Monday 15 April 2024

कहानी आगे सगा

 कहानी


         आगे सगा



झिमिर झिमिर पानी बरसत रिहिस चिरई चिरगुन चींव चींव करत कान मा मधुरस घोरत रिहिस,फेर ये सब ले दुरिहा घर के बाहिर चौंरा म बइठे सियान अपन सियानिन ल काहत राहय

कुंती हमन अपन सबो लईका ल  जतका पढ़ही ओतका पढ़ाबो,चाहे एकर बर खेत खलिहान ल बेचे बर पड़ही त बेच तको देबो,

 हर महतारी बाप ल अपन लोग लईका के भविष्य के संसो रहिथे।


परभु रामपुर गाँव के पोठ किसान राहय,चीज बस के कोनो कमी नइ रिहिस, भगवान ओकर अँगना म चार बेटा अउ एक झन लक्ष्मी कस बेटी देके ओकर कोठी ल भर दे राहय।

परभु अउ कुंती एको अक्षर

 नि पढ़े रिहिस,तभो ले पढ़ई के महत्व ल समझय।

लइका मन ल समझा के, खिसिया के ,पढ़े बर गिलोली करतेच राहय।

अपन अउ कुंती दिन भर खेती किसानी मा मेहनत करत परिवार के खुशी जुटाय बर उदिम करत राहय।

जईसे जईसे लइका मन बाढ़त गिस तीन झन बड़े लईका मन के झुकाव पढ़ई म कमतियावत गिस

तीनों लईका लेद बरेद करके मेट्रिक पास करिन अउ खेती किसानी पुस्तैनी काम धंधा मा लग गे बेरा बीते संग बेटी तको  स्कूल के पढ़ई ल पूरा कर लिस।अउ बने रिश्ता  आय  ले उँकर बिहाव धूमधाम से घलो कर दिस।


सब ले छोटे बेटा किसन, जेन ह पढ़ाई म बचपन ले ही तेज राहय,हर कक्षा म पहला आवय,किसन के पढ़ई म लगन ल देखके परभु के आस बँधावत जाय ,

वईसे तो परभु अपन सब नोनी बाबू ल रद्दा देखावत राहय फेर जेमा जेन ल रुचि रिहिस आगु बढ़िस,,,,,


किसन तको अपन दाई ददा के सपना ल अपन सपना बना लिस अउ अपन मेहनत मा कोनो कमी नइ करिस।हर कक्षा के सफलता म दाई ददा के जब  आँखी चमकय त किसन के जुनून अउ बाढ़ जय 

बछर बीतत गिस अउ आज एम एस सी म पूरा युनिवर्सिटी मा पहिला आगे कालेज के मेरिट लिस्ट के सूची म नाँव लिखागे पेपर  परचा म किसन के फोटो देख के परभु अउ कुंती के खुशी के  कोनो ठिकाना नइ रिहिस।आज परभु ल अपन सपना साकार होय कस लागत रिहिस।जेन भी मनखे मिलय वोला बतावय मोर बेटा किसन ह कालेज म पहिला आय हे गा,आन मिठई  खा ले,चाय पी ले ग


परभु  जानत राहय पूरा पुरखा म किसन ही सबले जादा पढ़ईया    लईका हरे  अउ नौकरी जरुर करही तेखर सेती,  सड़क के तीर म तीन एकड़ खेत  बिसाय राहय अउ वोला काहय 

 तँय मास्टर नइते मुंशी बनबे न बेटा त मोर बर मास्टरनी बहू लानबे।अउ तुमन दुनो झन खेत देखे बर आहू न त गाड़ी ल सड़के तीर म खड़ा करहू ग तेकर सेती मँय हा ये खेत ल बिसाय हवँव।

काबर पहिली परभु ह मास्टर अउ मुंशी ल ही बड़े साहब  जानय   

                

 फेर नियति ल तो कुछू अउ मंजूर रिहिस हे,कोन कोती ले का बीमारी झपा जथे।परभु के चेतना शून्य हो जथे

किसन ह उही दिन एक नौकरी बर   साक्षात्कार देवा के आय रिहीस।

चार दिन ले बेहोशी  कस सुते  अपन ददा ल पकड़ के, जोर से झकझोर  के कहिथे,,,,

ददा मोर नौकरी लग गे गा,,

अऊ देख तो  घर ले लगे  ए-जमीन ल तको मैं  बिसा डरेव,

 अतका सुनके परभु के आँखी थोड़किन खुलथे ,,,,

अउ वोला होश आ जथे।जइसे इहीच खबर ला सुने बर ओखर प्राण अटके रिहिस।परभु अपन बहिनी के हाथ ल धरके कुंती ला देख के अपन खुशी जतावत हे आँखी मा फेर एक घँव चमक दिखिस।परभु ल किसन के अगोरा रिहिस,वोला वोकर सरकारी नौकरी के अगोरा रिहिस।मोर बेटा किसन के नौकरी लगगे काहत काहत परभु ये दुनिया लै चल बसथे।

किसन दहाड़ मारके अपन ददा के छाती म लग जथे। ओकर उप्पर पहाड़ टूट जथे।आँसू तको छोटे  होगे हे,सब बिरथा कस जनाएं ले धर लेथे।

किसन अपन ददा ल छूके दृढ़ परण करथे अउ कहिथे 

ददा मैं तोरे खुशी खातिर  झूठ बोलेवँ ग फेर एला  मैं जरूर पूरा करहूँ गा ,,, सरकारी नौकरी मा अपन नावं ल पक्का करहूँ,अउ मने मन रोवत राहय,,


