[11/5, 12:31 PM] +91 98263 40331: . *चोर* (छत्तीसगढ़ी लघु कथा)
- डाॅ विनोद कुमार वर्मा
पेट्रोल पम्प म बेहद भीड़ रहिस। ट्रेन दुर्घटना के कारण शहर मा पेट्रोल के रैक नि आ पाइस। आज अखबार म खबर छपे हे कि अवइया 8-10 दिन पेट्रोल सप्लाई बाधित रइही। पेट्रोल पम्प मा भीड़ के एक कारण ये घलो रहिस कि एक बड़े राजनैतिक दल काली छत्तीसगढ़ बन्द के अपील करे हे माने काली पेट्रोल पम्प बन्द रइही।..... ये विडंबना हे कि जब भी शहर बन्द के अपील होथे त सबले पहिली पेट्रोल पम्प ही बन्द होथे, काबर कि तोड़फोड़ अउ आगजनी के डर रहिथे। पिछले समय बन्द के दौरान पास के शहर मा दू एम्बुलेंस अउ शहर के बाहर स्थित एक पेट्रोल पम्प जला दिये गे रहिस। बन्द के दौरान जिला प्रशासन ले सुरक्षा के आशा रखना व्यर्थ हे!
बिलासपुर के नेहरू चौक स्थित पेट्रोल पम्प नगर के बीच चौराहा म स्थित हे। ये बेरा पेट्रोल टैंकर ले पेट्रोल पम्प के पेट भरे जावत रहिस ते पाय के कम से कम 20-25 मिनट वाहन म पेट्रोल सप्लाई बाधित रहिस। 20-25 हजार लीटर क्षमता वाले 6-7 टैंकर ले आज शहर के कुछ पेट्रोल पम्प म पेट्रोल सप्लाई किये जावत रहिस, ओमे के एक पम्प एहु रहिस। बाकी पेट्रोल पम्प लगभग ड्राई स्थिति म रहिस।
कुछ लोगन मन बोतल म पेट्रोल लेहे बर आय रहिन ओही मा एक गँवइहा घलो लाइन म लगे रहिस। ओहा देखिस कि पेट्रोल बैगन ले बूंद-बूंद पेट्रोल चूहि-चूहि के नीचे गिरत हे। गाँव वाला एक नवा गिलास खरीदे रहिस वोही ला टैंकर के नीचे रख दीस। अब पेट्रोल के बूंद फर्श म गिरे के स्थान म गिलास म जमा होय लगिस। गाँव वाला बहुत खुश रहिस कि पेट्रोल के कुछ मात्रा आज ओला मुफ्त मा मिल जाही।
थोरकुन देर मा पेट्रोल पम्प के मालिक ऊहाँ आ धमकिस। जइसे ही ओकर नजर गिलास उपर परिस, एकदम से चिल्ला उठिस- ' ये गिलास ला कोन रखे हे?! '
ग्रामीण डरत-डरत बोलिस- ' साहेब गिलास मोर हे। '
मालिक चिल्लाइस- ' खुले आम पेट्रोल चोरी करथस! शरम नि लागे तोला ? '
एकर बाद लात मार के गिलास ला नीचे गिरा दीस। पेट्रोल के कुछ मात्रा गिलास म इकट्ठा हो गे रहिस, ओहा फर्श म बिखर गे। गाँव वाला गिलास ला फर्श ले उठाइस....ओला बहुत बुरा लगत रहिस। भीड़ के मानसिकता पेट्रोल पम्प के मालिक के पक्ष म रहिस। कुछ युवा मन हँसत रहिन त कुछ मन गाँव वाला ला गिरे नजर ले देखत रहिन!.... गाँव वाला के आँखी मा आँसू आ गे। चुपचाप ऊहाँ ले जाय लगिस। तभे ओकर नजर दीवाल म लिखे एक कोटेशन म परिस। लिखाय रहिस- ' *पेट्रोल की एक-एक बूँद कीमती है। पेट्रोल बचाइये। पेट्रोल के बचे हुए एक-एक बूँद से राष्ट्र की अर्थव्यवस्था को मजबूती* *मिलेगी*। '
साइकिल म घर वापिस जावत-जावत कम पढ़े लिखे गाँव वाला सोंचत रहिस- ' का मैं सचमुच चोर हों?..... कई पेट्रोल पम्प वाला मन मिट्टी तेल मिला के पेट्रोल ला बेचथें अउ कुछ मन एक लिटर मा 50 -100 मिलीलीटर के बट्टा मार लेथें! त चोर तो एमन होइन!..... सरकार सत्तर रूपिया म पेट्रोल खरीद के सौ म बेच के आम आदमी के जेब काटत हे, त चोर तो सरकार घलो होइस!.....चलव ये सब तो ठीक हे..... महीं चोर हों अउ बाकि सब साव हें, फेर कतकोन झिन कच्चा उमर के टूरा मन आज मोला देख के दाँत निपोरत रहिन!..... का ओमन ला दाँत निपोरे के ओकर बाप-ददा मन पइसा देवत हें!..... मैं अपढ़ हों फेर ये जरूर समझत हौं कि हमर देश म आये नवा कान्वेंट कल्चर हा देश ला सुक्खा डबरी म बोर दीही!'
