Sunday 25 February 2024

पुस्तक समीक्षा -* आल्हा छंद - जीवनी (छत्तीसगढ़ के छत्तीस साहित्यकार) **************************


 *पुस्तक समीक्षा -*  

आल्हा छंद - जीवनी (छत्तीसगढ़ के छत्तीस साहित्यकार)

************************** 

   आल्हा छंद ले भक्तिकाल म भक्तिभाव ले अपन ईष्टबर, गुरु वंदना के पद, स्तुति बर छंद बहुत रचे हावँय| जगनिक ह आल्हा छंद  म सुग्घर पद सृजित करे हवँय| आल्हा के शौर्य वर्णन ल वीर भाव( विरता के भाव ) म रचे के कारण ही ए छंद के नाम वीर हर पात्र के नाम म *आल्हा छंद* पड़गे| जबकि ए तो वीर छंद आय |


आल्हा छंद*   दू डाँड़ के  सम मात्रिक छंद आय, एकर खास विशेषता हवय के ए छंद के विधान 16-15 के भार ले कुल 31मात्रा होथे अउ आखिर म गुरु लघु के होय म गायन ले माधुरता उत्पन्न होथे| वीर भाव म शौर्य लिए प्रयोग ले छंद कर्ण प्रिय अउ हृदय ग्राह्य होगे हे| | 

   भक्तिकाल के विषय परिस्थिति अलग रहीस | ए काव्य हर वर्तमान माध्यम ले कहि सकत हवन केभविष्य ल सँवारना हे  तव वर्तमान के जानकारी रहय| आज के पीढ़ी ल अपन पुरखा मन के थाती के ज्ञान होना चाही|

   इहाँ संत महात्मा, समाज - सुधारक, क्रातिकारी,स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, लोक कलाकार,राजनीतिक छवि वाले मनखे मन, पत्रकार , साहित्यकार अउ आने आने क्षेत्र के ख्याति वाले पुरोधा मन अपन अपन विधा म, क्षेत्र म सुरुज कस अँजोर बगराय हें| जेकर ज्ञान अँजोर हर कई बछर तक नवा पीढ़़ी ला रद्दा देखाही| 

कुछ साहित्यकार  हरि ठाकुर, डाॕ बलदेव साव,डाॕ परदेशीराम वर्मा, सुशील यदु,जे आर सोनी, सुशील भोले,चोवाराम बादल, मनीराम साहू 'मितान', लोक नाथ साहू 'ललकार' आदि मन गद्य अउ पद्य म इन पुरोधा मन के गाथा, कृतित्व, व्यक्तित्व ल उकेरे के काम करे हें| उही मन म बोधन निषाद जी के नाम घलो शामिल होगे|

अल्हा छंद म सृजित पहली कृति आय|

  आल्हा छंद - जीवनी म छत्तीसगढ़ के 36 (छत्तीस ) साहित्यकार मन के जीवन वृत्त ल जाने बर मिलही|सृजित काव्य हर  छत्तीसगढ़ी भाषा के विशेष रुप लिए कभू शौर्य के तव कभू परिचयात्मक पद मन समाय हवँय|  

