Thursday 20 July 2023

सुनव चार के ... करव बिचार के

 सुनव चार के ... करव बिचार के

               तइहा तइहा के बात आय । राजा के राज्य के विस्तार बहुत धूर तक रिहिस । राजकोष म धन दोगानी छलछलावत रहय । राजा अऊ रानी उदार रिहिस । दुनों हाथ खोल के दान दक्षिणा करे बर कोताही नइ करय । रानी हा जतके पूजा पाठ करय ... राजा हा ओतके कलाप्रेमी । राज चलाय बर नियुक्त मंत्री अऊ दरोगा मन बहुतेच ईमानदार अऊ मेहनती । चारों डहर नदिया तरिया कुँवा बावली के सेती राज्य म पानी के कमी नइ रिहिस तेकर सेती फसल घला बने होवय । जनता ला कोनो बात के दुख पीरा नइ रिहिस । राज्य म केवल एके कमी रिहिस ... राजा के संतान नइ रिहिस । राजा रानी ला इही फिकर हा घुन कस कीरा भितरे भितर खाय लगिस । चारों डहर देखना सुनना करवा डरिन फेर रानी के कोख हरियर होबे नइ करिस ... लइका नइ नांदिस । 

               राजा के भाई भतीजा रिहिन ... ओमन युवराज बने के सपना देखे लगिन । एती रानी के नता गोता मन घला  .. राज पाये के आस म आँखी गड़ाय ताकत रिहिन । एक दिन राजा हा दरबार म एलान करिस ... राज्य के सबले योग्य मनखे ला युवराज बनाय जाहि । दरबार म कोनो ये नइ कहि सकय के ओकरे बेटा हा सबले योग्य हे फेर मने मन सबो इही चाहय के ओकर बेटा ला युवराज के पद मिल जतिस ... तेकर सेती युवराज बने के काबिल मनखे के काय काय गुण होना चाहि तेला अपन अपन ढंग ले परिभाषित अऊ साबित करत रिहिन । मंत्री हा किथे - जेकर लहू म राजनीति हा जन्म जन्मांतर ले बोहावत चले आवत हे तेकर ले अच्छा ... राज चलाय के समझ कोन ला हो सकत हे ... अइसने मनखे के योग्यता के परीक्षण के आवसकता घला नइहे .. । पुरोहित किथे – राज हा अतके म नइ चल सकय महराज  .. । अइसन मन युवराज बन जहि तहन केवल राजनीति म मात जहि तहन ..  बुढ़ापा म तुँहर देखरेख कइसे होही । रानी दई के पूजा पाठ म .. कोन ओकर संगे संग किंजरहि । सेनानायक किथे – राज तभे चलथे जब राजा मजबूत बलवान होथे ... बलवान हाथ म राज सुरक्षित रइहि महराज .. मौका अइसने ला मिलना चाहि । ओकर भाई हा किथे – परिवार के मनखे के हाथ म सबो के भविष्य हा सुरक्षित रहि सकत हे ..  परिवार भितरि के मनखे ला मौका मिलना चाहि । एती रानी हा अपन भतीज ला युवराज बनाय बर कुलबुलात रहय .. फेर सीधा सीधा कहि नइ सकत रहय । सबो के बात सुन .. राजा हा समय के अगोरा करे के सलाह देवत स्वयँ जाँचे के घोषणा करिन । 

               राजा हा युवराज बन सकइया जम्मो झन ला खोज के लाने बर किहिस । मंत्री .. सेनानायक .. पुरोहित ... राज बइद .. राज बइगा अऊ ओकर भाई हा .. अपन अपन लइका ला भेज दिस । राजा हा सबो झन बर .. दरबार म अपन तिर म बइठे के जगा बनवा दिस । राज के हरेक काम काज म इँकर मन के सलाह अऊ बिचार के समीक्षा राजा हा खुदे करय ‌। उँकर मन के आचार विचार खान पान ला तिर ले परखे बर ... उनला महल म जगह देवइस । कभू कोन्हो ला संग म राखय .. कभू कन्हो ला । कभू एके संघरा सबो संग रहय । एक दिन राजा ला शिकार म जाय के इच्छा होइस .. । शिकार खेले बर सबो ला अपन संग जंगल लेगे । संग म महल म बुता करइया अऊ राजा के कुछ विश्वासपात्र मन घला गिन ।

