Monday 15 April 2024

मुँहु चिक्कन खबड़ा के

 मुँहु चिक्कन खबड़ा के 


               बात द्वापर युग के आय । जब कंस के अत्याचार ले जनता ला मुक्ति देवाये बर भगवान कृष्ण ला धरती म आय ला परिस । भगवान हा धरती म अवतरिस ते समे जनता हा कंस अऊ ओकर दरबारी के अत्याचार ले त्राहि त्राहि करत रिहिन । 

               नंद गाँव म घरों घर गाय बइला रहय । तेकर सेती दूध दही के कमी नइ रिहिस । फेर कंस के मनखे मन दूध दही तको म टेक्स लगा दे रहय । घर के दूध दही माखन ला घर के लोग लइका मन नइ खा सकय । लइका लोग मन सऊँख तो करय फेर उँकर बर बाँचबेच नइ करय ।  उत्पादन के आधा हा सरकार के हो जाय .. एक चौथाई ला  ओकर मनखे मन लेग जाय अऊ बाँचे एक चौथाई म घर के खर्चा चलना रहय । घर म बाँचे एक चौथाई के कुछ भाग ला मथुरा म बेंचे बर ... गाँव के मई लोगिन मन ... बिहिनिया ले हँड़िया म धरके निकलय । घर के लोग लइका मन लुहुर टुपुर करत रहि जाय अऊ माँगे म चिटिक अकन मिलय । बपरा मन के सऊँख पूरा नइ हो पाय । 

               भगवान कृष्ण हा अपन बाल सखा मन के दुर्दशा ला देखिस त ओला अच्छा नइ लागिस । भगवान हा अपन घर म छकल बकल खा डरय फेर ओकर संगवारी मन के पेट चेपटा के चेपटा ... । ओला उपाय सूझिस । ओहा जम्मो सखा मन ला सकेल के अपन सोंचे उपाय बतइस । बाल सखा मन अपनेच घर म चोराय बर तैयार नइ होइन .. फेर भगवान हा ओमन ला मना थोपा डरिस । भगवान किहिस – जेकर घर ले चोराबो .. ओकरे घर के लइका हा सबो ले जादा खाही । ग्वाल बाल मन मान गिन । 

               धीरे धीरे चोरी के बुता शुरू होइस । सबो बाल ग्वाल के पेट भरे लगिस । भगवान ला संतोष होय लगिस । कुछ दिन म ग्वालिन मनला पता चलगे के भगवान कृष्ण हा माखन चोर आय ... पहिली तो कोन्हो ला विश्वास नइ होइस फेर ओमन अपन आँखी ले देखिन तब पता चलिस । माता यशोदा ला बतइन ... माता हाँस दय अऊ कहय के एहा तुँहर भ्रम आय । हमर घर खाय के कमी थोरेन हे तेमा ... कृष्ण ला तुँहर घर चोराये बर परही । ग्वालिन मन मुँहु लटका के आ जाँय । भगवान ला माखन चोरावत रंगे हाथ पकड़े के योजना बनइन ग्वालिन मन । 

               एक दिन ... सपड़ागे ।  बाल सखा मन ला उहाँ ले भगा दिस अऊ भगवान खुद पकड़ागे । भगवान के मुँहु भर माखन छबड़ाय रहय । भगवान किथे – अब जान तो डरे हव .. मेहा खाये हँव तेला ..  जे सजा देना हे तेला दे डरव । ग्वालिन मन किथे – चोट्टा ... चोरा के यहा यहा माखन ला खाथस .. तोर दाई ला बताबे ते ओहा विश्वास नइ करय .. आज रंगे हाथ पकड़ाये हस .. । तोर महतारी तिर लेगबो .. हमन ला फोकट फोकट मोर बेटा उपर इल्जाम लगाथव कहिके ... गारी बखाना करथे । भगवान हा माखन चोराये के सजा उही तिर देहे बर बहुत किलौली करिस ... फेर ग्वालिन मन नइ मालिस । ओला आज महतारी के हाथ मार खवाना रिहिस । ओमन हा ओला धरके लेगे लगिन । 

