Thursday 8 June 2023

असल प्रकृति प्रेमी - मनीराम गोंड़

 असल प्रकृति प्रेमी - मनीराम गोंड़

मनीराम गोंड़ कुम्हारीमुड़ा गाँव के रहइया रिहिसे। छत्तीसगढ़ के रइपुर वनमंडल के अंतर्गत पिथौरा म एक झिन अंग्रेज वन अधिकारी के नियुक्ति होए रिहिस। वो हँ मनीराम गोंड ल बीटगार्ड के नौकरी म रखिस। मनीराम अब्बड़ सुग्घर जेवन बनावय। ओकर हाथ के बनाए जेवन अंग्रेज अधिकारी ल रूचगे। कुछ दिन पीछू जब वो अंग्रेज अधिकारी इहाँ ले इंग्लैण्ड गिस त मनीराम ल तको अपन संग लेगे।

उहाँ मनीराम ल साहब के बगवानी म सैगोन जेला ‘प्लस ट्री’ तको कहे जाथे, ओकरे पेड़ के बीजा जगोए अउ पेड़ बनाए के ‘रुट शूट विधि’ सीखे के सुअवसर मिलीस। कुछ महीना पीछू वो अधिकारी लहुट के भारत आ गे। दू बछर पीछू वो अंग्रेज वन अधिकारी के स्थानांतरण हो गे, फेर ओकर जाए के पीछू मनीराम हँ जऊन करीस वो हँ इतिहास बनगे।

पेड़ लगाए के सेति नौकरी ले होगे बर्खास्त -

1891 के बछर रिहिसे। गिधपुरी जंगल जऊन आज देवपुर फारेस्ट रेंज (बलौदाबजार वनमंडल) म आथे अउ बार नवापारा वन्यजीव अभ्यारण्य ले लगे हवय। उहाँ साल के जंगल के एक ठिन बड़े जनिक हिस्सा कटई के सेति उजार परगे रिहिस हे। मनीराम हँ अपन सुआरी संग मिलके उहाँ पौधा लगाए के निश्चय करीस ताकि वो खाली जगा हँ फेर हरियर हो जाय। 

बताये जाथे कि उही पइत  संजोग ले बर्मा ले लहुटे एक झिन बयपारी संग उन्कर भेंट हो गीस। वो हँ मनीराम ल सैगोन के पेड़ लगाए के सुझाव दिस अउ सैगोन के बीजा तको उपलब्ध करवाइस। बीजा मिले ले मनीराम हँ पहिली सैगोन के बीजा मन ल बिरवा म बदलिस अउ फेर इंग्लैंड म सीखे ‘रुट शूट’ पौधारोपण विधि के उपयोग करत 23 एकड़ क्षेत्र म सैगोन के पेड़ लगा डरिस। वो समे जब पौधारोपण के कोनो स्पष्ट नीति नइ बने रिहिस हे, तब मनीराम हँ 1891 म इहाँ ऊँच तकनीक ‘रुट शूट प्लांट पद्धति’ ले सैगोन लगा दे रिहिस हे। ये सैगोन पौधारोपण भारत भर म नहीं भल्कुन जम्मो एशिया के पहला सैगोन पौधारोपण रिहिस हे।

फेर नियति ल कुछु अउ मंजूर रिहिस हे। ये वनपुत्र के ये हरित कथा एक दारुण दुःख म बदलगे। उहाँ पीछू अवइया अंग्रेज अधिकारी हँ गिधपुरी जंगल म ये सैगोन पौधारोपण ल लेके विभागीय अनुमति के कागजात खोजीस त अइसन कोनो कागज नइ मिलिस। जबकि मनीराम हँ ये पौधारोपण भावनावश करे रिहिस हे। विभाग हँ ये बूता ल गैरकानूनी मानिस अउ मनीराम ल बर्खास्त कर दिस!

