Friday 15 September 2023

चतुरा

 चतुरा 


               बात अतेक जुन्ना आय जब जंगल के बड़े बड़े जानवर मन साधारन जानवर संग मिलजुल के एकमई रहय । ओ समे दुनिया के सरी जानवर मन के दुश्मन सिर्फ मनखे रिहिस । अइसने एक ठिन बियाबान जंगल म छेरी अऊ बघनिन के बीच बहुतेच दोस्ती रिहिस । दुनों झिन जंगल म एके संघरा किंदरय । एके घाट म पानी पियय । दिन भर छेरी हा हरियर हरियर चारा चरय त बघनिन हा जंगल म दिन भर पगुराय । रात कुन बघनिन हा शिकार के तलाश म निकलय त छेरी हा अपन खोलखा म आराम करय । देखत देखत दुनों झिन जवान होगिन । जवानी म खुबेच मसती मारय दुनों झिन । छेरी हा बघनिन के पीठ के सवारी करय त बघनिन हा छेरी के सींग म देंहे ला खजवाय । 

                कुछ समे बीते पाछू दुनो झिन एके संघरा महतारी बनिन । छेरी के पांच ठिन पिला होइस त बघनिन के तीन ठिन होइस । अपन लोग लइका के पालन पोसन म इंकर व्यस्तता बाढ़गे । अब बहुतेच कम मुलाखात होवय । छेरी हा अपन पांचों पिला ला धरके जंगल म जावय त बघनिन ला थोकिन जलन होवय । ओहा छेरी ला कहय के तोरे बने पांच ठिन पिला हे या ..... । को जनी में काकर का बिगारे रेहेंव मोला भगवान हा तीने झिन दिस । एक दिन बघनिन हा छेरी ला किथे के तोला पांच पांच झिन पिला के पालन पोसन म बहुतेच परेसानी होवत होही या ...... तेकर ले तोर एक झिन पिला ला मोला दे दे । तोरो चार हो जही अऊ मोरो चार हो जही । छेरी किथे – तोर हमर खान पान अचार बिचार रहन सहन म एको कनिक समानता निये या बहिनी । तोर मोर दोसती जरूर निभगे फेर लइका मन अतेक अंतर परिवेस म कहाँ रहि पाहीं ..... ? बात अइस गिस होगे । फेर बघनिन के मन म उही दिन ले कपट हमागे । ओहा छेरी के लइका के संख्या कम करे के मौका तलाशे लागिस ।  

               बहुत दिन म बघनिन अऊ छेरी के मुलाखात जंगल म होइस । हालचाल पूछी के पूछा होय के बाद लइका मनके बात चलिस । छेरी हा कहत रहय के - मोर लइका मन अबड़ मसतियाथे या बहिनी ....... । बाहिर म दिन भर हरियर हरियर चारा बोज के आ जही तभो ले मोर दूध पिये बर नइ छोंड़य । दिन भर खेले कूदे रइहि तभो ले रात ले मसती मारे बर नइ छोंड़य । बघनिन किथे – मोर लइकामन बहुतेच सुस्त हे या ...... । दिन भर माड़ा ले नइ निकले ...... । रात कुन शिकार करे बर तको बाहिर नइ जावन कहिथे । मिही लान के देथँव तेला बइठे बइठे भुकुर भुकुर के खाथे । दूध पीना तो कबके बंद कर दे हाबे । छेरी के खुशी ला देख बघनिन के मन के पाप फेर उभरगे । ओहा छेरी के लइका मन ला  मारके अपन शिकार बनाना चाहिस । फेर दोस्ती के सेती सीधा मार घला नइ सकय । तब वोहा उपाय सोंचिस अऊ छेरी ला किथे के - तोर एक झिन लइका ला मोर घर सुते बर भेज देते गोई ...... । ओहा आतिस ..... अऊ मस्ती करतिस तहन मोरो लइका मन मसतियाय ला सीखतिस । उहू मन ला मजा कइसे करे जाय तेकर शिक्षा मिलतिस । मेंहा बता बताके थकगे हँव । बताये म नइ सीखत हे गोई ........ देखे म जल्दी सीख जही । छेरी हा भल ला भल जानिस । ओहा बघनिन के कपट ला समझ नइ सकिस अऊ आजे रात के भेज देहूँ कहत चल दिस अऊ अपन खोलखा म खुसरगे । 