               घर के बाहिर निकले के पहिली भगवान किथे – मोला शरम लागत हे । अइसने धरके लेगहू त चार झन अऊ मनखे मन जान जहि .. मोर दाई बाबू के बदनामी हो जहि । ग्वालिन मन किहिन – चोराये के बेर तो शरम मरम नइ लागय .. अब धरागे हस त शरम के बात करत हस .. आज पूरा नंद गाँव जान जहि के तिंही माखन चोर आस । दू कदम चले के पाछू ... भगवान किथे – मोर बाबू के मनखे मन .. गली गली मोला बांधके लेगत देख लिही तहन ... तुँहर उपर भड़क जहि अऊ मोला छोंड़ाके लेग जहि । ग्वालिन मन मने मन सोंचिन .. सही कहत हे । भगवान किथे – मोला तोप के लेगव .. कोन्हो ला पता नइ लगहि । ग्वालिन मन मान गिन अऊ एक ठन चद्दर म घुम घुम ले तोप दिन । चार कदम नइ चले रिहिस भगवान फेर खड़े होगे । ग्वालिन मन किथे अब काय होगे ... भगवान किथे – एकदमेच घुम घुम ले मोला तोप दे हव .. काँही दिखत नइये .. रेंगे म ठोठकासी लागत हे । एक ठन लउठी धरा देतेव ते बने होतिस । जेकर घर चोरी होय रहय .. तेकर घर के ठेठवार के लउठी ला ले आनिन अऊ धरा दिन । भगवान ला ग्वालिन मन पूछिन – अऊ कुछु चाहि का .. । भगवान हा मुड़ी हलावत नहि के संकेत दिस । 

               ग्वालिन मन यशोदा उपर खीज निकाले के येकर ले अच्छा मौका नइ मिलय सोंचत .. ओला का का बोलना हे तेकर योजना बनावत ओकर घर पहुँच गिन । जाते भार यशोदा उपर भड़क गिन । यशोदा किथे – मोर लल्ला अइसन करेच नइ सकय .. तूमन लबारी मारत हव । ग्वालिन मन ला इही बात के अगोरा रिहिस ... ओमन भगवान ला आघू म लानके खड़ा कर दिन अऊ यशोदा ला किथे – ले उघार के तिंही देख .. आज रंगे हाथ पकड़ाये हे ... चोरी करत .. भागे नइ सकिस ... बांध के लाने हन । यशोदा हा तुरते आगू अइस अऊ ओकर मुड़ ले चद्दर ला फेंकिस ... जम्मो झन अवाक रहि गिन । जे ग्वालिन घर चोरी होय रहय .. तेकरे घरवाला हा लउठी धरे मुड़ी गड़ियाये खड़े रहय । काटो तो लहू निही ... जम्मो के बुध पतरागे । कलेचुप अपन असन मुँहु करे निकल गिन । 

               गाँव भर इही हल्ला रहय के कृष्ण हा कोन्हो अवतारी पुरूष आय ... ग्वालिन मन अपन संग होवत करनी ला देखय ... तेकर सेती ... विश्वास नइ करय । ओमन ए पइत फेर ... कान्हा ला माखन चोरावत .. रंगे हाथ पकड़े के जुगत जमा डरिन । चार दिन म ... कान्हा फेर पकड़ागे । भगवान के मुँहु भर माखन छड़बड़ाय रहय । ये पइत बिगन तोपे लेगे के योजना बनिस । कान्हा हा तोप के लेगे के फेर किलौली करिस ... ग्वालिन मन ओकर बात म नइ अइन । भगवान हा फेर किहिस – मोर बाबू के मनखे मन देख लिही तब .. । ग्वालिन मन ओकरो ले निपट लेबो अइसे कहि दिन । चार कदम रेंगे नी पइन ... नंद बाबा के आदमी दिख गिस । भगवान ला लुकाय बर .. एक झन ग्वालिन हा भगवान के मुँहु म अपन मुँहु ला जोर लिस । घर के पहुँचत ले अइसे कोन्हो ग्वालिन नइ बँचिस जेकर मुँहु म मुँहु नइ जोरइस होही । परछी म मइया संग भेंट होगे । सब झन कलल कलल करे लगिन । मइया ला किहिन – बने देख येकर मुँहु ला ... तोर बेटा आय के निही ... खाहे तेहा मुँहु भर छबड़ाये हे । यशोदा मइया हाँसिस – बेटा तो मोरे आय .... फेर ओहा खाये कहाँ हे .... खवइया के मुँहु अइसने चिक्कन रहिथे का ... । तूमन अपन अपन मुँहु ला देखव .. तुँहरे मन के मुँहु म माखन छबड़ाय हे ... ।  जम्मो झन कान्हा ला देखत अपन अपन मुँहु ला टमड़िन ... कान्हा के मुँहु सहींच म चिक्कन रहय अऊ जम्मो ग्वालिन के मुँहु छड़बड़ाय रहय .. । भगवान के लीला के कथा हा उही दिन ले हाना के रूप धरके ... हमर मन तक आजो चलत हे – मुँहु चिक्कन खबड़ा के .... । 

हरिशंकर गजानंद देवांगन , छुरा .

