Friday 26 July 2024

परीक्षा म कोचिंग-कोचिया के खब-डब

 [7/22, 5:31 AM] महेंद्र बघेल: परीक्षा म कोचिंग-कोचिया के खब-डब

                      (महेंद्र बघेल )


पर के इच्छा के मतलब का होथे तेला बिना उदीम के न तँय ह जान सकस, न तोर अंतस म का इच्छा जागत हे तेला कन्हो पर ह जान सके। पहिली तो ककरो इच्छा ल जाने बर आपस म एक- दूसर संग गोठ-बात, बोली-बचन के होना जरूरी होथे।गोठियई- बतरई के बिना ककरो इच्छा के थेभा ले पाना बड़ मुश्कुल काम आय। या तो कागज-पत्तर म लिखवाके पर के इच्छा ल घलव जाने जा सकत हे।जिहाँ तक मन के बात हे ओहा अंजोर कस सोज्झे रेखा म दउड़-भाग करे ये जरूरी नइहे।वोहा तो चोबीस घंटा अपन पोजिशन ल तैय्यार मोड म राखे रहिथे अउ नेटवर्क मिलते भार कवरेज एरिया कोति एकसस्सू दउड़ लगा देथे। फेर मन के बाते ह अलग हे येहा जे डहर चलथे उही डहर अपने-अपन एक ठन नवा रस्ता बना लेथे। अब येहा अनुभवी मन के समझ के ऊपर निर्भर हे कि वो रस्ता ह सोझ रेखा म हे कि रस्ता ह तीड़ी-बीड़ी हे।कन्हो भी विषय के बारे म कोन ह कतिक समझ रखथे येहा वोकर सोच के स्तर के बात आय। काबर कि मन अउ इच्छा के छतरंग चाल के लीला ह तो अपरंपार हे।इहाँ के प्रसंग म मन अउ इच्छा के विषय ह कन्हो आध्यात्मिक अउ तात्विक गुनानवाद नइ होके आम आदमी के सरोकार बर गोठबात के उदीम मात्र आय।आप मन ल लगत होही कि ये मामला ह बड़ गम्भीर होवत हे फेर अइसे कुछु नइहे। सही कहिबे ते ये मामला ह एकदम लोकल हे मतलब लोक के लोकाचार..।

          जब मनखे मन कन्हो बड़े जन अलहन म अरहज जथें अउ कतरो कोशिश करे के बाद वो अलहन ले उबर नइ सके तब उनकर जुबान ले एके ठन गोठ निकलथे-'' का करबे गा भगवान ह हमर परीक्षा लेवत हे।'' अउ एती स्कूल म भरती होवइया लइका मन बर पढ़ई-लिखई के मतलब.., परीक्षा में पास होवई ले रहिथे। परीक्षा म पास होवइया लइका मन ले मयारू समाज ह बड़ मान-सम्मान के साथ वेवहार करथे।उनकर नजर म पढ़े-लिखे के मतलब स्कूली परीक्षा म पास होवई ले हे।तेकरे सेती परीक्षा म पास होय लइका के घर परिवार अउ संगी-संगवारी के बीच म वोकर कद ह बाढ़ जथे मने वोहा सब के कदरदान बन जथे।जिहाँ तक परीक्षा के सवाल हे येहा नान्हे कक्षा ले लेके बड़े कक्षा तक पढ़ईया लइका मन के योग्यता के मूल्यांकन करथे। समाज म अलग-अलग किसम के मनखे मन के भरमार हे।इही समाज म पढ़ई-लिखई ले दूर भगइया 'भगेड़ू' मन के घलव विशेष स्थान हे ,जिंकर उपर भगऊ के ठप्पा लग जथे। ये संज्ञा ले बाचे बर ये भगेड़ू मन के मुँहुँ ले अक्सर सुने बर मिल जथे कि खेती-किसानी अउ धंधा- पानी करे बर पढ़े-लिखे के होना जरूरी नइ रहय।

