Monday 6 November 2023

पुरखा के सुरता 25 अक्टूबर - 107 वीं जयंती म विशेष

 पुरखा के सुरता


25 अक्टूबर - 107 वीं जयंती म विशेष 


चंदैनी गोंदा के सर्जक: दाऊ रामचंद्र देशमुख 


  हमर छत्तीसगढ के लोक संस्कृति ह अब्बड़ समृद्ध हे. इहां के नाचा, रहस,पंडवानी, पंथी नृत्य, भरथरी, लोरिक चंदा,कर्मा,सुवा,ददरिया, रिलो नृत्य के सुघ्घर सोर हे. हमर छत्तीसगढ के सोर बगराय म रंगकर्मी हबीब तनवीर, मंदराजी दाऊ, दाऊ रामचंद्र देशमुख, महासिंह चंद्राकर,तीजन बाई,मदन निषाद, गोविंद राम निर्मलकर, लालू राम, झाड़ू राम देवांगन,पूना राम निषाद, खुमान साव, लक्ष्मण मस्तुरिया, शेख हुसैन,  ममता चंद्राकर, कविता वासनिक , सुरूज बाई खांडे,अमृता बारले, नियाइक दास मानिकपुरी, झुमुक दास बघेल रामाधर साहू जइसन कला साधक मन के गजब योगदान हे. दाऊ रामचंद्र देशमुख  ह   सांस्कृतिक जागरण के  पितामह रहिन.


जब मोर जनम होइस वोकर ले दू साल पहिली “चन्दैनी गोंदा “के  स्थापना होगे रहिन हे. अउ जब येखर सर्जक श्रद्धेय दाऊ रामचंद्र देशमुख जी ह जब येला कोनो कारन ले आगू नइ चलइस त मात्र 

आठ साल के रहेंव. मेहा दाउ राम चन्द्र देशमुख जी द्वारा संचालित” चन्दैनी गोंदा “ल कभू नइ देखेंव. दाउ जी ले घलो कभू आमने- सामने भेंट नइ कर पायेंव. मोर अइसन सौभाग्य नइ रीहिस हे. पर 

मोर डायरी म दैनिक सबेरा संकेत 

राजनांदगांव के “आपके पत्र “स्तंभ के पेपर कटिंग हे. वोखर मुताबिक मेहा 21 मार्च 1996 म दूरदर्शन केन्द्र रायपुर के कार्यक्रम “एक मुलाकात “ के तहत जब  राम हृदय तिवारी जी ह दाऊ जी ले “गोठ बात “करे रीहिन हे वोला मेहा गजब रुचि लेके सुने रेहेंव. काबर कि मेहा कई ठक अखबार म श्रद्धेय दाऊ जी के जीवन परिचय, चन्दैनी गोंदा अउ “कारी” के बारे म पढ़े रेहेंव.  उद्भट विद्वान डॉ. गणेश खरे जी के लेख के सँगे- सँग  कुछ अउ विद्वान मन के लेख ल पढ़े रेहेंव. जब दूरदर्शन केन्द्र रायपुर ले ये गोठ-बात ह शुरु होइस त मेहा आखिरी होत तक टस से मस नइ होयेंव.  ये भेंटवार्ता ले मोला छत्तीसगढ़ लोक कला मंच के विकास यात्रा म दाऊ रामचंद्र देशमुख जी के योगदान के सुग्घर जानकारी मिलिस.  राम हृदय तिवारी जी ह दाऊ जी गजब अकन सवाल करिन कि देहाती कला विकास मंडल अउ चन्दैनी गोंदा के गठन अउ कारी, देवार डेरा के मंचन के का उद्देश्य रहिन  हे. चन्दैनी गोंदा के पहिली इहां के नाचा अउ लोक कला मंच के कइसन दशा अउ दिशा रहिन  हे .चन्दैनी गोंदा ल आप  विसर्जित करे जइसे कठिन निर्णय काबर लेंव. अइसे का परीस्थिति अइस!  ये सवाल तिवारी जी ह श्रद्धेय दाऊ जी ले करिन त वोहा एकदम भावुक  होगे. वर्तमान म लोक कला मंच के दशा अउ दिशा उपर जब चर्चा चलिस तब दाऊ जी ह गजब उदास होगे अउ कहिस कि हमर छत्तीसगढ़ के स्वाभिमान ल जगाय बर काम नइ हो पावत हे! लोक कला मंच के नाम म सिनेमा संस्कृति के जोर होगे हे! अइसे कहत -कहत दाउ जी ह एकदम गंभीर होगे. 


