**परयास*
विकास जउन दिन ले छठवीं कक्षा मा दाखिल होइस हे, गुरुजी हलकान होगे। विद्यार्थी मन परेशान होगे। काबर कि विकास के उमर तो ग्यारह साल ही हे, फेर अइसे आँखी देखाथे कि आठवी कक्षा के लइका मन घलो देख के सुकुड़ दुम हो जाथे। रोज कोनों न कोनों बखेड़ा खड़े कर देथे। आज घलो मयंक नाँव के टुरा हर गुरुजी कर शिकायत ले के आये हे, कि विकास हर मार दिस। गुरुजी विकास ल बार-बार समझाये के कोशिश करे, फेर 'भँईस आघू बीन बजाये, भँईस बइठे पगुराय' के कहावत ही चरितार्थ होवय। तब गुरुजी सोच मा पड़ जाथे अउ सुधारे के उपाय खोजे लगथे।
एक दिन विकास के संग पढ़इया लइका मन ले पूछे मा पता चलिस कि विकास प्राथमिक शाला मा तीसरी कक्षा तक पढ़ई-लिखई अउ बेवहार मा घलो बढ़िया रिहिस। चौथी कक्षा मा पहुँचे के बाद ले स्वभाव बदलिस हे। गुरुजी अब स्वभाव बदले के कारण पता करे के कोशिश मा जुटगे।
मंझनिया भोजन के बेरा मा मिडिल स्कूल के हेड मास्टर , प्राथमिक स्कूल के गुरुजी देवांगन जी ले मिलिस अउ विकास के बारे मा जाने के कोशिश करिस। देवांगन गुरुजी के भी उही जवाब मिलिस, जउन जवाब विकास के कक्षा के लइका मन बताइन। फेर हेड मास्टर घलो हार नइ मानिस। विकास ल सुधारे बर ठानिस।
एक दिन हेड मास्टर हर विकास के घर मा सम्पर्क करिस। तभो बिगड़े के कुछु कारण के पता नइ चलिस। अउ पता चलतीस घलो कइसे, कोन अपन घर के गलती दूसर कर गोहराही। विकास के घर ले निकलत बेरा मा गाँव के पटेल समारू ले गुरुजी के भेंट होगे। दुनो के राम-रमौवल होइस। पटेल हर गुरुजी ले पूछिस- कहाँ घूमत हव गुरुजी? हेड मास्टर बोलिस- 'चतुर से मिलने आया था। कुछ काम था। का काम गुरुजी? मँय कर देहुँ, आप मोला बतावव। हेड मास्टर बोलिस- 'नहीं पटेल जी, आपके लायक काम नहीं है। चतुर से ही बात करना था। चतुर ले ही बात करना रिहिस, कोनों गम्भीर बात हे का गुरुजी? पटेल हर पूछिस। हाँ भई, उनका लड़का आजकल पढ़ाई पर ध्यान देता नहीं है। ककरो संग झगरा-लड़ई तो नइ करिस गुरुजी? पटेल हर पूछिस। मतलब आपको विकास का व्यवहार पता है? हेड मास्टर हर बोलिस। मोला का सब ला पता हे,जइसन बाप तइसन बेटा। पटेल बोलिस। मतलब? हेड मास्टर हर पूछिस। तब पटेल बताइस- अरे भई, चतुर ठहरे मन्दू आदमी। पीथे तहने ककरो न ककरो संग उलझना कोई नवा बात नइहे। तब असर तो लइका मा पड़बे करही न गुरुजी। हेड मास्टर हर समझगे कि लइका के बिगड़े के कारण ओकर घर परिवार के माहौल ही हे।
