लघु हास्यकथा
"जब टीटी के बाजिस सीटी"
हास्य ह जीवन के अनमोल रतन आय। अँगरेजी म एक ठी कहावत हे- "ए डे विदाउट लाफ्टर इज़ ए डे वेस्टेड" मतलब "बिना हँसी के दिन ह खइता बरोबर आय"। हमन अपन स्कूली जीवन म बिक्कट चुटकिला सुनन-सुनावन। स्कूली जीवन मतलब छात्र जीवन। स्कूली जीवन तो पूरा बैंसठ साल ल माने जा सकथे। काबर के पढ़े के बाद पढ़ाय के बुता शुरू होगे। मैं स्कूल के मास्टर जउन बन गे रेहेंव।
खैर! अतका लंबा भूमिका बनाय के मतलब ये हे के जेन ह जीवन म हँसी के महत्व ल समझ गे उही जीवन के सही आनंद उठा सकथे। चुटकिला मन जीवन म हर बखत हँसाय के काम करथे। कई बार जीवन म अइसनो घटना घट जाथे जेन चुटकिला बन जाथे। मैं ह आज एक ठन अइसे घटना के बरनन करे बर जावत हँव जेन सिरतोन आय धुन कल्पना तेला तय करना मैं पाठक मन उपर छोड़त हँव।
एक झन यात्री ह रेल म सफर करत राहय। अब ट्रेन के लेट लतीफी ल तो सब जानते हव। बिहनिया के अवइया ट्रेन रात के आथे तौ रात के अवइया ट्रेन बिहनिया। ट्रेन के लेट लतीफी के कथा अपरंपार हे। वो यात्री ल दुरुग म उतरना राहय। उहू ट्रेन बहुत लेट चलत राहय। रात के 11-12 बजे राहय। वो ह टीटी ल पूछथे-
"अरे भाई, ये ट्रेन दुरुग के बजे पहुँचही?"
"लगभग चार बजे।" टीटी जवाब देथे।
"अरे भाई, दुरुग आही तौ मोला जगा देबे। अउ मैं नइ जागहूँ तौ जबरदस्ती ट्रेन ले उतार देबे।"
अतका बोल के वो ह सुत जाथे।
बिहनिया आठ बजे जब वो सवारी ह जागथे तौ देखते के ट्रेन बिलासपुर पहुँच जाय राहय। ओखर दिमाग खराब हो जाथे। वो टीटी ल मनमाने बखानना शुरू कर देथे-
"साले, तोला दुरुग म जगा देबे बोले रेहेंव, अउ इहाँ बेलासपुर आ गे, तोर ऐसी के तैसी... फलान... ढेकान...!"
सवारी ह उत्ता-धुर्रा गारी देवत राहय अउ टीटी चुप खड़े-खड़े सुनत राहय।
दूसर यात्री मन ये नजारा ल देख के अकबका गे।
वोमन पूछथे- "अरे भाई, सवारी तोला मनमाने गारी देवत हे अउ तँय चुपचाप खड़े-खड़े सुनत हस। आखिर बात का हे?"
टीटी बोलथे- "अरे तूमन नइ जानव, जेन सवारी ल मैं दुरुग म जबरदस्ती उतारे हँव तेन मोला कतका गारी देवत होही।"
- दिनेश चौहान,
छत्तीसगढ़ी ठीहा, नवापारा (राजिम)
मो. नं. 9826778806
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