Friday 12 May 2023

रज्जू* छत्तीसगढ़ी कहानी

 *रज्जू*

                    छत्तीसगढ़ी कहानी

              

लेखक डॉ.अशोक आकाश


          मैनखे अपन उमर के अलग- अलग पड़ाव में उतार-चढ़ाव भरे जिनगी जीथे। सुख-दुख, दिन-रात, बारिश, जाड़, घाम, भूख-पियास सहत जीवन के रद्दा में सबे जीव ला रेंगे ला पड़थे। दुनिया के सबे परानी जीवन में सुख पाथे त कभू दुख के खाई में तको गिर परथे, फेर जेन सम्हल के रेंगे के कोशिश करथे ओकर सब्बेच सपना जरूर पूरा होथे। 

            बात वो बेरा के हरे जब मेंहा आठवी कक्षा में पढ़त रेहेंव, त मोर संग में रज्जू तको पढ़त रीहिसे। रज्जू हा अब्बड़ सुन्दर गोरी अउ छरहरी देहें के नोनी रीहिसे। कक्षा में सबले हुशियार। अपन सबे भाई बहिनी में सबले बड़े रज्जू के बेरा में स्कूल जाय के  रोज के दिनचर्या रीहिसे। साफ उज्जर कपड़ा, महमहाती तेल चिकचिकात सुन्दर दू ठन बेनी, काजर पावडर लगाय छुकछुकले सुन्दर रज्जू  , पारा भर में सबके बात मनैया सबके दुलौरिन। प्रार्थना मा  मैंहा टूरा लाइन में आगू में खड़े होववँ त रज्जू टूरी लाईन में सबले आगू मा राहय। प्रार्थना करवाय बर गुरूजी मन रज्जू के बोले चाले के तरीका ला अब्बड़ पसंद करे। ओकर प्रार्थना करवई अउ जयकारा बोलवई हा सबके मन ला भा जाय। 

            15अगस्त अउ 26 जनवरी के राष्ट्रीय तिहार मन में रज्जू आगू में तिरंगा झंडा धरे महात्मा गांधी, सुभाषचंद्र बोस, पंडित जवाहरलाल नेहरू अउ भारत माता के जयकारा करत आगू बढ़े तब गॉंव भर के मैनखे मन गली तीर के चॉंवरा अउ मँहाटी मन मा खड़े होके हमर रैली ला सम्मान देवय अउ हमर भारत माता के गुऩगान ला सुनय।

         हर साल राखी तिहार बर गुरूजी मन सबे लइका मनला टाटपट्टी में बैठारके राखी बंधवाय, तब रज्जू हा मोला राखी बांधे, भाई बहिनी के मया दुलार छलक अउ झलक जाय। एक दूसरा ला चवन्नी चाकलेट खवाके मुसकात मया बॉटन, त कभू कभू झगरा तको हो जावन, फेर अबोला कभू नीं रेहेन। एको दिन में कहूं स्कूल नइ जॉंव त रज्जू हमर घर आ जाय, अउ पूछे आज स्कूल काबर नइ आयेस भाई ? अउ स्कूल में पढ़ाय सबे विषय के पाठ ला मुँह अखरा बताके समझा डरे। 

         रज्जू के बाबू ननपन में गुजर गे रीहिसे, ओकर महतारी निर्मला हा बनी-भूती करके परिवार चलात रीहिसे। 