मनीराम ऊपर एकर नंगत बुरा प्रभाव परिस अउ वो एकर ले आहत होके बइहा-भूतहा मन बरोबर इहाँ-उहाँ  भटके लगिस। पीछू जुवार उन्कर मऊत होगे। स्थानीय गँवइहा मन के दैवीय विश्वास के अनुसार मरे के पीछू मनीराम के आत्मा जंगल अउ गाँव म भटकत रिहिस हे। ओकर निवारण खातिर बैगा मन ओकर आत्मा के शांति बर मनीराम पौधारोपण के बीच एक ठो बर पेड़ तरी पथरा ल मूर्ति बनाके थापित कर दिन अउ तेकर ले सब तिहार -बार म ओकर पूजा होए लगिस। आज ले वो जगा म मनीराम के पूजा होथे।

मनीराम के ये योगदान ल प्रशासन हँ संज्ञान म लिस अउ 1996-97 म तत्कालीन मध्यप्रदेश सरकार हँ मनीराम के नाती प्रेमसिंह ल 10 एकड़ जमीन अउ 50 हजार रुपिया देहे के घोषणा करीस। 

इही तरह जून 2018 म छत्तीसगढ़ सरकार कोति ले पौधारोपण के क्षेत्र म उल्लेखनीय कार्य करइया ल ‘मनीराम गोंड स्मृति हरियर मितान’ नाम से राज्यस्तरीय सम्मान के स्थापना करे गीस।

आज मनीराम के वंशज मन ल वो जमीन के मालिकाना हक मिले हे कि नहीं, ये पता नइ हे, काबर कि खबर के अनुसार 2017 तक मनीराम के नाती प्रेमसिंह के मृत्यु हो चुके हे। उन्कर सुवारी हीराबाई ल शासन कोति ले प्रदत्त जमीन नइ मिले रिहिस हे।

समय अपन चाल म चलत रहिथे। पीछु जुवार वन विभाग ह उन्कर प्रति कृतज्ञता देखावत ये प्लांटेशन के नामकरण मनीराम जी उपर कर दिस। आज 23 एकड़ क्षेत्र म सिरिफ एक एकड़ जगह म ही मनीराम के लगाए सागौन बहुते कम संख्या म बाचे हे। ये दुर्लभ अउ जुन्ना पेड़ मन के मोटाई पौने तीन मीटर तक हावय अउ ये अपन वजन ल अउ कतेक दिन सम्भाल सकही या कब तक सुरक्षित रहिही, कुछु नइ कहे जा सकय। जइसन कि बाकी पेड़ समय के मार ले खत्म होगे हवय। ये पेड़ ज्यादा दिन तक नइ रही पाही, अइसे आशंका हे। ये प्लांटेशन के बारे म आज भी लोगन ल जादा जानकारी नइ हे। ये बाचे पेड़ ल  संरक्षित करे के उपाय के संगे-संग ये प्लांटेशन स्थल ल पर्यटन स्थल के रूप म विकसित करना अउ ये प्लांटेशन के पर्यावरणीय अउ ऐतिहासिक महत्व ल सामान्य ज्ञान के पुस्तक म ठिहा देना होही, तभेच हम मनीराम के प्रति अपन सही कृतज्ञता ल परगट कर पाबोन।

रुट शूट के भारत म प्रणेता मनीराम आज नइ हे, फेर देश म उन्कर सागौन रोपणी पद्धति के ही अनुसरण करे जाथे। जतेक सागौन पेड़ भारत म हे, वो उही रुट शूट पद्धति ले रोपे गे हवय, जेकर शुरूआत मनीराम ह करे रिहिस हे। ये जम्मो मामला म एक लोकव्यवहार येहू निकलके आथे कि जउन मनीराम के कदर तत्कालीन वन विभाग नइ कर सकीस, ओला गाँव वाले मन ह वनदेवता बना दिन। ये घटना लोक म किंवदंति के स्थापना प्रक्रिया उपर प्रकाश डालथे। आज 5 जून के पर्यावरण दिवस म ‘वनदेवता’ मनीराम ल नमन।


धर्मेन्द्र निर्मल 

9406096346

No comments:

Post a Comment