लघु कथा -
" माता विसर्जन "
जस गीत चलिस l जगराता होइस l नौ दिन ले पूजा पाठ आरती होइस बिहनिया अउ सँझा l बढ़िया रात लाइट ले चकाचक जगमग जगमग l
विसर्जन के तैयारी l माता जी अब जाही अब इहाँ नई रहय l
'नौ दिन बर तै आये दाई
अब तोर करबो कइसे बिदाई .. I "
"होवत हे विसर्जन हो... I "
मोला छोड़ के तै जावत हस
मोर दाई..... I"
डीजे म गीत बजत रहिस l कतको झन के आँखी ले तर तर आँसू झरत रहिस l रो रो के बिदाई करथे l
टेक्टर म देवी माता जी ल बैठारथेl चलो बोलो -
'दुर्गा मईया की जै ' l उही बेरा.
दाई माई के भीड़ ले एक झन दाई आके रोवत रोवत चिल्लाके कहिथे -" कहाँ लेगत हव l"
" मय नई जी सकँव .. I "
"दाई बिना l ए मोर दाई..I "
ओकर बिना... I" बिफ्ड बीफड़ के रोवई ल देख दू झन माई लोगिन मन काबा म पोटार के धुरिहा करथे l गत गरहन छिदीर बिदिर होगे l बही भूतही कहे लगिन l समिति के डहर ले
एक झन कहिस -" जाये के बर झोझा l हूम धूप कराव l
देवी चढ़त हे l "
होम जग करवाइस l तभो ले कल्पई दाई के चलत रहिस l
" मय कइसे करहूँ दाई... I"
"मय का करव दाई.. I "
"मय कइसे होगेँव दाई.."
"मोर बेटा मोला छोड़ दे हे दाई... I "
"मय कहाँ जाँव दाई... I "
बस कलपत रहिस रोवत रहिस l
देखते देखत अल्लर परगे l आँखी लड़यारे ल धर लीस l
माता के सवारी गाड़ी आघू बढ़त गिस l भीड़ घलो अपन धुन म आघू बढ़त गिस l
काबा म पोटारे दू झन घलो हलकान म परगे l
" हमन फंसगेन वो l का करन अब l "
एखर कोनो करय्या देखय्या नई हे l"
" रोवई चिल्लाई सब बंद, दाई निकलगे तइसे लागत हे l "
दाई के आँखी मुन्दागे l
माता दाई के घलो विसर्जन होगे l डीजे बजत रहिस
" माटी के पुतरी दाई.....
माटी के पुतरी ओ... I"
"अतके दिन बर आये रहेस दाई अतके दिन बर ओ... I "
नौ दिन के श्रद्धा भक्ति अउ दया मया बरसाने वाली माता के विसर्जन होगे l फेर ककरो मन म ना करुणा जागिस ना दया मया l
जेखर कोनो नई रहय अइसने मौका ल देखत रहिथे
संग साथ ला छोड़के अपन आत्मा विसर्जन कर लेथे
दाई असन l
मुरारी लाल साव
कुम्हारी
No comments:
Post a Comment