               सांझकुन छेरी के पिला मन सकलइन तहन छेरी हा अपन पिला मनला बघनिन संग होय सरी बात ला बतइस । छेरी के पिला मन किथे - तहूँ कइसे अस या रात कुन के समे हा ओकर होथे । ओहा रात कुन कुछ उने गुने निही । जाबो तहन मारके खा डरही तब ...... । छेरी हा अइसन सोंचे नइ रिहीस फेर अपन दोसती के फर्ज पूरा करे बर ओहा अपन पिला मनला किहिस - तूमन नइ जाहू ते मेहा जांहूँ । में सिखाहूँ ओकर पिला मनला ........ मोर बचन काबर अभिरथा होय । हमर दुनों के बीच अतेक दिन के दोसती हाबे ......... ओहा अइसन करीच नइ सकय । सुते के नानुक बात म जिनगी भर के दोसती झिन टूटय । लइकामन आपस म खुसुर पुसुर करे लगिस । छेरी के छोटे पिला के नाव ठुनठुनिया रहय तेहा अपन भई बहिनी मनला किथे के – हम पांच भई बहिनी म एको झिन ला जाना चाही ।  मानलो हमन ला बघनिन खईच दिही त कम से कम हमर दई जिंदा रइहि त हमर असन अऊ कतको लोग लइका बिया डरही ..... । बड़े लइका मन किथे – तोला मरे के अतेक सऊँक हे त तिहीं जाना रे ठुनठुनिया ........ काबर दूसर ला नसीहत देवत हस । 

               ठुनठुनिया हा रात कुन अपन दई तिर गिस अऊ किथे – दे दई मोर ठुमुक लउठी ला । मेंहा जावत हँव बघनिन के माड़ा म सुते बर ...... । छेरी ला ठुनठुनिया उपर बहुतेच बिसवास रहय । ओहा जानय के येहा बहुतेच चतुरा हे ..... फेर भी बघनिन के नीयत खराबेच होगे त ....... ओकर पंजा के आगू म का पता ....... येकर चतुरई काम आही के नइ आही ...... सोंचत ....... भरे मन ले ठुनठुनिया के माथा ला चूम के बिदा कर दिस । 

             बघनिन हा ठुनठुनिया बर हरियर हरियर चारा लानके राखे रहय । जाते साठ ओला बड़ मया करिस । अपन तिर म सुतइस । रात कुन नींद खुलिस तहन बघनिन हा अपन संग सुते ठुनठुनिया ला कस के पोटार के धर लिस अऊ हबरस हबरस चांटे लगिस । चांटत चांटत ठुंनठुनिया के माथ ले लहू के धार निकले लगिस । बघनिन के नीयत तो पहिलीच ले खराब रिहिस हे । ओला बहुत समे बाद रथिया म घर बइठे ताजा लहू के सुवाद मिले रहय । ओहा अपन सब लइका ला सुते जान ठुनठुनिया के टोंटा ला अपन जबड़ा म मसक दिस । ठुनठुनिया के मुहूँ ले आह तक नइ निकलिस । बघनिन हा ठुनठुनिया ला तुरते दूसर खोली म ईंचत लेग के ससन भर के खा डरिस । खा पी के डकार के आके सुतगे । 

               बिहिनिया होइस तहन ठुनठुनिया हा अपन ठुमुक लउठी ला धरिस अऊ जाथँव या मित्तीन दई कहत निकलिस त बघनिन के हक्का बक्का नइ फूटिस । ओहा अपनेच पिला ला खा डरे रहय । असल म रातकुन ये होय रहय के बघनिन हा अपन संग ठुनठुनिया ला सुताये रहय फेर ठुनठुनिया हा सबके नींद परे म चतुरई करके बघनिन के एक लइका ला लउठी म पेलत बघनीन संग लेग दिस अऊ ओकर जगा म अपन सुत गिस । 

