Saturday 29 August 2020

परिवार के किम्मत (नान्हे कहिनी)*

 *परिवार के किम्मत (नान्हे कहिनी)*

एक ठन गाँव मा सुखराम नाँव के , एक झन छोटकुन  किसान , अपन जम्मो परिवार के संग राहत रहिस हे ।
सुखराम मेर अपन पुरखा मन के देय , दू चार एकड़ खेत खार रहिस । जेमा किसानी के काम बुता संग बनिभूति ल करत , बपुरा सुखराम हर अपन परिवार ला सुग्घर पालत पोषत रहिस । सुखराम के घर म ओखर बाई अउ ओखर तीन झन लड़के लड़का बस रहिस हे , जिनगी सुग्घर चलत रहिस । 
सुखराम अब अपन तीनो बेटा मन ला बने पढ़ाय लिखाय बर सोचे लगिस , काबर सुखराम हर घलव बने पढ़े लिखे रहिस । कहिथे कोनो भी जिनिस के किम्मत ला उही मनखे मन जानथे अउ समझथे , जउन मनखे मन हर ओ दउर ले गुजरे रहिथे । सुखराम जी मन हर बतावय की , उखर ददा मन हर घलव थोड़ बहुत पढ़े लिखे रहिन हे , तेपाय के उन मन हर ओमन ला घलव बने पढ़ाईन लिखाईन हवै । 
सुखराम जी मन के बड़का बेटा के नाँव - श्यामलाल , अउ मंझिला बेटा के नाँव - रामलाल , अउ ओखर छोटे बेटा के नाँव - लक्ष्मन रहिस हे , श्यामलाल अउ रामलाल दुनो भाई पढ़ई लिखई मा अब्बड़ हुशियार रहिन । फेर लक्ष्मन हर ननपन ले पढ़ई लिखई मा एकदम कमजोर रहिस हे , ओखर तो चेत हर नइ लगत रहिस हे , स्कुल अउ उँहा के पढ़ई लिखई मा ।
लक्ष्मन हर अपन पढ़ई लिखई ला छोड़ दिस , अउ अपन ददा सुखराम जी मन के संग म खेती किसानी के काम बुता मन ला करे लगिस ।  अब धीरे धीरे लक्ष्मन हर अपन पूरा ,  खेती बाड़ी के काम बुता मन ल देखे बर धरलीच । ओ समे तीर तखार के गाँव के मनखे मन हर , बनिभूति मा कमाय बर उखर गाँव आवत रहिस हे । उही समय लक्ष्मन ला पास के गाँव के , सावित्री नाँव के एक झन बनिहारिन लड़की करा मया होंगे ।
 अउ ओ बनिहारिन नोनी ला घलव लक्ष्मन सो अब्बड़ मया होंगे रहिस हे , दिनों दिन दुनो झन के मया हर बाढ़त जावत रहिस । उखर दुनो झन के मया के शोर सन्देश हर , पूरा गाँव बस्ती मा फइलगे रहिस । ये सब गोठ बात मन के जानकारी लक्ष्मन के ददा सुखराम जी मन ल होइस ।  लक्ष्मन हर अपन ददा ला सबो बात मन ला बतावत कहिस : - बाबू जी मँय अउ सावित्री हमन दुनो झन एक दूसर ल अब्बड़ मया करथन , अउ बिहाव घलो करना चाहत हावन । 
अतका सुनके सुखराम जी मन हर ,  जात अउ समाज के जम्मो गोठ बात मन ल गुनके , अउ समाज के डाड़ बोड़ी संग बदनामी के डर ले । अपन बेटा लक्ष्मन ला समझावत कहिन : - लक्ष्मन सावित्री आन जात के बेटी ये बेटा , अउ दूसर जात के बेटी ला कहूँ हम बहू बनाबो ता जात अउ समाज संग दुनिया भर के लोगन मन हर हमर मन ऊपर हाँसही अउ थूकही बेटा । ये बिहाव नइ हो सकय
 कहिके , सुखराम जी मन सोज सोज अपन बेटा लक्ष्मन ला समझा दिन । फेर लक्ष्मन के समझ मा सुखराम जी मन के , कोनो गोठ बात हर समझ मा नइ आइस , अउ सबो झन के ओतका बरजे के बाद घलो ,  आखिर मा लक्ष्मन हर जाके मन्दिर मा सावित्री मेर बिहाव कर लीस । जात समाज के लोगन मन हर लक्ष्मन अउ सावित्री ला समाज ले बाहिर कर दिन हे । 
अब सुखराम जी मन हर घलव ओमन ल उंकर बाँटा हिस्सा ला देके अपन अलग तिरियादिन । लक्ष्मन अउ सावित्री संग म बने सुग्घर जिनगी ला बिताय ल धरलीन , धीरे धीरे समय हर निकलत गीस । लक्ष्मन के गोसाइन सावित्री हर भारी पाव ले (गर्भवती) रहिस , सावित्री ला जजकी करवाये बर अस्पताल म भरती करवाय गीस । अस्पताल मा डॉक्टर साहब अउ सिस्टर दीदी मन कहि  दिन की लइका हर पेट भीतरी उल्टा होंगे हावय । 
अब जजकी सरल सहज अउ सामान्य ढंग ले नइ हो पावय । आपरेशन करे बर पड़ही , तभे हम लइका अउ महतारी दुनो झीन ल बचा सकबो कहिके । डॉक्टर साहब मन लक्ष्मन ल आपरेशन के पइसा ला बताइन हे चालीस पचास हजार रुपया  लगही । 
जल्दी जमा घलो करना हे कहिके , बपुरा लक्ष्मन मुड़ मा हाथ धर के सोचत बइठगे । का करे जाय कहाँ ले अतेक कन पइसा लाय जाय कइके । अब्बड़ सोचे के बाद आखिरी म लक्ष्मन हर अपन बाबू सुखराम जी अउ अपन बड़का भइया मन के तीर गीस ।  अउ उंकर ले माफी माँग के अपन जम्मो हाल ल सुनाइस । तब सबो गोठ बात ल सुन के ,  सुखराम जी अउ ओखर बड़े भइया मन हर लक्ष्मन ल , अपन बहू के इलाज कराय बर रुपया देइन । सावित्री के आपरेशन सुग्घर अउ सफल होइस , ओहर लक्ष्मी असन बेटी ल जन्म दिस ।
 घर के पहिलावत लइका रहिस , तेपाय के सुखराम जी मन के घर अउ परिवार म अब्बड़ खुशी के माहुल छागे रहिस । हमर सियानन मन हर घलव कहिथे : - की पूत भले कपूत हो जावय , फेर माता कभू कुमाता नइ होवय । ओइसने हे हमर अपन परिवार हर होथे , जीखर किम्मत हमन ला बाद म समझ आथे , जइसे लक्ष्मन ल आइस हे । ये दुनिया म अउ कोनो रिस्ता नाता मन हर काम नइ आवय , जब भी काम आथे ता सिरिफ अउ सिरिफ परिवार हर आथे । 

                         मोहन कुमार निषाद
                      गाँव - लमती , भाटापारा , 
                    छंद साधक सत्र कक्षा - 4

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