  दाऊ रामचंद्र देशमुख जी के जनम  25 अक्टूबर 1916 म बालोद जिला के डौंडीलोहारा विकासखंड के गाँव पिनकापार म होय रहिन हे. वोकर पिता गोविंद प्रसाद बड़का किसान रिहिन.  उंकर प्राथमिक शिक्षा गांव म  होइस. फेर नागपुर विश्वविद्यालय ले बीएससी (कृषि) म स्नातक  अउ वकालत के पढ़ाई करिन.  ऊंकर बिहाव छत्तीसगढ़ के स्वप्न दृष्टा खूबचंद बघेल के बेटी राधा बाई ले होइस.बचपना ले वोहा दार्शनिक अउ चिंतक प्रवृत्ति के रिहिन.नानपन ले नाचा अउ नाटक देखे के सउक रहय.  शादी के बाद बघेरा म रहिके उन्नत ढंग ले  खेती -किसानी करिन. दाऊ जी ह आयुर्वेदिक पद्धति ले अपन गांव बघेरा म लकवा अउ पोलियो मरीज मन के ईलाज करके जन सेवा करिन. 


  कला यात्रा के बात करथन त दाऊ जी शुरु म पिनकापार म राम लीला मंडली के गठन करिन. वोहा खुद नाटक अउ राम लीला म भाग लेय. 


वोहा 1950  म देहाती कला विकास मंडल के गठन करिन .  येकर माध्यम ले अंचल म प्रचलित नाचा के प्रस्तुति म परिष्कार करिन. दाऊ जी कलाकार मन के खोज म गांव- गांव भटकिन.


. येमा लाला फूलचंद श्रीवास्तव  जी चिकारावाला (रायगढ़), ठाकुर राम जी , भुलवा (रिंगनी साज),  रवेली साज के मदन निषाद जी (गुंगेरी नवागाँव, डोंगरगॉव, राजनांदगांव) जइसे बड़का कलाकार शामिल होगे. दाऊ जी ह ये कलाकार मन ल लेके काली माटी, बंगाल का अकाल, सरग अउ नरक, राय साहब मि. भोंदू खान साहब नालायक अली खां, मिस मैरी का डांस जइसे प्रहसन खेल के मनोरंजन के सँगे -सँग जनता ल संदेश घलो दिस.  दाऊ की मंडली ले जुड़े कुछ बड़का कलाकार मन प्रसिद्ध रंगकर्मी हबीर तनवीर के नया थियेटर दिल्ली म शामिल होगे.  सन् 1954 ले 1969 तक  दाऊ जी ह अपन सबो समय ल जन सेवा अउ समाज सुधार म लगा दिन. कई साल तक

शांत अउ गुमनामी के जिनगी गुजारिस.  फेर अपन माटी के करजा ल छूटे के प्रेरणा ऊंकर अंतस म सदा ले समाय रहिन हे.अउ वोहा सामने आइस 20 बछर बाद "चंदैनी गोंदा "के रूप म. 


  अउ 7 नवंबर 1971 म अपन गाँव बघेरा (दुर्ग)  मा सांस्कृतिक पुनर्जागरण के उद्देश्य लेके लोक सांस्कृतिक संस्था “चन्दैनी गोंदा “के गठन करिन.  चंदैनी गोंदा के स्थापना म" चांद बी" नांव के एक बीमार अउ भूख ले तड़पत नोनी जउन ह दाऊ जी के घर भांजी मांगे बर आय रहिन. डर के मारे कोठ म दुबक गिस. येला देखके दाऊ जी के हिरदे म उथल - पुथल मच गे. वोला लगिस कि -" धान के कटोरा, प्रकृति के अब्बड़ खजाना हे हमर छत्तीसगढ पर दूसर कोति लगिस कि -"मानो इही छत्तीसगढ़ ये; गरीब, कमजोर,बीमार अउ डर्रावत." फेर निकल पड़िन सांस्कृतिक पुनर्जागरण बर. 


