पहिली पूजा गणेश जी के
हिन्दू धर्म में कोनों भी काम के शुरुवात गणेश जी के पूजा पाठ ले करे जाथे । काबर गणेश जी हा सबके मंगलकारी अउ विघ्न विनाशक देवता हरे। एकर पूजा करे बिना कोनों भी काम सफल नइ हो पाय ।
गणेश जी के अन्य नाम ----
गणेश जी के अउ बहुत अकन नाम हे । जइसे -- गणपति, गजानन, लंबोदर, विघ्नहर्ता , गणनायक, विनायक , एकदंत ये प्रकार ले 108 नाम हे ।
गणेश उत्सव -------
भादो महीना के अंजोरी पाख (शुक्ल पक्ष) चौथ ( चतुर्थी) से ले के चौदस (चतुर्दशी ) तक दस दिन ले पूरा भारत भर में गणेश उत्सव धूमधाम से मनाय जाथे ।
गणेश स्थापना --------
गणेश उत्सव मनाय के पहिली गणेश बइठारे बर ओकर आसन बनाय जाथे । बड़े - बड़े पंडाल लगाये जाथे । लाइट माइक के बेवस्था करे जाथे , ओकर बाद पंडित जी के द्वारा पूजा - पाठ करके माटी के गणेश के स्थापना करे जाथे ।
विधि विधान से पूजा करे के बाद आरती गाये जाथे अउ परसाद बाँटे जाथे ।
गणेश जी के वाहन -----
गणेश जी के वाहन मुसवा (चूहा ) हरे । कहीं भी आना जाना हे त मुसवा में चढ़ के जाथे ।
अराध्य देव ---- गणेश भगवान ह हिन्दू मन के अराध्य देव हरे । कोई भी काम करे के पहिली एकरे पूजा करे जाथे ।
पुराण में एक कथा आथे के एक दिन माता पार्वती ह अपन शरीर के मइल ला निकाल के एक बालक बनाइस , ओकर नाम वोहा गणेश रखीस । जब माता पार्वती ह नहाये (स्नान) करे बर गीस त गणेश जी ला पहरेदारी करे बर दरवाजा में खड़ा करा दीस , अउ बोलीस के - कोनों ला भी भीतर खुसरन झन देबे ।
माता के आज्ञा पा के गणेश जी ह दरवाजा में खड़ा होगे ।
थोकिन बाद में शंकर जी ह आ गे अउ भीतरी में खुसरे ला धरीस । त गणेश जी ह वोला रोक दीस । गणेश जी अउ शंकर जी दूनों झन में बहुत बहस चलीस । शंकर भगवान ह गुस्सा में आ गे अउ अपन त्रिशुल से बालक के सिर ला काट दीस ।
जब माता पार्वती ला ए बात ह पता चलीस त वोहा बहुत नराज होगे अउ वोला जिंदा करे के जिद्द कर दीस ।
माता पार्वती के घुस्सा ला देख के सबो देवता मन डर्रागे । देवर्षि नारद के सलाह से माता जगदंबा के स्तुति करके पार्वती ला शांत कराये गीस ।
शिव जी के आदेश से विष्णु जी ह उत्तर दिशा में गिस अउ सबले पहिली मिले जीव हाथी के मुड़ ला काट के लाइस ।
हाथी के मुड़ ला गणेश जी के धड़ मा लगाइस , ताहन गणेश जी जिंदा होगे ।
गणेश जी के जिंदा होय के बाद सब देवी - देवता खुश होगे अउ सबझन आशीर्वाद दे के वोला गणनायक घोषित करीस ।
वोला सबले पहिली पूजा करे के वरदान मिलिस । तब ले गणेश जी के पहिली पूजा करे जाथे ।
गणेश जी के पूजा करे ले सब प्रकार के कष्ट अउ बाधा दूर हो जाथे। घर में सुख शांति अउ समृद्धि आथे ।
महाभारत महाकाव्य के लेखक ------------
जब महर्षि वेदब्यास जी ह महाभारत महाकाव्य रचना के तैयारी करत रिहिसे तब वोला एक अइसे लेखक के तलाश रिहिसे जेहा ओकर सोच के गति के साथ ताल मिला के उही गति में लिख सके । बीच में रुकना नइहे । अइसे प्रतिभावान लेखक के तलाश में वेदब्यास जी बहुत जगा घुमीस , फेर कोनों नइ मिलिस । अंत मे वोहा गणेश जी के पास गीस अउ सब बात ला बताइस । गणेश जी हा तैयार होगे ।
गणेश जी हा घलो शर्त रखीस के मेंहा लिखे के शुरु करहूं ते रुकंव नहीं,। बीच में तहूँ अटकबे झन । जब तक पूरा नइ हो जाय । मोर कलम एक बार रुकही ते आघू नइ बढय ।
महर्षि वेदव्यास जी ह घलो वोकर शर्त ला मान लीस ।
महर्षि वेदव्यास जी ह बोलत गीस अउ गणेश जी ह उत्ता धुर्रा लिखत गीस । ये प्रकार ले महाभारत महाकाव्य के रचना होइस ।
बोलो गणेश भगवान की जय ।
लेखक - श्री महेन्द्र देवांगन "माटी"
पंडरिया (कवर्धा)
छत्तीसगढ़
8602407353
बहुत बढ़िया लेख सर जी
ReplyDeleteवाह बहुत सुघ्घर लेख
ReplyDeleteबड़ सुग्घर लेख सर जी, बधाई हे।
ReplyDeleteगुरुदेव ला सादर पायलगी
बहुत सुग्घर लेख हवय ।बधाई।
ReplyDeleteगुरुदेव के कृपा से आज एक नवा संकलन संग्रह गद्य के रुप में हो हे । ताकि दुनिया भर के आदमी मन हमर संस्कृति, समाज , रिति रिवाज कहानी कथा ला पढ़ सके अउ जान सके ।
ReplyDeleteगुरुदेव के ये उत्तम विचार बहुत ही सराहनीय अउ संकलन योग्य हे ।
आज गणेश चतुर्थी के शुभ अवसर में शुरुवात में मोर आलेख ला जगा दीस एकर बर गुरुदेव के आभारी हँव।
गुरुदेव ला शत शत नमन अउ दंडा शरण पायलगी हे।
महेन्द्र देवांगन माटी
वाहःह महेंद्र भाई
ReplyDeleteगणेश चतुर्थी के दिन ही
ये ब्लॉग के श्री गणेश होय हे।
बहुत बहुत बधाई
वाह वाह सुग्घर लेख हे।लेखक माटी जी ला बहुतेच बधाई हे।अउ छंद के छ परिवार के गद्य खजाना सिरजाय बर गुरुदेव जी ला साष्टांग प्रणाम हे।
ReplyDeleteबहुत सुग्घर शुरुआत गुरुदेव जी । सादर नमन ।
ReplyDeleteबहुत सुग्घर शुरुआत गुरुदेव । सादर नमन ।
ReplyDeleteसुग्घर लेख ज्ञान वर्धक भाई जी
ReplyDeleteबहुत सुग्घर लेख आदरणीय ।सादर बधाई ।गुरुदेव ला नमन ।
ReplyDeleteअनंत बधाघ हो भाई,👍👌💐💐💐
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ReplyDeleteबहुत बहुत बधाई देवांगन जी बहुत ही अच्छा लेखनी हे।
ReplyDeleteगजब सुग्घर सर
ReplyDeleteगजब सुग्घर सर
ReplyDeleteजय गजानन महराज
ReplyDeleteबहुत सुग्घर आदरणीय ।हार्दिक बधाई ।
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