               बघनीन के दिमाग खराब होगे । अभू ओकर सिर्फ दू लइका बांचगे । दूसर कोती ठुनठुनिया घर म पहुँच के कन्हो ला कुछ नइ बतइस । बस अतके किहीस के बड़ मजा अइस । मंझनिया बेर छेरी अऊ बघनीन के मुलाखात होगे । बघनीन हा छेरी ला किहिस के एके दिन म तोर लइका हा मोर लइका मनके काया पलट कर दिस या बहिनी । दू चार दिन अइसने भेज देबे ते मोरो लइका मन खेले कूदे मसतियाये अऊ अचार बेवहार ला घला सीख जही । छेरी हव कहत घर लहुँट जथे । 

               दूसर रात के छेरी हा फेर ठुनठुनिया ला बघनिन घर जाये बर किथे । ठुनठुनिया किथे – हमन ओकर लइका मन ला सिखाये के ठेका लेहन का दई ..... । रोज रोज के धंधा बना डरे हे मित्तिन दई हा । छेरी किथे – जा बेटा ..... एक दूसर के अइसने मदत करे बर लागथे गा ...... । उही बघनीन के दोसती के सेती आज तक कन्हो जानवर हा हमर उप्पर हमला करे के सोंच नइ सकय । आज ओकर उपर संकट आहे त हम नइ उबारबो त कोन उबारही । ठुनठुनिया हा बेमन से ठुमुक लऊठी ला धरिस अऊ ठक ठक बजावत चल दिस ।

               बघनीन ओकर एकदमेच अगोरा करत रहय । ओहा अइस तहन ओकर मुहुँ कान ला चूम डरिस । आज बघनीन हा ठुनठुनिया ला फेर अपन संग सुतइस । रथिया कुन डर के मारे ठुनठुनिया ला जाड़ लागिस । ओहा अबड़ अकन कथरी गोदरी ला ओढ़ डरिस । बघनीन हा शिकार के बेरा म उठगे तब ओला सुरता अइस के शिकार तो मोर बाजू म सुते हे । टमर के देखिस । बड़े जनिक जगा घेर के सुते रहय । बघनीन समझगे के ठुनठुनिया हा आज घला चलाकी करे हे । आज फेर अपन हा ओ पार सुतगे हे अऊ मोरे लइका ला मोर तिर सुताके मोला भरमावत हे ...... । ओहा कले चुप उठिस अऊ सबले छोटे दिखत देंहे के टोंटा म मुहुँ ला डार दिस । लहू के धार बोहागे । चुँहक डरिस अऊ बाजू खोली म लेजके मास ला बोज डरिस अऊ वापिस आके सुतगे । 

               बिहिनिया ले ठुनठुनिया हा अपन ठुमुक लउठी ला धरके बाहिर निकलके जाथँव ओ मित्तिन दई कहत पल्ला भागिस । बघनिन ला काटो ते खून निही । अपनेच दुसरइया लइका ला मारके खा डरे रहय । ठुनठुनिया हा फेर बाँचगे । घर पहुँचके अपन दई ला किथे – मित्तिन दई के लइका मन जम्मो बात बेवहार सीखगे दई अऊ जाये के कन्हो आवसकता निये । आज खंधबे झन । 

               मंझनिया तरमर तरमर करत बघनिन संग छेरी के फेर मुलाखात होगे । छेरी पूछिस –  कइसे लागत हे या बघनिन बहिनी । बघनिन के घुस्सा के ठिकाना नइ रहय । ओ किथे – थोकिन तबीयत बने निये या बहिनी ...... । तोर लइका ठुनठुनिया ला काये खवाथस तेमा नानुक उमर म अबड़ दिमाग हे या ..... । मोर लइका मन के तो गुरू बनगे । ओमन तोर लइका के पाँव परे बर धर लिस । गऊकिन एक  दिन अऊ आ जही ते मोर लइका मन के हिरदे म छा जही । एकाध दिन अऊ भेज देते या ....... तोर बड़ कृपा होतिस ....... । अपन लइका के बड़ई सुन छेरी के छाती फूल के चौंड़ा होगे । ओहा अपन संगवारी बघनिन ला अपन लइका ला आज भर अऊ भेजे के आसवासन दे दिस । 