 बघेरा के बाद  येकर प्रस्तुति पैरी, भिलाई, राजनांदगांव,धमधा,नंदिनी, धमतरी,झोला,टेमरी अउ जंजगिरी जइसन जगह म 50-50 हजार दर्शक मन के सामने होइस. चंदैनी गोंदा के प्रदर्शन छत्तीसगढ़‌ के संगे संग उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, दिल्ली अउ मध्य प्रदेश म घलो सफलतापूर्वक होइस. अखिल भारतीय लोक कला महोत्सव यूनेस्को द्वारा आयोजित भोपाल सम्मेलन म कार्यक्रम के गजब प्रशंसा होइस. 


 चंदैनी गोंदा ह हमर छत्तीसगढ के कवि मन के लिखे गीत ले सजगे. दाऊ जी ह चंदैनी गोंदा के बड़का कार्यक्रम म इहां के साहित्यकार मन के सम्मान करके एक नवा उदिम करिन. 



दाउ जी ह चन्दैनी गोंदा, कारी के माध्यम ले छत्तीसगढ़िया मन के पीरा ल सामने लाइस. इहां के रहवासी मन के स्वाभिमान ल जगाइस.किसान,मजदूर अउ नारी मन के दयनीय दशा ल सामने लाके शोषक वर्ग मन के बखिया उधेड़िन . चन्दैनी गोंदा के माध्यम ले  लक्ष्मण मस्तुरिया जी,  खुमान साव जी, गिरिजा सिन्हा, लाला फूलचंद श्रीवास्तव,महेश ठाकुर, पंच राम देवदास,मदन चौहान, संतोष कुमार टांक,रामरतन सारथी, केदार यादव जी, साधना यादव जी, भैया लाल हेड़ाऊ, शेख़ हुसैन,रवि शंकर शुक्ला, शैलजा ठाकुर, संतोष झांझी, मंजूला बनर्जी,शिव कुमार दीपक, इतवारी राम साहू, बहादुर सिंह ठाकुर,श्रवण कुमार दास, प्रमोद शर्मा,जगन्नाथ,राम दयाल, ठाकुर राम, मुकुंदी राम, हीरा सिंह गौतम चित्रकार,  राज कुमार शर्मा,विजय वर्तमान,बसंत दीवान छायाकार, मुकुंद कौशल गीतकार, किस्मत बाई, माला, पदमा,लीना टोप्पो,आशा, चांद बी, सुमन ठाकुर, निर्मला ठाकुर, मैनुद्दीन, राज लक्ष्मी ठाकुर,अघनू राम ठाकुर, शुक्ला,बसंती( तेलासी),माया, ज्योत्सना महापात्र,मीना, मदन शर्मा, वासुदेव तंबोली 



कविता हिरकने (वासनिक ), संगीता चौबे, अनुराग ठाकुर,  डा. सुरेश देशमुख चंदैनी गोंदा के प्रथम उद्घोषक, माखन लाल साव, जइसे उम्दा कलाकार सामने आइन. 

 चंदैनी गोंदा के बारे म संत कवि, भगवताचार्य पवन दीवान के कहना रहिन कि -" ये कार्यक्रम ह अत्तिक मार्मिक हे कि छत्तीसगढ़ के जनता ल अपन संस्कृति अउ इतिहास बर परान देय के प्रेरना देथे." बुधियार साहित्यकार डॉ. गणेश खरे के बिचार रहिन कि -"चंदैनी गोंदा सिरिफ मनोरंजन भर नइ करय बल्कि ये अंचल म जन जागृति लाय बर सुघ्घर उदिम करत हे". डा  मनराखन लाल साहू ह कहिन कि - "छत्तीसगढ़ म जो कुछ सबले बढ़िया हे वोहा "चंदैनी गोंदा" म हे." खुद दाऊ जी ह चंदैनी गोंदा ल पूजा के फूल मानय. 


