Wednesday, 10 September 2025

गणेश उत्सव सामाजिक चेतना जगाय अउ चरित्र निर्माण करे के परब हरे।

 गणेश उत्सव सामाजिक चेतना जगाय अउ चरित्र निर्माण करे के परब हरे।


हमर देश मा अलग-अलग जाति धरम के लोग बसथे, जेकर रहन-सहन खानपान संस्कृति तको अलग-अलग होथेI पर जब कोनों तिहार आथे तब  लोग अपन जाति धरम ल भुला के वो तिहार के रंग मा रंग जथे, माने अपन भाव अउ शुभ  विचार म दूसर के खुशी म अपने खुशी देखथे, इही तो हमर बहुत बड़े संस्कार येI जेला आज तक सब मिलके निर्वहन करत आत हें,विविधता ल भूल के तिहार के रंग मा रंगना समाजिक समरसता ल बढ़ाथेI इही तिहार मा एक तिहार गणेश चतुर्थी हे,जेला हमर देश के अलावा नेपाल,भूटान,म्यांमार,श्रीलंका,सिंगापुर मा विधि विधान अउ उत्साह के संग मनाथेI छत्तीसगढ़ मा ग्यारा दिन तक चलने वाला ये तिहार भादो महीना शुक्ल पक्ष के चउँथ मा आथे, अउ अनंत चतुरदशी तक चलत रहिथेIगणेश देव के कई ठन नाँव हे विध्नहर्ता,बुध्दि के दाता, मंगलकारी,सुख शान्ति के देवइया,गणनायक,गणपति,लंबोदर,सुमुख,एकदंत,कपिल,विकट,गजकर्ण,विनायक,भालचन्द्र,रिद्धिसिद्धिके स्वामी,गणाध्यक्ष,गौरीपुत्र,स्वरूप,शुभम,मंगलमूर्ति,महाबल,अमित,अवनीस,भूपति,चतुर्भुज,कृपाकर,मनोनय,विश्वराजा,

प्रमोद,नन्दन,भुवनपति,भीम,धूमकेतु,महागणपति,लम्बकर्ण,प्रथमेश्वर,वक्रतुंड,देवादेव,ईशानपुत्र,जइसन लगभग सौ ठो नाँव ले जानथे Iगणेश जी के पूजा कई सालों ले चलत आवत हे, अंग्रेजी शासन काल के समे जगा-जगा आंदोलन होय देश के आजादी बर तब आंदोलनकारी मन ला वो समे जेल मा डाल दय I सिर्फ धार्मिक सभा करे के छूट भर राहय वोकरे सेती बालगंगाधर तिलक अउ बहुत से क्रांतिकारी मन गणेश ला पंडाल मा रखके पूजा पाठ के साथ सार्वजनिक उत्सव करँय I जेकर ले समाज मा एकजुटता के भावना पैदा होवय अउ अंग्रेजन मन ले लड़े के रणनीति तको तैयार होवँयI इतिहासकार मन बताथे माता जीजा बाई के संग वीर शिवाजी तको गणेश पूजन के परंपरा ल आगू बढाइसI गणेश पूजा ह वो समे देश आजाद होय के हवन मा महत्वपूर्ण भूमिका तको निभाइस हेI काबर इही सार्वजनिक मंच ले बड़े-बड़े क्रांतिकारी मन भाषण देके जनमानस ल एकजुट करे के काम करँय Iतभे तो आज भी कोनों शुभ काज करे के पहिली गणेश जी ल पूजे जाथे, वेदों के जानकार संत मुनि ज्ञानी जब कथा वाचन करथे तब गणेश जी ल पहिली सुमरथे, तुलसीदास जी के भजन मा जिक्र हे ‘गाइये गणपति जगवंदन’

