Monday 24 July 2023

ताकत

 ताकत

              जम्मो झन एके संघरा खड़े रहिबो कहिके .. हमर देश के बड़का बड़का मुड़ी मन सकलाय लगिन । मोरो तिर कुछु बुता काम नइ रहिगे रिहिस । बइठे बइठे तरिया के पानी नइ पुरय .. मेहा तो अइसने टुटपुँजिया आँव ... । थोर बहुत पाय सकलाय के लालच म महूँ हा येकरे मन के संग म संघरे के इरादा कर डरेंव । मोला जनावत रिहिस के संघरा खड़े रेहे म बहुत फायदा होवत होही । येकरे मन के तिर म अमर गेंव । जम्मो झिन एक दूसर के हाथ ला किड़किड़ ले धरके खड़े रिहिन । मोला अपन संग म आगे हे सोंचत खुश होके ... मोरो हाथ ला किड़किड़ ले धर लिन । एके जगा खड़े खड़े बड़ बेर होगे । असकटाके पूछ पारेंव – काबर अइसन खड़ा होय हन भइया ?  बाजू वाला किथे – चुप रे .. नि जानस का ?  वहा तिर म जे कुर्सी दिखत हे .. तिही ला कबजियाय बर सकलाय खड़े हन । मोरो मुँहु बड़ खजवात रहय – ओमा तो मनसे बइठे दिखत हे .. । ओ किथे – तोला मनसे दिखत होही ... फेर ... चल छोंड़ ... उही ला घुचाना हे ...। मे फेर पूछेंव – बइठे हे तेला बइठे रहन दव ना जी ... ओकर बइठे म तुँहर का पिरावत हे तेमा । ओहा भड़कगे – हमर नि पिरावत हे ... तोला कतका दुख देवत हे तेला तैं का समझबे .. हम जानत हन .. । तोला झन पिराय कहिके हम मरत हन अऊ तैं हमीं ला सवाल करथस । थोरिक बेर म एके जगा खड़े .. गोड़ पिराये ला धर लिस – में उही तिर म माढ़े पिढ़हा म बइठे धरेंव । ओ मनखे हा मोला अपन बर माढ़े पिढ़हा म बइठन नइ दिस । मोर हाथ ईंच के मोला सोज खड़े करा दिस । 

               में सोंचेंव ... आगू कोति दिखत मनखे हा कुर्सी ला छोड़बे नइ करत हे .. येमन ओला कइसे पाहीं । में केहेंव – त चलव ना जी .. ओला कुर्सी ले उतारबो अऊ हमन बइठवो .. । मोर हाथ ला कस के चपकत एक झन कथे – उतारबो तो जरूर फेर तैं काबर फोकट चंदन बनके कुर्सी म बइठे के सपना देखत हस । में केहेंव – अरे .. मोला जनाकारी नइ रिहिस भइया के खड़े होवइया सबो बर नोहे कुर्सी हा कहिके । त आगू कोति बढ़हू तभे तो जी .. । आगू तनि बढ़े के कोशिस होय लगिस फेर एक इंच नइ हालिन । में देखत भर ले देखेंव तहन छटपटाके हाथ छोंड़ा के जाये के प्रयास करेंव । मोला छेंक लिन । मोर देखासिखि .. जवनहा हा मोर हाथ ला धरके कुर्सी डहर जाये बर छटपटाये लगिस । ओकर हाथ थमइया अऊ दूसर संगवारी मन ओला अइसे तिरिन के बपरा हा मुड़भसरा गिरगे । एक झन सियनहा हा सलाह दिस जम्मो झन एके संघरा गोड़ उचाबो  ... एक पाँव नि उसल पइस .. ओकर भतीजा हा तोलगी ला तिर दिस । अब ओकर एक हाथ हा तोलगी सम्हारे म लगगे । सबो के भाई भतीजा मन अपन अपन कका अऊ दीदी फुफु ला हुद कराये लगिस । हाथ थमइया मन के एकेक हाथ हा दूसर के गोड़ तक अमरे रहय तेकर सेती ... हाथ छोंड़ा के आगू डहर जा सकना सम्भव नइ रिहिस .. पिछु घुचे बर कोई रोड़ा अटका टटका नइ रिहिस । मोर मुँहु फेर खजवागे – जे हिम्मत करके आगू जावत हे तेला जावन दव ना जी .. । एक झन किथे – अइसन म तोर संग पाके .. उदुपले ओला अकेल्ला कुर्सी मिल जहि त ... हमन कहूँ के नइ रहिबो ... ।   

