लघु कथा
" पुतला दहन के बाद "
मंगलू पूछत रहिस -" रावण जलिस ग l "
टेचरू के टेचरही गोठ चलिस -" काबर जलही जी, पुतला के दहन होइस हे जइसे काली एक मंत्री के होइस हे l ओकर पुतला बना के चौक म जला दीस l अंड बंड बोल दीस समाज के ऊपर l कोन छोड़ही l ओइसने कसरहा करे हे दसहरा मनाये बर गड़िया दीस पुतला लान के रावण जलाबों कहिके l
का? आतिस बाजी होथे कइथे न ओइसने फूट गे फटाका फड़ फड़ फड़ l"
" तोला तो मजा आइस होही बने रंगरेलिहा हस l देखे ला मिलिस होही सब बने बने ला l"
" त का l मजा ले ए बर तो मनाथे l रावण मरही त रोये ल जाथे सब? मजा ले बर सब जाथे l
भारी भीड़, भीड़ के मजा अलग रहिथे l गोड़ खुनदावत हे वो चिल्लावत हे देखत नई हस अंधरा होगे हस चपकत हस गोड़ ला l"
मंगलू कइथे -"एखरे सेती मय धुरिहा ले देखेंव ,आगेव l बिगर चस्मा के धुरिहा के बने दिखय नहीं l"
टेचरु कहिस -" तीर के ला बने देखतस, है ना l
राम दरबार तो धुरिहा म रहिस मंच म रावण सरकार तीर म रहिस l लील्ला करय्या मन खेल खेलथे l सकलाये भीड़ लील्ला नई देखय l"
मंगलू -" त काला देखथे? "
टेचरु -"सीता ला चोराये रहिस रावण ला l तेन ला देखथे lदस मुड़ी कइसे हे?
कइसे हाँसत हे?
मंगलू -"हमर इहाँ के गभरु अस उहू चोराये के लाये रहिस l ओला तो उही बाई कूट कूट ले कूट डरिस l लाने हस दे सोन के पुतरी,खिनवा l"
टेचरु -" एती ला कान धर या ओती ले कान धर l सोन के मिरगा नई दिखतीस त होतिस नहीं l सोना के लंका वाले देखत रहिथे मौका ला l"
मंगलू कहिस -" सुने हँव ओकर टुरी कोन ला धर के भगागे? "
" काकर, पलटू के टुरी ल कहत हस?
" नाम लेना पाप हे भइया बिन जाने बिन देखे l"
"अरे साले तोतवा के टुरा हरे l
तपत हे साले ह बाप के कमाई म बुगबुगी डांटे हे l पीछू साल जेल घलो गे रहिस l पैसा कौड़ी दीस होही जल्दी छूट के आगे
निर्दोस बरी l आदत परगे हे चोट्टा साले के l"
मंगलू चुल्की मारत कइथे -" ओला कोन जलाही देखबो l बात तो आज नहीं तो कल खुलबे करही l"
फेर दशहरा मनाबो गाँव म l
टेचरु हाँसत हाँसत धरिस अपन साइकिल निकल गे l
रावण जल गे फेर ओकर गुन घर गाँव गली समाज देस राज म फैले हे l अवगुन नई होवय दूर पुतला जलाये भर मl
मुरारी लाल साव
कुम्हारी
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