Sunday 25 February 2024

21 फरवरी - अंतर्राष्ट्रीय महतारी भाषा दिवस म विशेष साहित्य म नारी शक्ति के योगदान

 21 फरवरी -  अंतर्राष्ट्रीय महतारी भाषा दिवस म विशेष 


साहित्य म नारी शक्ति के योगदान 


महतारी भाषा ह दाई के दूध कस अमरीत बरोबर होथे। अपन भाषा म गोठियाय अउ लिखे ले वो भाषा ह समृद्ध होथे। अपन महतारी भाषा म गोठियाय अउ लिखे ले हिरदे ल

जउन उछाह मिलथे वोहा आने भाषा म नइ मिलय। आने भाषा ल सीखना बने बात हे पर अपन महतारी भाषा ल कभू नइ भूलना चाही। जउन मन अपन महतारी भाषा ल भुला जाथे वोमन धीरे ले अपन संस्कृति, संस्कार अउ सभ्यता ले घलो दूर हो जाथे। महान साहित्यकार भारतेन्दु हरिश्चन्द्र अउ राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के संगे संग कतको महापुरुष अउ बुधियार साहित्यकार मन महतारी भाषा म शिक्षा देय के समर्थन करे हावय। जउन

भाषा ल नइ बउरे जाय वोहा एक न एक दिन नंदा जाथे। 



साहित्य ल समाज के दर्पन कहे जाथे। साहित्य के बारे म कहे गे हावय कि तोप अउ तलवार ले जादा साहित्य म जादा सक्ति होथे।  वो देस मुर्दा जइसे होथे जिहां साहित्य नइ हे।  इतिहास ले जानकारी होथे कि साहित्य अउ अखबार के बदउलत कतको देस के बेवस्था म बदलाव घलो होय हे। साहित्य म सबके हित छुपे रहिथे। जउन साहित्य म सुघ्घर संदेश रहिथे उही ह निक साहित्य हरे। जउन साहित्य ह लोगन मन ल बुराई डहन ढकेल देथे वोहा उथला साहित्य माने जाथे। 

   साहित्य  म पुरुष मन के संगे -संग नारी शक्ति के अब्बड़ योगदान हावय। नारी शक्ति मन अपन निक लेखनी ले साहित्य जगत  ल समृद्ध करे हावय। एक कोति नारी शक्ति मन कतको सामाजिक बुराई मन उपर कलम चलाके समाज अउ देस ल सुधारे बर सुघ्घर उदिम करे हावय त दूसर कोति स्त्री विमर्श पर कलम चला के नारी समाज के दयनीय दसा ल सुधारे बर समाज अउ देस के मुखिया मन के आंखी ल उघारे के काम करे हावय। त आवव वो नारी शक्ति मन के सुरता करथन जउन मन अपन कलम के ताकत दिखाय हे। जिंकर मन के लेखनी ह समाज अउ देस के बेवस्था ल बदल दिस। जिंकर मन के सुघ्घर लेखनी ले साहित्य के ढाबा ह लबालब भरे हावय।


    कृष्ण प्रेम म डूबे मीरा बाई के गिनती हमर देस के महान महिला साहित्यकार म होथे।  मीरा बाई भक्ति काल के कृष्ण भक्ति शाखा के प्रमुख रचनाकार म सामिल हे।महान संत रैदास उंकर गुरु रिहिन। भगवान कृष्ण उपर कतको पद के रचना करिन हे। नरसी जी का मायरा उंकर आख्यानक काव्य हरे। उंकर रचना म गीत गोविंद टीका,रंग गोविंद,राग सोरठ ( पद संग्रह) सामिल हे।सरोजिनी नायडू ह अंग्रेजी म रचना करिन। उंकर सुघ्घर रचना खातिर महात्मा गांधी जी ह वोला "भारत कोकिला" के उपाधि ले सम्मानित करिन।

अमृता प्रीतम हिंदी अउ पंजाबी म अपन लेखनी लेअपन एक अलग छाप छोड़िस।उंकर" पिंजर में " कहानी म भारत के बंटवारा के समय के स्थिति के मार्मिक बरनन करे गे हावय। शिवानी के उपन्यास अउ कहानी म कुमाऊं अंचल के संस्कृति झलकथे।


