Monday, 11 November 2024

लघु कथा - " माता विसर्जन "

 लघु कथा -

    " माता विसर्जन "

 जस गीत चलिस l जगराता होइस l नौ दिन ले पूजा पाठ आरती होइस बिहनिया अउ सँझा l बढ़िया रात लाइट ले चकाचक जगमग जगमग l

     विसर्जन  के तैयारी l माता जी अब जाही अब इहाँ नई रहय l  

'नौ दिन बर तै आये दाई 

अब तोर करबो कइसे  बिदाई .. I "

"होवत हे विसर्जन हो... I "

मोला छोड़ के तै जावत हस 

मोर दाई..... I"

     डीजे म गीत बजत रहिस l कतको झन के आँखी ले तर तर आँसू झरत रहिस l रो रो के बिदाई करथे l

टेक्टर म देवी माता जी ल बैठारथेl चलो  बोलो -

'दुर्गा मईया की जै ' l उही बेरा.

दाई माई के भीड़ ले एक झन दाई आके रोवत रोवत चिल्लाके कहिथे -" कहाँ लेगत हव l"

" मय नई जी सकँव .. I "

"दाई बिना l ए मोर  दाई..I "

ओकर बिना... I" बिफ्ड बीफड़ के रोवई ल देख दू झन माई लोगिन मन काबा म पोटार के धुरिहा करथे l गत गरहन छिदीर बिदिर होगे l बही भूतही  कहे लगिन l समिति के डहर ले 

एक झन कहिस -" जाये के बर झोझा l हूम धूप  कराव l

देवी चढ़त हे l "

होम जग करवाइस l तभो ले कल्पई दाई के चलत रहिस l 

" मय कइसे करहूँ दाई... I"

"मय का करव दाई.. I "

"मय कइसे होगेँव दाई.."

"मोर बेटा मोला छोड़ दे हे दाई... I "

"मय कहाँ जाँव दाई... I " 

     बस कलपत रहिस रोवत रहिस l

देखते देखत अल्लर परगे l आँखी लड़यारे ल धर लीस l

माता के सवारी गाड़ी आघू बढ़त  गिस l भीड़ घलो अपन धुन म  आघू बढ़त गिस l 

       काबा म पोटारे  दू झन घलो  हलकान म परगे l 

" हमन फंसगेन वो l का करन अब l "

एखर कोनो करय्या देखय्या नई हे l" 

" रोवई चिल्लाई सब बंद, दाई निकलगे तइसे लागत हे l "

दाई के आँखी मुन्दागे l

माता दाई के घलो विसर्जन होगे l डीजे बजत रहिस 

" माटी के पुतरी दाई.....

माटी के पुतरी ओ... I"


 "अतके दिन बर आये रहेस दाई अतके दिन बर ओ... I "


नौ दिन के श्रद्धा भक्ति अउ दया मया बरसाने वाली माता के विसर्जन होगे l फेर ककरो मन म ना करुणा जागिस ना दया मया l 

जेखर कोनो नई रहय अइसने मौका ल देखत रहिथे

संग साथ ला छोड़के  अपन आत्मा विसर्जन कर लेथे

 दाई असन l 



मुरारी लाल साव 

कुम्हारी

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