               मोर मन म एक ठन सवाल अइस । मं पूछेंव – तुमन अतेक झन ... कुर्सी एक ठिन .. के झिन बइठहू .. ? ओमन किथे – ओला उतारन तो दे ... तहन सोंचबो । में केहेंव – में उतार सकत हँव .. फेर तुम पहिली तै तो करव के कति ओमा बइठे के काबिल हे .. । काबिल शब्द सुन ओकर मनके नाड़ी जुड़ाय बर धर लिस । एक झन तोतरात बताय लगिस – हमर जवान बाबू ले काबिल कोन्हो हो सकत हे का ?  ठेठवार लउठी भाँजत आगे ... जवान तो हमू हन .. हम नइ बइठबो का ?  कुछ बेरा ये बइठही .. कुछ बेरा में ... ओकर पाछू कका ... दीदी ... फुफु .. डोकरा बबा ... अऊ बहिनजी ... ।  में पूछेंव –  एके परिवार अव का जी .. । बड़ लम्भा हे तुँहर परिवार हा .. । बाँटा खोंटा नइ होय हव का जी .. ?  पाछू लड़हू तो निही ? ओमन बतइन – बाँटा हो चुके हे जी .. फेर कुर्सी मिले के पाछू जे मिलही तेला आपस म अऊ बाँट लेबो । लड़े के कोई कारण नइहे बइहा ... काबर लड़बो । रिहिस बात परिवार के .. त सुन .. हमन अलग अलग जात के आवन .. फेर अभू एके म खावत हन । खड़े होय बर युनाइट हन बइहा .. बइठे तक कोशिस रइहि । में केहेंव – एक जगा म नानुक स्टूल मिले के पाछू ... ओमा बइठे बर सगे भाई मन के बीच म कतेक दिन ले झगरा चलिस ... आधा आधा दिन बइठे के गोठ उँकर महतारी हा करे रिहिस सुने हन ... फेर सगे भाई मनके बीच म तको अइसन सम्भव नइ होइस ।  अलग अलग पेट ले आय अलग अलग मन मानही .. ? 

               एक झिन मोर उपर भड़कगे – हमन अतेक युनाइट होके खड़े हन .. । तैं हा अइसन बोल के काबर मनभेद उपजात हस .. कुर्सी मिलन तो दे तब तोरो हिसाब करबो .. । मोरो ताकत ला सब जानत रिहिन .. देखे घला रिहिन .. फेर मोर इज्जत कभू नइ करिन .. । फेर मोर ताकत जामे के समय नि आय रिहिस तेकर सेती मोला कोन्हो कुछ नइ समझे । कुछ समे पाछू ... मोर हाथ म ताकत जामे के बेरा होगे । मोर अबड़ अकन हाथ बनगे । मोर गोड़ म शक्ति के संचार होगे ... जेन खड़े रिहिन तेन अऊ जेन बइठे रिहिन तेन .. सबो के पाँव मोर ताकत देख उसले लगिस । सब मोर डंडाशरण होके माफी उपर माफी मांगे लगिन । मोरो म बड़ बिचित्र गुण रिहिस ... जइसे मोर ताकत जामय तहन .. मोर सोंचे समझे के गुण खिरे लगे .. मेंहा जम्मो के सरी गलती ला भुला जाँव अऊ माफ कर देवँव । 

               में बीते सरी बात ला भुला गेंव । कुछ हाथ इँकर संग रहिगे .. कुछ ला बइठे मन लेगे । दुनों के बीच जंग शुरू होगे । जंग के बीच अपने कुनबा म ... भितरे भितर खँचका खनाय लगिस । कुर्सी तिर अमरे के पहिली कुछ मन भसरंगले उलंडगे । कुछ के माड़ी कोहनी म सबर दिन बर घाव गोंदर जनम धर डरिस .. । मोला एती ओती झन भागे सोचके .. मोर बर कतको जिनीस .. फोकट म लाने के बात ला .. कागज म फुदकियाके धरा दिन । महिना पाछू ... मोर ताकत अपने अपन सकलागे । बइठइया मन बइठ गिन । खड़े रहवइया मन ... गोलिया के मोला छेंक लिन । कुछ समे बर युद्ध विराम के घोषणा हो गिस । मोला बीच म मढ़ाके .. गोल गोल रानी इत्ता इत्ता पानी कहत .. मोर चारों डहर घूमे लगिन । में उँकर बीच ले कब निकलेंव .. कोन्हो ला पता नइ चलिस । मोला बीच म हाबे सोंच एमन गोल गोल घुमतेच रहँय । जेकर पीठ हा कुर्सी डहर होय .. तेला कुर्सी म विराजित मनखे हा .. अच्छा मनखे लगे लागय । फेर एती घूमय तहन ... कुर्सी धारी हा खराब दिखय । चार बछर अइसने चलिस । पाँचवा के आरो शुरू होगे । मोर खोज खबर शुरू होइस । कोंटा म कलेचुप भुँइया म पसरे बइठे रेहेंव ... मोला खोजत पहुँचइया के गनती बाढ़गे । मोला अपन संग म खड़े करके राखे के उदिम शुरू होगे । में खड़े हो गेंव तहन सब जान डरिन के एकर हाथ गोड़ म ताकत जामे के समे आगे .. । मोर आगू पिछू लुहुर टुपुर होय लगिन ।  

हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन .. छुरा .

No comments:

Post a Comment