किसन के परण वोला हौसला देथे अउ जादा मेहनत करथे, पढइ म कोनो कमी नइ करिस,  किसन के मेहनत एक दिन रंग लाथे अउ परिवार के सँग महतारी के आशीर्वाद ले वो बेरा भी आथे जेन दिन किसन के चयन एस एस सी कर्मचारी चयन आयोग मा पूरा प्रांत मा, ओकरे चयन होय राहय।

किसन जब ये खबर अपन महतारी कुंती ल बताथे त दुनों के मुँह ले शब्द नइ निकलय,अंतस के खुशी आँखी ले झर झर झरत रहिथे।

किसन अपन दाई ल जोर से पकड़ लेथे, कुंती वोला आशीर्वाद के अँचरा देवत कहिथे आज

 अइसे लागत हे जइसे जीवन के तपस्या पूरा होगे बेटा,

महतारी के तो एके सपना रहिथे कि मोर बेटा के मेहनत ह सफल होवय। खुश राहय,निरोगी राहय,अउ वोला काहीं किसम के तकलीफ झन मिलय।

किसन अपन सफलता बर अपन ददा परभु ल ही असली हकदार बतावत राहय,अपन ददा ल सुरता के फूल चढ़ावत आँसू ल रोक नइ पात रिहिस हे।

पहिली गाँव मा हर खुशी के खबर होवय या दुख के डाक बाबू ही सबके हितैषी राहय, चाहे वो नौकरी के बात राहय या पइसा कौड़ी मनीआर्डर के सबके समाचार पहुँचइया उही राहय।


कुंती बस अतका जानय कि   डाक बाबू हमला ये खुशी के खबर ल सुनाही,,

अउ वो जानत राहय कि मझंनिया डाक बाबू आथे ओखर आए के पहिली,अपन सबो काम बुता ल निपटा के,चौरा म बइठ जए अउ ओखर अगोरा करत राहय,,

जैइसे ही देखतिस पूछे ले धर लय

अइस का बाबू,,हमर घर सगा,,

कुंती नौकरी के कागज ल सगा काहत राहय

डाक बाबू काहत चल दय,,आज नइआए हे भौजी,,,,।

हमर गांव गवंई म नता गोता निभाए के बढ़ सुग्घर परंपरा रहिथे ,सब बड़े होय ते छोटे अपन रिश्ता बड़ मया ले निभाथे


कुंती ल सोवत जागत रात दिन बेटा के नौकरी के फिकर राहय, कहूँ नौकरी बर  पइसा तो नइ माँगत होही तेकरे सेती तो कागज ल दबा तो नइ दे होही,मन मा  कइ ख्याल आवत राहय।काम बुता निपटा के डाकिया के आए के पहिली 

 मुँहाटी मा

बइठ जय,आज वोला पूरा एक बछर हो गे राहय,अइसे कोनो दिन नइ होइस होही जेन दिन वो डाक बाबू के अगोरा नइ करे रिहिस होही खाए ल छोड़ दय,सबो काम ल छोड़ दय फेर डाकिया के आए के बेरा अपन दुवारी म आंखी गढाए राहय  अउ पूछे बर नइ छोड़य

 आजो नइ आए बाबू सगा?


डाकिया बाबू काहय आजो नइ

आय हे भौजी,  अउ

सइकिल ल ठिनिन ठिनिन बजावत चल दय।

भगवान तको ओखर ममता के पुकार अउ बेटा के प्रति समर्पण ल देखत रिहिस होही।काबर सबो के एक निश्चित बेरा होथे,आज वो बेरा हरे अगोरा करत मुँहाटी मा

बइठे कुंती सगा आय के अगोरा मा डाकिया ल देखत रिहिस।

डाक बाबू ह चिल्लावत किहिस,,मन मा खुशी, आँखी म चमक अउ चहक चहक के बड़ दुरिहा ले ये भौजी ये भौजी चिल्लावत हे,,,,,,,,,,

अतका सुनके कुंती के बेचैनी अउ तड़प ल कोनो दूसर ह महसूस

नइ कर सकय।

डाक बाबू काहत हे ए भौजी ----

आगे वो तुँहर घर सगा,,,

 स्वागत करे बर एक लोटा पानी ल तो निकाल।अतका सुनके कुंती के आँखी ले झर झर आँसू के धार खुशी के मारे बोहाय ले धरलिस।नस नस मा खुशी उर्जा बनके दउँड़े  बर धरलिस ।कहाँ ले पाँव म अतेक जान आगे कि दउड़ दउड़   के सब ल बताए बर धर लिस , आज बड़ अगोरा के बाद हमरो घर सगा आय हे। महतारी के त्याग तपस्या तड़प ममता  के कोनो मोल नइ राहय,,,,,,

 किसन के भाई भौजी संग पूरा परिवार आज खुशी ले झुमगे ,,


आज भी किसन अपन मेहनत लगन के परचम फहरावत अपन दाई ददा के सपना ल साकार करत, जिनगी के हर परीक्षा ल पास करत आज अपन घर परिवार अउ समाज मा नाँव कमावत बड़े साहब बनगे हे

अउ पूरा परिवार ल संग म ले के चलत हे,,,,,।



संगीता वर्मा 

आशीष नगर

रिसाली भिलाई

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