छत्तीसगढ़ी कहानी
करजा माफी
- कमलेश प्रसाद शर्माबाबू
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भरे देवारी तिहार के दिन पूरा गाँव सुन्न होगे । दू घर के दिया सदा-सदा बर बुतागे । चारोमुड़ा खुसुर-फुसुर होवत रिहिस कि आखिर ये कइसे होगे कि एके दिन दुनो मितान निपत अउ समलू अपन-अपन घर फाँसी के फंदा म झुलगें । रात के आठ बजे तक कुछ मनखे मन उनला एक सँघरा देखे रिहिन।सब मनखे आनी-बानी के गुनताड़ा लगाय लागिन।
,,,,,तिहार के सेती आज कुछ गिने चुने बाहरी मनखे रिश्तेदार ही काठी-माटी म आ पाइन बाकी गाँव वाला मन साथ दीन । इही बीच सब सकलाय सियान जवान मन सुनता बांधिन कि बारा बजे दिन तक चुण्डन-मुण्डन करके नहावन कर देना हे,बाद म एक जुवार तिहार मान लेबो अउ खात खवई के काम बाद म होवत रइही। गाँव म कतको हितवा रहिथें त कतको बइरी अनदेखना बेगराहा किसम के मनखे घलो रहिथें,जेन मरे मुरदा के रोटी खाने वाला होथें । कोनो मरय कि सरय उनला काय मतलब हे । बस अपन सुवारथ के सिद्धि होना चाही। उनला गाँव के सुनता सलाह फूटे आँखी नइ सुहावय ।
कुछ देर बाद डग्गा-डग्गा पुलिस ठउँका लाश जलाय के बेर चिता स्थल म पहुँचगें। सब भौचक्क रहिगें । तिहार के पूरा आनंद शुरू से अंत तक किरकिरा होगे। सांझ के पाँच बजे लाश आइस त दाह संस्कार हो पाइस ।
तिहार बार के मौसम ल देखत पाँच दिन म नहावन राखे गिस । कम से कम देवारी तिहार फीका होगे त होगे जेठवनी (देवउठनी) ल बने रिझ-बुझ के मान लेबो । नहावन के दिन तरिया पार मेर सब घर-परिवार के सदस्य मन संग सब आस-पास के लोगन मन सकलाय रिहिन । चुण्डन-मुण्डन के काम चलत रिहिस ।इही बीच फेर चरचा छिड़गे कि आखिर निपत पटेल अउ समलू बरेठ आत्महत्या काबर करिन होहीं। जरूर येखर कोनो न कोनो कारण तो अवश्य होही । फेर आखिर का कारण हो सकथे ? दुनो मितान एके सँघरा बचपन म खेले-कुदे, पढ़े-लिखे रिहिन । सँघरा एके साल बर-बिहाव अउ गवन-पठौनी घलो होय रिहिस । पुरखा मन के परसादे दुनो झन तीन-चार एकड़ खेती के जोतनदार मंझोलन किसान रिहिन। दुनो झन बेटा-बहू नाती-नतुरा वाले खाता पीता परिवार के मनखे आँय,फेर उनला अइसे का सदमा अउ भारी दुख परगे कि तिहार बार के दिन ल घलो नइ गुनीन ।
सब के बात ल सुनके निपत के बेटा बबला राम सबला जय जोहार करत समाज म खड़ा होइस अउ बताइस कि काली जुवार जब अपन बाबू के जुन्ना कपड़ा मन ल मरघट्टी म फेके बर थइली ल टमड़िस त दू सौ रुपिया अउ एकठन सेवा सहकारी समिती (कापरेटिव बैंक) के नोटिस मिले हे । नोटिस म दू लाख के करजा के रिकवरी लिखाय हे । दू - तीन दिन ले बाबू भारी उदास रिहिस फेर कोनो ल कुछु नइ बताइस,,,, काहत रोवत-रोवत बात ल समाप्त करिस ।
