**विकास**
हिन्दी म एक ठन कहावत हे,पूत सपूत तो का धन संचय,पूत कपूत तो का धन संचय,।अकाश अऊ विकास पहलाद के दू झन टूरा राहय।दूनो झन के बर -बिहाव घलो हो गे रिहिस।बर बिहाव होय के बाद म देवरानी जेठानी, भाई -भाई म खींचातानी,हिजगापारी झन होय कहिके पहलाद हर भाई बंटवारा घलो दे दे रिहिस।अकाश हर बड़ मेहनती राहय।मेहनत कर करके अपन बंटवारा के घर ल पक्का घलो बना डारिस।अकाश हर अपन मेहनत के परसादे (बलबूता)म परिवार संग हंसी- खुशी जिनगी बितात राहय।ओती भाई विकास ह निच्चट कोड़िहा,अलाल। ओकर अलाली ले घर के दाई, ददा सुवारी हलाकान होगे।कहिथे जइसे -ज इसे संगत तइसे तइसे रंगत। विकास सबो जिनिस,का गांजा का दारु, सट्टा जुआ म रंगे राहय।अऊ रंगही काबर नही जी जब सरकार ह एक रुपया किलो म चांऊर,बर बिहाव बर पईसा,जचकी बर पईसा, फोकट म लईका के पढ़हई,लिखई,अऊ ते अऊ अब तो घर घलो पक्का घलो बना के दे देथे त काबर कमाही।इही पियई खव ई के चक्कर म खेती के करजा म घलो लदाय राहय।
मढ़ई के दिन विकास लटलट ले पी के माते राहय।पहलाद के बहुरिया के आंखी ले आंसू ढरकत हे।संझा -संझा विकास के निशा थोरकिन उतरे लगिस। अकाश भाई के दुरदसा ल देख के समझाय के परयास (उदिम) करिस फेर एको नई सुनिस।वतका म पहलाद दहाड़ मार के कथे,तोला का होगे रे बेटा। ते कार नी समझस रे। विकास ह लड़खड़ात भाखा म कहिथे मे सब समझथो बाबू मे सब समझथो -विकास मतलब करजा माफी, सरकार मतलब- करजा माफी, विकास मतलब- फिरी फिरी------ह हा हा।
फकीर प्रसाद साहू
* *फक्कड़**
*सुरगी*
No comments:
Post a Comment