एक दिन हेड मास्टर चतुर ल स्कूल मा बुलाइस। हेड मास्टर हर चतुर ले ओकर खेती- बाड़ी के सम्बन्ध मा पूछे लगिस। कहो चतुर जी, इस वर्ष आपकी फसल तो अच्छी थी न? चतुर बोलिस- हाँ गुरुजी, भगवान के दया ले चार गाड़ा धान होइस। रबी फसल में क्या डाले हो? हेड मास्टर हर पूछिस। लाखड़ी बो दे हँव गुरुजी। चतुर बोला। फसल तो अच्छी होगी? आहिस्ता बात ल विकास कोती घुमाइस अउ हेड मास्टर पूछिस- अच्छा, आपके यहाँ का लड़का विकास घर में पढ़ाई करता है कि नहीं? कक्षा में गुमसुम बैठा रहता है। पढ़ाई पर उनका ध्यान नहीं रहता। चतुर बोलिस- नहीं गुरुजी, कतको बोलथों फेर ध्यान देबे नइ करे। अब आप मन ही वोला सुधारो गुरुजी। डाँटो, फटकारों कुछु करो मँय कुछु नइ बोलँव। हेड मास्टर बोलिस- ' देखिए चतुर जी, विकास को सुधारना है तो डाँट फटकार की जरूरत नहीं है, बस आपके सहयोग की हमें आवश्यकता है। क्या आप हमें सहयोग करेंगे? कइसन सहयोग गुरुजी, मँय तैयार हँव। मोर लइका कइसनो करके भी पढ़ तो ले। चतुर बोलिस तब हेड मास्टर ल बल मिलगे। लगिस कि ओकर योजना के सफल होए के बेरा अब अवइया हे। बूड़े सुरुज अब उगइया हे। हेड मास्टर बोलिस- ' देखिए चतुर भाई, आप बुरा न माने तो एक बात कहूँ? एक बात नहीं सौ बात कहव गुरुजी, मँय बुरा नइ मानो। चतुर बोलिस।तब हेड मास्टर हर बोलिस- देखिए भाई चतुर, आप शराब पीते हैं, सबसे पहले तो आप शराब का चक्कर छोड़ दीजिए। आप शराब पीते हैं तो विकास के साथी लोग आपकी हालत देखकर विकास के पास बोलते हैं। यह बात विकास को अच्छा नहीं लगता। साथियों से आपके बारे में सुनकर उनके अंदर गुस्सा जागृत हो उठता है, चूँकि वह गुस्सा आपके पास प्रकट नहीं कर पाता। इसलिए अन्य बच्चों से लड़कर अपना क्रोध शांत करने का प्रयास करता है। उनका मन पढ़ाई-लिखाई में नहीं लगता। सहपाठियों के द्वारा आपके बारे में विकास के पास बोलना उनके व्यवहार एवं पढ़ाई लिखाई के लिए दीमक साबित हो रहा है।आप अपने आप पर रखकर सोचिए, यदि आपके पिताजी शराब पीता, लड़खड़ाते हुए चलता और आपके पास आपके साथी लोग आपके पिता की शिकायत करते तो क्या आपको अच्छा लगता? चतुर बोलिस- नहीं गुरुजी। हेड मास्टर ने कहा- तो क्या आप हमें सहयोग के लिए तैयार हैं? देखिए इससे केवल विकास ही सुधरेगा ऐसी बात नहीं है। इससे आपके घर-परिवार की स्थिति भी सुधरेगी। गुरुजी के बोले बात चतुर के हिरदे मा समागे। बात अइसे असर करिस कि चतुर तुरते परन करिस कि वो अब मंद नइ पीये। अपन लइका के खातिर, अपन घर-परिवार के खातिर।
ये घटना ल बीते दू बछर होगे। आज विकास आठवी कक्षा मा हे, पढ़ाई-लिखाई मा अव्वल हे। गुरुजी के हर सवाल के जवाब देथे। कोनों काम अधूरा नइ रखे। विकास के व्यवहार अब बदलगे हे। हरदम खुश नजर आथे। अब विकास कभू शिकायत के अवसर नइ दे। गुरुजी मन, कक्षा के जम्मो संगवारी मन अब विकास के प्रशंसा करत नइ थके। चतुर घलो अब घर मा विकास के पढ़ई-लिखई मा कोनों कमी नइ होवन दे। विकास ल खुश रखे के पूरा कोशिश करथे। हेड मास्टर के परयास आज सफल होगे।
राम कुमार चन्द्रवंशी
बेलरगोंदी (छुरिया)
जिला-राजनांदगाँव
