अँगरेजी के ला छत्तीसगढ़ी मा कथा सार कथानक अनुवाद करे छोटकुन कहानी।हाई स्कूल मेट्रिक 19 84 मा पढे कहानी के आय।जेकर सुरता मोर मन मा आज ले हावे। ओइसे भी महूँ मेट्रिक तक ही पढ़े हवँ। जे मन पढ़ पाही ओमन अपन विचार भरोसी ले रखहीं।
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बदला
एक ठन चिरई जेन हर जमीन मा अंडा देथे। इही चिरई हर नदिया तिर के परिया भुँइया मा अंडा पार के सेय बर बइठे रिहिस। एक दिन उही डहर ले हाथी के दल नदिया मा पानी पिये बर आवत रिहिस। चिरई के मन मा डर समागे, अउ हाथी के मुखिया तिर जाके कथे कि, हाथी जी जेन डहर आपमन जावत हव थोरिक आगू जमीन मा मोर अंडा हे जेमा मोर पिलवा मन के सिरजन होवत हे। इही डहर ले आपके सबो दल आवत हे, वोला कइसनो करके बचा लेतेव ते बहुते किरपा होतिस। हाथी ओकर बिनती ला सुनिस अउ दया, सोग करके अगुवा के चिरई के सँग चल दिस। हाथी अपन चारो पाँव ला चकरा फसकरा के अंडा के छेका करके खड़े होगे। हाथी के दल हर ओकर आजू बाजू ले पार होवत गिन। उही दल मा एक झन अड़ियल खैंटाहा किसम के घमंडी हाथी घलो रिहिस। ओ हर अपन मुखिया ला कथे--तोला नदिया नइ जाना के का? पानी नइ पीना हे का?
मुखिया हाथी कथे - - पानी तो पीना हे जी, फेर येदे चिरई बिचारी के अंडा के बचाव बर छेका करत ये जगा मा खड़े हवँ।
तब वो अड़ियल चिरकुटहा हाथी कथे---हम अतका बड़े देंहे पाँव वाला हाथी जात अउ नानकुन चिरई के चिन्ता करबो। अउ तहूँ ला चिरई अंडा के चिन्ता धरे हे। अतका कहिके मुखिया हाथी ला जोरलगहा ढकेल दिस, अउ अंडा ला अपन पाँव मा रमँज के मुखिया हाथी ला धकियावत चल दिस।
पेड़वा के डारा ले बइठ के चिरई सबो करम दसा ला देखत रिहिस। अपन आँखी मा सबो तहस नहस होवत देखके रोये लागिस। अबड़ बेरा ले सुचकत रहिगे। आखिर मा चिरई ठान लिस कि ये घमंडी हाथी ले मोला कइसनो करके बदला लेना हे कहिके।
दुसरइया दिन चिरई हर कउँवा ले मितानी करिस अउ अपन सबो बिथा ला सुनाइस। सँगे सँग बदला लेय बर साथ देय के सहमति माँगिस। कउँवा घलो हामी भरिस अउ तुरते घमंडी हाथी के पीठ मा जाके बइठगे। किरनी गोचरनी ला खाय असन करत करत ओकर आँखी मन ला लहू के आवत ले ठोनक दिस अउ उड़ाके आगे।
चिरई हर जंगल के भुसड़ी घुनघुट्टी माँछी मन ले मितानी करिस अउ अपन उपर परे बिपत के किस्सा सुनाके बदला बर मदद के बिनती करिस। यहू बताइस कि कउँवा हर अपन काम ला कर डारे हे। आपमन ला ठोनकाय आँखी मा झूमते रहना हे अउ मल मूत्र करते रहना हे। सबो झन राजी होके हाथी के ठोनकाय आँखी मा भिनभिन भिनभिन झूम झूम के मल मूत्र करत गिन जेकर ले आँखी के घाव बाढ़त गिस जेकर ले घाव मा पीप भरगे दरद पीरा बाढ़गे। अउ दूनो आँखी मूँदागे। तभो ले माछी घुनघुट्टी भुसड़ी मन वोला हलाकान करे बर नइ छोड़य।
हाथी पानी मा बूड़ के बाँचे बर गूनत रहय। तब चिरई हर मेंचका ले मितानी करके अपन उपर आय बिपत ला सुनाइस अउ बदला लेय बर राजी करिस। तब मेंचका कथे--तँय चिंता झन कर मँय आजे हाथी के सबो घमंड ला निकाल देथवँ। ये कहिके मेंचका हर हाथी के सुनउ पथरा मा जाके बइठके टर्र टर्र नरियाय के शुरू कर दिस। हाथी मन मा सोचिस कि मेंचका नरियावत हे माने तिर तखार मा पानी तो होहिच। ओकर आरो ला ओरखत हाथी रेंगे लगिस। मेंचका आगू आगू फूदक पूदक के टर्र टर्र नरियावय अउ पहाड़ी डहर चढ़त जावै। हाथी घलो पानी के आस मा उपर कोती चढ़त गिस। आखिर मा पहाड़ी के टीप मा चल दिस, अउ बड़का असन पहाड़ी चटर्रा मा झपाके गहिर खाई मा गिरके मरगे।
ये किसम ले छोटकुन चिरई अपन बदला पूरा करिस अउ सबो सँग देवइया सँगवारी मन के अभार मानिस।
कहानी सार अनुवाद
राजकुमार चौधरी "रौना"
टेड़ेसरा राजनांदगांव।
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लघु कथा बाल कहानी रूप मा प्रेरक मोला बने लगिस। एकर सेती भेज पारे हवँ।
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