Monday 18 December 2023

मान* (नान्हें कहानी)

 *मान* (नान्हें कहानी)


जमील सेठ एतराब के बहुत बड़े वनोपज अउ अनाज के बैपारी रहय।चार पांच बच्छर पहिली परदेस ले आइस अउ बनेच गिराहिकी जमा डरिस।जिनिस के रेट बने देवय फेर काकरो ऊपर चार आना के विश्वास नी करय।अपन नौकर चाकर मन ऊपर घलो ओला भरोसा नी रहय।घेरी बेरी समान ल तौलावय।अपन आंखी में नजर भर देखय तभे पतियावय। रामलाल ओकर पोगरी गिराहिक रहय।सबर दिन के लेन देन चलत रहय।

एक दिन के बात आय। रामलाल कना हाट जाए बर नगदी पैसा नी रिहिस।एक झोला धान ला कोठी ले निकालिस अउ साइकिल के हेंडिल में अरो के जमील सेठ के दुकान पहुंचिस।जय जोहार अउ एती ओती के गोठ बात करत रामलाल के धान तउलागे।ओकर बाद जमील सेठ रामलाल ला सौ के नोट देवत किहिस-रामलाल भाई तोर धान के पैसा चार कोरी सत्रह रु बनत हे।तीन रु धरे होबस त दे। रामलाल किहिस-में तो जुच्छा हाट आय हंव सेठ!!पैसा धरे रतेंव त धान ला काबर बेंचतेंव। ले तोर तीन रुपिया ला हाट ले समान बिसा के लहुटत खानी अमर देहूं।

जमील सेठ किथे-बन जही रामलाल भाई!!फेर तोर गमछा ला छोड़ दे रतेस त बने होतिस।लहुटत खानी सुरता आ जतिस।

जमील सेठ के गोठ ला सुन के रामलाल ला गुस्सा आगे।ओहा जमील सेठ ला ललकारत किहिस-वा रे परदेसिया सेठ!!तोर दुकान मा तीन रुपिया बर में अपन सम्मान ला गिरवी रखंव।तें लेन देन करे के बाद चार दिन बाद पैसा देहूं केहेस कतको घांव।हम भरोसा करेन।अउ तें तीन रुपिया बर मोर गमछा रखबे।जा लान मोर धान ला तौल के वापस कर।सौ के नोट ला ओकर थोथना में फेंकत किहिस-मोला अपन इज्जत प्यारा हे!तोर पैसा ला तोर खींसा में राख!!!

अतका काहत नौकर कना गिस अउ अपन धान ला तौला के रामलाल झोला में धरिस अउ चलते बनिस।

जमील सेठ मुॅंहू फार के देखत रहिगे।


रीझे यादव

टेंगनाबासा (छुरा)

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