               कटकटऊँवा जंगल म पड़ाव परिस । रात के साँय साँय होय लगिस । रथिया के घुप्प अंधियार म ... शेर चितवा के दहाड़ सुनाय लगिस । मंत्री पुरोहित राज बइद अऊ राज बइगा के लइका मन अपन अपन टेंट म दुबक के लुका गिन फेर डर के मारे सुत नइ सकिस । सेनानायक के बेटा हा  ... बहुत बलवान रिहिस ... ओकर मन म कोई डर भाव नइ रिहिस । दिन भर के थके रहय ... फरर फरर निश्चिंत सुतगे ।  थोकिन रात गहरइस तइसने म ... कुछ हथियारबंद मन ... राजा के पड़ाव उपर हमला कर दिस । बहुत कोलाहल मातगे । सेनानायक के बेटा के संगवारी हा ओला हुद करइस तब ओकर नींद उमचिस । ओहा अपन तीर कमान धरके बाहिर निकलगे । एती राजा के मचान डहर ले चलत तीर कमान म एको दुश्मन नइ बाँचे रहय ...  कुछ मरगे रहय .. कुछ मन पोट पोट करत रहय । तब तक भिनसरहा होगे । सुतके उचे के पाछू .. राजा ला सरी बात के पता लगिस ... । राजा हा भुँइया म परे .. दुश्मन मन के तिर म गिस । जे मरगे रहय तेकर अग्नि संस्कार के तैयारी चलत रहय अऊ जे जियत रहय तेकर बर दवई बूटी के बेवस्था होवत रहय । राजबइद के बेटा ला राजा हा किहिस – एमन ला तुरत फुरत उपचार के आवसकता हे .. कुछ जल्दी बेवस्था करव । राज बइद के बेटा हा किथे – जंगल म काय बेवस्था करबो राजा साहेब ... इहाँ सम्भव नइहे ... फेर येमन हमन ला मारे बर आय रिहिन ... इँकर उपचार हम काबर  करबो .. । राजा कुछ कहितिस तेकर पहिली ... एक झन मोहाली हा जंगल ले दवई बूटी धरके लहुँटिस । राजाज्ञा से इलाज शुरू होगे । सेनानायक के बेटा के संगवारी हा .. राजा ला सेनानायकपुत्र के बहादुरी बतावत कहत रहय के .. जतका झन मरे हे ततका झन के देंह म ओकरे बाण बेधाय हाबे । राजा हा मुर्दा के छाती ले एक ठन बाण ला तिरिस ... बाण म राज शासन के निशान रहय ... । सेनानायक के बेटा अऊ ओकर संगवारी के मुड़ ... शरम के मारे उचबे नइ करिस । 

               जंगल म भरे मंझनिया राजा के दरबार लगिस । घायल दुश्मन मन ...  थोर बहुत बोले गोठियाय लइक होगे रिहिस । इँकर काय करना हे ... उही फैसला तै करना रिहिस । मंत्री के बेटा हा केहे लगिस – इन राज द्रोही आय महराज ... आपके उपर सीधा हमला होय हे इनला मृत्यु दंड मिलना चाहि । ओकर भाई के बेटा किथे – मोर बिचार से अइसन मनला कुछ दिन बर बंदी बनाके राख लेथन .. भविष्य म इँकर चाल चलन देख इनला छोंड़े जा सकत हे । राज पुरोहित के बेटा हा केहे लगिस – अपराधी के बात ला घला सुन लेना चाहि महराज ... हो सकत हे ... येमन जाने अनजाने म गलती करिन होही । सरगना के मुँहु ला उघारिन ... जम्मो झन उदुपले रानी के भतीजा ला देख सुकुरदुम होगे । राजा तको अवाक होगे । ओकर मन म .. अपन रिश्तेदार देख .. थोकिन दयाभाव जागे लगिस । मंत्रीपुत्र हा राजा के मुख के भाव ला पढ़ डरिस अऊ अपन बात बदलत केहे लगिस – जाने अनजाने म होय गलती ला माफ करना राज धरम आय । अपराधी ला माफ कर देना चाहि । एती राजा के भाई के बेटा के बोल बदलगे ... ओहा भड़कगे ... राजा के उपर सीधा हमला .. चाहे जाने अनजाने म होय ... चाहे जानबूझके ... माफी लइक बिलकुलेच नइहे ... इनला बिगन पल बीते फाँसी म चइघा देना चाहि ... । 