   आधुनिक मीरा के नांव ले प्रसिद्ध महादेवी वर्मा के गिनती छायावाद के  चार प्रमुख रचनाकार के रूप म होथे।उंकर रचना म  नीहार, रश्मि,नीरजा,आत्मिका, परिक्रमा,संधिनी, यामा,गीत पर्व,दीप गीत, स्मारिका, नीलांबरा के अब्बड़ सोर हे। उंकर निबंध म भारतीय संस्कृति के स्वर संकल्पिता, संस्मरण म " पथ के साथी", रेखा चित्र म " अतीत के चलचित्र",सुभद्रा कुमारी चौहान के रचना( आख्यानक काव्य)- खूब लड़ी मर्दानी वह तो झांसी वाली रानी थी.... के सुघ्घर सोर बगरे हे। उंकर कहानी म बिखरे मोती,उन्मादिनी अउ काव्य रचना म मुकुल, त्रिधारा सम्मिलित हे।अइसने बंग महिला ( दुलाईवाली),महाश्वेता देवी, मन्नू भंडारी के उपन्यास म एक इंच मुस्कान,आपका बंटी,महाभोज अउ स्वामी अउ कहानी म मैं हार गई,रानी मां का चबूतराअउ आत्मकथा म "एक कहानी यह भी") के सोर होइस।

।शोभा डे, मृणाल पांडे( कहानी -एक स्त्री का बिदा गीत, शब्द बेधी,दरम्यान)मृदुला गर्ग, मृदुला सिन्हा के उपन्यास ज्यों मेंहदी के रंग,अंजुम हसन,इंदिरा , कृष्णा अग्निहोत्री,चित्रा मुद्गल( कहानी- जहर ठहरा हुआ), बंग महिला ( दुलाईवाली), सूर्यबाला ( गृह प्रवेश),शिवानी (लाल हवेली), कृष्णा सोबती ( सिक्का बदल गया),  उषा प्रियंवदा ( वापसी), ममता कालिया,डा. वीणा सिन्हा, मैत्रेयी पुष्पा यात्रा वृत्तांत- अगन पांखी, कहानी -अब फूल नहीं खिलते),इंदिरा मिश्रा, इंदिरा राय, डा. कृष्णा अग्निहोत्री ( जीना मरना), वासंती मिश्रा ( मेरी स्मरण यात्रा), मालती जोशी,मेहरून्निसा परवेज,अनिता सभरवाल, उर्मिला शिरीष,स्वाति तिवारी,रेखा कस्तवार,अल्पना मिश्रा, 


इस्मत चुगताई,निर्मला देशपांडे,सुनीता देशपांडे,लीला मजूमदार, अरूंधति राय, तसलीमा नसरीन , शम्पा शाह, वंदना राग, मनीषा कुलश्रेष्ठ, इंदिरा दांगी जइसन कतको विदुषी साहित्यकार मन के सुघ्घर लेखनी के कारन साहित्य जगत म अब्बड़ पहिचान हावय।


 हमर छत्तीसगढ के नारी शक्ति मन  पोठ लेखनी के माध्यम ले साहित्य जगत म अपन एक अलगे पहिचान बनाय म सफल होय हे। छत्तीसगढ़ के सोना बाई के नांव ले प्रसिद्ध डा.निरुपमा शर्मा हमर छत्तीसगढ के पहिली कवयित्री माने जाथे।उंकर कविता  संग्रह म "पतरेंगी" रितु बरनन, दाई खेलन दे अउ" बूंदो का सागर" सामिल हे।  निबंध संग्रह म इन्द्रधनुषी छत्तीसगढ़, डा. सत्यभामा आडिल ह छत्तीसगढ़ी अउ हिंदी म दूनों म कलम चलाय हे। उंकर छत्तीसगढ़ी काव्य संग्रह म गोठ,ठीहा, रतिहा पहागे अउ हिंदी काव्य संग्रह म नर्मदा की ओर,काला सूरज, नि: शब्द, उपन्यास म प्रेरणा बिंदु से निर्वेद तट तक, यात्रा कथा म पहाड़ की ढलान से समुंद्र की सतह पर , रेडियो रूपक म एक पुरुष , चंपू काव्य म दस्तक देता सूरज सम्मिलित हावय।


डा . सुधा वर्मा ह छत्तीसगढ़ी अउ हिंदी म पोठ साहित्य के रचना करे हावय। उंकर छत्तीसगढ़ी रचना मन म उपन्यास - बन के चंदैनी, तरिया के आंसू,  काव्य संग्रह म कइसे हस धरती, कहानी संग्रह म धनबहार के छांव म, निबंध संग्रह म बरवट के गोठ,परिया धरती के सिंगार अउ तरिया के आंसू, नाटक म श्रीरामचरितमानस सामिल हावय। आप मन अरबी लोककथा के अनुवाद करे हौ। हिंदी काव्य संग्रह म क्षितिज के पार,नदी के किनारों का परिणय, कहानी संग्रह म मुन्नी का पौधा, संस्मरण म" वे दिन भी अपने थे," चित्रकथा म डा. खूबचंद बघेल, छत्तीसगढ़ अउ हिंदी काव्य संग्रह म कोख म बसेरा के सुघ्घर सोर बगरिस। देशबंधु के मड़ई अंक के संपादक हौ।