गीतकार मन के गीत ले सजगे चंदैनी गोंदा


चंदैनी गोंदा के प्रसिद्धि म गीतकार मन के सुघ्घर योगदान हावय. शीर्षक गीत रविशंकर शुक्ल के रहिन - देखो फूलगे,चंदैनी गोंदा फूलगे,चंदैनी गोंदा फूलगे. लक्ष्मण मस्तुरिया के गीत- मंय छत्तीसगढ़ अंव गा,मोर संग चलव रे,जय होवय तोर, पड़की मैना, बखरी के तुमा नार, धरती के अंगना म चंदैनी गोंदा,मोर खेती खार रूनझुन, मन डोले रे माघ फगुनवा,  कोदू राम दलित के - छन्नर छन्नर पइरी बाजय,राम रतन सारथी के सोन के चिरइया, द्वारिका प्रसाद तिवारी विप्र के धमनी हाट, प्यारेलाल ग्रुप्त के झिलमिल दिया बुता देबे,पवन दीवान के तोर धरती तोर माटी, नारायण लाल परमार के गांव अभी दूरिहा हे,भगवती लाल सेन के बसदेव गीत, हेमनाथ यदु के सहर जातेन , चतुर्भुज देवांगन के माटी होही तोर चोला, राम कैलाश तिवारी के चलो जाबो रे भाई, ब्रजेन्द्र ठाकुर के दिया के बाती,धरम लाल कश्यप के गोली तंय काबर चलाय,लाला फूलचंद श्रीवास्तव के सोहर गीत - अइसन जनितेंव, मुकुंद कौशल के चलो बहिनी जाबो,डा. विनय पाठक के अन्ताज पाय रेहेंव, रामेश्वर वैष्णव के मोला जान दे संगवारी के संगे संग लोक गीत होइरे होइरे मोर मैना बोले रे, देवार मन के पारंपरिक गीत - गोदना गोदा ले, करमा सुने ला चले आबे का,नेंगी जोगी ले लेबे हरजाना, माड़ गयो दरबार म करसा जइसन गीत ले चंदैनी गोंदा ह सजगे. गायक- गायिका मन के सुमधुर आवाज,गजब के संगीत अउ अब्बड़ सुघ्घर नृत्य ले चंदैनी गोंदा के महक ह चारो मुड़ा ममहाय लगिस. अउ ये प्रकार ले चंदैनी गोंदा के सोर सबो डहर बगरगे.


  मेहा दाऊ जी द्वारा संचालित चन्दैनी गोंदा ल कभू नइ देखेंव पर 

बाद म लोक संगीत सम्राट श्रद्धेय खुमान साव जी द्वारा संचालित चंदैनी गोंदा ल घलो मात्र दो बार देख पायेंव .


    छत्तीसगढ़ी संस्कृति के संरक्षक , चंदेनी गोंदा के सर्जक दाऊ जी  ह 13 जनवरी 1998 म  रात के 11 बजे अपन नश्वर शरीर ल छोड़ के स्वर्ग लोक चले गिस. दाऊ जी ह अपन यश रुपी शरीर ले हरदम जीवित रहि.  दाऊ जी के समृति  ल संजोय बर रामचंद्र देशमुख बहुमत सम्मान के स्थापना 1999 म करे गिस.पहली सम्मान बुधियार साहित्यकार, इतिहासकार, पत्रकार हरि ठाकुर ल प्रदान करे गिस. चंदैनी गोंदा: छत्तीसगढ़ की एक सांस्कृतिक यात्रा " स्मारिका के विमोचन चंदैनी गोंदा के स्वर्ण जयंती प्रस्तुति के सुघ्घर बेरा म 7 दिसंबर 1976 म बघेरा म होय रहिन.येखर संपादक मंडल म बुधियार साहित्यकार त्रिभुवन पांडेय, नारायण लाल परमार सामिल रहिन. ये स्मारिका छत्तीसगढ़ बर एक धरोहर हे. येखर दूसरइया संस्करण दाऊ जी के भतीजा अउ चंदैनी गोंदा के पहली उद्घोषक डा. सुरेश देशमुख के संपादन म राजगामी सम्पदा न्यास राजनांदगांव के सहयोग ले 2021 म निकाले गे हावय.


श्रद्धेय दाउ जी ला शत् शत् नमन हे. विनम्र श्रद्धांजलि. दाऊ जी ह कहय-" छत्तीसगढ़ के माटी करजा हे मोर उपर. मोर सबो कला साधना ह ये करजा ल चुकाय के एक उदिम हे". 


          ओमप्रकाश साहू “अंकुर” 


      सुरगी, राजनांदगांव (छत्तीसगढ़)


 मो. 7974666840

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