Monday, 11 November 2024

लघु कथा - " तुलसी के अँगना "

 लघु कथा - 

           " तुलसी के अँगना "


 कातिक  महीना ले अँगना म बामहन चिरई मन के आना फुदकना दिखे ला लगथे l 

            इही अँगना म सगा देखय्या मन के आना  बइठना घलो  होथे l

इही अँगना के तुलसी चौरा म दीया जलना घलो शुरू होथे l


तुलसी  गुरूजी के घर दू नोनी दूनो सज्ञान होगे हे l बिहाव करें के उमर बाढ़त जात हे l बिचारी मन मेहनत करके पढ़ाई करिन

पढ़ाई पूरा होय के बाद कम्प्यूटर ओकर बाद पार्ट टाइम 

क्लिनिक म l 

बड़े नोनी  रोहनी के शो रूम के ऑफिस म नौकरी l 

छोटे नोनी  बिमला क्लिनिक म l

        रिटायर पटवारी तुलसी बिहाव के सपना अउ ओकर 

तैयारी म 

"अँगना ले नोनी मन के बिदा होय l "

समय बता के नई आवय l

बिमला ला देख के कई झन के मन हो गे रहिस l चट मँगनी हो जय फेर बड़े के रहत ले छोटे के? रोहनी  मंगली कुंडली म l

बहुत अड़चन रिश्ता जोड़े म l

 तुलसी के साला फोन आथे एक दिन l

" भांटो, रोहनी भांची ला मोर घर भेज दे नछतर बदल जही l" 

"साले के का बात  ल मानबे,साले ला " l तुलसी टार दीस l

रोहनी के मन  हे बिट्टू के होंडा म भागे के l मौका मिलत नई ए l छोटे बहिनी के बिहाव म अड़चन आही इही सोच के l

एक दिन दूनो बहिनी के गोठियाये के लगिन माड़ गे l

मन भर जी भर के गोठिया डरिन l 

"पक्का पक्का त ठीक "l 

       काली तुलसी गोठिया वत रहिस  अकेल्ला -" मोर अँगना ला छोड़ के उड़ाके चल दीस मैना परेवना दूनो l अँगना अब सुन्ना लागत हे l इही अँगना म मड़वा  गड़े रहितिस l दाग लगादीस पाँखी झर्राके.. I मोर गलती   या कुंडली के  सेत l 

फेर होगे जो होना हे l 

      ओकर साला के मोबाइल आथे -"भांटो  का करत हस गो l" सुने के मन नहीं अब lघंटी बजत हे त बजन दे के स्तिथि म  तुलसी l काकर सो अब का बात करय l

 "दूसर के कुंदरा म अपन 

खोँदरा  बना लीस l बने बने रहय l " इही सोच के मन मढ़ा लीस तुलसी l


मुरारी लाल साव 

कुम्हारी

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