         स्कूल के कोनो कार्यक्रम होय रज्जू के भाषण गीत कविता बिगर अधूरा लागे, समूह नृत्य, एकल नृत्य, नाटक सबमें रज्जू अगुवा राहय। सब गुरूजी अउ लइका मनके चहेती रज्जू पढ़ई साँस्कृतिक कार्यक्रम के संगे संग खेल कूद में तक अगुवा रीहिसे, सबे खेल ला बढ़िया खेले फेर दौड़ में रज्जू अपन स्कूल के केन्द्रस्तरीय खेल प्रतियोगिता में पहिला आय रीहिसे, केन्द्र स्तर के बाद सम्भाग स्तरीय क्रीड़ा प्रतियोगिता में पहिला आयके बाद गुरूजी मन अपन खर्चा में प्रांत स्तरीय प्रतियोगिता बर भेजिन, जिहॉं रज्जू फेर पहिला स्थान बनाके लहुटिस, तब विधायक द्वारा रज्जू के सम्मान में समारोह के आयोजन करेगे रीहिस, ये सम्मान समारोह में विधायक हा रज्जू ला पढ़ाय बर गोद लेयके घोषणा करीस अउ जिहॉं तक पढ़ही तिहॉं तक पढ़ाय के संकल्प लेवत ओकर खेल प्रतिभा निखारे बर प्रशिक्षण के बेवस्था तक कर दीस  । अब रज्जू दिन रात एक करके पढाई अउ खेल प्रतिभा निखारे के प्रयास में लगगे। घर काम में अपन मॉं के हाथ बँटाई ओकर दिनचर्या में शामिल रीहिस। 

         एक दिन मोर संगवारी राधे अक्करहा दऊंड़त हमर घर अइस, खैरपा ला भड़ाक ले पेलके परछी में ले दे के रुकिस तभोले पठेरा के आँट में ओकर मुड़ी लागिचगे। भड़भिड़-भड़भिड़ भड़ाकले बजई में हमर घर कोहराम मचगे, सब कोई जतर कतर ले दऊँड़त अईन। 

सबे मन पूछिन_ "का होगे "? काये बाजिसे तेहा?

     सबे मन इही सोंचत रीहिस "मरखंडा बछवा फेर खूंटा ला टोर दीस"! ओतका बेर मेंहा बासी खावत रेहेंव, राधे के मार हफरत दऊँड़त अवई ला देखके महूँ हड़बड़ागेंव। हॉत के कॉंवरा हाथे में । 

राधे हफर-हफरके अपने बतईस _ "रज्जू घर बड़ मैनखे सकेलाय हवे, मोला तो ओकर दाई मरगे तइसे लागथे।" 

      तुरते हॉत ला अँचोके जैसने राधे दऊँड़त आय रीहिसे वइसने महूँ हा सपरट दऊँड़त रज्जू घर गेंव, मोर पाछू राधे अउ हमर घर के सब कोई दौंड़त अइन, अइसने पूरा गाँव सकेलागे, एकेचकनी में हमर स्कूल के सबे लइका मन आगे। 

          आठवी के वार्षिक परीक्षा के पहिली ओकर दाई निर्मला हुरहा बीमार परगे रीहिसे। अस्पताल में पॉंच छै दिन भरती रहे निर्मला कतको जतन के बाद भी नइ चेतिस। रज्जू के जिनगी में दुख के पहाड़ गिरने। आठवीं परीक्षा शुरू होयके दू दिन पहिली महतारी के मौत हा रज्जू ला पथरा बनादिस।अपन पास के एक झन बहिनी पारो अउ भाई राजू के बोझा अब रज्जू ऊपर आगे। ओमन ला पोटारे रज्जू अपन दाई ला मरघट्टी लेगे के तैयारी ला बोट-बोट देखत रीहिसे। विधाता के पटके ये दुख के पहाड़ ला सगा-सोदर, पारा परोस अउ गॉंव भरके मन महसूस करत रीहिन। जे देखिस सुनिस तेकर मुहूँ सुखागे। सबे मन एक दूसर ले काहय अब का होही येे लइका मनके। 

          स्कूल में प्रार्थना के संग श्रद्धांजलि सभा के बाद छुट्टी करे गीस, तहॉंले हेडमास्टरिन, गुरूजी अउ लइका मन संघरा रज्जू के घर आइन। मुड़ी धरे मुड़सरिया में बइठे, एक टक अपन दाई के पींवरा परे मुहूँ ला देखत रज्जू हुरहा हेडमास्टरिन, गुरूजी अउ संग में पढ़ैया लइका मनला देखिस त पहाड़ कचारे बरोबर बोम फारके रो डरिस, काकरो मन धीरज नइ धरिस, सब रो डरिन। 

     बड़े मेडम हा ढाढस बंधावत कीहिस_"तैं फीकर झनकर बेटी हमन तोर संग हन, अपन आपला अकेल्ला झन मान ,  हमन सब डाहन ले तोर सहयोग करबो।"

