Sunday 25 June 2023

भाव पल्लवन-- तेल फूल मा लइका बाढ़े,पानी मा बाढ़ै धान। खान पान में सगा कुटुम्ब, करमइता बढ़ै किसान

 भाव पल्लवन--



तेल फूल मा लइका बाढ़े,पानी मा बाढ़ै धान।

 खान पान में सगा कुटुम्ब, करमइता बढ़ै किसान

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कोनो जिनिस के बढ़ोत्तरी बर कुछ विशेष चीज अउ परिस्थिति के जरूरत होथे वोकर बिना ठीक से विकास नइ हो सकय।

  नन्हा बच्चा के शारीरिक अउ मानसिक विकास बर वोकर तेल मालिश करे जाथे। तेल मालिश करे ले वोकर हड्डी मन मजबूत होथे। शरीर ला बने ढंग ले आक्सीजन मिलथे। कोमल शरीर मा खून के दौरा सुचारू रूप ले होथे संगे संग वोकर भुजा,कनिहा,हाथ-गोड़ मन मजबूत होथे। 

     लइका ला कोमल हाथ ले एक दिन मा कम से कम दू -तीन पइत मालिश करे ले वो हा जल्दी बइठे, मड़ियाये अउ रेंगे ला सिखथे।वोकर शरीर हा लुदलुदहा नइ होवय। मालिश करइया महतारी या फेर बुआ,दादी, दाई के कुँवर-कुँवर स्पर्श हा बच्चा ला बहुतेच अच्छा लागथे अउ वो हा  मया ला अनुभव करत अपन भावना ला बताये के कोशिश करथे जेकर ले वोकर मानसिक विकास होथे अउ दिमाग ह तेज होथे।

  अइसनहे धान के फसल हा पानी मा बाढथे वोकर खेत मा कम से कम ह

छै-सात इंच पानी भर के रखे ला परथे ।वोकर जर हा पानी मा बूड़े रहिथे तभे बने फइलथे अउ धान के पौधा गछिनियाथे। पानी मा बूड़े रहे ले बहुत कस कीरा-मकोरा ले तको बाँच जथे।

  अइसनहे जेन घर मा खान-पान ,स्वागत सत्कार अच्छा होथे,जिहाँ सगा बर खुशी -खुशी मुँह फुटकार के एक लोटा पानी निकलथे वो परिवार के सगा-सोदर ,हितु-पिरीतु बाढ़ जथे।

     अइसने वो किसान जेन करमइता होथे, अपन जिम्मेदारी ला समझ के धरती महतारी के कसके सेवा बजाथे वोकर बर लक्ष्मी माता किरपा करथे। मिहनती किसान भूँख नइ मरै।कोठी हा सदा अन्न-धन ले भरे रहिथे।दू दी पइसा बाँच के लिख ले लाख हो जथे।वो ह खेत बिसा-बिसा के बड़े किसान बन जथे।


चोवाराम वर्मा 'बादल'

हथबंद, छत्तीसगढ़

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