शरला शर्मा के  छत्तीसगढ़ी अउ हिंदी  म दर्जनभर रचना प्रकाशित हो चुके हे। उंकर छत्तीसगढ़ी रचना म  -आखर के अरघ ( निबंध),  सुन संगवारी ( कविता, कहानी, निबंध), सुरता के बादर ( संस्मरण), माटी के मितान ( उपन्यास) अउ हिंदी म पंडवानी और तीजन बाई ( व्यक्ति परिचय), बहुरंगी ( निबंध संग्रह), वनमाला ( काव्य संग्रह) अउ कुसुमकथा ( उपन्यास) जइसे पोठ साहित्य हे। 

शकुंतला तरार ह  त्रैमासिक पत्रिका नारी संबल के संपादन करिन। नव साक्षर मन बर लघु पुस्तक बन कैना अउ "बेटिया छत्तीसगढ़ की" प्रकाशित होइस। उंकर हिंदी काव्य संग्रह के नांव "मेरा अपना बस्तर"हे।



शकुंतला शर्मा छत्तीसगढ़ी के संगे संग हिंदी म अब्बड़ कलम चलाय हे। उंकर छत्तीसगढ़ी काव्य संग्रह म चंदा के छांव म,चन्दन,कोसला,  महाकाव्य म कुमार संभव, लघुकथा म करगा, छंद काव्य संग्रह म "छंद के छटा "अउ गजल संग्रह म बूड़ मरय नहकौनी दय के सुघ्घर सोर हे। आप मन के हिंदी म दर्जनभर के करीब काव्य संग्रह, बेटी बचाओ, महाकाव्य अउ निबंध संग्रह प्रकाशित हो चुके हे।

शकुंतला वर्मा के "छत्तीसगढ़ी लोक जीवन और लोक साहित्य का अध्ययन",( शोध ग्रंथ),संतोष झांझी के हिंदी काव्य संग्रह म हथेलियों से फिसलता इन्द्रधनुष,डा. उर्मिला शुक्ला के छत्तीसगढ़ी रचना छत्तीसगढ़ के अउरत ( काव्य संग्रह), महाभारत म दुरपति (खंडकाव्य), गोदना के फूल ( कहानी संग्रह) के संगे संग हिंदी म इक्कीसवीं सदी के द्वार पर ( काव्य संग्रह), गुलमोहर ( गजल संग्रह) , अपने- अपने  मोर्चे पर ( कहानी संग्रह) अउ आलोचना म छत्तीसगढ़ी संस्कृति और हिंदी कथा साहित्य प्रकाशित होय हे।


, गीता शर्मा ह संस्कृत महाकाव्य शिवमहापुराण अउ इशादि नौ उपनिषद् के छत्तीसगढ़ी म गद्य अनुवाद करे हावय।  वसंती वर्मा हछत्तीसगढ़ी म सुघ्घर रचना करे हे। उंकर छत्तीसगढ़ी काव्य संग्रह म मोर अंगना के फूल, मितानिन अउ मउरे मोर आमा के डारा सामिल हावय। आप मन के छंदबद्ध रचना बर घलो अब्बड़ सोर हे।

डा. शैल चंद्रा के छत्तीसगढ़ी लघु कथा संग्रह म गुड़ी अब सुन्ना होगे अउ हिंदी रचना म विडंबना,घोंसला ( लघु कथा संग्रह), इक्कीसवीं सदी में भी ( काव्यसंग्रह), जुनून और अन्य कहानियां ( कहानी संग्रह) के चर्चा होथे।  डा. अनसूया अग्रवाल के छत्तीसगढ़ी रचना म छत्तीसगढ़ के ब्रत - तिहाउ अउ कथा - कहानी, छत्तीसगढ़ी लोकोक्तियां अउ जन जीवन, हिंदी म नव साक्षर किताब मन म कहावतों की कहानियां अउ वसीयत, यात्रा वृत्तांत म "यात्रा द्वारिका धाम की" सामिल हावय। गिरिजा शर्मा ह संस्कृत म लिखे किताब कातिक महात्म के छत्तीसगढ़ी म गद्य अनुवाद करे हे। तुलसी देवी तिवारी के छत्तीसगढ़ी रचना म केजा ( कहानी संग्रह)अउ हिंदी रचना  म पिंजरा,मेला ठेला,परत दर परत, आखिर कब तक,सदर दरवाजा अउ उपन्यास म कमला अउ कहानी म शाम से पहले की स्याही सम्मिलित हे