विकास जउन दिन ले छठवीं कक्षा मा दाखिल होइस हे, गुरुजी हलकान होगे। विद्यार्थी मन परेशान होगे। काबर कि विकास के उमर तो ग्यारह साल ही हे, फेर अइसे आँखी देखाथे कि आठवी कक्षा के लइका मन घलो देख के सुकुड़ दुम हो जाथे। रोज कोनों न कोनों बखेड़ा खड़े कर देथे। आज घलो मयंक नाँव के टुरा हर गुरुजी कर शिकायत ले के आये हे, कि विकास हर मार दिस। गुरुजी विकास ल बार-बार समझाये के कोशिश करे, फेर 'भँईस आघू बीन बजाये, भँईस बइठे पगुराय' के कहावत ही चरितार्थ होवय। तब गुरुजी सोच मा पड़ जाथे अउ सुधारे के उपाय खोजे लगथे।
एक दिन विकास के संग पढ़इया लइका मन ले पूछे मा पता चलिस कि विकास प्राथमिक शाला मा तीसरी कक्षा तक पढ़ई-लिखई अउ बेवहार मा घलो बढ़िया रिहिस। चौथी कक्षा मा पहुँचे के बाद ले स्वभाव बदलिस हे। गुरुजी अब स्वभाव बदले के कारण पता करे के कोशिश मा जुटगे।
मंझनिया भोजन के बेरा मा मिडिल स्कूल के हेड मास्टर , प्राथमिक स्कूल के गुरुजी देवांगन जी ले मिलिस अउ विकास के बारे मा जाने के कोशिश करिस। देवांगन गुरुजी के भी उही जवाब मिलिस, जउन जवाब विकास के कक्षा के लइका मन बताइन। फेर हेड मास्टर घलो हार नइ मानिस। विकास ल सुधारे बर ठानिस।
एक दिन हेड मास्टर हर विकास के घर मा सम्पर्क करिस। तभो बिगड़े के कुछु कारण के पता नइ चलिस। अउ पता चलतीस घलो कइसे, कोन अपन घर के गलती दूसर कर गोहराही। विकास के घर ले निकलत बेरा मा गाँव के पटेल समारू ले गुरुजी के भेंट होगे। दुनो के राम-रमौवल होइस। पटेल हर गुरुजी ले पूछिस- कहाँ घूमत हव गुरुजी? हेड मास्टर बोलिस- 'चतुर से मिलने आया था। कुछ काम था। का काम गुरुजी? मँय कर देहुँ, आप मोला बतावव। हेड मास्टर बोलिस- 'नहीं पटेल जी, आपके लायक काम नहीं है। चतुर से ही बात करना था। चतुर ले ही बात करना रिहिस, कोनों गम्भीर बात हे का गुरुजी? पटेल हर पूछिस। हाँ भई, उनका लड़का आजकल पढ़ाई पर ध्यान देता नहीं है। ककरो संग झगरा-लड़ई तो नइ करिस गुरुजी? पटेल हर पूछिस। मतलब आपको विकास का व्यवहार पता है? हेड मास्टर हर बोलिस। मोला का सब ला पता हे,जइसन बाप तइसन बेटा। पटेल बोलिस। मतलब? हेड मास्टर हर पूछिस। तब पटेल बताइस- अरे भई, चतुर ठहरे मन्दू आदमी। पीथे तहने ककरो न ककरो संग उलझना कोई नवा बात नइहे। तब असर तो लइका मा पड़बे करही न गुरुजी। हेड मास्टर हर समझगे कि लइका के बिगड़े के कारण ओकर घर परिवार के माहौल ही हे।
