Sunday 25 June 2023

भाव पल्लवन-- मुसुवा ला ताके बिलईया सपट के।

 भाव पल्लवन--



मुसुवा ला ताके बिलईया सपट के।

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भुँखाये बिलई हा वोला मनखे अउ मुसुवा दूनों कोई झन देख सकै सोच के कोनो मेर सपट के बिना खुरुर-खारर करे घंटो मुसुवा के रद्दा जोहत लुकाये रहिथे।मनखे हा देख डरही ता मार के भगा देही अउ मुसवा देख डरही ता बिला ले निकलबे नइ करही। कई पइत अइसनो हो भी जथे तभो ले बिलई हा हार नइ मानै।वो नइ झुँझवावय, गुस्सा तको नइ करय अउ धीरज धरके दू-चार मिनट एती-वोती घुमफिर के फेर आ जथे।अपन लक्ष्य ला पाये बर धीरज धरके लगे रहिथे।वोहा लक्ष्य ले अपन ध्यान नइ हटावय--घंटो आँखी गड़ियाये ताकत रहिथे तहाँ ले एक समे अइसे आथे के वोला सफलता मिल जथे। अगर बिलई हा असकटा के तनाव मा आके पाँचे-दस मिनट मा उदास होके भाग जतिच ता वोला भोजन मिलतिच का? कभू कभू तो अइसे भी हो जथे के मुसुवा ला बिलई के आरो मिल जा रथे अउ वो बिला ले निकलबे नइ करय।ये स्थिति मा बिलई हा उहाँ ले बिना रोये-गाये,बिना तंग-तूफान करे चुपचाप अंते खिसक जथे अपन भोजन के खोज मा।


    अइसनहेच कोकड़ा हा तको अपन भोजन मछरी ला--कीरा मकोरा--मेचका ला पाये बर एक गोड़ मा घंटो धीरज धरके  पानी मा खड़े रथे। बेचारा के हालत तो कभू शिकारी-कभू भिखारी कस तको हो जथे।

  एक व्यापारी हा तको शांति पूर्वक अपन ग्राहक के अगोरा मा बइठे रइथे। तनाव तो उहू ला बिकट होथे फेर वोला सहिके जब ग्राहक आथे ता वोकर ले प्रेमपूर्वक गोठियाके सौदा करथे। वोकर धर्यपूर्वक व्यवहार हा अइसे कमाल देखाथे के ग्राहक मन खींचे चले आथें अउ धंधा मा बरकत होये ला धर लेथे।

       ये बिलई ,कोकड़ा अउ व्यापारी के किस्सा हा तो पटंतर आय।असली बात धैर्य के गुण हरे।कोनो चीज मा सफलता पाये बर धैर्य के होना जरूरी होथे। असफलता के एक ठो बड़े कारण अधीर होना,कोनो बुता मा बेमतलब के तड़तड़ी करना, हड़बड़ी करना होथे।हड़बड़ी मा गड़बड़ी होये के अंदेशा रहिथे। मंजिल नइ मिलत ये सोच के कतेक झन अधीर होके अपन बढ़े कदम ला पाछू खींच लेथें जबकि मंजिल हा कुछे कदम बाँचे रहिथे।

एक बात अउ हे के कोने मनखे हा वो गलत रद्दा ला चुन लिच जेमा ओकर मंजिले हा नइये।जाना उत्ती कोती हे अउ गलती ले बूड़ती कोती रेंगे ला धरलिच ता वो तो भटक जही।अइसन धर्म संकट के समय वोला जब भी अपन गलती के भान होवय ता धैर्य रखके सहीं रद्दा ला पकड़ लेना चाही।

अइसे भी देखे मा आथे के  अबड़ेच धीरज हा  कभू-कभू कमजोरी बने ला धर लेथे। सफलता बर धीरज के सीमा रेखा ला पहचानना तको जरूरी होथे अउ सफलता के रद्दा मा कोन मेर काँटा हे,बाधा हे तेला खोज के हटा देना परथे।


चोवा राम वर्मा 'बादल'

हथबंद, छत्तीसगढ़

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