               छेरी अबड़ खुस रहय । खोलखा म आतेच भार ठुनठुनिया ला गोदी म उचा डरिस अऊ ठुनठुनिया के कतको मना करे के बावजूद घला आज भर बर बघनिन के घर जाये बर मना डरिस । ठुनठुनिया मन म सोंचिस के आज के रात आखिरी रात आय । फेर भी अपन बांचे के उदिम रच के रथिया कुन ठुमुक लऊठी ला धरके चल दिस । बघनिन हा ठुनठुनिया के आये के अगोरा म माड़ा के कपाटेच म बइठे रहय । ओला आते साठ अबड़ पियार करिस अऊ चूमिस चांटिस घला । ठुनठुनिया के गंध ला अच्छा से सूंघके अपन नाक म भर डरिस बघनिन हा । रथिया म सुते के बेर ठुनठुनिया किथे – मित्तिन दई मोला बाहिर लागथे या । अकेल्ला डर लागथे । संग म मित्तिन भाई ला भेज देते त बने होतिस । बघनिन हा हव कहिके अपन पिला ला संग म भेज दिस । माड़ा ले निकलत समे ठुनठुनिया हा अबड़ जाड़ हे कहिके अपन संग म लाने मोटरी ला हांथ म धरके निकलिस । बाहिर निकलके मोटरी ला हेरिस अऊ एक ठिन खाल ला बघनिन के लइका ला घुमघुम ले पहिरइस अऊ एक ठिन खाल ला अपन घुमघुम ले पहिर डरिस । अपन लउठी ला घला बघनिन के पिला ला धरा दिस । बाहिर बट्टा ले निपटके आगे अऊ खाल के बने स्वेटर हा बने गरम गरम लागत हे कहिके ओला न अपन उतारिस न बघनीन के पिला ला उतारन दिस । बघनिन के लइका हा एक बाजू म सुतिस अऊ ठुनठुनिया हा एक बाजू म । रथिया म बघनिन ला नींद कहाँ आय । ओहा दुनों झिन के सुते के अगोरा म रिहिस हे । दुनों लइका जइसे सुतिस तहन बघनिन अपन दसना ले उचगे अऊ लइका मन ला सुंघे लगिस । आज ओहा धोखा नइ खाये के कसम खा डरे रहय । पूरा तसल्ली करे के बाद आज अपन काम करना हे सोंच डरे रहय । ठुमुक लऊठी हा काकर तिर माढ़हे हे तेला तफतीस कर डरिस । नाक कान ला छूके देख डरिस । हांथ गोड़ ला टमड़के देख डरिस । पूरा तफतीस करे के बाद ओकर धीरज समाप्त होगे अऊ कूद दिस ठुनठुनिया उपर । एके बेर म चटनी होगे । ससन भर के खा पी के डकार लेवत चुपेचाप सुतगे । 

               बिहिनिया ले उचके एक बेर अऊ सुते दसना म अपन लइका ला सही साट पाके बघनिन हा बाहिर म बइठके खुशी खुशी पगुराय लगिस । तइसने म अपन ठुमुक लउठी ला धरके ठुनठुनिया हा जावत हौं या मित्तिन दई कहत पल्ला छाँड़ दऊँड़िस । बघनिन के होस उड़ागे । ओहा भितरि डहर निंगिस । बघवा के खाल माढ़हे रहय । ओ सोंचे नइ रिहिस के आजो ओहा धोखा खा जही ...... । असल म रथिया कुन बाहिर जाये के बेर जाड़ के बहाना म अपन घर ले लाने छेरी के खाल ला ठुनठुनिया हा बघनिन पिला ला घुमघुम ले पहिरा दिस अऊ बाघ के खाल ला घुमघुम ले अपन पहिर लिस अऊ ते अऊ लउठी तको ला बघनिन पिला ला धरा दिस । बघनिन हा जब सूंघिस त छेरी के खाल के गंध ओकर पिला ले आवत रिहिस हे । तेकर सेती बघनिन हा अपनेच लइका ला ठुनठुनिया समझ के खा डरिस । 