,,,बबला के बात ल सुन के समलू बरेठ के बेटा जीतन राम तुरंत खड़ा होइस अउ बताइस कि एकठन नोटिस वोखरो बाबू बर हप्ता भर पहिली आय हे। वो बात ल लेके दू-चार बात दाई संग खिबिर-खाबर होय रिहिन। महू-दू-चार बात कहे रेहेंव, फेर दाई ह जादा झंझेटे रिहिस कि कोनो मेर जुआ चित्ती खेले होबे नइ तो का जरूरत रिहिस तोला करजा उठाय के ? अब तो ये साल के पूरा धान ल बेचबो तभो नइ छुटाय । धान बेचाही अउ चक ले पइसा काटही । हमर नान-नान लइका मन के मुँह म पैरा गोजांगे काहत गोहार पार के रोय रिहिस । घेरी बेरी बाबू हमन ला सफाई देवत रिहिस फेर हमन कोनो नइ पतियाय रेहेन अउ ये घटना घटगे काहत,,, मुँह ल चपक- चपक के रोय लागिस ।
,,,,,दुनो नोटिस ल समाज म पेश करे गिस उही समय आस-पास के कतको गाँव वाले मन घलो बताइन कि ऊखरो गाँव म फोकटे-फोकट दू-चार झन किसान मन करा नोटिस आय हे। सब म दो-दो लाख करजा के रिकवरी लिखाय हे । सबझन अकबकाय हें। गाँव पटेल सुमरन दास खड़ा होके किहिस कि ये मामला भारी गंभीर हे। येमा जरूर फरजी किसान बन के कोनो न कोनो अधिकारी कर्मचारी मन किसान मनला भारी ठगे हें ।
चलो आज के काम ल होवन दव फेर काली सकलाबो।वो दिन दुनो मितान के घर वाले मन अपन-अपन समाज के रीती-रिवाज अनुसार सुघ्घर ढंग ले खात- खवई करिन ।
,,,,,बिहान दिन आस पास के नोटिस धारी ठगाय किसान मन अउ गाँव के किसान मन पचास – साठ झन एके सँघरा अपन-अपन गाँव के पंच सरपंच मन संग सेवा सहकारी बैंक पहुँचगें।
कापरेटिव बैंक म भारी अफरा तफरी मचगे । सब कर्मचारी हक्का-बक्का रहिगें । मैनेजर ल पता करिन त आज ले पांच – छै दिन पहिली से गायब हे। बाद म पता चलिस कि जेन दिन उसलापुर म दुनो किसान के आत्महत्या के मामला होय हे उही दिन ले वो फरार हे।
स्थानीय विधायक मंगत मेवा राम तुरंत जाँच समिती बनाके एक सप्ताह म घोटाला के परदाफाश करे के आश्वासन देवत सब अधिकारी कर्मचारी मनला कठोर आदेश फरमाइश ।
,,,,,आज महिना दिन बीतगे न जाँच समिती के पता हे न विधायक के । जनता अउ किसान मन भारी नाराज होगें अउ एक संँघरा सकलाके एक बेर फेर बैंक म धावा बोलिन। कुछ देर बाद एसपी डीएसपी तहसीलदार एस डी एम सीइओ कलेक्टर सब दनदनावत बैंक पहुंँचगे । पूरा कम्पुटर अउ किसान मन के कागजात से लेके दस्खत अंगूठा तक के मिलान होइस त बात दूध के दूध अउ पानी के पानी होगे कि बैंक मनैजर गयाराम जुगाडू ही अतका बड़े घोटाला करके फरार हे।
हफ्ता भर ले सिपाही मन ऐती-वोती चारो कोती सब रिश्तेदार परिवार अउ गाँव शहर म छापा मारिन फेर कोनो मेर गयाराम जुगाडू के भनक तक नइ लागिस।
