Sunday 9 June 2024

रूपिया के दुख

 रूपिया के दुख


पहिली घाँव रूपिया ला रोवत देखिन लोगन । जंगल म आगी लगे जइसे खबर बगरगे ।   कतको झिन ला विश्वास नइ होइस । सचाई जाने बर कतको मनखे बेचेन होए लागिन । सरी दुनिया ला अपन तमाशा अउ करतब ले रोवइया ल ....उदुप ले रोवत सुनना अउ देखना अचरज अउ सुकुरदुम होए के विषय रिहिस । जम्मो सोंचे लागिन काबर रोवत होही रूपिया हा ....? काए बिपत्ती परे हे ओकर उप्पर । सकलागे उही जगा म कतको मनखे । रूपिया ला मुहुँ तोपे देख … पूछे लागिन । एक झिन किहिस - काए पिरावत हे तेमा .. डेंहक डेंहक के रोवथस ? रूपिया रोतेच रहय । बड़ किरोली के पाछू तैयार होइस बताए बर । रूपिया हा केहे लागिस - मोला गिर गे .... गिर गे ..... कहि के घेरी बेरी बदनाम करथव अउ पूछे ला घला आथव ? तूमन ला थोरको लाज शरम नइये ? जम्मो सकलाये मनखे मन हाँसिन अऊ केहे लागिन - हमन तोर संग कहीं कुछु होगिस होही सोंच के आए हाबन । गिरथस तेला.. गिर गे केहे म.. काए लाज ? ऐमे रोए के का बात हे । रूपिया किथे- उहीच ल बतावत हँव भई । मेंहा गिरत रहिथँव फेर उठत घला रहिथँव का ...... ? आज तुँहरे संगवारी हा गोठ गोठ में मोला ..... नेता कस गिर गे रूपिया हा ...... कहि के बदनाम कर दिस । इही बात हा मोर छाती म बाण मारे कस लागिस ।ओकरे पीरा के मारे बेचेन हो के रोवत हँव ।

एक झिन किथे -बने तो किहिस । तेंहा वाजिम म नेता कस गिरथस ..... ऐमे गलत कहींच निये । रूपिया हा अउ गोहार पार के दंड पुकार के रोए लागिस । लोगन मन ब‌ड़ समझइस । थोरकिन बेरा म शांत होए के पाछू भावुक होके रूपिया हा केहे लागिस - मोला चाहे चोट्टा मन कस गिरे समझ लौ ..... चाहे बईमान कस .... चाहे बईजात कस .... चाहे झुठल्ला धोखाबाज लबरा कस गिरे समझ लौ .... फेर नेता कस गिरे झिन समझौ । चोट्टा कभू न कभू पछताथे । बईमान ल ओकर हिरदे कभू न कभू धिक्कारथे। बईजात सतसंगत के असर म कभू न कभू सुधरीच जथे। अउ झुठल्ला धोखाबाज लबरा मनखे .. सजा पाके फेर सोज रद्दा मरेंगे ल धर लेथे । फेर कोन जनी नेता ला कते माटी म गढ़हे हे भगवान घला । न वोहा कभू पछताए । न होकर हिरदे ओला कभू धिक्कारे । न कभू सतसंग के असर म सुधरे । न सजा पाके लबारी मरई अउ धोखा देवई बंद करय । 

 रूपिया हा मनखे मन ला अपन जान के बताये लागिस - मेंहा गिरथों जरूर फेर उठ घला जथँव । अउ ये नेता मन केवल गिरथें .. उठे निही । अइसन मन संग मोला संघेरहू त मोर हिरदे म कतका छेदा होए होही अउ ओहा कतका पिरावत होही तेला मिही जानहूँ । इही क्लेश मोला रोवावत हे । एक ठिन बात अऊ बतावँव ...... मेंहा गिरँव निही बलकी गिराए जाथँव । तभो ले .. गिरत गिरत घला .. मोला गिरवइया के भला घला कर देथँव। जबकि नेता मन अपन ले गिरथें अउ जतका घाँव गिरथें.... अपनेच सुख बर गिरथें अऊ दूसर ल दुख पहुँचाए बर गिरथें । जेमन सत्ता के खुरसी ऊप्पर गिरथें तेमन देश ला फोंगला करथें । जेमन धरम के खुरसी म गिरथें तेमन जनता के आस्था ल मुसेट के मार डारथें ।जेमन समाज के खुरसी म गिरथें तेमन भई भई ला लड़ाथें घर घर ल टोरथें । में कोन्हो ला गिरावँव निही हमेशा उठाथँव .... खड़ा करथँव । फेर येमन कोन्हो ला उठाए निही केवल उठाए के नाटक करथें । एमन कोन्हो ला खड़ा होवन नइ दे । अउ उठाथें केवल गिराए के मजा ले खातिर । एक ठिन बात अउ .... में गिरथँव त बड़ मुश्किल ले चलथँव ...... फेर ये मन जतका गिरथें ततके जादा चलथें ।  

एक झिन किथे - अइसन म तोला खुश होना चाहि के तोर तुलना अतका चलने वाला मनखे संग होवत हे । उहू बड़े ..... तहूँ बड़े । रूपिया किथे - निही भई में बड़े नोहों । में छोटे ले छोटे मनखे के पछीना के गरमी ले उपजे हँव। अउ येमन एसी कूलर के ठंडा म जनम धरे मनखे आए । एक झिन मनखे हा फेर चुट ले मारिस - फेर तिहीं ह येमन ल अउ बड़े बनाए हाबस जी । रूपिया किथे- में कहाँ बड़े बनाए हँव । एमन ला तुँहर वोट के ताकत बड़े बनइस । एक झिन सुजान मनखे किथे - फेर ये वोट तोरे हिम्मत ले खरीदे अऊ बेंचाथे यार । रूपिया बड़ दायसी ले केहे लागिस -ये सोलह आना सच आए । मोरे ताकत अउ हिम्मत ले येमन वोट ल खरीदथें अऊ खुरसी पाके अपन स्वार्थ पूरा करथें । फेर यहू गोठ ओतके सच आए के .. बेंचाये अऊ बिसाये के बूता ल येमन अपन संग मोला गिरा के करथें । जे खुद नइ गिर सकय अऊ मोला गिरा नइ सकय अऊ मोला गिरत नइ देख सकय ...... वो मनखे वोट नइ खरीद पाय अउ राज नइ कर सकय । 

थोकिन पानी घुटकके लम्भा साँस भरत रूपिया केहे लागिस - एक आखिरी बात अऊ बतावत हँव ....... मेंहा जेकर संग रेंगथँव या चलथँव तेकर उद्धार कर देथँव जबकि ये मन जेकर संग रेंगथे या चलथे तेकरे गोड़ ल टोर के खोरवा लंगड़ा बना देथे । में जेकर पीछू रहिथँव या परथँव तेला मंडल अऊ धनवान बना देथँव अउ एमन जेकर पीछू परथें तेकर दुर्दशा निश्चित हे .... वोला स्वर्गवासी बनाके दम लेथें । अइसन संग मोला काबर संघेरथव ?  ये हा न्याय आए का ?

रूपिया बड़ गोठिया पारिस । दूसर दिन समाचार म छपगे । नेता मन भड़कगे । बइठका सकलागे । निंदा प्रस्ताव पास होगे । रूपिया के बहिष्कार कर दिन । थोरकुन दिन म ... ये रूपिया नंदागे अउ चलन ले बाहिर होगे । एकर जगा करिया रूपिया ( काला धन ) प्रचलन म आगे ।

      हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन , छुरा .

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