              बघनिन हा तुरते अपन संगवारी मनला सकेल डरिस अऊ ओतके बेर छेरी संग अपन दोस्ती टूटे के एलान करत ओकर उपर हमला करे के योजना बनाके छेरी के खोलखा ला घेरे बर निकलगे । दूसर कोती ठुनठुनिया हा अपन खोलखा म आके लकर धकर सरी बात ला बताके उही तिर के एकदमेच  ऊँच‌ सिध्धा लमबा रूख म मई पिल्ला चइघके रूख के टिलिंग म बइठगे । एती बघनीन हा छेरी अऊ ओकर परिवार ला खोजत खोजत रूख तिर पहुंचगे । ओकर नाक म भराये छेरी के गंध हा गे नइ रहय । ओहा जान डरिस के छेरी अऊ ओकर परिवार हा इही तिर लुकाहे ...... । ओमन छेरी ला ललकारत दहाड़िस । ऊँकर दहाड़ म रुख काँपे लगिस । डर के मारे छेरी के लइका मन रोये लगिन । बघनिन अऊ ओकर संगवारी मन उपर टप टप आँसू गिरे लगिस । ओमन जान डरिस के इही रुख म चइघे हे छेरी अऊ ओकर परिवार हा । उहू मन रुख म चइघे के परयास करे लगिन । रुख के डारा साखा हा एकदमेच उप्पर म रहय । तरी डहर अतेक चिक्कन रहय के चइघ सकना समभव नइ रहय । बघनिन हा किथे एक के उपर एक चइघथन । उ‌कर तक पहुंच जबो । बघनिन हा अपन संगवारी बाघ मनला चेतावत कहत रहय के सबो ला एकदमेच सावधान रहना हे । छेरी के एक झिन ठुंनठुनिया नाव के लइका हा बहुतेच चतुरा हे । सबले तरी म सबले बड़का बँड़वा बघवा हा रहय । एक के उप्पर एक चइघत छेरी के परिवार तक बघनिन के हांथ पहुँचनेच वाला रिहिस हे तइसने म ठुनठुनिया हा जोर से चिचियावत अपन दई ला किथे – लान तो दई मोर खाँड़ा ला तरी के मारों बांड़ा ला ........ । अवाज हा सबले तरी म ठाढ़हे बँड़वा बघवा तक घला पहुँचगे । ओहा ठुनठुनिया के चलाकी ला सुन चुके रहय । बँड़ंवा बघवा हा मुही ला मारहूँ कहत हे सोंच के डर के मारे ........ ये ददा ........ कहत भागिस । ओहा घुचिस तहन सरी झिन रटरट ले एक के उपर एक गिरिन अऊ हांथ गोड़ छोलावत पल्ला भागत जंगल डहर खुसरगे । 

               ठुनठुनिया के चतुरई के सेती छेरी अऊ ओकर परिवार बाँचगे । फेर छेरी के कमजोर जात ........ कब तक बाँचही । जंगल के जम्मो छेरी मन परिवार समेत मनखे के घर स्थायी रूप से रेहे के निर्णय ले डरिन अऊ अपन ठुमुक लउठी ला अपने नियंत्रण अऊ संरक्षण बर मनखे ला धरा दिस । छेरी हा मनखे के पालतू जानवर बनगे । बघवा बघनिन मन आजो घला छेरी के तलाश म , मनखे के बखरी म खुसरे के प्रयास म लगे रहिथे । छेरी के जीव बाँचगे । मनखे ला नावा संगवारी मिलगे । मोर कहानी पुरगे ....... दार भार चुरगे ......... । 

                                                                      हरिशंकर गजानंद देवांगन , छुरा .

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