ले काम बनही। एक के काम ला दूसर कोनो नइ कर सकय। सबला मिलजुल के करना पड़थे।कुम्हार के बात ल सुनके उंखर मन के रिस उतर गे। ताहन कुम्हारिन हा दीया जलाके साग भात रांधिस अउ खा के सूत गे। मोर कहानी पुर गे।


कुलदीप सिन्हा "दीप"

कुकरेल ( सलोनी ) धमतरी

23 / 08 / 2023

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