Monday, 11 November 2024

कहिनी // *करम के डांड़* // **************************************

 कहिनी           // *करम के डांड़* //

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               ' बोर्रा कोहांर कहत ले लागे ' दूरिहा-दूरिहा के मनखे मन जानय के ओकर बनाय माटी के जिनीस मरकी, हांड़ी, तेलई,करसी, ठेंकवा अऊ कुड़ेरा के जबर मांग रहय।' चइत,कुवांर म कलशा-दीया,अक्ती के करसी, बिहाव के करसकरवा,देवारी के दीया,आनी-बानी के खेलउना,मरनी-हरनी के ठेकवा अऊ मूर्ति घलो बनाय जेमा गनपति, दूर्गा दाई अऊ गउरा-गउरी।' बोर्रा के बनाय मूर्ति देखे म संउहत जीयत सदावे ' अऊ मूर्ति के आँखी तो सिरतोन के आँखी निहारत असन दिखे। ' बोर्रा के बनाय जिनीस चार-पाँच कोस ले शोर बगरे रहय '।गरमी के दिन करसी अऊ सुराही बांचे नी पावय।' माटी के जिनीस ओकर *जिनगी जिये के जरिया* रहय '।एतकेच भर नी रहिस भलुक सुग्घर गीत गावय ' जस गीत,फगुआ गीत,डंडा अऊ करमा नाचा के सुग्घर गीत गावय '।

             बोर्रा के गोसाईंन सहोदरा ओकर संग म सबो बुता करे दूरिहा खार ले माटी खन-कोड़ के लाने फेर ओला सुखावय अऊ छोटे-छोटे कूच-काच के खनाय खंचवा म माटी ल डारके ओला पानी म बने साने। मूड़ी म गघरी बोह के तरिया ले पानी डोहारय।ओकर दू झिक लइका,नोनी बड़े रहिस जेकर *फूलवा* अऊ बाबू के नांव *करमू* रहिस।फूलवा संवरेली पातर देंहे के गोल मुंहरन चुक-चुक ले जोगनी कस सुग्घर फबे अपन दाई के पानी म रहय,करमू घलो अपन ददा के उतारा रहिस नशा-पानी ले दूरिहा रहय बहंगर देहें।ओकर दूनों लइका घर के काम-बुता म भिंड़ जावंय।बोर्रा जबर सिधवा,सईताधारी मनखे रहय।'झूठ-लबारी ल तीर म चटकन तको नइ देवय।'

         ' बोर्रा के गाँव म खेत-डोली नी रहिस,ओकर नानचूक माटी के घर रहिस।' अँगना थोरिक चउंक-चाकर गोबर म सुग्घर लिपाय अऊ छुही म बढ़िया खुंटियाय रहे।माटी के जिनीस बनाके अपन परिवार के गुजर-बसर करे।फूलवा जादा नी पढ़ पाइस काबर घर के हालत ओतका जादा ठीक नी रहिस फेर करमू ल आघू पढ़ाय खातिर मिहनत करके एकक दू पइसा सकेलत गीस।करमू नान्हेपन ले पढ़े-लिखे म हुंशियार रहय,पढ़ई के संगे-संग खेल-कूद म घलो अउवल रहिस।" *नवा बिरवा के पाना चिक्कन होथे* "। करमू घर के हालत ल देख के आघू बढ़े के सपना सोचय।अपन मन म बिचार कर डारीस एक दिन मोला कलेक्टर बने बर हे।सपना ल पूरा करे बर *ठोसहा मिहनत अऊ लगन* लगा के ' लक्ष्य पाय बर पांव आघू बढ़ाय बर धर लिस '।

             गाँव के स्कूल म बासी खाके पढ़िस,हुंशियार रहे के खातिर मेट्रिक के परीक्षा म अउवल आइस।सरकार डहर ले छात्रवृत्ति पाईस।आघू के पढ़ाई करे बर साइकिल चलावत अठारा किलोमीटर रोजेच शहर जावय।कालेज के पढ़ाई-लिखाई के खरचा ओकर बहिनी फूलवा बनी-भूती करके सकेले पइसा ले हो जावय।कालेज के फाइनल म घलो अउवल आइस। "*भरोसा के अँजोर ल कभू कम होवन झन देवौ,अँजोर करे बर एकठन जोगनी काफी होथे "।*