            अउ अपन पर्स ले अब्बड़ अकन रुपिया निकाल रज्जू के हाँथ में धरादिस। डारा ले गिरे बेंदरी के पीला जइसे अपन महतारी ले लिपट जथे, वइसने रज्जू हा बड़े मेडम संग लिपटगे, ये बेरा पूरा घर चिरो-बोरो रोवई में गूंजगे। 

           रज्जू के माँ के तिजनहावन कार्यक्रम के दिन हमर मनके पहिली पेपर हिन्दी राहिसे। बड़े मेडम ये पेपर ला बाद में देवायके बेवस्था पहिलिच ले कर दे रीहिसे। दुसरैया पेपर  एक दिन के आड़ में रीहिसे। गुरूजी मन रज्जू ला मना भुरियाके पेपर देवाय बर राजी कर डरिन। रज्जू हा जीवन के संघर्ष- यात्रा बर तैयारी करके परीक्षा देवाय लागिस ।

              

             

               (2) 


           परीक्षा उरकगे अउ सगा सोदर मन देय रीहिस तेन  धान चॉंवुर पैसा सब उरकगे। अब रज्जू ला अपन आगू के जिनगी अउ अपन भाई बहिनी मन के भविष्य के फीकर सताय लागिस, कहॉ ले पैसा आही, काली का खाबो, ये फीकर ओला रात भर सूतन नइ दीस। ठंडा सॉंस भरत, बाखा बदलत, आगू जिनगी के योजना बनात,दयालू चोला के मनखे खोजत, गौंटनिन दाई मेर जाके मन थिराइस अउ नींद परगे।

          पहाती उठ गाय गरू के गोबर कचरा डार, पेरा भूँसा दे के पानी कांजी भर डरिस अउ बेरा उत्ती गौंटिया घर जाके गौंटनिन दाई ला अरजी करीस_"दाई मेंहा तुंहर पानी कांजी भर दुहूं, गोबर कचरा कर दुहूं, मोला काम देदे दाई, मोला काम देदे, मोर अरजी ला सुन ले।"

         गौंटनिन दाई ओकर सोगसोगान मुहूं ला देखके रोवॉंसी होके कीहिस _"तैं नानचुन लइका मैं तोला काय काम करवाहूं बेटी, ले कियॉंरी मन में पानी डार देबे अउ कोटना में आधा कोटना पानी भरके ऊपर टंकी में पानी चढ़ा देबे" कहिके पंप ला चालू करदिस। आधा घंटा में काम निपटाके रज्जू गौंटनिन दाई मेर खड़े होगे तब गौंटनिन दाई हा ओला खनखनात पानरोटी अथान अउ पचास रुपिया देके कीहिस-"बड़ सुंदर कमाय बेटी तें अब रोज आ जायकर अउ आज जतका कमाय हस अतकी बुता रोज करदेबे मेंहा तोला अतकी रुपिया रोज के देहूं।" 

         सुनके रज्जू खुश होगे, अउ गौंटनिन दाई के पॉंव परके कथे_

तैं मोरबर भगवान अस दाई, तोर एहसान ला मेंहा कभू नइ भुलॉंव। "

        गौंटनिन दाई के घर ले अपन घर जावत रज्जू के गोड़ खुशी के मारे भुईयॉं में नइ माड़त रीहिस। अब ओकर रोज बिहनिया के इही दिनचर्या रीहिसे। 

           रज्जू ला आधा घंटा कमई  के अत्तिक पैसा पावत देखके अउ कमैया मन कसकसागे राहय । एक दिन ऊँकर घर के झाड़ू पोंछा करैया कथे_

       "हमरो बनी ला बढ़ादे गौंटनिन दाई रज्जू ला रोज आधा घंटा कमई के पचास रुपिया देथस, हम अइसन अन्याय ला नइ सहि सकन।"

