Friday 26 July 2024

डोकरी बुड़े चारी म त डोकरा पीये के बीमारी म (हास्य)

 डोकरी बुड़े चारी म त डोकरा पीये के बीमारी म (हास्य)

चंदा डोकरी बिहनिया ले खोर म निकल के खड़े हावय। अंगना द्वार लिपा बहरा गे हावय। आगी ल सुलगा दे हावय। डोकरा ह नहा धो के आये हावय  अउ  अंगना म बइठे बाहिर डाहर ल देखत हे।  ओतके म ओला बलाये बर एक झन आथे। दूनों झन निकले ले लगथें त चंदा डोकरी कहिथे " कहाँ जाथस? मरे बर, फेर पी के आबे।" आज पीबे त घर झन आबे।"

" घर नइ आवंव, भट्ठी म सुत जहूँ।"

" नाली म सुत जबे , थोरिक जुड़ा घलो जाबे"

" हव, कोनो मेर सुतंव,रात तक तो घर आ जहुं। पीये के मजा ल तैं का जानबे। कहाँ कहाँ नइ घूमंव? फिल्म म देखाथे तइसने जगह मन म घूमत रहिथंव।"

"जा मर"

"मोला कोनो मिलत नइये, अतेक जुवर ले खड़े हावंव"

उही बेरा म जानकी आवत दिखथे। 

" आ जानकी आ

तोर रद्दा देखत हावंव"

"आज मोर करा समय नइये चंदा"

" अरे सुन तो, रामहिन के बेटा ह शहरनिन टूरी ल लान ले हावय"

जानकी ह मुंह फार के कहिथे " अइ बिन बिहाव करे चंदा।"

"हव आजकल तो बिन बिहाव करे रहिथें तेन ल " ले रहिले" कहिथें।

" अच्छा ले रहिले ह तो बने नोहय"

तभे मितानिन आ जथे त जानकी ह  ओला बताथे के शहर ले चंदू ह एक झन टूरी लाने हावय। तेखर स़ग" ले रहिले " म हावय।


ये काये होथे मितानिन ह कहिथे त चंदा कहिथे। बिन बिहाव करे रहिथें तेन ल " ले रहिले "कहिथें। 

अरे तू मन ल तो बस मसाला चाही चारी करे बर। ओला " लिव इन रिलेशनशिप " कहिथें।

हाँ अउ सुन न मितानिन  सागर के बेटी भाग गे हावय सुने हंव।

मितानिन पूछथे "काखर संग भागे हावय?" जानत हस।

" नहीं " 

"त काबर पूछत हावस। अपन होने वाला पति संग शहर घूमे बर गे हावय। आजकल अपन पसंद के कपड़ा लेथें। त ओखर सास ससुर मन रयपुर म मिलही अउ सब झन संग म जाहीं। होगे तोर मन साफ। बस तोला तो कुछु पता भर चलना चाही तहांले पूरा कहिनी तैयार हो जथे। रांधबे कब?"


"आगी ल सिपचाये हंव। बर गे होही। अब भात भर बनाहुं अऊ दूनो जुवर बोर के खाहूँ।"

मितानिन कहिथे " डोकरा कहाँ गे ओखर बर नइ रांथस।"

"डोकरा मर गे हावय भट्ठी डाहर।" रात तक परे रहिही कोनो मेर।"

"जा अब रांध" मितानिन रेंगे ले धरथे त ओखर हाथ पकड़ के कहिथे  "बड़े गौंटिया घर म झगरा माते हावय सास बहू के सुने हंव।"

जा ना उहें जाके पूछ ले। जब तक चार झन के चारी नइ करबे तब तक तोर खाना नइ पचय। तोला काम नइये त हमर मन के तो बुता हावय।" मितानिन चल देथे.

चंदा अपन असन मुँह ले के भितरी आथे। जानकी मुँह म कपड़ा रख के हाँसत तरिया डाहर चल देथे।

चंदा के आज के खुराक पूरा होगे।

सुधा वर्मा, 13/7/2024

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