Thursday 30 November 2023

महतारी भाखा के मान करव--

 महतारी भाखा के मान करव--


                 हमर छत्तीसगढ़ राज बने अब तेईस बरस होगे। छत्तीसगढ़ी भाखा के छोड़ राज के विकास अन्य क्षेत्र मा उम्मीद के अनुरूप तो होवत हे। सोन, चांदी, टिन, लोहा, कोईला जइसे खनिज संपदा ले भरे अउ महानदी, शिवनाथ, अरपा, पैरी,कन्हार, इंद्रावती जइसन अमरीत सही बोहात नदिया,बड़े-बड़े घनघोर जंगल, पर्वत, पठार ले सोहे भुइयाँ, अन्न-धन्न ले भरे कुबेर के कोठी कस हमर थाती छत्तीसगढ़ राज बर कोई जिनिस के कमी नई हे।


फेर हमर बर एक ठन बात के कमी जरूर हावे, कि आज तक महतारी भाखा ला मान सनमान बरोबर नई मिलिस हे,न ही स्कूल म लइका मन ल पढ़ाय-लिखाय के बने जुगत होय हे। ओमन 3-4 पाठ ल शामिल करके अपन काम पूरा होय सही सोरियात रथे। येकर ले हमर भाखा पोठ नई होय। येकर बर बने कसोरा भीर के भीड़े ल लगही। पूरा पाठ ला छत्तीसगढ़ी मा होना चाही।


राजभाखा के दर्जा--

28 नवम्बर 2007 के मुख्यमंत्री डॉ. रमनसिंह जी द्वारा हमर भाखा ल राजभाषा के दर्जा देके बिल पास करिन अउ छत्तीसगढ़ी ला आठवीं अनुसूची में शामिल कराय के गोठ बात घलो होय रिहिस। तब ले राजभाषा दिवस ल मनात भर आवत हन। दिन भर छत्तीसगढ़ी म गोठियाही,बिहान दिन ले हिन्दी म उतर जाहि। अउ साल भर ल फुरसत होंगे फेर। अब कोन जनी आठवीं अनुसूची म शामिल कब होही वोला ऊपर वाले ल जानही। अभी तो राजभाषा आयोग के सियान घलो नई हे। सियान बिन कहाँ के धियान। हमर ले नान्हे-नान्हे राज के भाषा शामिल होगे त हमन आज ले देखत हन। आज ले हमरो भाखा ल हो जाना रिहिस।


गुरतुर भाखा--

हमर भाखा जइसन मीठ अउ कोई भाखा नई हे। कथे घलो--तोर बोली लागे बड़ मिठास रे छ्त्तीसगढिया....। पर इहाँ के लोगन मन तो हिन्दी अउ अब तो मोबाइल के जमाना म अउ दु कदम आघु खस मिंझरा भाखा बना डारिन हे तेला हिंग्लिश भाखा कहे जात हे। का अइसने म भाखा समृद्ध बनही। अपन छोड़ के दूसर के बोली-भाखा ल पोटारत हे। आज के मनखे मन ल छत्तीसगढ़ी गोठियाय, लिखे,पढ़े बर लाज लगथे। देहाती अउ जंगली मन के भाखा हरे कथे। कोई ल गोठियात देखही-सुनही त वोहा निचट अनपढ़ गंवार समझथे। ये नई कहय की अपन महतारी भाखा म गोठियात-बतरात हे। इहि पाय के हमन भाखा ह आज पिछवाये हे जेकर बर ये राज भर के मनखे मन जिम्मेदार हे।


भाखा ल सीखन--

हमन ल सबो भाखा ल सीखना चाही। लइका मन ल घलो सीखना जरूरी हे। पर सबले पहली अपन महतारी भाखा ल सीखन। दूसर के चक्कर म हमर महतारी भाखा पछवावत हे। ये कोनों डहन ले बने नई हे। टीवी म आज तक सरलग छत्तीसगढ़ी कार्यक्रम नई आइस। लोगन मन भोजपुरी,  हिंदी,सिनेमा टीवी, सीरियल भर ला देखत हे। कोई-कोई समाचार पत्र म छत्तीसगढ़ी रूप बने बुता दिखत हे, हरिभूमि में चौपाल, पत्रिका म पहट, देशबंधु म मड़ई, दैनिक भास्कर म संगवारी,आरुग चौरा, दैनिक दावा, किरण दूत, झाँपी, सबेरा संकेत, सुग्घर छत्तीसगढ़ जइसन अउ पत्रिका कतको मन अच्छा काम करत हे। एक पेज म छत्तीसगढ़ी भाखा ल छाप के महतारी भाखा के जरूर सेवा करत हे। अइसने व्हाट्सएप ग्रुप मा मयारू माटी, छत्तीसगढ़ी लोकाक्षर, आदि धर्म जागृति संस्थान, आरुग चौरा, झाँपी, पुरवाही साहित्य समिति जइसन कतको ग्रुप मा सरलग चलत हे।अरुण कुमार निगम जी के छन्द के छ ग्रुप मा छत्तीसगढ़ी के बढ़वार बर जोरदार काम होवत हे।