     तब गौंटनिन दाई कीहिस _"तुंहर जवानी ला धिक्कार हे रे, तुमन नानचुन लइका के हिजगा करथो, मेंहा वो लइका के कमई के नहीं, ओकर अपन परिवार ला चलायके हिम्मत अउ अपन जिनगी में कुछू करे के हौसला के कीम्मत देथँव। देख लेना ये नानचुन लईका अपन जिनगी में सिर्फ बनिहार बनके नइ राहय, जरूर कुछू करही अउ कुछू बनके रही, ये मोर आत्मा काहथे। मैंहा वो लइका बर सब कुछ कुर्बान कर सकथँव, तुमन कोन होथो बोलने वाला।" 

        फेर गौंटनिन दाई थोकिन चुप रहिके शांत होके कीहिस_" देख बेटी भानू वो लइका टूट गेहे वो, ओकर दाई ददा दुनो नइहे, ओला सहारा के जरूरत हे। रुपिया पैसा हा जिनगी बर सब कुछ नोहे, दूसरा के जिनगी ला सहारा देबर कुछू करेके प्रयास ला तुमन टोरव झन। महूं अतिक निरदइ नइ हँव, तहूँ मनला जी खोलके देथँव, फेर तुमन ये नानचुन लइका के हिजगा झन करो, चलो अपन काम में लग जाव।"

        गौंटनिन दाई के बात ला सुनके सबे कमैया मन मानगे अउ अपन-अपन काम-बुता मा लगगे। रज्जू हा ऊँकर मन के बीच के गोठ-बात ला सुनत रीहिसे, वो जानगे कि गौंटनिन दाई हा ओला ओकर मेहनत ले जादा पैसा देवथे। अब रज्जू हा गौंटनिन दाई के घर, कोठा,बाड़ी बखरी के छोटे छोटे काम बुता करे लागिस। घर में आये सगा-सोदर मन करा चाय पानी लेगई के बुता रज्जू को पोगरी होगे। थोरिक दिन में घर के सबे सदस्य अउ कमैया मन के मन ला जीत डरीस, हमेशा गुमशुम रहैया रज्जू अपन मॉं ले बिछड़े के पीरा ला भुलाके जीवन के उतार चढ़ाव मा सम्हलके रेंगे लागिस। 

          परीक्षा के रिजल्ट आगे यहू साल रज्जू अपन स्कूल में अव्वल आइस। अइसन बिपत के बेरा में धीरज बनाके रखे के सेती स्कूल के सबे मास्टर मास्टरिन मन ओकर बड़ बड़ाई करीन। 

           हाईस्कूल हा गॉंव ले छै किलोमीटर दुर्हिया रीहिसे, संगवारी मन संग जाके रज्जू हाई स्कूल में भरती होगे। अब रज्जू रोज बिहनिया ले संझा तक घर ,स्कूल अउ गौंटनिन दाई के घर के बुता में बेंझवाय लागिस, ओला एकोकनी पढ़े के बेरा नइ मिलत रीहिसे, हप्ता, पंदरही में रज्जू करियागे। गौंटनिन दाई रज्जू के मन के पीरा ला जान डरीस। एक दिन कीहिस_"जब ले मोर नोनी शिखा के बिहाव होय हे बेटी, ये साइकिल हा माड़ेच हवे, जा बेटी ये साइकिल ला लेजा, तोर बेरा मों स्कूल जायके काम आही। मन लगाके पढ़ अउ जिनगी के सुग्घर रद्दा गढ़।"

          नवा टायर,तारा, घंटी, फुंदरा लगे चुक-चुकले, नवॉं दुलहिन बरोबर सजे साइकिल ला  देखके रज्जू खुश होगे, फेर थोरिक उदास होके कीहिस -"एकर कोनो जरूरत नई रीहिस दाई, मेंतो दौंड़त चल देथों, फेर बता के पैसा दुहूं। "

         तब गौंटनिन दाई कीहिस "मैं कोनो बैपार करथँव वो, जेमे तोला पैसा में दुहूं" अउ रज्जू ला छाती में ओधाके कीहिस, _"माड़े माड़े सबे खराब होगे रीहिस बेटी, तोरेच बर एला बनवाय हँव, लेजा एमा स्कूल जाबे त मोरो मन माड़ही। "

         तब रज्जू हा ओला पोटारके कीहिस_"मेंहा तोर कब काम आहँ दाई, तोर ये सबे करजा ला कब छुटहूं वो। "

