Saturday 1 July 2023

नेता जी के योग दिवस

 नेता जी के योग दिवस


                     योग दिवस के अवसर मा भारी चमचमावत बड़का मंच, जेमा बइठे हे बड़का नेता संग कतको वीआईपी मनखे अउ नीचे मा चेला चंगुरा संग असल योग करइया। जे मन नेता मन के बुलावा मा अपन काम बूता ला छोड़ के आय हे। योग के पहली नेता के भाषणबाजी अउ ताली के गड़गड़ाहट ले, तीर तखार गूँजत हे। योग के फायदा ले चालू होवत बात वोट के फायदा तक कब पहुँचिस पता नइ लगिस। भाषण बाजी के बाद बेरा आइस योग करे के। योग करवाये बर कतको नामी गिनामी योगा टीचर मंच मा आसन जमाये बइठे रिहिन। नेता घलो तीर मा बइठगे। सीखइया टीचर किहिस जइसे जइसे हमन करबों वइसे वइसे सब करत जाहू। हाथ गोड़ ला झटकारे के बाद घेंच ला चारों कोती घुवावत बेरा नेता के घेंच टेंड़गागे। घेंच एके डाहर अटके रहिगे, मानो योग बीच जनता के नियत ल टकटकी लगाए देखत हे, कि वोट ये कार्यक्रम ले बढ़ही कि नही? मंच मा देखो देखो होगे, नेता के घेंच सीधा होबे नइ करिस, आनन फानन में वोला हॉस्पिटल लेगिस, तब कहीं स्थिति काबू मा आइस। 

            नेता के तबियत बिगड़े के बाद जनता ला कोन पूछे। जम्मो वीआईपी संग चेला चंगुरा निकल गे पाछू पाछू। एक दिन देखावा करत हाथ, गोड़ मुड़ी, कान ला डोलाये मा अइसन तो होबे करही। सकलाय जनता मन उहाँ का करतिन? जेमन भीड़ बढ़ाये बर चढ़ावा मा आये रिहिन ओमन चढ़ावा लेके टसके लगिन। देखते देखत थोरिक बेरा मा अंडाल, पंडाल सब तिरियागे।  रोग भगाये बर होवत योग ला लोगन मन नेता जी के कारण नइ कर पाइन। अब बपुरा मन के तबियत पानी के का होही? कहूँ योग कर डरे रहितिंन ता साल भर भला चंगा रहितिंन, फेर होनी ला कोन टार सकत हे।

                

                 योग मा भाग ले बर कतको प्रकार के आदमी आये रिहिन, जेमा साहब, बाबू, सिपइहा, कमइयां मजदूर अउ किसान मन तको रिहिन। बूता दू प्रकार ले करे जाथे, एक हाड़ा गोड़ा खपा के ता एक दिमाक लगाके। बूता दूनो जरूरी हे। श्रम अउ सोच के समन्वय होय ले ही ये दुनिया चलत हे। फेर सोचे के बात हे, नेता मन के योग दिवस मा मजदूर किसान मन के का काम? जे बपुरा मन रात दिन जांगर खपावत रइथे, उंखर अपन हाथ,गोड़ थोड़े जाम रही। हाथ गोड़ तो ओखर जकड़े रइथे, जे मन दिन भर सोफा, कुर्सी ला पोगराये रइथे। मोर कहे के मतलब ऑफिस मा दिमाक खपइया साहब, बाबू ला ये सब करना जादा जरूरी हे, जांगर खपइया मन के काया के कसरत तो काम बूता मा आगर तक हो जथे। तभो अइसन देखावा बाजी मा नेता मन के निमंत्रण मा बनिहार,मजदूर मन दिखबे करथे। नेता मन वोट के लालच मा बुलाथे, ता ये मन नोट के लालच मा आ तको जथे। आजकल फोकट मा भीड़ कहाँ जुटथे, अउ भीड़ बढ़ाये बर छोट मोट आदमी मन तो काम आथें। काखर कर आज समय हे, जे बिन स्वार्थ के कोनो फलां ढमका के दर्शन करे। पर जेन श्रम के गाड़ी  ला सबर दिन अपन हाथ म खिचथें, वो नेता मन के बिगारी बर घलो अघुवाय रथे। ऊंखर जिनगी मा गरीबी रूपी रोग सपड़े रथे, जे योग-जोग ले नइ भागे। ये रोग तको नेता मन के कृपा के ही बाट जोहथे, काबर कि काया खपाये मा पेट-परिवार ले देके पलथे, अइसन मा देख देवावा अउ शान शौकत तो सपना मा तको नइ आय। खैर नेता जी के योग दिवस के बहाना भीड़ के हिस्सा बने ले चाय शर्बत अउ एक दिन के रोजी तो मिलगे, अइसने सुध सबर दिन जनता के नेता मन लेवँय। 

                    योग ध्यान दुनिया मा जमाना ले चलत आवत हे। साधु, संत मन सरलग योग ध्यान मा लीन रहै। बचपन मा खेलकूद, जवानी मा कामधाम अउ बुढापा मा भाव भजन, ये  सब विधान अस्त पस्त हो गे हे। अइसन मा आज योग सबके जरूरत बनगे हे। आधुनिक खान पान अउ दूषित पर्यावरण के आघू कोनो निरोग नइ रही सके। मनखे के शरीर मशीन आय, जेखर देख रेख अउ उचित खानपान ही, वोला बढ़िया रख सकथे। योग ध्यान तभे काम के हे, जब खानपान अउ दिनचर्या बने रहय, काबर कि योग सात्विक आचार विचार अउ खानपान के द्योतक होथे। योग अउ कसरत अलग अलग चीज आय। योग आत्मिय अउ कसरत शारीरिक क्रिया ले जुड़े हे। कमइयां बनिहार, मजदूर किसान के आत्मीय जुड़ाव भुइयाँ अउ करत काम संग सहज रइथे, संग मा काया के कसरत तो होबे करथे, अइसन मा का  योग, का कसरत अउ का जिम सिम? आज ठलहा अउ स्मार्ट बूता करइया मन इम- जिम मा पछीना ओगारत तको दिखथे। किसान मजदूर कस आज मनखे ला चाही, कि जे भी काम ला करे, पूरा बूड़ के करे। काम टड़काये मा मूड़ पिराबे करही। बूता- काम ही सब ले बड़े योग ध्यान आय, बस वो काम मा काया जरूरत के हिसाब ले खटे अउ मन बरोबर रमे अउ रचे। कमइयां मन जाँगर खपा खपा के थक जावत हे, ता बैठइया मन बइठे बइठे जाँगर ला हलाय-डोलाय अउ मोटाय के उदिम करत पस्त दिखथें। कोनो भी चीज एक दिन मा कुछु नइ होय, वइसने योग ध्यान तको एक दिन के चीज  नोहे, येमा सरलग समय निकाल के जुड़े रहना चाही, नही ते नेता जी कस घेंच ला घुमावत बेरा घेंच धरबे करही। 


जीतेन्द्र वर्मा"खैरझिटिया"

बाल्को, कोरबा(छग)

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