Short Story written by-
डाॅ विनोद कुमार वर्मा
व्याकरणविद्,कहानीकार, समीक्षक
मो- 98263 40331
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समीक्षा
[11/6, 8:32 PM] पोखनलाल जायसवाल: आज नेतागिरी करई ह सबले बड़का बेवसाय होगे हे। गली-गली म बड़े-बड़े नेता मन कुकुरमुत्ता बरोबर उपजे धर लेहें। हउँला कलेचुप बइठे हे, अउ लोटा-गिलास ह बहिरफट बन शोर मचावत हें। चिहुर पिरत हें। बने गतर के गोठियाय ल आय नहीं अउ सियान ल बइठार नेता लहुट गे हें। सियान के राहत ले पागा बाॅंधत हें। सेवा के 'स' ल बरोबर जानय नइ अउ निकले हे समाज सेवा के बाना उठाय। जेन हाथ ले नशा बंदी के धजा लहर तिस तेने हाथ ह पार्टी के धजा अउ झोला धरे दिनभर घूमथे अउ दिनबुड़तिहा बेरा सरकारी दूकान के डेरौठी ल झांकथे अउ होले बफलत रतिहा बेरा घर लहुटथे। कुछु कहे सुने त पारा ह बरेंडी म चढ़ जथे। चारेच दिन म पार्टी के बड़का नेता के खासम बन जथे अउ सबो किसम के दलाली ले अपन खिसा भरे के उदिम करथे। बात नइ बने म लोगन के बनत बुता म अड़ंगा डाले के कोनो मउका नइ चूकय।
कहे के मतलब आय कि बड़का नेता ले पहुंच के रौब म दफ्तर म धाक दिखाथे। परसेंटेज लेथे। जेकर ले नेता मन के भाव गिरे ल धर लेहे। तभे तो पंच सरपंच मन मंतरी मन के सभा बर भाड़ा के मनखे लेके जाथे। कोनो नि मिले त समूह वाले दाई-माई मन दिखते हें। बाबू पिला मन तो एक गिलास के बनिहार होगे हे। एक गिलास दे दे अउ दिनभर जोत ले भीड़ म।
इही तो आय आम पब्लिक मन म नेता मन के साख घंटे के। आम मनखे अब नेतागिरी के नांव म चिढ़े ल धर लेहें। उॅंकर ऊपर बिचौलिया मन के चलत विश्वास घटते जावत हे।
आज जब चारों मुड़ा लोगन मन के बीच राजनीतिक नेता मन के सेवा भाव ऊपर अँगरी उठथे। उॅंकर ऊपर ले भरोसा उठे लग गे हावय या उठत हे, अइसन बेरा म श्रीमंत जइसन नेता समाज बर एक उम्मीद आय।
श्रीमंत जइसन नेता मन के चलय त गांधीजी के राम राज के सपना पूरा हो जय, फेर श्रीमंत जी के चौकरी नि चलय। अकेल्ला ओकर बस म नइ हे राज पाठ। मनखे के हाथ के पाँचों अँगरी बरोबर नइ हे त चार मुँहाटी के मनखे भला कइसे बरोबर हो पाही। अकेला चना पहार नइ फोरय।
आज देश के आने-आने दल म लड़ई हे। कुर्सी (खोरसी) दउँड़ चलत हे। अइसन म कुर्सी झपटे के उदिम घलव होथे। ए रस्साकस्सी एके दल भीतर घलव होथे। जेमा दू खेमा के नेता मन म खूब जुबानी जंग छिड़थे, जोर आजमाइश चलथे। जिहाँ श्रीमंत जइसे साफ छवि के नेता जनता ल रिझाय के काम आथे। नइ ते समाज ल गढ्ढा म बुड़ोइया मंद मउहा के दूकान ल सरकार नइ चलातिस। श्रीमंत जइसन नेता ल राजनीतिक दल मन खोरसी बर आगू रखथें। भैंस हाँके के काम कोनो अउ करथे।
ए सदी म नारी सशक्तिकरण के नारा सिरतोन हो जही। फेर का आज अइसन हो पावत हे? नारी मन बर कतको योजना बनथे अउ असली हितग्राही तिर योजना पहुँचे म कतको बाधा आथे। नारी अपन अधिकार ल जानथे फेर ले कामकाजी ल बड़ समस्या ले जुझे ल परथे। अइसन म वो मन अपन स्वास्थ्य के जरूरी संसो नि कर पावय। अइसन संतान पालन अवकाश समाज हित म हे। काबर कि घर-परिवार ल जोरे अउ जतने म नारी च के हाथ हे। समाज के धुरी आय नारी ह। घर परिवार जुड़ही तभे समाज जुड़ही।
राजनीति जेन ह अब मनखे के जिनगी म साग म डरे नून बरोबर समागे हे। उहाँ एक नवा आस संजोथे ए कहानी ह।
काश हमर समाज ल श्रीमंत जइसे नेता मिल जतिस। समाज पटरी म चले लगतिस।
सुघर संवाद अउ मया पिरीत के गोठ संग कहानी अपन उद्देश्य ल पूरा करथे। शीर्षक सार्थक हे। काबर कि लोकप्रिय नेता के जन्मदिन के बहाना ही लोकहित के गोठ ल उठाय जा सकथे।
कहानी के आखरी हिस्सा ल अउ कसे जा सकत हे। मोर नजर म अभी ए ह सरकार के कोनो काज या योजना के एक प्रतिवेदन जइसे होगे हे। बाकी कहानीकार स्वतंत्र हें कि उन ल का लिखना हे।
सुग्घर भाषा शैली के संग बढ़िया कहानी बर डॉ. विनोद वर्मा जी ल हार्दिक बधाई।
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पोखन लाल जायसवाल
पलारी पठारीडीह
जिला बलौदाबाजार भाटापारा छग.
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