                 सपना पूरा करे खातिर *मिहनत म मगन* होगिस।यू पी एस सी के कोचिंग करे बर दूरिहा दिल्ली जाय ल परही करमू थोरिक सोचे लगिस...एकर खरचा जादा लगही काबर के दिल्ली शहर म घर किराया अऊ कोचिंग फीस घलो लागही।फेर अपन के खरचा,खाना-पीना सबो ल गुने बर धर लीस अऊ अपन ददा बोर्रा ल सबो बात ल मन टूटहा बताइस..।कुछू करके बेवस्था करबो!..'बोर्रा पंदोली देवत कहिस.. '।अपन ददा के गोठ ले तो मने-मन खुशी होइस फेर घर कोती के हालत देख के करमू गुनमुनाइस।तैं दिल्ली जाय के तियारी कर अऊ अपन सपना ल पूरा कर !... हिम्मत बढ़ावत फूलवा कहिस। "*ठोसहा हउसला देखके मुसकुल घलो कमजोरहा पर जाथे*" ।अपन सपना ल सिरजाय बर दिल्ली जाबेच करहूं करमू मन म ठानिस।दिल्ली कोचिंग करे बर जाना रहिस उंहेच दूरिहा के नता कका दिलेसर रहत रहिस।जेन जघा म ओकर कका रहत रहिस ओकर *ठउर,ठीहा अऊ ठिकाना* के पता पूछके जाय के तियारी करे लागिस।

            दूसर दिन तियारी होके टेशन चल दिस टिकस कटाइस अऊ रेलगाड़ी समे म आइस ओमा चढ़के चल दिस।पहिली बार दूरिहा जाय म डर लागय काबर के कभू दूरिहा जाय के मउका नइ आय रहिस फेर सपना पूरा करे बर ओला घेरी-बेरी सुरता सतावत रहय...कोंचकत रहय...हुदरत रहय...।पहिली बार घर ले दूरिहा जावत रहय त डर तो रहबेच करही।घर म येती दाई-ददा संसो करत रहिन के हमर लइका पहिली बार अतेक दूरिहा जावत हे काय होही..कइसे करही... लइका ल कभू अकेल्ला नी छोड़े हन,एको घरी आँखी ओलम नी करे हन।खाय पीये बर कोनजनी कइसे करत होही।दाई के आंँसू ढरक गे दाई के मया तो आय...,' पिलहोरी गाय के बछरु ह अलग होथे तइसन लागत रहिस '..।येती करमू कइसनहो करत दिल्ली पहुंच गीस।

             करमू गाँव के लइका आय ओहा दिल्ली पहिली बार आवत हे कहिके ओकर कका दिलेसर गाड़ी टेशन लेहे बर आइस।...टेशन के बाहिर मुहाटी म खड़े अगोरत रहिस।सबो सवारी मन टेशन के बाहिर निकले लागीन।दिलेसर नजर गड़ाय सबो ल निहारत रहय।बपरा करमू अपन झोला-झंखर ल धरके निकलत रहय तइसनहे ओकर कका के नजर करमू ऊपर टप ले परगे देखते साथ झटकून ओला करमू.... करमू....चिल्लाय लागिस,फेर भीड़ म... आवा-जाही,हल्का-गुल्ला के खातिर करमू नी सुन पाइस।आघू बढ़े लागिस,फेरेच करमू...करमू..दिलेसर जोर से चिल्लाय लागिस...।दिलेसर के चिल्लइ करमू के कान म सुनाइस।करमू *अवाज ल ओरख* दारिस अऊ पाछू लहुटके देखथे त ओकर कका खड़े-खड़े चिल्लावत रहिस भीड़ ले बाहिर निकलके अपन कका के तीर आइस जोहार पैलगी करिस।ओला अइसे लागिस के *घनघोर जंगल के बीच पियासा ल पानी मिलगे* ओकर कका के संग रिक्सा बइठ के गोठ-बात करत घर पहुंचीन।

               दूसरवान दिन अपन घर के  थोरिक दूरिहा म एकठन घर किराया खोज दिस अऊ चेतइस कुछू जिनीस के कमी होही त मोला बताबे-'दिलेसर कहिस।'..' मूड़ी हलावत करमू हव कह दिस '।उंहा रहिके मगन होके तियारी करे लागिस।कोचिंग सेंटर म ओला बने जानकारी मिलत गिस।बीच-बीच म टेस्ट लेवय तेमा बने नंबर लानत जावे।अपन घर म मन लगाके पढ़े लगिस जम्मो कापी-किताब ल उलट-पलट करके सबो ल रट दारिस। *ठोसहा मिहनत,सही सोच अऊ धीरज से बड़का ले बड़का लक्ष्य मिल जाथे*।