[4/5, 8:11 AM] छुरा देवांगन: मुँहु चिक्कन खबड़ा के 

भगवान कृष्ण के दुनिया ले विदा लेहे के सूचना चारों मुड़ा म जंगल म लगे आगी कस बगरगे ।  एला सुन ... गोकुल के जुन्ना संगवारी मन लकर धकर द्वारका कोति मसक दिन । भगवान हा ओमन ला देखिस त ओकर आँखी म आँसू आ गिस । भगवान हा केहे लगिस – तूमन ला मेहा कोन्हो सुख नइ देय पायेंव । अब तो जाय के बेर आगे हे ... अवइया युग म मिलबो त तुँहरों मन बर कुछ अच्छा करहूँ । ग्वाल सखा मन केहे लगिस – तोर दिये आशीष अभू तक चलत हे भगवान फेर तोर जाय के पाछू ... को जनि ओकर प्रभाव रइहि या सिरा जहि तेमा शंका हे .. तेकर सेती हमू मन अभू चल देबो । फेर आगू जनम म हमन मिलबो तेकर गारंटी देय बर लागही भगवान ।  तुँहर कृपा ले हमन ला अइसने खाय बर मिलत रहय तहू ला सुनिश्चित करे बर लागही भगवान । 

भगवान किथे – तुम फिकर झन करव । तूमन ला खाय पिये बर लाला थापा  करे बर नइ लागय । तुमला खाय बर भरपूर मिलही । ग्वाला मन किथे – एक बात अऊ हे भगवान ... पूरा युग निकलगे हमन ला सत्ता के बागडोर नइ मिलिस । हमन तरस गेन । का अवइया युग म घला अइसने रहिबो अऊ खाये बर तुँहर मुँहु ताकबो ... । भगवान थोकिन सोंच म परगे अऊ केहे लगिस – तूमन मोर बहुत संग साथ दे हव .. तुँहर भारी उपकार हे मोर उपर ... तेकर सेती ब्रम्हाजी ला कहि देथँव ... ओहा अवइया युग म बाजी पलट दिही । तुँहर उपर मय आश्रित रइहूँ ... तुँहर ले बाँच जहि तभे मोला मिलहि । 

ग्वाला मन किथे – हमन राजा होके खाबो तहन हमन ला .... सब खावथे खावथे कहिके बदनाम करहि । तिंहीं केहे बर धर लेबे । भगवान किथे –तुँहरे संगवारी तुँही मनला बदनाम करही । तुम ओमन ला साध लेना । मे राम राम नइ कहँव ... मोर वचन हे  । तूमन अभू घला खाथव तेकर कोन्हो प्रमाण रहिथे का । अरे भई ... उहू समय ... सरबस खाके मोर मुँहु म चुपर देहु ... सब अभू कस  ... मुही ला खाये हे समझही ... । चाहे कतको खावव ... तुँहर मुँहु एक कनिक नइ छड़बड़ाय ... चिक्कन रहि । भगवान सब ला भरोसा देवा के चल दिस ।

कलयुग आ चुके रहय । सबके अगले इनिंग के तैयारी होवत रहय । ब्रम्हाजी हा भगवान कृष्ण के दिये वचन ला पूरा करे बर उपाय खोजत पस्त हो चुके रहय । ब्रम्हाजी के माथ म पछीना के धार बोहावत रहय । ओकर स्टेनो चित्रगुप्त किथे – का होगे भगवान ... भारी फिकर म बुड़े हस । सियनहा एकदमेच थकथकागे रहय । ओकर गमछा हा पछीना पोंछत निचोड़े लइक होगे रहय । चित्रगुप्त समझगे । ओला हार्ट अटेक फटेक झन आ जाय सोंच तुरते कारण खोज ... निवारण के उपाय रच डरिस । जम्मो झन ला भारत म जनम ले के व्यवस्था कर दिस ।  