गाँव मा सम्मान--

आज महतारी भाखा के मान सनमान ल कोई करत हे त वो गांव के अनपढ़-गंवार मन करत हे। एककनी पढ़े हे तेमन तो हिन्दी, हिंग्लिश,अंग्रेजी ल झाड़े ल धर लेहे। अइसने में तो करलई हो जही। मने गाँव म ही भाखा जीयत हे शहर म तो कब के बीमारी के खटिया म पढे हे। अधिकारी, कर्मचारी, बाबू, साहब, नेता, मंत्री मन ल अउ जादा लाज लगथे। छत्तीसगढ़ी समझ नई आय कथे। हां एक बात ठउँका हे नेता अउ मंत्री मन चुनई के पहित जरूर महतारी भाखा म गाँव के मन संग गोठियाथे। ये बात ठउँका हे कि पूर्व मुख्यमंत्री स्व.अजीत जोगी जी बहुत बढ़िया ढंग ले छत्तीसगढ़ी भाखा म गोठियाय। ओकर बोली ठेठ गँवईया मन के बोली लगय। पूर्व मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह जी ला जादा गोठियात नई सुने हो, फेर ओकर बेटा पूर्व सांसद अभिषेक सिंह ला बढ़िया छत्तीसगढ़ी गोठियात सुने हो। अभी वर्तमान मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल जी ह घलो बढ़िया ठेठ छत्तीसगढ़ी मा गोठियाथे। फेर तीनों झन के छत्तीसगढ़ी बर ठोस बुता नइ दिखिस। अभी वर्तमान मुख्यमंत्री भूपेश बघेल जी हा प्राथमिक शाला ले एक विषय छत्तीसगढ़ी के होही कहिके घोषणा जरूर करे हे। येकर परिणाम आघू देखे बर मिलही, का होथे ते। छ्त्तीसगढिया सबले बढिया नारा केहे मा कहीं नइ होय येला सबो क्षेत्र मा मूर्त रूप देय बर जम्मो झन ल भीड़े ल पड़ही। छत्तीसगढ़ी म लिखन, गोठियान,पढ़न अउ लजान मत, भाखा ल आघु डहन बढ़ाय के कोई ठोसहा जतन करन।


भाखा के इतिहास--

हमर भाखा अभी के नोहे हे वोहा अब्बड़ जुन्ना भाखा हरे। खैरागढ़ रियासत के राजा लक्ष्मीनिधि रॉय के दरबारी अउ चारण कवि रिहिन दलपत राव जेहा सन 1494 में अपन साहित्य रचना म सबले पहली छत्तीसगढ़ी भाखा ले काम करिस...


'लक्ष्मीनिधि राय सुनो चित दे।

गढ़ छत्तीसगढ़ में न गढ़ैया रही।।


पीछू कलचुरी राजा राजसिंह के दरबारी कवि गोपाल मिश्र ह सन 1746 म अपन रचना 'खूब तमाशा' में हमर भाखा के उल्लेख करिन। ऐसे तो पहली ब्रज,अवधि,भोजपुरी भाषा जेमे सुर, तुलसी के काव्य रचना हावे उहा छत्तीसगढ़ी के सब्द मन अब्बड़ मिल जथे। रामचरित मानस में कतरो छत्तीसगढ़ी शब्द भरे पड़े हे। येकर सेती अपन भाखा बर तो अब्बड़ गुमान हे। कतको शब्द के मिलती-जुलती रूप के सेती अवधि ल छत्तीसगढ़ी के सहोदरा कहे जाथे।


राजगीत के सौगात-- सन 2019 के राज्य उत्सव म वर्तमान मुख्यमंत्री माननीय भूपेश बघेल जी ह राजगीत के रूप म आचार्य नरेन्द्र देव वर्मा रचित छत्तीसगढ़ी गीत"अरपा पैरी के धार..." ल राजगीत के रुप म मान देके छत्तीसगढ़ के जम्मो झन ल सौगात देके बढ़िया काम करिस। ये सब के अब्बड़ जुन्ना सपना घलो रिहिस।


