. *निकिता के लघुकथा*
- विनोद कुमार वर्मा
लघुकथा लेखन म तीन हजार रूपिया के इनाम के खबर का छपिस,घर मा बवाल मातगे। लेखिका पत्नी के तेवर बदल गे!
' लघुकथा लेखन तोर बस के बात नइ हे! '- लेखिका पत्नी अपन पति ला फटकार लगावत बोलिस- ' तैं तो पेंट, कमीज, सलवार, ब्लाउज के नाप ले अउ सिलाई कर। दर्जी हावस त दर्जी के काम कर। लिखना-पढ़ना तोर बस के बात नइ हे! '
पति घुसियागे- ' चार आखर पढ़ का लेहे, अपन-आप ला कालेज के मास्टरनी समझे लगे हस.....! अरे, बारहवीं के परीक्षा मा नकल करत नइ पकड़ाय रहितें त देखते.... पढ़ाई म तोर ले आघू निकल जातेंव।..... तैं लघुकथा के बात करथस, मैं तो पूरा के पूरा रमायन ही लिख ड़ारतेंव! '
' छिः .... तोला कुकुर नइ पूछे! रमायन लिखे चले हस!....'- पत्नी जी घलो घुसियाके बोलिस।
' मम्मी-पापा! लड़ाई बन्द करव। मोर पढ़ाई डिस्टर्ब होवत हे। तुमन दुनों झिन स्कूल तो जावव निहीं अउ पढ़ाई-लिखाई के बात करत हौ। '- रोज-रोज के इँकर मन के काँय-किचिर ले परेशान नौ बरस के निकिता सियानिन मन कस फटकार लगावत बोलिस- ' पापा, लघुकथा ला अंग्रेजी म का कहिथें?.... बता तो। '
पापा चुप होगे। पापा के बेबसी ला देखके मम्मी के चेहरा मा हँसी फूटे लगिस।
' पापा लघुकथा के मतलब शार्ट स्टोरी होथे। ' - निकिता पापा ला समझावत बोलिस।
मम्मी के गुस्सा तो नदारत होगे रहिस फेर सवाल करिस- ' ओ तो ठीक हे बेटा, फेर ये तो बता शार्ट स्टोरी लिखबे कइसे? '
निकिता कुछ देर सोचत रहिस,फेर बोलिस- ' मम्मी, मानले पापा के नाक म एक ठन माछी बइठे हे अउ आप ओला भगाये बर पापा के नाक म एक मुटका मार देहू!..त समझ लेवव लघुकथा बन गे। '
मम्मी हाँसत-हाँसत फेर सवाल करिस- ' कइसे लघुकथा बन गे बेटा? '
निकिता मासूमियत ले जवाब दीस- ' तोर मुटका ले माछी तो मरे निही मम्मी! माछी बहुत चतुर अउ फुर्तीला होथे- भाग जाही।..... अउ जब तोर मुटका सीधा पापा के नाक म परही त समझ ले कहानी शुरू होगे! ओकर बाद के कहानी ला पापा पूरा कर दीही, काबर कि बदला लेहे मा पापा एक नंबर के उस्ताद हे!.... पापा मैं सही कहत हौं न ! '- निकिता शरारत भरे नजर ले मम्मी-पापा ला देखत-देखत बोलिस।
मम्मी-पापा दुनों चुप रहिन फेर दुनों के चेहरा म ममता भरे मुस्कुराहट रहिस।
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