Thursday 20 July 2023

पल्लवन

 


भाव पल्लवन---


करनी दिखय मरनी के बेर

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जन्म अउ मृत्यु ला अटल सत्य कहे गे हे। जेकर जन्म होये हे वोकर मौत होके रइही। जे निर्माण होये हे वोकर विनाश होके रइथे।परिवर्तन ला प्रकृति के नियम कहे गे हे।जेन ये संसार मा आये हे वोला जायेच ला परथे। मौत ला ज्ञानी-अज्ञानी,गरीब-अमीर,कमजोर-बलवान कोनो भी नइ रोक सकै। लोहा के कोठरी मा कोनो ला मौत झन आये सकै सोच के धाँध के रखबे तभो ले मौत आके रइही ।येला सब जानथें फेर एकरे ले बँचे बर नाना उपाय करत रहिथें। सबले बड़े डर मौत के डर होथे।

           जन्म अउ मृत्यु के बीच के अवधि हा जीवन कहाथे अउ ये अवधि मा आदमी नाना प्रकार के अच्छा-बुरा करम करत रहिथे। मौत के पहिली एक पल तको बिना करम करे नइ रहे सकय।करम के सिद्धांत अटल हे के--'जेन जइसन करम करही वइसन फल पाके रइही। कुकरम के बुरा फल अउ सुकरम के अच्छा फल। गीता मा तो साफ-साफ कहे गे हे के--

''यथा कर्म कृतं लोके तथैतानुपपद्यते।।''

       मृत्यु काय ये अउ मृत्यु आये के का का पहिचान होथे---लक्षण होथे तेकर बारे मा प्रायः सबो धर्म अउ दर्शन मा कुछ न कुछ विचार प्रगट करे गेहे।धार्मिक ग्रंथ मन मा तको मृत्यु के बारे मा गंभीर चिंतन मनन करे गे हे।अइसनहे सनातन धर्म के एक ठो ग्रंथ 'गरुड़ पुराण' हे जेमा मृत्यु के विस्तार ले वर्णन हे।

  ये पुराण के अनुसार मौत आये के मोटी- मोटा सात लक्षण होथे जेमा एक ठो प्रमुख लक्षण हे के चाहे पलभर बर काबर नइ हो--घोर बेहोशी छा जथे एक प्रकार के चिर निंद्रा आ जथे अउ ये समे मौत के मुँह मा जाने वाला मानुस ला अपन जिनगी मा करे जम्मों करम हा कोनो सपना मा चलत सिनेमा जइसे टकटक ले दिखे ला धर लेथे।अइसे लागथे के जनामना वो परम सत्ता हा जीव ला काहत हे के देख --मोला दोष झन देबे।अब तैं जइसन करे हस वइसन फल भुगतबे। तोला का भुगतना परही तेमा मोर रंच मात्र भी आड़ क्षेप-- दखलंदाजी नइये।तैं जइसन बोंये हस तइसन लूबे। ये दे मरनी के बेरा तोर करनी ला देख ले। ये मृत्युलोक मा चाहे मैं(भगवान) होववँ चाहे दूसर सब बर इही अटल नियम चलत रइथे।

    ग्रंथ मा ये  प्रकार के विवरण देके ग्रंथकार हा कहना चाहत हे के--' मनुष्य ला अपन मौत ला कभू नइ भूलना चाही अउ चेत करके ---कुकरम करे ले बाँच के--जहाँ तक हो सके सुकरम करते रहना चाही काबर के केवल अच्छा करम हा जीव ला सुख-शांति दे सकथे। अच्छा करम ले ही इह लोक के संग परलोक सुधर सकथे। करम साथ जाथे बाँकी तो सब इँहे रहि जाथे। कहे गे के-

मुट्ठी बाँधे आया जग में, हाथ पसारे जाएगा।

जैसी करनी करे यहाँ पर,  वैसा ही फल पाएगा।


चोवा राम वर्मा 'बादल'

हथबंद, छत्तीसगढ़

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