आजकल के नवा बिचार--

आज कोई पालक अपन लइका मन ल सरकारी स्कूल में नई पढ़ाना चाहे। सब अंग्रेजी स्कूल म मोहा गेहे। ये लइका मन बर बड़ टिपटॉप बेवस्था करथे। गृहकार्य पूरा करही,जूता-मोजा, टाई-बेल्ट,खाना-डिब्बा सब करही। फेर परिणाम देखबे ल संकोच लगथे। अभी अंग्रेजी के चलन आत्मानंद स्कूल के सेती अउ बढ़त हे। मुख्यमंत्री जी घलो उहें के लइका मन संग गोठियाथे। ये उदीम बढ़िया हे। सियान ला सबो लइका संग गोठियाके उँकर बात ला सुनना जरूरी हे। अउ येती सरकारी स्कूल के लइका मन के कोई दाई-ददा नई हे, जेला पहिरे हे उही ल, बिना जूता-मोजा, टाई-बेल्ट,तेल-फूल के। घर के मन ला कमई ले फुरसत नइ हे। अंग्रेजी वाले लइका मन अंग्रेजी म गोठियाथे दाई-ददा ल समझ नई आवत हे। कुल मिला के महतारी भाखा ल सत्यानाश करना हे। कोई-कोई मन गुरुजी के छत्तीसगढ़ी गोठियाई ल घलो देहाती पन समझथे,गुरुजी मन हिन्दी, अंग्रेजी म बात करही त लइका मन घलो सिखही। अइसे घलो कहि डारे हे। वाह, फेर अपन भाखा म गुरुजी मन लइका मन संग झन गोठियाय। जबकि महतारी भाखा ले लइका मन जल्दी समझते अउ उँकर मन  ले जादा लगाव होथे,ये बात ल समझे नहीं, त का कर डारबे।


पालक मन के सोच--

एक बार एक झन पालक ल अपन लइका ल मारत देखेव त मोला अब्बड़ दुख होइस,कि तेहा हिंदी म काबर नई बोले।छत्तीसगढ़ी म काबर गोठियाय। वो लइका अपन घर आय सगा सन छत्तीसगढ़ी म गोठियात रहय। इहाँ फोकट सेखी मरैया के कोई कमी नई हे। अस्पताल में एक झन पालक ल अपन लइका सन हिन्दी में गोठियाय, अउ रहय गाँव के। बाद म घर जाय के समे समझ आथे, जब लइका ह कथे- बाबू धर न तोर मोबाईल ल गा। मने सबके सामने छत्तीसगढ़ी म बात करही ते वोला शरम आही। इहि पाय के हिंदी झाड़त हे बिचारा ह। त अइसनो घलो डींग मरई कोई काम के नोहे। अइसन कतको जगह देखे बर मिल जथे। जेला अपन भाखा ल लाज आवत हे वो का अपन भाखा के मान सनमान करही। हमन खुद अपन भाखा के अपमान करे के जिम्मेदार हन।


आठवीं अनुसूची में शामिल होय--

समे समे राजनीति डहन ल घलो येला आठवीं अनुसूची में जोड़े बर अब्बड़ परयास होत रथे। पर जब जुड़ही तभे भाखा ह अउ बिकास के गति ल पकड़ही। हमर 2 करोड़ जनता के भाखा जेला आधा ले जादा आदमी मन बोलते, समझथे अउ लिखे बर तो कमेच हवे। लोगन मन लिखे बर कठिन हावे कथे। हिज्जा करके तो लते-पटे पड़थे। येकर रूप क्षेत्र बिसेस म थोड़ बहुत बदल जाथे। पर आत्मा के भाव वोइसने हावे हे। फेर अब के नवा पीढ़ी के लइका मन के व्हाट्सएप, फेसबुक ग्रुप मा चैटिंग मैसेज ला छत्तीसगढ़ी मा लिखत रथे। बढ़िया हे, अइसने मा धीरे-धीरे लिखे-पढ़े के तहू आदत होही। हमर भाखा म गीत, कविता, साहित्य के घलो भंडार भरे हे। छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के मुखिया के चयन होना घलो जरूरी हे। जेकर ले आयोग के काम सरलग चलत रहय, अउ  भाखा के बिकास बर नवा रद्दा बनाये के जुगाड़ होय। हम सब झन ल हमर महतारी भाखा के मान-सनमान बर आगू आये ल पड़ही। स्कूल म तो एक बिषय छत्तीसगढ़ी के जरूर होना चाहि। जब पंजाब, बिहार, महाराष्ट्र, ओडिसा,केरल,कर्नाटक जइसे राज म अपन महतारी भाखा म पढ़ई-लिखई हो सकत हे, त हमर छत्तीसगढ़ म काबर अउ कइसे नई होही। बड़े-बड़े विकसित देश में के शुरुआती पढ़ई अपन महतारी भाखा म ही कराथे। जेकर ले लइका मन ल जल्दी समझ बनथे। येकर बर जम्मो झन ल आगू आय ल पड़ही।


                    हेमलाल सहारे

          मोहगांव(छुरिया)राजनांदगांव

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