अइसने हमर छत्तीसगढ के महिला साहित्यकार मन म डा . मीता अग्रवाल, डा . जयाभारती  चंद्राकर, डा. कल्याणी महापात्र, डा. शोभा श्रीवास्तव, ज्योति गभेल , आशा देशमुख( छंद चंदैनी),शोभा मोहन श्रीवास्तव, जया जादवानी( उपन्यास-तत्वमसि, कहानी- समंदर में सूखती नदी,आर्मीनिया की गुफा), अर्चना पाठक, वंदना केंगरानी,शांति यदु, स्नेहलता मोहनीश, आभा श्रीवास्तव,आभा दुबे,विद्या गुप्ता,जनक दुर्गवी,पूनम वासम,ऋचा रथ, गायत्री शुक्ला,शोभा निगम,सुमन मिश्रा, दुर्गा हाकरे, इंद्रा राय(कहानी-तुम इतनी अच्छी क्यों थी),कुंतल गोयल, मृदुला सिंह, विश्वासी एक्का,अनामिका सिंह, गुरप्रीत कौर चमन,


आशा झा,डा. वीणा सिंह, हंसा शुक्ला,लता शर्मा,लता राठौड़, केंवरा यदु, शशि साहू, संगीता वर्मा,नीरमणि श्रीवास,सरोज कंसारी, इन्द्राणी साहू सांची(  छंदबद्ध रचना -सांची साधना),द्रोपदी साहू सरसिज, पदमा साहू पर्वणी, नीलम जायसवाल,शुचि भवि( छंद फुलवारी),धनेश्वरी गुल,(बरवै छंद कोठी, सवैया छन्द संग्रह, गुल की कुंडलियां),

रश्मि गुप्ता, मनोरमा चंद्रा,सुमित्रा कामड़िया,  चित्रा श्रीवास, गायत्री श्रीवास, प्रिया देवांगन प्रियू, शैल शर्म,माधवी गणवीर, जागृति सार्वा, शकुन शेंडे, शशि तिवारी महुआ, गीता विश्वकर्मा,निशा तिवारी, संतोषी महंत श्रद्धा, संध्या राजपूत, सुजाता साहू प्राची साहू , धनेश्वरी साहू, केशरी साहू जइसन कतको नांव सम्मिलित हावय। छंदविद् अरूण कुमार निगम द्वारा संचालित आन लाइन गुरुकुल क्लास " छंद के छ" के माध्यम ले हमर छत्तीसगढ के सैकड़ों प्रतिभा मन साहित्य के क्षेत्र म पोठ उदिम करत हावय जेमा कोरी भर ले जादा महिला साहित्यकार मन के नांव घलो सम्मिलित हावय।  छंद के छ परिवार ले जुड़े दर्जन भर महिला साहित्यकार मन के कविता संग्रह प्रकाशित हो चुके हे जिंकर साहित्य जगत म सुघ्घर तारीफ होय हे। त ये प्रकार ले हमन देखथन कि हमर देस अउ हमर छत्तीसगढ के नारी शक्ति मन साहित्य डहन अपन एक अलगे पहिचान बनाय हावय। साहित्य के सबो विधा म सुघ्घर कलम चलावत हे अउ साहित्य के माध्यम ले जन जागरन के अंजोर बगरावत हे। 

हमर महतारी भाषा छत्तीसगढ़ी के बढ़वार बर इंहां के  भाषाविद्,

बुधियार साहित्यकार, कुछ 

 अखबार के संपादक के संगे -संग कुछ व्हाट्सएप ग्रुप, फेसबुक, ब्लाग, ई-पत्रिका मन ह सुघ्घर उदिम करत हे।  लोकाक्षर ग्रुप, छंद के छ परिवार, छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग,आरूग चौरा,नंदन झांपी, कला परंपरा,मयारू माटी, गुरतुर गोठ, अरई तुतारी, हमर गंवई गांव, छत्तीसगढ़ी मान सरोवर, वक्ता साहित्य मंच,बाल साहित्यकार,  लोकाक्षर पत्रिका,देशबंधु के मड़ई , हरिभूमि के चौपाल, पत्रिका के पहट, अपन डेरा, विचार विथि , विचार विन्यास,सुघ्घर छत्तीसगढ़ के सुघ्घर साहित्य, लोक सदन के झांपी, खबर गंगा, चैनल इंडिया, छत्तीसगढ़ आस पास, साकेत स्मारिका सुरगी,अपन चिन्हारी, गुड़ी के गोठ ,लोक असर, कृति कला एवं साहित्य परिषद सीपत, भोरम देव साहित्य मंच कबीरधाम,  मधुर साहित्य परिषद बालोद,पुरवाही साहित्य समिति पाटेकोहरा, छुरिया सहित कतको माध्यम ले सुघ्घर उदिम चलत हे। हमर छत्तीसगढ के बुधियार साहित्यकार मन ह पद्म के संगे संग गद्य विधा म अपन कलम चला के छत्तीसगढ़ी साहित्य ल पोठ करत हावय।

 


                 ओमप्रकाश साहू "अंकुर"

                सुरगी, राजनांदगांव

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