      रज्जू बर ये साइकिल हा कोनो सूरज चंदा ले कम नइ रीहिस, जेकर सपना देखई तक पहाड़ रीहिसे, वहू हा गौंटनिन दाई के किरपा ले पूरा होगे। अब सबे काम बेरा में हो जाय । नौंवी कक्षा में अभिभावक के रूप में गौंटनिन दाई के नाम लिखवाय रीहिसे। एक दिन ओकर स्कूल के प्राचार्य हा  गौंटनिन घर मेर रुकके पूछिस_"रज्जू घर में हवे का।" गौंटनिन दाई ओतिक बेरा घर में नइ रीहिस, ओकर बेटा आरो ला सुनके बाहिर आवत कीहिस

-"ओकर घर थोरिक दुरिहा में हवे, मैंहा बुलवा देथों, आप मन बैठो।" अउ लइका मनला भेजके रज्जू ला तुरते  बलवादेथे। चाय पानी के पीयत ले रज्जू अंगरी फोरत आगे अउ कीहिस

-"का बात आय भैया मोला कइसे बलवाय हव। "

     अउ अपन स्कूल के प्राचार्य ला चिन्ह के प्रणाम सर कहिके पॉव परीस, ओतकी बेरा गौंटनिन दाई तक पहुंचगे, अउ कीहिस

_ तोर स्कूल के गुरूजी मन आय हे बेटी चल चाय पानी पिया। "

     गुरूजी कीहिस _"हमन पी डरे हन, एक ठन खुशखबरी देय बर आय हन, हमर विधायक महोदय के अनुशंसा ले, तुंहर गॉव के होनहार बेटी रज्जू के चयन शहर के बड़का स्कूल में सरकारी खर्चा में पढ़े बर होगे हवे, जेमा छात्रवृत्ति तक मिलही।"

         अतका सुनके रज्जू चहकगे अउ ताली पीटत कूदत अपन खुशी व्यक्त कर डरीस, फेर अपन बहिनी भाई के सुरता आते भार बुझाय दीया बरोबर रुआँसू होके कीहिस_

         "नहीं सर में कहुंचों पढ़े ला नइ जॉव, मोर नान नान भाई अउ बहिनी मनके का होही।"

    तब गौंटनिन दाई के बेटा विधायक करा तुरते फोन लगाइस अउ कीहिस_ विधायक महोदय रज्जू के नान्हे नान्हे भाई बहिनी मनके घलो कोनो बेवस्था करदेतेव ताकि तीनो झन एके जघा रहिके पढ़ सके। "

         विधायक महोदय हा रज्जू के जिनगी के उतार-चढ़ाव ला जानत रीहिसे, वो तुरते कीहिस_"मोला सब मालूम हे दाऊजी, मेंहा ऊँकरो मनके व्यवस्था कर डरे हँव। तुंहर गॉव के ये होनहार लइका मनला तुमन सम्मानपूर्वक शहर भेज देव, बाकी सबे बेवस्था ला में देख लुहूँ।" 

        बिहान दिन गॉंव के सरपंच पटैल, ग्राम प्रमुख, गौंटनिन दाई अउ ओकर बेटा संग गॉंव भरके मैनखे जुरियाय, रज्जू ओकर भाई अउ बहिनी ला, बड़का शहरके बड़ेजन स्कूल में अमराके आगे। 


                    3

               

          आज बारा बछर होगे.....


      बड़े बिहनिया कोतवाल हा हॉंका पारिस_ "आज हमर गॉंव में सब काम धाम बंद हे, बारा बजे पंचायत चौंक मेर सकेलात जाहू हो.......!"

 सब कोई पूछे_" का होगे कोतवाल ? का बात बर गॉंव बंद हे ? "

कोतवाल कीहिस_"में नइ जानों ददा, ऊप्पर ले शासन के आदेश आय हे।"

गॉव के मन पटैल कर गीस, सरपंच करा गीस, कोनो ला कुछू नइ मालूम, अतका भर पता चलिस कि हमर गॉंव में बड़े जन साहब अवैया हे। सब गॉंव भरके मन अगोरा करत राहय, सबे मन सोंचत राहय कोन साहेब होही? 