             परीक्षा के नाम ल सुनके मनखे-मनखे के हिरदे म धुकधुकी, हाथ-गोड़ म कपकपी,मूड़ म पीरा, माथा म पसीना अउ ऑंखी ले पानी ढुलक जथे। तब लगथे ये तो हमर संस्कृति के हिस्सा आय,अब ये परीक्षा ल भगवान ह लेवय.., चाहे एनटीए ह।पास होय बर आखिर परीक्षा ल देवानच पड़थे न..।स्कूल अउ कॉलेज म लइका मन के पढ़ई अउ परीक्षा के महत्व ल उही मन जान सकथे जे मन कभू परीक्षा देवाय के जतन करे रहिथें। स्कूल में लोकल अउ बोर्ड दो प्रकार के परीक्षा होथे, लोकल परीक्षा के पेपर ल उही स्कूल के गुरुजी मन छाँटथे अउ जाँचथे जेन स्कूल म लइका मन पढ़त रहिथें।बोर्ड परीक्षा के पेपर ला आन गुरुजी मन छाँटथे अउ जाँचथे।

                     परीक्षा म हुशियार लइका के पास होवई तो सरल हे, फेर येहा कमजोर लइका के धुकधुकी ल बढ़ा के रख देथे। कमजोर लइका के धड़कन ल सुनके वोकर  दाई-ददा के माथा म संसो के लंबा लकीर उपक जथे। जब लइका मन पढ़ई के सोज रद्दा म रेंगई ल छोड़ के घुमई-फिरई वाले टेड़गा रद्दा म दौड़ना शुरू कर देथें तब दाई-ददा के माथा म संसों के रेखा के उपकना ह कोनो बड़े बात नोहे।अइसन समय म लइका के धुकधुकी ल शांत करे बर अउ अपन संसों के फारम हाउस म आशा के फसल लुवे बर पालक के पालकत्व दिमाग म गुरुजी संग जोहर भेंट करे के एक ठन क्रूर आईडिया ह जनम लेथे।पालक अउ शिक्षक के बीच कई परत के भेंट-मुलाकात के पाछू मामला ह कन्हो फिट होगे तब तो ठीक नइते पालक ह सीट ले अउ बालक ह बोटबीट ले होके रहि जथे।लइका के मोह म परे पालक मन के इही वेवहार ह परीक्षा के  महत्व ल हरू करके रख देथे। लगथे.., नीचे ले ऊपर तक परीक्षा व्यवस्था म सेंधमारी के काम ह कुछ अइसने ढंग ले पनपथे। ये परीक्षा लीक होय के मामला ह होनहार लइका मन के मेहनत ऊपर पानी फेरई के संग उनकर सुग्घर भविष्य के सपना ल छर्री-दर्री करे के उदीम आय। सरकार के नजर म येहा नानमुन घटना आय फेर मेहनतकश लइका मन बर ये कन्हो दुर्घटना ले कम नइहे।

                 हमर देश म पूंजीपति के कन्हो कमी नइहे ,कहुँ इनकर बस चलतिस ते धन के परसादे ऊपरवाला ल घलव सिंहासन ले धकिया के वोकर सत्ता ल हथिया लेतिन। रात-दिन परीक्षा म धांधली होवई के समाचार ह पूंजीपती अउ कोचिंग-कोचिया मन के खब-डब करई के खतरनाक इरादा ल संकेत करथे। येमन पैसा अउ पहुँच के दम म अच्छा-अच्छा के इमान ल डोलाय के ताकत रखथें। अपन काम ल सधाय बर ककरो ईमान ल डोलाना इनकर चुटकी के काम आय।येमन साम दाम दंड भेद सबो प्रकार के चाल ल अजमाय म थोरको कमी नइ करें अउ अंगरी ल सीधा नइते टेगड़ा करके घीव ल निकाली लेथें। कारपोरेट जगत के धाम-धूँसर पूंजीपति मन के एके काम होथे घीव निकालना..,  भला येमा ककरो जीव ह निकल जाय,उनला येकर ले  कोई फरक नइ पड़य।