सदा भवानी दायनी, सम्मुख रहें गणेशI

पांच देव रक्षा करें, ब्रम्हा बिष्णु महेशII

ये दोहा हमन ल अक्सर सुने बर मिलथे,

गणेश पूजा सिर्फ पूजा भर नोहय मनखे मन मा सुविचार भरथे, दाई ददा के सेवा ल गणेश जी सबले बड़का पुण्य काज माने के शिक्षा दे हे I अकेल्ला जउँन गुण गणेश जी मा समाय हे मनखे मन ला कुछ न कुछ सीख जरूर देथे I

गणेश जी के पेट ह ये सीख देथे दूसर ल कहूँ खुशी देबे त खुद के पेट ह खुशी ले फूले अउ भरे रहिथे माने उदारता के प्रतीक हरे,सूँड़ ह सीख देथे जब कोनों विपदा या बाधा आय त घबराय के जरूरत नइये अपन आप ल अउ डट के सूँड़ असन लंबा होना हे,ताकि बाधा ह आय के पहिली डर जाय,गणेश जी के मुड़ के चंदा ये सीखाथे कभू गुस्सा नइ करना हे सदा शांत दिमाग ले काम लेबे त काम सफल होथे Iगणेश जी के निकले एक दाँत सीख देथे जतका हें ओतके मा संतुष्ट रहे ले मनखे मा मा घृणा भाव नइ आय,एकाग्रता के प्रतीक हरे Iचार भुजा ये बताथे कमाँव दू हाथ ले त बाँटव चारों हाथ ले, दान करे ले मनखे के यश कीर्ति बाढ़थे Iसूपा असन कान ये सीख देथे सार बात ल ग्रहण करव,बेमतलब बेकार के चारी चुगली ल निमार फेंके ले जिनगी मा कलह नइ आय Iगणेश जी के सवारी मुसवा ह सीख देथे ताकत दिखा के आगू नइ बढ़े जा सकय बुद्धि ले काम लेना बहुते जरूरी हे Iगणेश जी ल लड्डू बड़ा पसंद हे लड्डू ले ये सीख मिलथे बोली ल अपन मीठ रखे ले बइरी ल तको मित्र बनाय जा सकथे Iमुँह ले करू बोल काबर बोलना Iगणेश जी ल दुबी तको पसंद हे दुबी ह प्रेम प्यार ल दर्शाथे प्यार देबे त प्यार बाढ़थे, अहंकार करबे त रोज जले ले पड़थे दुबी असन जिहां ले प्यार मिलत हे, वो जर जमीन वो माटी ल नइ छोड़ना हे चिपके रहना मा ही भलाई हे I गणेश जी के जनेंव नीत नियम विधान अउ सदाचार सिखाथे,गणेश जी के लाली कपड़ा सजग अउ उर्जावान रेहे के सीख देथे Iहाथ मा गदा, चक्र, तलवार, अंकुश गणेश जी के ये शस्त्र बुराई अउ अज्ञानता ल लड़े के सीख देथेI


मंगल कारी देव तँय, पूरन करथस काज I

रिद्धि सिद्धि के देवता, गौरी के गणराज I

गौरी के गणराज, तोर जस दुनिया गावयँ I

करके दर्शन देव,सबो मनखे सुख पावयँ I

बाधा देथस टार, बिपत के तँय अधिकारी I

चरण-शरण मा माथ, देव तँय मंगलकारी II


गणेश उत्सव न केवल धरम जाति के विशेष तिहार ये, लोगन मन मा सामाजिक चेतना जगाय अउ चरित्र निर्माण करे के प्रेरणा देथेI गणपति हमर सुख दुःख कुशल क्षेम लाभ हानि संस्कार के पोषक हरे,येकर पूजन बिना संसार के सबो काम अधूरा हेI केहे गेहे न जउँन हा जइसन भाव ले गणेश जी ल पूजथे वोइसने वोला फल मिलथे I वोकरे सेती तो कहिथे न गणपति ल भक्ति भाव सन मन विचार ले सुमरबे त  बिगड़े सब काज बन जथे I


विजेन्द्र कुमार वर्मा 

नगरगाँव (धरसीवां)

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