            बेरा उत्ती बड़े बड़े मशीन गॉंव के कच्ची सड़क ला डामरीकरण करे बर आगे। 10के बजत ले गॉंव के कच्ची सड़क डामर के होगे । पूरा गॉंव डामरे डामर महमहावथे। पंचायत के आघू के बिगड़हा बोरिंग बनगे। गौरा चॉंवरा कराके बोरिंग में पंप फिट करके बीच गली के आवत ले चार पॉंच जघा नल लगगे। वृक्षारोपण करे बर पौधा पटकागे, अब्बड़ अकन गड्ढा खनागे। पंचायत के आघू मा मंच तैयार होगे, पंडाल तनागे, अब्बड़ अकन कुर्सी सजगे, माइक बाजे लागिस, देशभक्ति के गीत गूंजगे_"मेरे देश के धरती सोना उगले, उगले हीरा मोती, मेरे देश के धरती.....। "

      ग्यारा बजे अब्बड़ अकन कार आके पंचायत के आगू में रुकिस, पूरा गॉंव सकेलागे, हमर गॉंव में बड़ेज्जन साहब आगे। सरपंच, पटैल, पंच अउ गॉंव वाले मन जाके फूल माला में कार ले उतरते भार साहब मनके अगुवानी करीन। चमचमाती कार उतरैया मन तक शूट बूट में, पूरा गॉंव भरके सकेलाय मनखे मन खुसुर-फुसुर करथे, फेर फूल माला देवैया मनला वो साहब मन कहिदिन_

"अरे हमन नोहन भैया, बड़े साहब बाद में आही, हमन बेवस्था देखे हर आय हन। "

      अब पूरा गॉंव के सबे बेवस्था के निगरानी करे गीस - बिजली, पानी, सड़क, साफ सफाई  सब चकाचक.....! 

       पूरा गॉंव के मन ये साहब अउ सबे विभाग के कर्मचारी मनके चाय पानी के बेवस्था में लगगे। सवा ग्यारा बजे एक ठन अउ कार अइस, गॉंव भरके मन अउ पहिली आय रीहिस ते साहब मन उत्ता-धुर्रा वो कार डाहर दौंड़िन, गिरत हपटत वो साहब के तीर में जावत ले कार में बैठे साहब हा कार के रुके के पहिलिच ले कार के दरवाजा खोलके उतरत गिर परीस, अउ पहिली ले आय साहब मनला खिसियाके कीहिस_

       "पागल हो तुमन ईहॉं चाहा पीये ला आय हव, मोला नौकरी ले निकलवा दुहू का, गॉंव के बाहिर में स्वागत गेट कोन बनवाही। "

   अब सब कोई ला सुरता अईस, टेंट वाले ला कहिके जल्दी-जल्दी सुन्दर गेट बनवाय गिस, अउ पेंटर ला कहिके, सफेद कपड़ा के बेनर में स्वागत हे कहिके लिखवाय गिस। गॉव के स्कूल के हेडमास्टर ला कहिके तुरते लइका मनके सांस्कृतिक कार्यक्रम तैयार करवाय गिस। 

         अब तो पूरा गॉंव आश्चर्य में परगे हमर गॉंव में अइसन कोन साहब अवैया हे, जेकर बर हमर गॉंव के अत्तिक साज सिंगार होवथे। 

        ठीक बारा बजे मेन रोड ले गॉंव के धरसा में नवॉं बने सड़क डाहन आठ नौ ठन गाड़ी के काफिला मुड़िस, वॉंऊँ-वॉंऊँ, वॉंऊँ-वॉंऊँ गाड़ी के शायरन दुर्हिया ले गूंजगे। गाड़ी में बैठे मोर मन अपन बचपना के फोटो  खींचत रीहिस। जीवन के संघर्ष यात्रा में तपके निखरे रज्जू हमर जिला के कलेक्टर बनगेहे। 

          ***

           

लेखक_ डॉ.अशोक आकाश

ग्राम -कोहंगाटोला पो.ज.सॉंकरा, 

तहसील जिला बालोद, छत्तीसगढ़

मोबाईल नंबर_ 9755889199

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