कुछ दिन पाछू ... भगवान हा अपन दिये वचन के पालन सही साट होवत हे के निही ... तेकर सचाई जाने बर निकलिस । इहाँ अइस तब सत्यता जानिस । चित्रगुप्त हा जनता ला भगवान बना दे रिहिस । जेला खाय बर नइ मिलय फेर  ओकरे मुहुँ म जे पाये तेहा कुछु कहीं ला चुपर देथे । ग्वाल सखा मन देश म कर्णधार बन चुके रिहिस ... जेमन खावय तो बहुत फेर दिखय निही । भगवान पूछिस – मोला समझ नइ आवत हे चित्रगुप्त । चित्रगुप्त बतइस – इहाँ लोकतंत्र के स्थापना कर दे हँव भगवान ... जेला समझ सकना तोर बस के बात नइहे ... तेकरे सेती तोला जनता के रूप दे देंव । जे मन समझ गिन तेमन ला कर्णधार बना देंव । तुँहरे दिये वचन के पालन होवत हे भगवान । भगवान ला बड़े बड़े पेट धरे कुछ बिगन खाये मनखे दिखगे ... जेमन खाये बर मरत रहय ... । भगवान पूछिस – येकर मन के पेट तो बड़े दिखत हे फेर येमन कभू खाय नइहे तइसे ... पोट पोट करत हे । चित्रगुप्त बतइस – इँकर धोंध भर चुके हे फेर खाय के इच्छा शक्ति कमतियावत नइहे तेकर सेती पोट पोट करत दिखत हे ... वाजिम म येमन खाये बर पोट पोट नइ करत हे भगवान ... बल्कि जनता के मुहुँ म खाये के सामान चुपरे के अवसर पाय बर पोट पोट करत हे । भगवान किहिस – फेर कलेचुप खवइया मन तो बिगन हुँके भुँके आराम से बइठे दिखत हे ... येमा का राज हे । चित्रगुप्त बतइस –वास्तव म इही मन सरकार आय ... अऊ पोट पोट करइया मन विपक्ष ... । भगवान पूछिस – मोर एक आखरी सवाल अऊ हे चित्रगुप्त .. येमन खाथे कहिथस ... त खाये के निशान तो एको कनिक नइ दिखत हे । चित्रगुप्त किहिस – तैं भुलागे हस भगवान । सब तोरे वचन के पालन करे के उदिम आय भगवान । जे जतका खाही ... ओतके ओकर मुँहु चिक्कन रइहि । 

जनता भगवान भुखाये हाबे कहिके चारों मुड़ा म हल्ला माते रहय । ओला खवाये के होड़ लगे के ढिंढोरा पिटागे । खाये के सरी सामान जनता भगवान के आघू म आके माढ़गे । फेर ओला कोन्हो खाये बर नइ दिन ... । ओकर हाथ म झुनझुना धरा दिन । जनता भगवान हा झुनझुना हलावत बइठे रहिगे । खाये के सरी सामान... अपने अपन सिरागे । ओकर मुँहु ला खाये के सामान म छबड़ दिन । बिगन खाये जनता भगवान के मुँहु छबड़ाये  देख ... भगवान तिर पछताये के अलावा कुछ नइ बाँचिस । 

सरग पहुँचके ....  भगवान हा चित्रगुप्त ला तलब करिस । मोला मारे के बनेच उदिम जमा डरे हस चित्रगुप्त । दू चार दिन धरती म अऊ रहि जतेंव ते भूख के मारे मर जतेंव । चित्रगुप्त किथे – तेकर सेती तो जनता बना के तोला राखे हँव ताकि तोला जादा दिन रेहे बर झन परय । ओकर जुम्मेवार घला तिंही तास । काँही जानस न सुनस ... जइसे पाय तइसे वचन देके लहुँट जथस । पालन करे बर कतका उपाय करे बर लागथे तेला हमीं मन जानबो । भगवान किथे – ओ तो ठीक हे चित्रगुप्त ...  फेर मोला तोर संरचना म एक बात समझ नइ अइस । कोन्हो खावत दिखय निही तभो ले ... खाय के सामान हा अपने अपन कइसे सिरा जात रिहिस । चित्रगुप्त बतइस – तोला के बेर उही उही बात ला बताहूँ ... अभू उहाँ लोकतंत्र हे भगवान । उहाँ  राज चलइया मन खुर्सी म बइठथे । उही खुर्सी म अइसे यंत्र फिट करदे हाँबो भगवान ... जेमा बइठे के पाछू कतको खा ...  दिखबे नइ करय । सामान सिरा जथे फेर खुर्सी म बइठइया हा खइस तेला प्रमाणित करना सम्भव नइ रहय । खुर्सी ले उतरे के पाछू ... कतका खइस ... तेहा दिखथे जरूर फेर प्रमाणित नइ होय सकय ... । भगवान हा प्रश्नवाचक मुँहु बनाके देखिस । चित्रगुप्त समझगे के भगवान काये पूछना चाहत हे । ओहा बताये लगिस – मुँहु चिक्कन खबड़ा के ... तोरे वचन के पालन करे बर नियम बनाये हँव भगवान ... । भगवान हा उही दिन ले कोन्हो भी मनखे ला वचन नइ देय के कसम खा डरिस ।       

हरिशंकर गजानंद देवांगन .. छुरा .

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