एक दिन हेड मास्टर चतुर ल स्कूल मा बुलाइस। हेड मास्टर हर चतुर ले ओकर खेती- बाड़ी के सम्बन्ध मा पूछे लगिस। कहो चतुर जी, इस वर्ष आपकी फसल तो अच्छी थी न? चतुर बोलिस- हाँ गुरुजी, भगवान के दया ले चार गाड़ा धान होइस। रबी फसल में क्या डाले हो? हेड मास्टर हर पूछिस। लाखड़ी बो दे हँव गुरुजी। चतुर बोला। फसल तो अच्छी होगी? आहिस्ता बात ल विकास कोती घुमाइस अउ हेड मास्टर पूछिस- अच्छा, आपके यहाँ का लड़का विकास घर में पढ़ाई करता है कि नहीं? कक्षा में गुमसुम बैठा रहता है। पढ़ाई पर उनका ध्यान नहीं रहता। चतुर बोलिस- नहीं गुरुजी, कतको बोलथों फेर ध्यान देबे नइ करे। अब आप मन ही वोला सुधारो गुरुजी। डाँटो, फटकारों कुछु करो मँय कुछु नइ बोलँव। हेड मास्टर बोलिस- ' देखिए चतुर जी, विकास को सुधारना है तो डाँट फटकार की जरूरत नहीं है, बस आपके सहयोग की हमें आवश्यकता है। क्या आप हमें सहयोग करेंगे? कइसन सहयोग गुरुजी, मँय तैयार हँव। मोर लइका कइसनो करके भी पढ़ तो ले। चतुर बोलिस तब हेड मास्टर ल बल मिलगे। लगिस कि ओकर योजना के सफल होए के बेरा अब अवइया हे। बूड़े सुरुज अब उगइया हे। हेड मास्टर बोलिस- ' देखिए चतुर भाई, आप बुरा न माने तो एक बात कहूँ? एक बात नहीं सौ बात कहव गुरुजी, मँय बुरा नइ मानो। चतुर बोलिस।तब हेड मास्टर हर बोलिस- देखिए भाई चतुर, आप शराब पीते हैं, सबसे पहले तो आप शराब का चक्कर छोड़ दीजिए। आप शराब पीते हैं तो विकास के साथी लोग आपकी हालत देखकर विकास के पास बोलते हैं। यह बात विकास को अच्छा नहीं लगता। साथियों से आपके बारे में सुनकर उनके अंदर गुस्सा जागृत हो उठता है, चूँकि वह गुस्सा आपके पास प्रकट नहीं कर पाता। इसलिए अन्य बच्चों से लड़कर अपना क्रोध शांत करने का प्रयास करता है। उनका मन पढ़ाई-लिखाई में नहीं लगता। सहपाठियों के द्वारा आपके बारे में विकास के पास बोलना उनके व्यवहार एवं पढ़ाई लिखाई के लिए दीमक साबित हो रहा है।आप अपने आप पर रखकर सोचिए, यदि आपके पिताजी शराब पीता, लड़खड़ाते हुए चलता और आपके पास आपके साथी लोग आपके पिता की शिकायत करते तो क्या आपको अच्छा लगता? चतुर बोलिस- नहीं गुरुजी। हेड मास्टर ने कहा- तो क्या आप हमें सहयोग के लिए तैयार हैं? देखिए इससे केवल विकास ही सुधरेगा ऐसी बात नहीं है। इससे आपके घर-परिवार की स्थिति भी सुधरेगी। गुरुजी के बोले बात चतुर के हिरदे मा समागे। बात अइसे असर करिस कि चतुर तुरते परन करिस कि वो अब मंद नइ पीये। अपन लइका के खातिर, अपन घर-परिवार के खातिर।
ये घटना ल बीते दू बछर होगे। आज विकास आठवी कक्षा मा हे, पढ़ाई-लिखाई मा अव्वल हे। गुरुजी के हर सवाल के जवाब देथे। कोनों काम अधूरा नइ रखे। विकास के व्यवहार अब बदलगे हे। हरदम खुश नजर आथे। अब विकास कभू शिकायत के अवसर नइ दे। गुरुजी मन, कक्षा के जम्मो संगवारी मन अब विकास के प्रशंसा करत नइ थके। चतुर घलो अब घर मा विकास के पढ़ई-लिखई मा कोनों कमी नइ होवन दे। विकास ल खुश रखे के पूरा कोशिश करथे। हेड मास्टर के परयास आज सफल होगे।
राम कुमार चन्द्रवंशी
बेलरगोंदी (छुरिया)
जिला-राजनांदगाँव
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