Saturday 29 August 2020

चंगुल-चोवाराम वर्मा बादल

 चंगुल-चोवाराम वर्मा बादल
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कतेक झन कहिथें कि नो नालेज ,विदाउट कॉलेज। कभू- कभू सोचबे त ए बात ह बिल्कुल सिरतोन लागथे।काबर कि मनखे के स्कूली जीवन अउ कालेज के पढ़ाई जीवन म जमीन-आसमान के फरक होथे।  कालेज  पढ़ई जीवन म अबड़ कस खट्टा -मीठा , दुखद-सुखद अनुभव होये ल धरथे।लइका जब स्कूल म पढ़त रहिथे त ओकर उपर माता-पिता अउ गुरुजी मन के नजर रहिथे। लइका ल एती-वोती जादा गिंजरे के अजादी नइ राहय। घर ले स्कूल अउ स्कूल ले घर।संगी-संगवारी तको पास -पड़ोस के गिने-चुने। ज्ञान के दायरा घलो सिमटे रहिथे।
       फेर इही लइका जब कालेज पढ़े बर जाथे तब पिंजरा ले निकले पंछी कस अगास म डेना फइलाये जेती पाथे तेती ससन भर उड़े ल धर लेथे। अपन युवा मन म जागे नाना किसिम के सपना म बिधुन होके रंग भरे ल धर लेथे। इही समे नवाँ-नवाँ अनचिन्हार चाहे वो लड़का होवय या लड़की मन ले दोस्ती होना चालू होथे। पिंयार-मोहब्बत के पीका तको फूटे ल धर लेथे। दोस्त मन बने-बने मिलगे त सब बने ,नहीं ते  धारे-धार.बोहावत देर नइ लागय। ए उमर जिनगी के अइसे अंधा मोड़ होथे जेमा बड़े-बड़े दुर्घटना घटे के अबड़े अंदेशा होथे।
      सबो चीज बर नवयुवके मन ल दोष नइ दे जा सकय।कुछ बात ह तो स्वाभाविक होथे।परिवर्तन ल प्रकृति के नियम कहे गे हे। बसंत आही त आमा मउराबे करही,कोइली ह कुहकबे करही। मतौना फागुनी हवा ह तो सुरसुराबे करही।
         ए समे म माता-पिता ल अंध-निरंध नइ रहना चाही। बेटा-बेटी के आदत म होवत  बदलाव उपर बारिक नजर रखना चाही ।नहीं ते "डार के चुके बेंदरा अउ बेरा के चुके किसान" कस  जिनगी भर पछताये ल परथे।
  मोला काबर ए ते परोसी भाई दिनेश के घर म घटे घटना के घेरी-बेरी सुरता आथे। 
   वोकर एके झन बेटा---नाम रहिसे विवेक कुमार। जइसे नाम तइसे गुन। पढ़ई-लिखई म बड़ हुशियार।  कक्षा म पहला आवय। आदत -व्यवहार बहुतेच बढ़िया। कालेज म गिच तहाँ ले सबले पहिली चश्का महँगा मोबाइल के लागिच। कई झन दोस्त-यार बनगें।  आनी- बानी के बहाना बना-बना के दाई-ददा सो पइसा माँग-माँग के उड़वाये ल सीखगे। दूये साल म फेल घलो होगे। दिनेश ह दू-चार पइत टोंकिच तको फेर वोहा एक कान ले सुनके दूसर कान ले निकाल दय।
   अभी पँदरा दिन पहिली के बात आय। विवेक ह घर ले दिल्ली नौकरी के इँटरव्यू दे बर जात हँव कहिके पाँच हजार रुपिया माँग के गे रहिसे। पाछू पता चलिस --वोहा अपन महतारी के पेटी ल टोरके जम्मों गाहना गुरिया अउ पचास हजार  रूपिया ल तको ले गे रहिसे।
   वो ह इंटरव्यू दे बर नइ गे रहिसे। फेसबुक म  सुंदर फोटू देख के एक झन अनचिन्हार लड़की ले दोस्ती होये रहिसे। उही लड़की सो मिले बर दिल्ली के बताये पता म मिले बर घर ले बहाना बनाके भागे रहिसे। जिहाँ वोकर पइसा, गहना गुरिया संग मोबाइल ल नँगा के वोकर मडर कर दे  गिस।
     दिल्ली के पुलिस ह वोकर लहू म बोथाये कुरता जेमा टेलर के नाम अउ पता लिखाये रहिसे तेला धरे पता करत -करत दिनेश घर आइन अउ सबो बात ल बताइन कि विवेक ह  अपराधी गेंग के चंगुल म फँस गे रहिसे जेन मन सुंदर लड़की के आड़ लेके लड़का मन ल पिंयार के जाल म फँसा के अइसने काम करथें। देख सुन के हमन हक्का-बक्का होगे रहेन।
    दिनेश बिचारा के तो जिनगी दुख म बूड़गे।  एकलौता बेटा----बुढ़ापा के लाठी टूटगे। कुल के दिया बुझागे।

चोवा राम वर्मा 'बादल '
हथबंद, छत्तीसगढ़

1 comment:

  1. बहुत सुन्दर आलेख गुरुदेव जी

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