भारतीय जनता मा जागृति फैलाय बर सार्वजनिक गणेश परब के शुरूवात होइस
हमर सनातन संस्कृति मा बुद्धि के देवता गणेश जी के अब्बड़ महत्व हे।कोनो भी काम ला चालू करे ले पहली भगवान गणेश जी के पूजा करे जाथे। येकर ले कोनो भी कारज हा बने सिद्ध
होथे अइसे आस्था के रुप मा रचे- बसे हे। यज्ञ,पूजन, बिहाव, गृह प्रवेश अउ आने आयोजन मा गणेश जी के पूजा करे जाथे।गणेश जी हा माता- पिता ला सबले बड़का धाम मानिस। अपन बुद्धि ले मूसवा सवारी गणेश जी हा पिता भगवान महादेव जी अउ माता पार्वती के गोल- भांवर घूम के सुघ्घर आशीष पाइस ।पहिली पूजन के वरदान प्राप्त करिन। तब ले भगवान गणेश जी के पूजा कोनो काम करे ले पहिली जरूर करे जाथे।
सार्वजनिक गणेश पूजा के शुरूवात
श्री गणेश जी के स्थापना हिंदू पंचाग के अनुसार भादो मास के शुक्ल पक्ष चतुर्थी के दिन करे जाथे। दस दिन भक्ति के धार गांव -गांव शहर -शहर मा बोहाय ला लगथे। अनंत चतुर्दशी के दिन श्री गणेश जी के विसर्जन करे जाथे।दस दिन तक सनातनी मन भक्ति रुपी गंगा मा गोता लगाथे।
इतिहासकार मन के मानना हे कि हमर भारत वर्ष मा गणेश पूजा के शुरुवात वीर शिवाजी हा अपन महतारी जीजा बाई के संग मिलके मुगल मन ले लड़े बर जनता मन ला संगठित करे के उद्देश्य ले करे रिहिन। छत्रपति शिवाजी महाराज के बाद गणेश महोत्सव के परंपरा ला मराठा साम्राज्य के आने पेशवा मन घलो जारी रखिन।बछर 1892 मा भाऊ साहब जावले हा पहली बार गणेश मूर्ति के स्थापना करिन।
जब हमर देश मा अंग्रेजी शासन रिहिस ता बछर 1893 मा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के नेता लोकमान्य बालगंगाधर तिलक हा येला बड़का रूप मा महाराष्ट्र मा सुरुवात करिन। सार्वजनिक गणेश पूजा के उद्देश्य भारतीय जनता मा राष्ट्रीयता के भावना मा बढ़वार कर अंग्रेजी शासन ला इहां ले भगाना रिहिस। गणेश पूजा के माध्यम ले भारत के सभी जाति, धर्म के मनखे मन ला एक साझा मंच देय के उद्देश्य रिहिनी जिहां सब सकला के अपन विचार रख सके।
सार्वजनिक गणेश पूजा के बेरा मा वीर सावरकर, लोकमान्य तिलक अउ आने नेता मन अपन भाषण मा भारतीय जनता मा जागृति फैलाय के काम करिन। अंग्रेजी शासन के शोषण, अत्याचार अउ कतको गलत नीति के बारे मा बताके देश के आजादी बर लड़े बर प्रेरित करे गिस। गणेश पूजा के समय पढ़इया लइका मन देशभक्ति के नारा अउ अंग्रेजी शासन के विरुद्ध नारा लगाय। मराठा मन ला छत्रपति शिवाजी कस विद्रोह करे बर प्रेरित करे जाय।
तो ये प्रकार ले देखथन कि सार्वजनिक गणेश पूजा हा आजादी के लड़ाई के बेरा मा भारतीय जनता मा देशभक्ति के भावना ला बढ़वार करे, छुआछूत दूर करे, समाज ला संगठित करे के दिसा मा सुघ्घर माध्यम बनिस। ये सार्वजनिक पूजा हा अंग्रेजी शासन बर जी के जंजाल बनगे अउ जनता मन बर देश के आजादी के लड़ाई बर माध्यम बन गे। तिलक जी के उदिम ले पहिली गणेश पूजा परिवार तक सीमित रिहिन। गणेश परब के बेरा मा भाषण देवइया प्रमुख नेता मन मा वीर सावरकर, लोकमान्य बालगंगाधर तिलक, नेताजी सुभाष चंद्र बोस, बैरिस्टर जय कर,रेंगलर परांजये,पं. मदन मोहन मालवीय, मौलिक चंद्र शर्मा, बैरिस्टर चक्रवर्ती,दादा साहब खापर्डे अउ सरोजिनी नायडू के नांव शामिल हे।कवि गोविंद अपन कविता के माध्यम ले जनमानस मा छाप छोड़य।
डीजे संस्कृति अउ अश्लील गाना चिंतनीय
देश ला आजादी मिले के बाद कतको शहर मा आयोजन के बड़का स्वरूप जारी हे। गणेश परब बर प्रसिद्ध शहर मन मा मुंबई , पुणे, हैदराबाद, बेंगलुरु, अहमदाबाद, चेन्नई, नासिक, जयपुर, दिल्ली,गोवा, नागपुर,इंदौर, राजनांदगांव , रायपुर के संगे संग आने शहर मा गणेश पूजा के बड़का आयोजन देखे ला मिलथे।लोगन भक्ति भाव मा रम जाथे। भारतीय संस्कृति ले संबंधित बड़का आयोजन होथे।लोक सांस्कृतिक कार्यक्रम अउ कवि सम्मेलन के आयोजन के माध्यम ले जन समुदाय हा जुड़थे अउ सुनता के गांठी मा बंधे के संदेश देथे।समय के साथ येकर स्वरूप मा अब्बड़ बदलाव घलो होइस। दिखावा के चलते अड़बड़ खरचा करे जाथे। लोक संस्कृति के जगह डीजे संस्कृति हा मूल संस्कृति ला दबा के रख देथे। डीजे के कानफोड़ू अवाज हा पर्यावरण बर अउ मानव समाज बर खतरा होवत जात हे। आयोजन समिति मन ला चाही कि आयोजन मा अश्लील गाना ला झन बजाय। अपन संस्कृति के बढ़वार बर काम करय।तभे गणेश पूजा के महत्ता हा कायम रहि। गणेश परब हा पारा, गांव,शहर प्रदेश अउ देश ला एकता के के सूत्र मा पिरोय के सुघ्घर काम करथे। जरूरत हे आधुनिकता के चकाचौंध मा घलो अपन मूल संस्कृति ला सहेज के रख सकन तभे सार्वजनिक गणेश पूजा हा सार्थक हो पाही।
- ओमप्रकाश साहू अंकुर
सुरगी, राजनांदगांव
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