Wednesday 17 January 2024

पवन दीवान : 79 वीं जयंती म विशेष – ओमप्रकाश साहू ‘ अंकुर ‘

 🌸 पवन दीवान : 79 वीं जयंती म विशेष

– ओमप्रकाश साहू ‘ अंकुर ‘


जउन मन  ह छत्तीसगढ़िया मन के स्वाभिमान ल जगाय के गजब उदिम करिन वोमन मन म  श्रद्धेय खूबचंद बघेल , कृष्णा रंजन , हरि ठाकुर ,लक्ष्मण मस्तुरिया , अउ संत कवि, भगवताचार्य पवन दीवान के नांव अव्वल हवय । दीवान जी हा बाहरी मनखे मन के द्वारा जउन शोषण करे जात रिहिस वोकर अब्बड़ विरोध करिन. लाल किला ले काव्य पाठ कर छत्तीसगढ़ के मान बढाइन.


दीवान जी के जनम किरवई गांव म 1 जनवरी 1945 मा होय रिहिन । वोकर कर्मभूमि राजिम के संगे संग पूरा छत्तीसगढ़ रिहिन ।


वे एक भगवताचार्य के संगे संग बड़का साहित्यकार अउ राजनीतिज्ञ रिहिन। विधायक, सांसद अउ अविभाजित मध्य प्रदेश के जेल मंत्री घलो बनिस ।  जब जेल मंत्री रिहिन त वोहा कहय "ले भइया हो तुंही मन बतावव मंय ह का काम करंव. मोर लइक काम नइ हे. अब तुमन ल कोन कोन ल जेल म डालंव ". अइसे कहिके जोरदार ठहाका लगाय. 

 दीवान जी गौ सेवा आयोग छत्तीसगढ़ के अध्यक्ष बनाय गिस । कौशल्या माता उपर अभियान चलाइस. 


दीवान जी के भागवत प्रवचन मेहा पहिली बार राजनांदगांव जिला के गांव भर्रेगांव म सुने रेहेंव ।वो समय मेहा मीडिल स्कूल म पढ़त रेहेंव ।वो समय वोहा जवान रिहिन हे । वोकर भागवत प्रवचन सुने बर अपार जन समूह उमड़ पड़े । वोकर जोरदार ठहाका ला भर्रेगांव मा सुने रेहेंव । जब वोहा हंसय त सब ला हंसा के छोड़य । अइसने बुचीभरदा (सुरगी) मा घलो वोकर प्रवचन के लाभ उठाय रेहेंव ।बीच बीच मा अपन कविता सुना के मनोरंजन करे के संगे- संग लोगन मन म जागरुकता लाय । अपन हक बर आगू आके लड़े के प्रेरणा देवय । छत्तीसगढ़ के स्वाभिमान के बात करय.


सन् 2001 मा कन्हारपुरी, राजनांदगांव म प्रांतीय छत्तीसगढ़ी साहित्य समिति द्वारा आयोजित राज्यस्तरीय छत्तीसगढ़ी कवि सम्मेलन म दीवान जी के काव्य पाठ सुने के अवसर मिलिस.  इहां अपन कविता सुनाय के पहिली संस्कारधानी धनी के सपूत  पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी, गजानन माधव मुक्तिबोध, बल्देव प्रसाद मिश्र, कुंज बिहारी चौबे, नाचा के पितामह दुलार सिंह साव मंदराजी दाऊ मन ल नमन करिन. कार्यक्रम म उपस्थित लोक संगीतकार खुमान साव जी के उदिम के तारीफ करिन . इहां सबो कवि मन कविता पढ़े ले पहिली दीवान जी के पैलगी जरूर करय. येकर बाद छत्तीसगढ़ राज

भाषा आयोग के प्रांतीय सम्मेलन मन म दीवान जी के सुग्घर विचार सुने ला मिलिस.


सौभाग्य से हमू मन ल माई पहुना के रुप मा दीवान जी के दर्शन होइस वोकर सुग्घर बिचार


सुने के संगे- संग हिन्दी अउ छत्तीसगढ़ी कविता ला सुनके धन्य होगेन .


जब साकेत साहित्य परिषद् सुरगी जिला राजनांदगांव द्वारा 10 जून 2007 म आयोजित आठवां वार्षिक सम्मान समारोह बर निमंत्रण छपवायेन ता सुरगी के संगे- संग तीर -तखार के गांव वाले मन ल एको कनक बिश्वास नइ होय कि पवन दीवान जी हा इंकर कार्यक्रम मा आही!