लुटे-पिटे किसान मन माथा धरके बइठगें। आखिर अब उँखर का होही ? फेर किसान अउ किसानी बैंक (कापरेटिव बैंक) के नाता तो चोली दामन के नाता कस होथे ।वो बैंक के कर्मचारी अधिकारी मन के ऊपर भरोसा नइ करहीं त काखर ऊपर करहीं ? ऊखर हाथ म तो हमर सरी कागजात, आधार कार्ड, पैन कार्ड, पास बुक, ऋण पुस्तिका, दस्तखत,अंगूठा ( पूरा डेटा ) होथे। अइसन म तो सबके जमीन जघा ल घलो अपन नाम चढ़वा लिहीं काहत कतको किसान मन मुँह चपक-चपक के रोय लागिन अउ कतको झन क्रोध के अग्नि म जले लागिन ।
ऐती कतको बुद्धिजीवी किसान मन नेता मनला मनमाढ़े गाली दे लागिन। आखिर येमा ईखरो मिली भगत हे। बिना नेता मन के ईशारा के अतका बड़े घोटाला नइ होवय । इही मन अधिकारी मनला चुनाव बर फंड के जुगाड़ करे बर मजबूर करथें । इही मन फोकट छाप मुफतखोरी के घोषणा के ठिंठोरा फीटथें । हर चुनाव म जनता मन के भावना के संग भारी खिलवाड़ करथें । असली अपराधी तो येहू मन हे जेन कथरी ओढ़ के घी खाथें।
कतको जनता इँखर लोभ म आके गरी कस मछरी फँसत जात हें। इनला का हे ? अपना काम बनता ,भाड़ म जाय जनता ।
" आज मुफ्त खोरी के दुकान लगाके सबला अलाल कोढ़िहा बनावत हें । करजा माफी के झुनझुना धराके धीरे-धीरे जहर पियावत हें। आज इही चक्कर म कतको मनखे मुफतखोर बनत जावत हें।
लागा माफी कर जनता ला,बना दिये बैमान।
राज-नीति के रोटी सेंके,तँय खुसरे शैतान।
जनता भोला-भाला हे,तोरो चाल का जानय।
वोखर बर तो बनगे तैंहा,दीन बंधु भगवान।
आज आत्म हत्या करे बर मजबूर होवत हें। अपन- अपन ले तमतमावत किसान मन गँवारू गारी बुदबुदाय लागिन।
“ फेर कोन जानत रिहिस कि करजा माफी वाले सरकार दुबारा नइ आही । सब ला पक्का भरोसा रिहिस फेर होगे उल्टा । करजा माफी के सपना देखइया कतको मनखे के सपना म पानी फिरगे । कतको झन खटिया धर लीन।
,,,,,मान ले कहूँ इही सरकार दुबारा आतिस त कतको लालची मनखे, अधिकारी, कर्मचारी रातोरात लखपति अउ करोड़पति बन जातिन । फेर सब ले बड़े विडंबना येहू हे कि कतको मनखे बिना जरूरत के लालच म अउ एक-दूसर के भड़कावा म करजा उठाय रिहिन । जुन्ना-जुन्ना फटफटी बेच के नवा-नवा लीन । कतको झन टी वी,फ्रिज, मोबाइल खरीदीन अउ कतको झन हाथ म लानिन अउ पान म चाटिन । फेर बाद म साँप कस मुहूँ जुच्छा के जुच्छा ।
,,,,आज तो वो किसान मन न घर के रिहीन न घाट के जेन बिना करजा उठाय बइमान मैनेजर के सेती शासन के कर्जदार रिहिन ।
,,,,,,जइसे हि पता चलिस कि गातापार के बीच जंगल म एक सड़े-गले लाश मिले हे अउ वोखर पहिचान मैनेजर गया राम जुगाड़ू के रूप म होय हे सब निरदोष किसान मन के जीव छटाक भर होगे। अइसे लागिस जइसे ऊखर मूड़ म गाज गिरगे ।
कमलेश प्रसाद शर्माबाबू
गंडई जिला केसीजी छत्तीसगढ़
9977533375
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