नान्हे लघु कथा -
" भगवान तहीं जान "
एक ले एक बढ़ के जानकार मैनखे हाबय l चतुरा अउ चलाक मैनखे भूख नई मरय कभू l भूख उही मरथे जे कुछ करना नई चाहय l भगवान तहीं जान l भगवान का जानही? वोला तो हमू जानथन अलाल कामचोर हे l काम करके जी जथे l अरे अइसे आदमी हे अइसे काम करथे कार म घूमथे l सन्तू आके बताथे -"कोनो कार म तीन मनखे आये हे l राम लला के मूर्ति बना के देथन कहत हे l बिल्कुल अयोध्या के राम लला l" बिहारी पूछिस कतका लेथस? मूर्ति वाले -" तुंहर बर सस्ता 2000रुपया l
बिहारी कहिस -"एक हजार रु l"मूर्ति वाले ले चल ठीक हे, अभी दू सौ रुपया दे बाकी बाद में l"
बिहारी दू सौ रुपया दीस रसीद घलो l मूर्ति वाले चल दीस l कतका चालाकी देखाइस दू सौ के पाछू म एक शून्य अउ लगादीस l
मूर्ति वाले अउ दूसर घर जाथे l उहाँ जाके बताथे -"देख येदे जानथस ना बिहारी ला दू हजार दे हे l" नाम पूछ लीस ओकर बीस रु एडवांस लिख के फेर रसीद दे दीस l
मूर्ति वाले बीस के आघू पाछू दू शून्य लगाथे दू हजार बनाथे lअउ दूसर घर जाथे l
"देख राम लाल ला जानथस दू हजार दे हे इही मूर्ति के l
नमूना भगवान राम लला के देखाथे l अइसने कर के चुना लगाथे l हम तो माथा ठोंक लेन
हमर आस्था अउ विश्वास के साथ का करत हे?
भगवान तहीं जान? तोर नाम म कतका झन ठगावत जात हे?
मुरारी लाल साव
कुम्हारी
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