Friday 6 September 2019

आलेख-गणेश के दुब्बर मुसवा




व्यंग्य लेख-आशा देशमुख

*गणेश के दुब्बर मुसवा*

ये दरी तो गणेश भगवान के मुसवा
बड़ दुबराय कस लागिस,तब एक भक्त पूछ घलो डारिस,कइसे महाराज
आपमन के सवारी हा अब्बड़ दुबरा गये हे ।
खाय पीये बर नइ देवव का?
तब भगवान कहिथे
काय करबे भगत राज
न तो आजकल कोठी हे ,न डोली हे
कहाँ जाय मोर मुसवा हा,
काला फोलय ,
सबो जिनिस ला,देश ला,संस्कार ला तो मनखे मन फ़ोल के खावत हे।
काय बाँचिस हे अब,
कहे बर मोला दस दिन बइठार देथे,
पूजा के नाम से कान फोड़त गाना बजाथें, एकोठन समझ नइ आवय,
मोर दाई ददा मन सँग मा बइठे रहिथें,
अउ मनखे मन या अइसे अइसे गीत मन ला गाथें कि काय बतावँव।
मोर मुड़ी हा लाज के मारे खाल्हे डहर जाथे।
कतको कहिथे मोला
में बुद्धि के दाता हँव,पर इंखर बुद्धि ला नइ बदल सकत हँव।
मोर ददा के गर के नाग हा घलो लुकावत रहिथे,
एक दिन पूछ पारेंव ,कइसे गा भाई तक्षक नाग
ते मनखे मन ला देख के लुकावत रहिथस ,का बात हे भाई,
तब वो बोलिस ,का बतावँव भैया गणेश,
एक युग रहिस ,जब मोर देखत ही मनखे अउ सबो जीव मन जर जावत रहिस,अब तो उंखरे तन मन मा मोर ले ज्यादा जहर भराय हे,तेकर सेती शरम मा लुका जाथंव।

मोला ये धरती के करलई अब्बड़ पीरा देथे जी भगत राज।
कुछ साल बाद ये भुइँया मा मोरो आना बंद हो जाही ,लगत हे।
न तो मुसवा के खाय बर कुछु बाँचत हे ,न रहे बर कुछु हावय।

कहाँ जाय काला खाय कस होगे हे भगतराज।
तेकर सेती मोर मुसवा हा अब्बड़ दुबरा गये हे।


आशा देशमुख
एनटीपीसी तेलगांना

18 comments:

  1. समसामायिक व्यंग्य,, बहुत बढ़िया हवै

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  2. सादर आभार नमन गुरुदेव
    मोर रचना ला स्थान दे बर

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  3. मजेदार व्यंग है दीदी।
    बधाई हो

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  4. समसामयिक विषय पर सटीक प्रहार करती हुई रचना
    बधाई हो

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  5. जोरदार व्यंग्य करे हव दीदी।सुघ्घर लेखन।

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  6. बहुत सुन्दर दीदी जी । सादर नमन ।

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  7. बहुत बढ़िया व्यंग्य लेख दीदी जी
    बधाई हो

    महेन्द्र देवांगन माटी

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  8. वाह वाह आशा देशमुख बहन जी। चुटुक ले सुग्घर व्यंग।हार्दिक बधाई।

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  9. जोरदार सुग्घर व्यंग्य।

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  10. सुघ्घर व्यंग्य, बधाई हो

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  11. बढिया व्यंग्य लिखे हव। बधाई हो।

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  12. आप सबो भाई बहिनी मन के सादर आभार

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  13. सुग्घर दीदी ।हार्दिक बधाई ।

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  14. बहुत सुग्घर करारा व्यंग्य दीदी

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  15. बहुत सुग्घर करारा व्यंग्य दीदी

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  16. वाह दीदी बहुते बढ़िया👌👍💐💐💐💐

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