             यू पी एस सी परीक्षा के तीन चरण होथे,पहिली प्रारंभिक परीक्षा,दूसरवान मुख्य परीक्षा फेर तिसरावन इंटरव्यू।करमू प्रारंभिक परीक्षा पास होगे घर कोती चिट्ठी लिख के करमू बताइस,येती घर के मन खुशी के अँजोर होगे। चिट्ठी म पइसा भेजे बर लिखे रहिस,बनी-भूती करके सिंघोरे पइसा मनिआडर करके फूलवा भेजिस..।करमू अपन तियारी म कोनों किसीम के कमी नी करिस अऊ मुख्य परीक्षा घलो पास होगिस।घर म फेर चिट्ठी लिख के बताइस के मुख्य परीक्षा पास हो गेंव।अब इंटरव्यू के तियारी करे बर लागिस।अलढेराही कभू नइ करिस,इंटरव्यू के तिथि घलो आ गे रहिस।

                  येती गाँव म करमू के दाई -ददा के तबीयत बिगड़े रहिस।करमू के पढ़ाई झन बाधित होही कहिके फूलवा ह करमू ल नी बताइस।पइसा कौड़ी के बिना ओकर दाई-ददा के ठीक से ईलाज नी हो पाइस अऊ जेन दिन करमू के इंटरव्यू रहिस उहिच दिन दूनोंझन के परान निकलगे अऊ सरग सिधार गीन।एकर खबर करमू ल नी बताइस काबर इंटरव्यू म कुछू अड़गा झन हो जाही कहिके।येती साहेब मन सबो के इंटरव्यू लेवत रहिस।करमू के पारी आइस जी धुक-धुकावत रहय,ओकरो इंटरव्यू लेहे गीस,सबो पूछे प्रश्न के जवाब सहीच-सही सुग्घर बताइस।थोरिक दिन के पाछू इंटरव्यू के रिजल्ट आइस त करमू पहिलिच नंबर म पास होगिस।ओकर खुशी के ठिकाना नी रहिस। *सफलता ठोसहा मिहनत अऊ संकल्प ले मिलथे*।

               ओकर पहिली नियुक्ति एस डी एम के रुप म होईस।तेकर पाछू ओला एकठन जिला के कलेक्टर बनाइस।कलेक्टर बने के बाद अपन गाँव आइस अऊ घर गिस घर म तारा फइरका लगे रहय।ओमेर के मनखे मन ल पूछिस त थोरिक दूरिहा म सड़क बनत हावे उंहे काम करे गेहे बताइस।तुरतेच बताय जघा म जाके देखथे त सड़क बनत रहिस उहीच जघा म फूलवा तगाड़ी बोहे गिट्टी मसाला अमरत रहय,ठेकेदार फूलवा ल डांटत रहिस तेला करमू दूरिहा ले देखत रहय फेर करमू चिन्हत नी रहिस,ओकर बहिनी फूलवा दूरिहा ले करमू ल चिन्हारी कर डारिस।..कतको झन करमू ल काम के जांच करइया साहेब आये हे समझत रहिन।...फूलवा दउड़त जाके करमू ल पोटार दारिस अऊ रोवत-रोवत *मया के आंँसू* के धार बोहावत सबो घटना करमू ल बताइस।करमू के आँखी ले घलो आंँसू के धार थिरकत नइ रहिस।

            करमू अपन संग फूलवा ल गाड़ी म बइठार लिस अऊ अपन के सरकारी बंगला म लेगिस।घर के सबो बीते बात अपन भाई ल फूलवा बताइस...।दाई-ददा ये दुनिया म नइ हे कहिके जानिस त करमू के *अंतस हदरगे* ओला जबर दुख होइस।ये सबो घटना ल मोला काबर नी बताय कहिके करमू अपन बहिनी फूलवा ल सुसकावत कहिस।जेन दिन तोर इंटरव्यू होवइया हे कहिके खबर मिलिस त तोर इंटरव्यू म कुछू अड़गा झन होही कहिके ददा कहे रहिस करमू ल झन बताबे तेकर सेथी नइ बतायेंव फूलवा रोवत-रोवत कहिस।थोरिक दिन के पाछू ओकर बहिनी फूलवा के बिहाव एकझन बढ़िया सुभाव के फूलसाय सरकारी नौकरी वाला संग करिस अऊ ओकर बहिनी के कहे मुताबिक *कलेक्टर करमू* घलो बिहाव करके अपन घर बसाइस *हर अँजोर के अपनेच छइहां होथे*।करम के लेखा पहिली ले नइ लिखाय रहे भलुक *करम के डांड़* खींचे बर परथे।

✍️ डोरेलाल कैवर्त "*हरसिंगार*"

        तिलकेजा, कोरबा (छ.ग.)

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