              उच्च शिक्षा खातिर बीपीएड, डीएड, बीएड,नर्सिंग, नेट, सेट, गेट, नीट,जेईई के माध्यम ले होनहार लइका मन ल खोजे के बूता होय चाहे व्यवस्था ल चलाय बर एसएससी, पीएससी, यूपीएससी के माध्यम ले अधिकारी-कर्मचारी मन के तलाश..,हर हाल म इनकर योग्यता के थाह लेय बर परीक्षा के आयोजन तो करनाच पढ़थे।अइसन म ये सरकार ह परीक्षा लेवइया एजेंसी के ऊपर भरोसा नइ करही ते भला काकर ऊपर करही। फेर वाह रे व्यवस्था..,पूंजीपति मन अपन पैसा अउ पहुंच के भरोसा म एनटीए म खुसरके परीक्षा होय के पहली पेपर ल लीक करवा लेथें। लाखों रुपया म ईमान खरीद के अपन लइका के भविष्य ल बनाय बर जनता के भविष्य ल बरबाद करके रख देथें।आजकल जे डहर देखबे ते डहर पेपर लीक के उलेंडा पूरा चलत हे। खेती-बाड़ी अउ घर द्वार ल बेच-भांजके कोचिंग करइया लइका मन के भविष्य  ह ये पूरा-पानी म धारेधार बोहावत हें। पेपर लीक करवइया के औलाद मन साल भर मटरगश्ती करथें। अउ रिजल्ट म मेरिट म आके बड़े-बड़े संस्था म फौलाद कस तन जथें।

               सुने म आथे कि परीक्षा लेवइया एजेंसी म अउ सरकार म बड़े-बड़े कोचिया मन के पैठारो हो गेहे। तेकरे सेती ये पेपर लीक के मामला ह अब धंधा बनके बिन डर भाव के चलत हे। चाहे पुलिस के भर्ती, शिक्षक के भर्ती होय चाहे कन्हो भी भरती होय परीक्षा म धांधली करई अउ अपन- अपन ल रेवड़ी बटई ह इनकर बर आम बात हो गेहे। रात-दिन पेपर लीक अउ भर्ती रद्द होय के सेती बेरोजगार मन के उमर ह साय-साय बाढ़त जात हे, घर-परिवार के फिकर म उनकर मानसिक दशा ह बड़ खराब होवत हे। अपन हक बर आंदोलन करे म पुलिस के डंडा चलथे, भूखे-प्यासे रहिके हड़ताल करइया बेरोज़गार मनके कोई सुनवाई नइहे।कोन सरकार ह कतिक कोंदा-भैरा हे तेकर देश म कंपीटिशन चलत हे। आदरणीय मन के महिमा ल  का कहिबे वोमन तो डबल इंजन के बुलडोजर म चढ़के ओदारो- ओदारों के नेशनल गेम खेले म मस्त हें।नीट परीक्षा पेपर लीक के मामला म कोचिंग सेंटर मन के करोड़ो रुपया के खुलेआम कोचियई के खबर ह पेपर म रात-दिन छपत हे। एक दिन अचानक सेंटर बदले के विकल्प बर पोर्टल के खुलई अउ थोक के भाव म अपन गांव-गंवई ल छोड़के बड़ दूर लंका म सेंटर के चुनई ह परीक्षा एजेंसी के कड़क- करेंसी डहर मया ल बखान करथे।उपराहा म परीक्षा के पहली रातकुन पेपर के लीक होवई अउ एके सेंटर वाले मन के थोक के भाव म मेरिट म पास होवई ह व्यवस्था के पोल पट्टी ल खोल के रख देहे।

                 एसो के नीट वाले अनीत के सेती पैसावाले मन के धांधली पुत्र मन जब डॉक्टर बन जही तब मरीज मन के का दशा होही तेकर अंदाजा लगायेच म डर के मारे पूठा ह कांप जथे, रूवा ठाढ़ अउ तरुआ ह गरम हो जथे। पता नइ हमर देश म अइसन कोचियई के धंधा-पानी ह कतिक पुराना हे अउ कतका गदहा मन अपन नरी म स्टेथेस्कोप अरो के घोड़ा के नसल ल बरबाद करत हे..? कभू बात-बात म आरक्षण के डॉक्टर कहिके ताना मरइया ललमुँहा मन अउ समाज म ज्ञान के गंगा बोहइया खानदानी गँउहा ,डोमी अउ करैत मन पता नइ सरकारी चश्मा पहिन के कते बील म खुसरे बइठे हें, अभी तक उनकर फूसरे के आरों नइ मिल पाय हे। एती पेपर लीक होय के कतको सबूत मिले के बाद घलव बड़े मछरी ल फाँसे-धाँधे बर व्यवस्था के हाथ ह काबर काँपत हे ते उही मन जाने।फेर आसामी मन ले दूरी बनाके जनता ल बेमझाय बर सरकार डहर ले अल्लू-खल्लू टाइप के कोचिया मन के झोपड़ी म छापा मरई के रिहर्सल कार्यक्रम ह जारी हे..।


महेंद्र बघेल डोंगरगांव


No comments:

Post a Comment