               राजा हा .. पुरोहितपुत्र तनि देखिस । वो किथे - मोला लागथे राजा साहेब ... हमर निकले के मुहूरत ठीक नइ रिहिस ... का उपाय हो सकत हे तेला पोथी पतरा देख बता सकत हँव .. वापिस जाय के पाछू कुछ करबो ... । राजा के पिछु म ओकर दासी के बेटा हा खड़े रहय । राजा हा ओला इशारा म आगू तनि बलइस अऊ किहिस – अब तैं बता का करना हे ... । नवजवान हा मुड़ी गड़ियाय कलेचुप खड़े रिहिस ... ओहा अपन मुँहु उलातिस तेकर पहिली बाँकी मन केहे लगिस – ओ का जानही राज काज के बात ला राजा साहेब । ओला तो अतको मालूम नइ होही के रथिया के तुँहर उपर जानलेवा हमला होय हे । ओहा खइस पिइस ... सुत गिस होही ... । राजा हा जम्मो झन ला अपन हाथ के इशारा से छेंकिस अऊ किहिस – मोर उपर जब हमला होइस तब .. मोर प्राण बँचाय बर ... मोर धनुष बाण के सहायता ले दुश्मन के नाश करे बर ... अपन जान के बाजी लगइया इही आय । मोला बिगन पूछे मोर कोई चीज ला कोनो हाथ नइ लगा सकय ... जे करही तेहा प्राणदंड के भागी हो सकत हे ...फेर मोर रक्षा बर सरी बात ला जानत ... मोर धनुष ला उचाय के हिम्मत करिस अऊ मोर प्राण बचइस । दुश्मन के लाश के गत इही बनइस अऊ घायल के इलाज .. येकरे इशारा म होइस । तेकर सेती येकरो मन जानना जरूरी हे । 

               नवयुवक ला राजा हा बोले के इशारा करिस । राजाज्ञा पाके बहुत निर्भीकिता से अपन बात राखत किहिस – राजा उपर हमला करइया चाहे राजपुत्र होय ... दंड के भागी आय । येहा तो दूसर देश के युवराज आय अऊ हमर राजा ला मारके हमर राज के राजा बनना चाहत रिहिस । इनला बंदी बनाना  उचित रइहि ... इनला तभे छोंड़बो जब तक येकर राज के राजा हा .. हमर राजा के शरण म नइ गिरहि । राजपुरोहित के बेटा हा केहे लगिस – हमर समय उचित नइ चलत हे जी ... अइसन करना ठीक नइ रहि ... । राजा से निर्भय पाय ... नवयुवक हा डंके के चोट म केहे लगिस – राजा हा समय के हिसाब से निही बल्कि समय हा राजा के हिसाब से चलथे । राजा हा जे समे जे बुता करे के ठान लिस ... समे ला ओतके बेर उचित बने ला परथे ... । राजा हा सबो के बात सुन ..  वापिस जाके राज सभा म निर्णय बताय के बात किहिस । सरगना ला बंदी बनावत .. तुरते जंगल ले लहुँट गिन ।   

               दूसर दिन राज सभा लगिस । रानी के भतीजा ला जंजीर म बाँध के लाने गिस । ओकर करतूत  जाने के बाद रानी हा ओला माफी देवाय के मूड म नइ रिहिस ।  जम्मो के ध्यान राजा साहेब कोति रिहिस । राजा किथे – आज के निर्णय ला युवराज सुनाही । जम्मो झन कलेचुप ताकत रहय के .. कति जवान ला युवराज बने के मौका मिलिस । राजा हा इशारा म दासीपुत्र नवयुवक ला अपन तिर बलइस अऊ अपन संग बइठारत ... जंगल मा घटे सरी बात ला बतावत ...उही ला युवराज बनाय के घोषणा करिस । सब अवाक हो गिन । एती युवराज हा फैसला सुनाए के पहिली सबके मत जानिस । रानी के भतीजा जान ... लगभग हरेक दरबारी हा क्षमा के बात करय । कोन्हो दबे जुबान ले ... दंड देके छोंड़ दे के बात करिन । सबके बात अऊ तर्क सुन युवराज के फैसला अइस – अक्षम्य अपराध के दंड तो भोगे ला परही । जब तक अपराधी के पिता हा .. हमर राजा साहेब के ढोकर ढोकर के पाँव परत माफी नइ माँगही तब तक ... इन हमर बंदी रइहि । एक महिना म इँकर माफीनामा धरके इँकर पिता हा नइ आही तब .. हम इही समझबो के ... येहा अपन देश बर घला मूल्यहीन रिहिस ... तब इनला चौंक म सरे आम फाँसी चघा देबो । रानी हा सोंचत रहय .. मोर भतीजा जान .. मोर इज्जत करत ... ओला छोंड़े के फैसला सुनाही । युवक के निर्भीकता के सब कायल होगिन । रानी घला मने मन युवक के तारीफ करे लगिस । राजा हा युवराज के बात के समर्थन करत केहे लगिस ... सबो देख सुन जान डरेव .... निर्णय के बेर निर्भीकता हा सही न्याय देथे । राज उही चला सकत हे .. जेहा सुनथे चार के ... फेर करथे बिचार के .... । दासी के गुणवंता बेटा हा युवराज बनगे .... राजा हा घलो .. सबो के सुनिस ... फेर उही करिस जो उचित रिहिस । राज्य भर म .. राजा के यशोगान होय लगिस । उचित निर्णय बर आज घला .. सुनव चार के ... करव बिचार के ... ओतके प्रासांगिक हे । 

हरिशंकर गजानंद प्रसाद देवांगन . छुरा .

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