Monday 18 December 2023

मील के पथरा बनही महाकाव्य श्री सीताराम चरित


 मील के पथरा बनही महाकाव्य श्री सीताराम चरित


           प्रभु श्रीराम के जीवन गाथा ला सबले पहिली आदिकवि बाल्मीकि संस्कृत म लिखिन। 16 वीं सदी मा महाकवि तुलसीदास जी रामचरित मानस ला अवधि मा लिख के जन जन म लोकप्रिय कर दिन। येकर अलावा सैंकड़ों के संख्या मा कई भाषा मा रामायण लिखे गिस। छत्तीसगढ़ी भाषा मा घलो ये उदिम होइस । छत्तीसगढ़ी भाखा म कपिलनाथ नाथ कश्यप सहित कुछ अऊ लेखक मन के रामायण आ चुके हव फेर वोमा छन्द के अभाव रहिस। परंतु बादल जी के महाकाव्य पूर्णतः छन्दबद्ध अउ व्याकरण के दृष्टिकोण ले पूर्णतः परिमार्जित हवय।  

          ये महाकाव्य मा कुल 9 सर्ग (पूजा के फूल) हवय जेमा श्रीराम जन्म से लेके रावण के वध अउ श्रीराम के राज्याभिषेक तक के संपूर्ण घटना के चित्रण हवय। महाकाव्य के आधार छंद दोहा अउ चौपाई हवय। कुल 98 प्रकार के छन्द के प्रयोग ये महाकाव्य मा होय हवय । मानस मर्मज्ञ बादल जी के अथक मेहनत अउ भागीरथ प्रयास ये महाकाव्य मा साफ दिखाई देथे। महाकाव्य के शुरुवात गणपति वंदना से होथे। तदुपरांत श्रीराम, हनुमान,माता सरस्वती,भोलेनाथ,आदि शक्ति मां दुर्गा,अउ गोस्वामी तुलसीदास जी के वंदना हवय। महाकाव्य मा रामायण के संपूर्ण घटनाक्रम के चित्रण करत श्रीराम के राज्याभिषेक के संग महाकाव्य के समापन करे हवय। मर्मस्पर्शी चित्रण होय के कारण पाठक शुरू ले अंत तक भावुक होके येला पढ़ही। 

            महाकाव्य 309 पेज के हवय जेमा कुल 98 प्रकार के  छंद - दोहा,सोरठा,चौपाई,अनुष्टुप छंद, अमृतध्वनि,कुण्डलिया,त्रिभंगी,आल्हा, ताटक,रूपमाला,हरिगीतिका,सरसी, कामरूप,जनक,सार छंद,उल्लाला,पद पादालुक,जयकारी,प्रमाणिका,आनंदवर्धक,वीर छंद, कज्जल,शक्ति,विधाता,कुकुभ, लावणी, मंगलवत्थु,मधु वल्लरी, बरवै, त्रिभंगी, शार्दुल विक्रडीत,विष्णुपद,मधु मालती,रोला,शंकर छंद,जयकारी छंद,वसंत तिलिका,डिल्ला,मालिनी,शोभन, भुजंग प्रयात,पुनीत,कुण्डल, हाकलि,रास, 

राधिका,मनोरम,मुक्तामणि छंद,शुद्ध गीता,शिव छंद,तोटक,सिंधु छंद,सुखदा छंद,गोपी,गगनांगना छंद,दिगपाल,मानव, चण्डीका,त्रिलोकी छंद,अखण्ड छंद,अनुगीत, विंध्वकमाला,वंशस्थ, कामना,वर्णिक, राधिका, तोमर,निश्छल,दीप, आनंदवर्धक, सुगति,श्रृंगार, पद्धरी छंद, डिल्ला, छप्पय, विजात छंद,त्रोटक, अरिल्ल,तामरस छंद,शशि वंदना, तोमर,गीतिका,उपजाति, भुजंगप्रयात वर्णिक छंद के अलावा 

मनहरण घनाक्षरी,रूप घनाक्षरी बउरे गे हवय। सवैया में -दुर्मिल,मदिरा, बागीश्वरी,अरविंद सवैया, सुन्दरी,मुक्तिहरा, मत्तगयन्द,सर्वगामी,सुमुखी,चकोर, महाभुजंगप्रयात, मोद,वाम, मत्त्त, अरसात अऊ सुखी सवैया कुल 12 प्रकार के सवैया के सुग्घर प्रयोग हवय।

             महाकाव्य के भाषा सरल अऊ बोधगम्य हवय। रस छन्द अउ अलंकार के प्रयोग ले महाकाव्य के खूबसूरती म चार चाँद लगगे हवय। घटना के कलात्मक चित्रण मा बादल जी माहिर हवय। बादल जी के ये अनुपम कृति छत्तीसगढ़ी साहित्य मा अपन अलग स्थान बनाही। ये महाकाव्य मा अतेक अकन छंद के प्रयोग करके छत्तीसगढ़ी साहित्य ला पोठ करे के सुग्घर उदिम बादल जी करे हवय। छत्तीसगढ़ी म प्रकाशित उत्कृष्ट महाकाव्य खातिर बादल जी ला अंतस ले  बधाई अऊ शुभकामना।


कृति  -   श्री सीताराम चरित

लेखक -  चोवाराम वर्मा 'बादल'

प्रकाशक -शिक्षादूत ग्रंथागार प्रकाशन,

              नई दिल्ली

समीक्षक -अजय अमृतांशु

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