Thursday 23 May 2024

छत्तीसगढ़ के प्रतिभा मन के सुघ्घर सुरता समाय हे सिरजनहार म

 छत्तीसगढ़ के प्रतिभा मन के सुघ्घर सुरता समाय  हे सिरजनहार म 


किताब - सिरजनहार

विधा - संस्मरण 


लेखक - विनोद साव 


प्रकाशक - सर्वप्रिय प्रकाशन दिल्ली - रायपुर 

प्रथम संस्करण -2023

मूल्य -200 .00 रूपये 


 समीक्षक - ओमप्रकाश साहू "अंकुर" 



अपन आस -पास कतको प्रतिभा रहिथे। अइसन हीरा मन ल पहिचान करे खातिर कोनो पारखी नजर के जरुरत रहिथे। स्मृति के आधार म कोनो विषय या कोनो मनखे उपर लीखित आलेख ह संस्मरण कहलाथे। संस्मरण के साधारण मायने होथे सम्यक वर्णन। येमा अक्सर चारित्रिक गुण मन ले संपन्न कोनो महान व्यक्ति ल सुरता करत उंकर परिवेश ल जोड़त वोकर प्रभावशाली वर्णन करे जाथे तब वोला संस्मरण कहे जाथे। अइसने सुघ्घर संस्मरण लिखे हावय दुर्ग के वरिष्ठ साहित्यकार विनोद साव जी ह जेहा मूलत : व्यंग्यकार हे। वोहा उपन्यास,कहानी, यात्रा वृत्तांत लिख के घलो नांव कमाइस। साव जी के संस्मरण के शीर्षक हावय - सिरजनहार।  संस्मरण हिंदी म हावय।ये किताब 200 पेज के हावय अउ प्रकाशक के नांव हे सर्वप्रिय प्रकाशन दिल्ली। कव्हर पेज आकर्षक हे।  ये किताब के बारे म शुरू म सुघ्घर भूमिका लिखे हावय बुधियार साहित्यकार, भाषाविद अउ प्रकाशक डा. सुधीर शर्मा जी ह। उंकर भूमिका ल पढ़े के बाद पूरा किताब ल पढ़े बर मन ह खुदे तइयार हो जाथे।

  इस किताब म विनोद साव जी ह हमर छत्तीसगढ के वो महान साहित्यकार, पत्रकार, लोककलाकार मन के बारे लिखे हावय जउन मन अपन पूरा जिनगी अउ उर्जा छत्तीसगढ़ महतारी के सेवा म खपा दिस अउ अब ये दुनियां म नइ हे।छत्तीसगढ़िया स्वाभिमान खातिर अपन जिनगी ल होम कर दिस। संगे संग लेखक ह सृजनकर्म म संघर्षरत अपने बीच के वो प्रतिभा अउ संगवारी मन ल सुरता करत उंकर  गुण ल विस्तार दे हावय जउन मन अभो घलो सरलग सिरजन करत हावय।ये किताब के माध्यम ले हमर छत्तीसगढ के गुनिक मन के प्रतिभा के बारे म बारीकी ले जानकारी मिले के अवसर मिलत हे। श्री साव के अपन एक अलग लेखन शैली हे जेहा ये संस्मरण म उभर के सामने आय हे। येमा हमर छत्तीसगढ के 40  प्रतिभा मन के बारे म सुघ्घर संस्मरण हावय।ये किताब म हमर छत्तीसगढ के संस्कृति, संस्कार, इहां के सिधवापन ह खुल के सामने आय हे।

  लेखक  साव जी ह संस्मरण के शीर्षक ल सुघ्घर ढंग ले राखे हावय। आवव शीर्षक उपर नजर डालथन - दाऊ रामचंद्र देशमुख: लोक रंग के शिलपी,प्रमोद वर्मा: आलोचना के संस्कार पुंज, डा. राजेन्द्र मिश्र: आलोचना की अनूठी भंगिमा, अर्जुन सिंह साव: यशस्वी शिक्षाविद, लतीफ घोंघी: हिंदी व्यंग्य का चमकता सितारा, कुछ बातें हैं त्रिभुवन पाण्डेय में, प्रभाकर चौबे: व्यवहार में भी प्रतिबद्ध, व्यंग्यकार विनोद शंकर शुक्ल, गजेन्द्र तिवारी: सक्रिय व्यंग्य - कर्मी,  राज नारायण मिश्र: पत्रकारिता के' दा',  ललित सुरजन: सरोकार युक्त जीवन, पवन दीवान: कवियों के बीच संत, रंग जमा देते थे दानेश्वर शर्मा,डा. बल्देव: आलोचना में विनम्र उपस्थिति, खुमान लाल साव: बेजोड़ लोक संगीतकार, नरेंद्र श्रीवास्तव: जिंदादिल गीतकार, प्रेम साइमन: पटकथा लेखन में कमाल, रघवीर अग्रवाल पथिक, मुकुंद कौशल: जनप्रिय गीतकार, सुशील यदु: हास्य रस के दबंग कवि, कनक तिवारी को सुनते हुए, रमाकांत श्रीवास्तव: प्रगतिशील कथाकार, सतीश जायसवाल: यायावर कथाकार, रवि श्रीवास्तव: भिलाई में लौह -पुरुष,

रामहृदय तिवारी: लोक - नाट्य निर्देशक, पुनू राम साहू' राज ' मगरलोड, परदेशी राम वर्मा: आंचलिकता और अस्मिता से भरे कथाकार, लोकबाबू की स्थानीयता, जयप्रकाश: आलोचना की वाचिक परम्परा में, तीजन बाई: छत्तीसगढ़ की ब्रांड एम्बेसडर, संतोष झांझी: हिरनी के पांव थमते नहीं,ममता चंद्राकर: गांव की महकती आवाज, जया जादवानी: कहानी में उपस्थित, द्वारिका प्रसाद अग्रवाल का स्व - प्रबंधन, प्रदीप भट्टाचार्य: छत्तीसगढ़ के आस पास, जाकिर हुसैन: भिलाई बिरादरी को समर्पित,एल. रूद्रमूर्ति: तेलुगु- हिंदी रंगमंच के सेतु,किशन लाल: दलित चेतना के उपन्यासकार।

    ये संस्मरण हिंदी म हावय। लेखक द्वारा अपन पिताजी अर्जुनसिंह सिंह साव उपर लिखे संस्मरण पाठक वर्ग ल भावुक कर देथे। ये किताब एक अनमोल दस्तावेज हे। सिरजनहार के लेखक विनोद साव जी ल गाड़ा -गाड़ा बधाई अउ शुभ कामना हे। 


                

               सुरगी, राजनांदगांव

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