थोकिन टेचरही गोठ -
" देवारी के रचना "
इस्कूल बंद होवईया हे l देवारी के छुट्टी हे फेर देवारी के ऊपर नवा रचना लिख के लाये के 'होमवर्क 'मिले हे लइका मन ला l
होमवर्क घलो रचना लिखे के बूता ए l
देवारी तिहार
" देवारी एक अइसे तिहार हे जेला सब मनाथे जबरदस्ती मनाथे l
देवारी तिहार मनाये के पहिली लछमी जी ला पहिली देखाथे पाछू साल आपके किरपा ले अतका धन कमाए हन l ओ हिसाब ले ए साल के देवारी ल मनाबो l
जेखर पास हे लछमी,ओहा लुका के रखथे l जेखर पास नई हे पटक पटक के देखा देखा के मनाथे l
देवारी ह दुवारी ला देख के आथे l
एखर सेती दुवारी ला ज्यादा सजा थे l घर के भीतरी ला कोन देखथे? बाहिर ले बने दिखना चाही l
देवारी मनाये के पाछू तीन कारन होथे
1 कोनो कुछु झन कहय हमला दिवालिया
2 लछमी ककरो घर झन रहय
थिर थार
3 लछमी सदा रहे सहाय
देवारी ले लाभ और हानि -
देवारी के दिन शुभ -लाभ लिखे जाथे,बाकी दिन भले कलह झंझट हानि होवत रहय
उपसँहार - देवारी तिहार ले सीख मिलथे हँसी माढ़े रहय खियाये मत एखर ख़याल रखे जाय l
देवारी के अंजोर बगरत रहय चोरी झन होय l चोरी होय तो चोर झन पछताय l
मातर के मारपीट ला घर तक रखो पुलिस को पता मत चले l
माते अउ मताये के नाम देवारी l
अइसन देवारी हर बछर आवत रहे l
ले जय जोहार l
मुरारी लाल साव
कुम्हारी
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