Monday, 11 November 2024

राज्योत्सव अउ पुरस्कार

 राज्योत्सव अउ पुरस्कार

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एक नवम्बर 2000  म छत्तीसगढ़ राज्य बने रहिस।आज बाइस बछर होगें। हर बछर कोनो न कोनो क्षेत्र म बने काम करने  वाला मन ल पुरस्कृत करे जाथे। अलंकरण घलो देय जाथे। पहिली मुख्यमंत्री अजीत जोगी के कार्यकाल म 16 ठन पुरस्कार देवत रहिन हें। रमन सरकार के बेरा म बाइस होगे। अब कांग्रेस सरकार के कार्यकाल म 33 ले 36 होगे। 


बाइस बछर म समझ म नइ अइस के सम्मान / अल़करण /पुरस्कार- देय के मापदंड काये। दिनों दिन येखर ऊपर सवाल उठतेच्च हाबय। अयोग्य मनखे अचानक अलंकरण के बेरा म योग्य हो जथे। फार्म भरे जाथे, फेर कब येखर तारीख आथे, अउ कब निकल जथे, पता नइ चलय! आधा झन तो इही कारण ले फार्म भर नइ पावंय। योग्य मनखे देखबे त गिने चुने रहिथें।


अतेक पुरस्कार/ सम्मान बर तो जूरी घलो कमती पड़ जथे। जेन क्षेत्र के सम्मान बर, मनखे चुनना हे, ओखर बर ओ क्षेत्र के जानकारी ले अनजान मनखे  ल ज्यूरी रखे जाथे। फेर ऊपर ले दबाव घलो आथे, के, इहि मनखे ल चुनना हे। कुछ तो जूरी के पसंद के मनखे भी रहिथे। योग्य /नापसंद मनखे बंदरबांट ले बाहिर हो जथे।

 सही बात तो  ये  आये-- ये पुरस्कार/सम्मानअलंकरण-- ह बंदरबाट ही होगे हावय!  


आवेदन कमती आथे, तब बाहिर के योग्य मनखे ल चुने के अधिकार जूरी मन ल हाबय। ये मेर अपन पसंद काम करथे। कोई जरुरी नइये, के हर जूरी ओ क्षेत्र के हर मनखे के बारे म जानत होही। येखर बर एक जानकार होना ही चाही। काबर के आवेदक के योग्यता के सच्चाई ल उही जान सकही। कलेक्टर के सील लगे आवेदन-- जमा होना चाही-- फेर अइसना नइ होवय।


इही कारण से कइ मनखे के चयन के बाद सवाल खड़ा हो जथे। सुंदरलाल शर्मा  पुरस्कार  ह  सदा विवाद म रहिथे। येखर मापदंड हावय साहित्य/ आंचलिक साहित्य बर पुरस्कार! साहित्य याने पद्य के संग - संग गद्य के साहित्य भी होना चाही। आंचलिक साहित्य म  छत्तीसगढ़ी, हल्बी, गोंडी बर भी सोचना चाही। एक बेर हरिहर वैष्णव जी ल मिले रहिस हे। बहुत खुशी होय रहिस हे। बाकी अभी दू बछर ले कवि ल मिलत हे। हिन्दी उपन्यासकार ल मिलिस। एक डाक्टर ल भी मिले हावय। ये सबके साहित्य के क्षेत्र म एक ही विधा हावय। का ये सब विधा म लिखने वाला मन गल्ती करत हावंय। छत्तीसगढ़ ल  एक अनिवार्य छत्तीसगढ़ी पेपर, देने वाला शिक्षाविद/विद्वान साहित्यकार- नइ होतिस त आज छत्तीसगढ़ी भाषा के लड़ाई ही शुरु नइ होतिस। आज छत्तीसगढ़ी म एम, ए,के कोर्स चालू  होगे हाबय। एखर प्रेरणा देवइया  मनखे ल तो, बला के सम्मानित करना चाही। बहुत झन छत्तीसगढ़ी भाषा के गद्यकार हावंय, एक बेर येखर मन के भी समीक्षा कर लेना चाही। हर बार सुंदरलाल शर्मा पुरस्कार विवादित काबर हो जथे? क्षेत्रीयता ल भी महत्व देना चाही। पूरा छत्तीसगढ़ के साहित्यकार ऊपर सोचना चाही। आवेदन नइ आवय, त काबर.नइ आवय? येखर चिंतन- करना चाही। संस्कृति विभाग ल हर अखबार म येखर आवेदन पत्र ल दू तीन बेर प्रकाशित करना चाही। 


संस्कृति विभाग के अंग आये राजभाषा आयोग ह! इंहा तो पूरा साहित्यकार मन के परिचय हावय। राजभाषा आयोग ले भी मदद लेय जा सकथे। आवेदन  ऊपर ध्यान देना भी जरुरी हावय। कइ बेर जानकारी मिलिस के योग्य मनखे फार्म भरे हावय फेर ओखर ले कमती योग्यता वाले ल पुरस्कार मिलगे। हर बछर एक नाम हवा म उड़ियाथे, अउ ओ ह उड़ा जथे ! अब तो लाला जगदलपुरी सम्मान घलो शुरु होगे हावय ,साहित्य / आंचलिक साहित्य बर। दूनों सम्मान के पापदंड म काय अंतर  रईही ?  येला स्पष्ट करना घलो जरुरी हे। सुंदरलाल शर्मा पुरस्कार वरिष्ठता के आधार अउ योग्यता के अनुसार होना बहुत जरुरी हावय। तभे ये पुरस्कार सार्थक होही!

सुधा वर्मा, संपादकीय, मड़ई देशबंधु, 6/11/2022

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