 ए मा विविध  कवि लेखक साहित्यकार मन के गाथा हर छंद बद्ध हे|


सरस्वती वंदना- 

जय हो शारद माता तोरे तहीं ज्ञान के भण्डार |

मँय अज्ञानी लइका आवँव, मोरो बिनती ला स्वीकार||

हे जगदम्बा आदी भवानी,हँस हरे माँ वाहन तोर|

एक हङथ मा बीना सोहे, एक हाथ मा ज्ञान अँजोर||



एक छंद देखन-

छत्तीसगढ़ राज के बेटा, नाम रहिन हे हीरा लाल|

लिखिन व्याकरण छत्तीसगढ़ी, छोट उमर मा करिन कमाल||

तीस रुपैया महवारी मा,करिन सहायक शिक्षक काम|

बिलासपुर के स्कूल प्राथमिक, बना डरिस विद्या के धाम||

शुरु करिन हे गायन वादन,रहै इँखर वो बड़ विद्वान|

अपन लगन महिनत के पाछू, हीरा जी पाइन सम्मान||


अइसने बढ़िया बढ़िया शब्द मन के संयोजन ले ये कृति हर पढ़े पढ़े के मन करथे|


एक अउ छंद देखन-


महानदी बोहावत सुग्घर, कल -कल - कल- कल सुन लौ धार|

राजिम नगरी तीर बसे हे, गाँव चँद्रसुर हे चिनहार||


चित्र कला अउ मूर्तिकला मा, पारंगत शर्मा विद्वान|

नाट्य कला के सुग्घर ज्ञाता, बने सिखाइन नाटक ज्ञान||

ग्रंथ लिखिन अठ्ठारह ले जादा, छत्तीसगढ़ी हिंदी लेख|

काव्य दान लंला बहुचर्चित,उपन्यास नाटक ला देख||

विक्टोरिया वियोग लिखिन अउ, सतनामी के भजन सुनाय|

छत्तीसगढ़ी रामायण अउ, श्री रघुनाथा गुण बरसाय||

अइसने अइसने घात नीक छंद बद्ध पद मन मा बंध मन मा रचना हर अपन डहर खीचते हवय|


भारत भुइयाँ- के छत्तीसगढ़िया सपूत मन के एक ले एक छत्तीस महान विभूति मन के जीवनी पढ़ सकत हवन|


गाँनी टोपी पहन पजामा, छाता धरै हाँथ मा एक|

मिलनसार सब ला वो चाहय, काम करै वो जन बर नेक||


कोदू राम समाज सुधारक,मानवता के बनिस मिसाल|

संस्कृत निष्ठ व्यक्ति अवतारी, भारत भुइयाँ के ये लाल||

 गोठ सियानी लिख कुण्डलिया, आडम्बर ल दूर भगाय|

छत्तीसगढ़ी दलित कहाये,ये गुरुजी गिरधर कविराय||

कुछ एक बानगी अउ देखन वीर छंद मा-

माटी पुत्र दुलरवा बेटा,माटी के करके गुणगान|

छत्तीसगढ़ी गीत लिखिन हे,अउ किसान के करिन बखान||


छत्तीसगढ़ी काव्य गगन मा, मेत्तर साहू जब आय|

सुरुज बरोबर चमकिन वो तो,छठी दशक मा नाम कमाय||

उही बछर मा एक पत्रिका,मासिक निकलय बड़ अनमोल|

होवत रहै प्रकाशित रचना,सबले जादा गुरतुर बोल||

संगी भागी रथी तिवारी, नरसिंह जी


ये कृति हर छत्तीसगढ़ी भाषा साहित्य ल पोठ करही|

 *काव्य तत्व* मन के बहुत सहज रुप म प्रयोग होय हे|

अलंकार ले युक्त छंद मन अनुपम अनुभूति देवत हें| 

अलंकृत शब्द, भाव लालित्य मन अलौकिक अउ शास्त्रीय होकर के भी मानवीय संवेदना म पाग धरे रस म भिंजोवत हें|

अनुप्रास, उपमा अलंकार , ध्वन्यात्मकता हर मनमोहत हे|

     वइसे तो कवि के छंद म ए हर चौंथा कृति आय| एकर पहली भी ओमन के "अमृतध्वनि छंद संग्रह" "छंद कटोरा" अउ "हरिगीतिका " प्रकाशित हो चुके हे| आपमन  छत्तीसगढ़ी भाषा म लिखइया एक स्थापित कवि आवव|


      बोधन राम निषादराज 'विनायक' जी के पेशा कहन तव   छत्तीसगढ़ स्कूल शिक्षा विभाग म व्याख्याता के पद "शास.उ.मा.वि.सिंघनगढ़" म पदस्थ हावँय| 


ए कृति हर छत्तीसगढ़ी भाषा के कोठी ल भरत हे, छत्तीसगढ़ी भाषा - साहित्यकार मन के विकास म उपयोगी सिद्ध होही| नवा पीढ़ी मन ल सुग्घर साहित्य लिखे पढे़ बर रद्दा दिखाही अउ पाठक मन के दिल ल छूही अइसे विश्वास हे|


मै उँकर उज्जर जिनगी के कामना करत बहुत बहुत बधाई देवत हँवव|


कृति-आल्हा छंद - जीवनी (छत्तीसगढ़ के छत्तीस साहित्यकार)

छत्तीसगढ़ी में ;

 *छत्तीसगढ़ राज भाषा आयोग* डहन ले प्रकाशित

 मुद्रक- छत्तीसगढ़ संवाद


 *छंदकार-* 

बोधन राम निषाद 'विनायक'

स/ लोहारा जिला कबीरधाम

मूल्य-दू सौ रुपिया


समीक्षक- *अश्वनी कोसरे

कवर्धा कबीरधाम

छत्तीसगढ़

No comments:

Post a Comment