Monday, 11 November 2024

नान्हे लघु कथा - " भगवान तहीं जान "

 नान्हे लघु कथा -

    " भगवान तहीं जान "


एक ले एक बढ़ के जानकार मैनखे  हाबय l चतुरा अउ चलाक मैनखे भूख नई मरय कभू l  भूख उही मरथे  जे कुछ करना नई चाहय l भगवान तहीं जान l भगवान का जानही? वोला तो हमू जानथन अलाल कामचोर हे l काम करके जी जथे l अरे  अइसे आदमी हे  अइसे काम करथे कार म घूमथे l सन्तू आके बताथे -"कोनो कार म तीन मनखे आये हे l राम लला के मूर्ति बना के देथन कहत हे l बिल्कुल अयोध्या के राम लला  l" बिहारी पूछिस  कतका लेथस? मूर्ति वाले -" तुंहर बर सस्ता  2000रुपया l

बिहारी कहिस -"एक हजार रु l"मूर्ति वाले  ले चल ठीक हे, अभी  दू सौ रुपया दे बाकी बाद में l"

बिहारी दू सौ रुपया दीस रसीद घलो l मूर्ति वाले चल दीस l कतका चालाकी देखाइस दू सौ के पाछू म एक शून्य अउ लगादीस l 

मूर्ति वाले अउ दूसर घर जाथे l उहाँ जाके बताथे -"देख येदे जानथस ना बिहारी ला दू हजार दे हे l" नाम पूछ लीस  ओकर बीस रु एडवांस  लिख के फेर रसीद दे दीस l

मूर्ति वाले बीस के आघू पाछू दू शून्य लगाथे  दू हजार बनाथे lअउ दूसर घर जाथे l

"देख राम लाल ला जानथस दू हजार दे हे इही मूर्ति के l

नमूना भगवान राम लला के देखाथे l अइसने कर के चुना लगाथे l हम तो माथा ठोंक लेन 

हमर आस्था अउ विश्वास के साथ का करत हे?

भगवान तहीं जान? तोर नाम म कतका झन ठगावत जात हे?


मुरारी लाल साव 

कुम्हारी

No comments:

Post a Comment