ये सब संभव हो पाय रिहिस डॉ. नरेश कुमार वर्मा जी( भाटापारा, बलौदाबाजार) के कारण जउन ह वो समय म दिग्विजय कालेज राजनांदगांव म हिंदी के प्राध्यापक रिहिन ।  वर्मा जी अउ हमर साकेत साहित्य परिषद् सुरगी के कुबेर सिंह साहू जी , वरिष्ठ कहानीकार डॉ. परदेशी राम वर्मा जी से  सुघ्घर  संबंध बन गे रिहिन । एकर से पहिली डॉ. वर्मा जी ह  हमर वार्षिक समारोह म  तीन बार पहुना के रूप मा पहुंच चुके रिहिन ।ये प्रकार ले साकेत परिषद् ले सुग्घर संबंध बन गे रिहिन ।डॉ. परदेशी राम वर्मा जी कृपा ले पवन दीवान जी के सुरगी आगमन होइस ।संगे संग छत्तीसगढ़ के  पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी हा घलो पहुना बन के आय रिहिन । वो समय बघेल जी हा विपक्ष मा दमदार नेता रिहिन ।


ये कार्यक्रम मा दीवान जी ह छत्तीसगढ़ी साहित्य समिति राजनांदगांव के अध्यक्ष आत्मा राम कोशा अमात्य जी अउ साकेत के तत्कालीन सचिव अउ वर्तमान अध्यक्ष भाई लखन लाल साहू लहर जी ला साकेत सम्मान 2007 प्रदान करिन ।


इहाँ दीवान जी हा अपन विचार राखिस तेमा छत्तीसगढ़ी भाखा ला राजभाषा बनाय के मांग करे गिस । येमा पारित प्रस्ताव ला राज्य शासन के पास भेजे गिस.येकर बर डॉ. परदेशी राम वर्मा जी के साथ मिलके अभियान घलो चलाइस ।अपन उद्बोधन के माध्यम से छत्तीसगढ़िया मन ल जागरुक करिन।बीच बीच म अपन जोरदार ठहाका ले लोगन मन ल गजब हंसाइस ।दीवान जी हा किहिस – “हमर छत्तीसगढ़ हा माता कौशल्या के मइके हरय तेकर सेति भगवान राम हा इहां के भांचा कहलाथे ।तेकरे सेति हमर छत्तीसगढ़ मा भांचा- भांची ला गजब सम्मान देय जाथे । आगे किहिस कइसे सुग्घर ढंग ले कहिथन – कइसे भांचा राम । सब बने बने भांचा राम । कोनो हा कैसे भांचा कृष्ण नइ काहय ।अउ कहइया हा अइसने कहि दिस ता वोहा का कहाही ।"अइसन कहिके  ठहाका लगाइस अउ उपस्थित लोगन मन जोरदार ताली बजा के सभा ला गुंजायमान करिन ।ये कार्यक्रम हा


सुरगी के शनिचर बाजार चौक के मुख्य मंच मा होइस ।दीवान जी हा किहिस कि मेहा पहिली बार कोनो साहित्यिक कार्यक्रम ला खुला मंच मा होवत देखत हंव।”अइसे कहिके परिषद् के लोगन मन ला प्रोत्साहित करिन ।


साथ मा हमर गांव ” सुरगी ”


के सुग्घर व्याख्या घलो कर दिस ” सुर ” माने देवता अउ “गी ” माने गांव ।


एकर बाद दीवान जी हा” राख ” “चन्दा,  ” अउ “तोर धरती तोर माटी रे भइया “कविता सुनाके काव्यप्रेमी मन ला आनंदित करिन.


तो ये किसम ले संत कवि पवन दीवान जी के कार्यक्रम ह यादगार बनिस ।हमर साकेत के कार्यक्रम म पहुंच के परिषद् ला गौरवान्वित करिन । 10 जून 2007 हा हमर परिषद् अउ गांव बर ऐतिहासिक तिथि के रुप मअंकित रही । 2 मार्च 2016 मा दीवान जी हा स्वर्ग लोक चले गिस । आज उंकर 79 वीं जयंती म शत् शत् नमन हे.


          ओमप्रकाश साहू अंकुर 

            सुरगी, राजनांदगांव ( छ.ग.)

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